» प्रश्न: अल्लाह ने सभी को अपने मज़हब का क्यों नहीं बनाया…?
» उत्तर: इसका उत्तर क़ुरआन ने विभिन्न स्थानों पर दिया है क़ुरआन में कहा गयाः
∗ अल-कुरान : “[ऐ मुहम्मद(सलल्लाहो अलैहि वसल्लम)] यदि आपका रब चाहता तो सब लोगों को एक रास्ते पर एक उम्मत कर देता, वे तो सदैव मुखालफ़त करने वाले ही रहेंगे। सिवाए उनके जिन पर आपका रब दया करे, उन्हें तो इसी लिए पैदा किया है। ” – (सूरः हूद 118) यही विषय सूरः यूनुस 96,सरः माईदा 48,सूरः शोरा 8,सूरः नहल 93 और अन्य विभिन्न आयतों में बयान किया गया है।
यह संसार परीक्षा-स्थल है परिणाम स्थल नहीं। यहाँ हर व्यक्ति को एक विशेष अवधि के लिए बसाया गया है ताकि उसका पैदा करने वाला देखे कि कौन अपने रब की आज्ञाकारी करके उसका प्रिय बनता है और कौन उसकी अवज्ञा करके उसके प्रकोप का अधिकार ठहरता है। इसके लिए उनसे संदेष्टाओं (नबी/रसूल) द्वारा अपना संदेश भेजा और सत्य को खोल खोल कर बयान कर दिया है।
फिर इनसान को उसे अपनाने की आज़ादी भी दे दी है कि चाहे तो उसके नियम को अपना कर उसके उपकारों का अधिकार बने और चाहे तो उसके नियमों का उलंधन कर के उसके प्रकोप को भुगतने के लिए तैयार हो जाए। यही है जीवन की वास्तविकता। इस बिन्दु को क़ुरआन की यह आयत स्पष्ट रूप में बयान करती हैः
∗ अल-कुरान : “और यदि आपका रब चाहता तो धरती के सभी लोग ईमान ले आते, तो क्या आप लोगों को ईमान लाने के लिए मजबूर करेंगे” – (सूरः यूनुस 99 : @[156344474474186:]).<