12 Rabi-ul-Awal | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

12 Rabi-ul-Awal | Sirf Panch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

असहाबुल जन्नह (बाग़ वाले)

क़ुरआन करीम की सूर-ए-कलम में एक बाग वाले का तज़किरा आया है। यह यमन के एक इलाक़ा “जौरान” का रहने वाला था। अल्लाह तअला ने उसको खूब माल व दौलत से नवाज़ा था, उस के पास एक बहुत बड़ा बाग़ था। 

अपनी पैदावार का बड़ा हिस्सा गरीबों और मिसकीनों पर खर्च किया करता था। अपने घर वालों का सालाना खर्च निकाल कर बाक़ी माल अल्लाह तआला की राह में सदका कर दिया करता था। 

जब उस नेक आदमी का इन्तेकाल हो गया, तो उसके लड़कों ने कहा के हमारा बाप तो बहुत बेवक़ूफ़ था कि अपनी दौलत ग़रीबों पर लुटा देता था, हम ऐसा नहीं करेंगे और बिल्कुल अंधेरे में फल तोड़ने बाग़ में जाएँगे, ताकि कोई जरूरतमंद आकर हम को तंग न कर सके। 

अभी उन्होंने यह फैसला किया ही था के अल्लाह तआला ने उनके बाग़ और खेतों को तेज़ और गर्म हवा के जरिये रात ही में जला कर राख कर दिया। जब उन लोगों ने वहाँ पहुँच कर बाग़ और खेती की यह हालत देखी तो अफसोस करते रह गए और अपने बुरे फैसले पर बहुत शरमिन्दा हुए। 

बिला शुबा ग़रीबों और मिसकीनों का हक़ न देने वालों और अल्लाह की राह में खर्च न करने वालों के साथ अल्लाह तआला का ऐसा ही मामला हुआ करता है।

📕 इस्लामी तारीख


2. हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा

एक ऊकिया सोने की बरकत

हज़रत सलमान फारसी (र.अ) फ़रमाते हैं –

जब मुझे रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मेरा क़र्ज़ा अदा करने के लिये सोना दिया, तो मैंने कहा, या रसूलल्लाह (ﷺ) ! इतने से मेरा क़र्ज़ा कैसे पूरा होगा? तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उस को बोसा दिया और फिर मुझे दिया और फ़रमाया: जाओ अल्लाह तआला इस से तुम्हारा क़र्ज़ा अदा कर देगा। हज़रत सलमान फ़रमाते हैं के मैं वह ले कर गया और उसमें से वज़न कर के देता रहा। यहाँ तक के मैंने उससे चालीस उकीआ अदा कर दिया।

📕 बैहक़ी फी दलाइलिन्नुबुव्वह: ४१९
📕 हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा

नोट- एक ऊक़िया तकरीबन चालीस दिरहम के बकद्र होता है जो तकरीबन सवा तीन तोले से कुछ ज़्यादा होगा। 


3. एक फर्ज के बारे में

पर्दा करना फर्ज़ है

क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाया है –

“(ऐ औरतो!) तुम अपने घरों में ठहरी रहा करो और दौरे जाहिलियत की तरह बेपर्दा मत फिरो।”

📕 सूर-ए-अहज़ाब : ३३
📕 एक फर्ज के बारे में

खुलासा : तामम मुसलमान औरतों के लिये ज़रूरी है के जब किसी शदीद ज़रूरत के तहत घर से निकलें, तो अच्छी तरह बदन और चेहरे को ढांक कर पर्दे का ख्याल रखते हुए बाहर जाएँ, क्योंकि पर्दा करना तमाम औरतों पर फ़र्ज है।


4. एक सुन्नत के बारे में

जहन्नम के अज़ाब से बचने की दुआ

दोज़ख़ के अज़ाब से बचने के लिये इस दुआ का एहतमाम करना चाहिये, यह नेक बन्दों की दुआ है, जो दोज़ख के अज़ाब से बचने के लिये पढ़ा करते थे।

راما إنها ساءت منتا و مامان
و با اضورفعا عذاب جهنم کا عداها گا

तर्जमा : ऐ हमारे रब ! हम से जहन्नम का अज़ाब दूर रख, क्योंकि उस का अज़ाब पूरी तबाही मचाने वाला है (और) बेशक जहन्नम बुरा ठिकाना और बुरी जगह है।

📕 सूर फुरकानः 25:65-66


5. एक अहेम अमल की फजीलत

आँखों की बीनाई चले जाने पर सब्र करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –

“अल्लाह तआला फ़रमाता है जब मैं अपने किसी बन्दे को उस की दो महबूब चीज़ों की आज़माइश में डालता हूँ और वह सब्र करता है, तो मैं उन दो महबूब चीज़ों के बदले उसे जन्नत अता करता हूँ, दो महबूब चीज़ों से मुराद दोनों आँखें हैं।”

📕 बुखारी: 5653, अन अनस (र.अ)
📕 एक अहेम अमल की फजीलत


6. एक गुनाह के बारे में

मुरतद की सज़ा जहन्नम है

क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है:

“यक़ीनन जो लोग ईमान लाए, फिर क़ाफ़िर हो गए, फिर ईमान लाए, फिर काफ़िर हो गए, फिर अपने क़ुफ्र में बढ़ते ही चले गए। तो ऐसे लोगों को अल्लाह तआला हरगिज़ नहीं बख्शेगा और उनको सीधी राह भी नहीं दिखाएगा।”

📕 सूर-ए-निसा : १37


7. दुनिया के बारे में

दुनिया ही को अपना मक़सद बनाने वाले

क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

“आप ऐसे शख्स से अपना ख़्याल हटा लीजिये, जो हमारी नसीहत से मुँह मोड़ ले और दुनियावी ज़िन्दगी के अलावा उसका कोई मक़सद हो, उन लोगों के इल्म की पहुँच यहीं तक है (यानी वह लोग सिर्फ इसी दुनिया की चीज़ों के बारे में जानते हैं और इसी दुनिया ही को मक़सद बना रखा है।)”

📕 सूर नज्म 29:30


8. आख़िरत के बारे में

कम अज़ाब वाला दोज़खी

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाता –

“अहले जहन्नम में सब से कम अज़ाब में वह आदमी होगा जिसके कदमों के उठे हुए तलवों के नीचे दो अंगारे होंगे जिससे उसका दिमाग़ इस तरह खौलेगा जिस तरह ताँबे की गर्म पानी वाली हंडिया खौलती है।”

📕 बुखारी: 6562, अन नोमान बिन बशीर (र.अ)


9. तिब्बे नबवी से इलाज

जम ज़म के फवाइद

हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ) ने ज़म-ज़म के बारे में फ़रमाया :

“यह एक मुकम्मल ख़ुराक़ भी है और बीमारियों के लिये शिफ़ा बख़्श भी है।”

📕 बैहकी शोअबुल ईमान: 3973


10. नबी (ﷺ) की नसीहत

माल ख़र्च करो और माल को ज़ख़ीरा न करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“माल ख़र्च करो और माल को ज़ख़ीरा न करो वर्ना अल्लाह तआला तुमसे रिज़्क़ को रोक लेगा और लोगों से माल को रोक कर न रखो वर्ना अल्लाह तआला तुमसे रिज़्क़ को रोक लेगा।”

📕 बुखारी: 2591, अन असमा (र.अ)

Leave a Reply