रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“मुसलमान मुसलमान का भाई है और किसी मुसलमान के लिये अपने भाई से ऐब वाले सामान को ऐब बयान किए बगैर फरोख्त करना जाइज नहीं।”
📕 इब्ने माजा : २२४६, अन उकबा बिन आमिर (र.अ)
और पढ़े:
- कोई चीज़ ऐब बताए बगैर बेचने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “जो शख्स कोई ऐबदार चीज़ उस का ऐब बताए बगैर बेचेगा, वह बराबर अल्लाह की नाराजगी में रहेगा और फरिश्ते उसपर लानत करते रहेंगे।” 📕 इब्ने माजा : २२४७
- बगैर किसी उज्र के नमाज़ क़ज़ा करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: "जो शख्स दो नमाज़ों को बगैर किसी उज्र के एक वक्त में पढ़े वह कबीरा गुनाहों के दरवाजों में से एक दरवाजे पर पहुँच गया।" 📕 मुस्तदरक : १०२०, अन इब्ने अब्बास (र.अ)
- ग़ज़व-ए-दौमतुल जन्दल २५. रबीउल अव्वल सन ५ हिजरी में रसूलुल्लाह (ﷺ) को इत्तेला मिली के शाम की सरहद से करीब दौमतुल जन्दल के मुरिक क़बाइल ने काफलों पर डाके डाल रखे हैं और गुजरने वालों से सामान लूट लेते हैं, नीज़ यह भी मालूम हुआ के उन्होंने मदीना पर हमला करने के लिये…
- हमेशा सच बोलो क्योंकि सच नेकी का रास्ता बताता है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: "हमेशा सच बोलो क्योंकि सच नेकी का रास्ता बताता है और सच और नेकी जन्नत में दाखिल करने वाले हैं। तुम झूट से बचो क्योंकि वह गुनाह का रास्ता बताता है और झूट और गुनाह जहन्नम में दाखिल करने वाले हैं।" 📕 तबरानी कबीर :१६२५१, अन…
- गज्व-ए-तबूक फतहे मक्का के बाद पूरे अरब में इस्लामी दावत व तब्लीग़ की असल हकीक़त वाजेह हो गई और लोग इस्लाम में जौक़ दर जौक दाखिल होने लगे, ऐसे मौके पर रूमी हुकूमत ने अपने लिये खतरा महसूस करते हुए मदीना पर हमले का इरादा कर लिया और उस की तय्यारियाँ…
- शिर्क और कत्ल करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "अल्लाह तआला हर गुनाह को माफ कर सकता है, मगर उस आदमी को माफ नहीं करेगा, जो शिर्क की हालत में मर जाए, दूसरा वह आदमी जो किसी (बेगुनाह) मुसलमान भाई को जानबूझ कर क़त्ल कर दे।" 📕 अबू दाऊद: ४२७०
- सरगोशी करने का गुनाह कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "ऐसी सरगोशी (खुफिया मश्वरा) सिर्फ शैतान की तरफ से है जो के मुसलमानों को रंज में मुब्तला कर दे, और वह अल्लाह की मशिय्यत व इरादे के बगैर (मुसलमानों को) कुछ भी नुकसान नहीं पहुँचा सकता और मुसलमानों को अल्लाह ही पर भरोसा…