मय्यित का कर्ज अदा करना हजरत अली (र.अ) फ़र्माते हैं के: रसुलअल्लाह (ﷺ) ने कर्ज को वसिय्यत से पहले अदा करवाया, हालाँकि तुम लोग (कुरआन पाक में) वसिय्यत का तजकेरा कर्ज से पहले पढ़ते हो। 📕 तिर्मिज़ी : २१२२ फायदा: अगर किसी शख्स ने कर्ज लिया और उसे अदा करने से पहले इन्तेकाल कर गया,…
जन्नत का मुस्तहिक रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो आदमी इस हाल में मर जाए के वह तकब्बुर, खयानत और कर्ज से बरी हो, तो जन्नत में दाखिल होगा।" 📕 तिर्मिज़ी : १५७२
मेहर अदा ना करने का गुनाह रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जिस आदमी ने किसी औरत से मेहर के बदले निकाह किया और उस का महेर अदा करने का इरादा न हो, तो वह जानी (जीना करने) के हुक्म में है और जिस आदमी ने किसी से क़र्ज़ लिया। फिर उस का क़र्ज़ अदा करने की…
इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है ... रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।” 📕 इब्ने माजा: २२४ फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और…
वारिसीन के दर्मियान विरासत तकसीम करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "माल (विरासत) को किताबुल्लाह के मुताबिक हक़ वालों के दर्मियान तकसीम करो।" 📕 मुस्लिम: ४१४३ फायदा : अगर किसी का इन्तेकाल हो जाए और उस ने माल छोड़ा हो, तो उस को तमाम हक वालों के दर्मियान तकसीम करना वाजिब है, बगैर किसी शरई वजह…
वुजू में तीन मर्तबा कुल्ली करना हजरत अली (र.अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के वुजू की कैफियत बयान करते हुए फ़र्माते हैं के : "रसूलुल्लाह (ﷺ) ने तीन बार कुल्ली की।" 📕 मुस्नदे अहमद : ८७४
हज़रत तल्हा बिन उबैदुल्लाह (र.अ) हजरत तल्हा बिन उबैदुल्लाह (र.अ) का शुमार भी उन दस लोगों में होता है जिन को रसूलुल्लाह (ﷺ) ने दुनिया ही में जन्नत की खुशखबरी सुना दी थी। आप इस्लाम लाने वालों में अव्वलीन साबिकीन में से की हैं, ग़ज़व-ए-बद्र के अलावह तमाम ग़जवात में रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ रहे…
नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "तकलीफ और नागवारी के बावजूद पूरी तरह मुकम्मल वुजू करना, मस्जिदों की तरफ जियादा कदम बढ़ाना और एक नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करना, यह आमाल गुनाहों से (आदमी को) बिलकुल पाक साफ कर देते हैं।" 📕 मुस्तदरक : ४५६
नमाज़ में इमाम की पैरवी करना हज़रत अबू हुरैरह (र.अ) फ़र्माते हैं के रसूलुल्लाह (ﷺ) हमें सिखाते थे के "(नमाज़ में) इमाम से पहले रुक्न अदा न किया करो।" 📕 मुस्लिम : १३२ फायदा : अगर इमाम के पीछे नमाज पढ़ रहा हो, तो तमाम अरकान को इमाम के पीछे अदा करना चाहिये, इमाम से आगे…
बीमारी की शिकायत न करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अल्लाह तआला फर्माता है के मै जब अपने मोमिन बंदे को (बीमारी में) मुबतला करता हूँ और वह अपनी इयादत करने वालों से मेरी शिकायत नहीं करता, तो मैं उस को अपनी कैद (यानी बीमारी) से नजात दे देता हूँ, और फिर उस के गोश्त…
मर्द व औरत का एक दूसरे की नकल करने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी औरत पर लानत फर्माई जो मर्द की नक्ल इख्तियार करती हैं और ऐसे मर्द पर लानत फ़रमाई जो औरतों की मुशाबहत इख्तियार करता है। 📕 इब्ने माजा : १९०२ खुलासा: मर्द का औरतों की शक्ल व सूरत इख्तियार करना और औरत का मर्दो की शक्ल इख्तियार…
नमाज़ में भूल चूक हो जाए तो सज्दा-ए-सहव करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब तुम में से किसी को (नमाज़ में) भूल चूक हो जाए, तो सज्दा-ए-सहव कर ले।" 📕 मुस्लिम १२८३ फायदा : अगर नमाज़ में कोई वाजिब से छूट जाए या वाजिबात और फराइज़ में से किसी को अदा करने में देर हो जाए तो सज्द-ए-सब करना…
औरतों का चंद बातों पर अमल करना औरतों का चंद बातों पर अमल करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "अगर औरत पाँच वक़्त की नमाज पढ़े और रमजान के रोजे रखे और अपनी शर्मगाह की हिफाज़त करे और अपने शौहर की फरमाबरदारी करे (तो कयामत के दिन) उससे कहा जाएगा: तुम जन्नत के जिस दरवाजे से चाहो…
रुख्सत के वक़्त मुसाफा करना रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी को रुख्सत फर्माते, तो उस का हाथ अपने हाथ में ले लेते और उस वक़्त तक (उसका हाथ) न छोड़ते, जब तक के वह आप के हाथ को खुद न छोड़ दे। 📕 तिर्मिजी : ३४४२, अन इब्ने उमर (र.अ)
मेहमान का अच्छे अलफाज़ से इस्तिकबाल करना हज़रत इब्ने अब्बास फ़रमाते हैं के, जब रसूलुल्लाह (ﷺ) की ख़िदमत में क़बील-ए-बनू अबदुल कैस के लोग आए, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया "खुशामदीद" (यानी आपका आना मुबारक हो।) 📕 बुखारी: ५३ फायदा: जब कोई मेहमान आए, तो खुशामदीद, मरहबाया इस तरह के अल्फ़ाज़ कहना सुन्नत है।
हज़रत जुबैर बिन अव्वाम (र.अ) हज़रत जुबैर बिन अव्वाम (र.अ) भी उन खुशनसीब लोगों में हैं जिन को रसूलुल्लाह (ﷺ) ने दुनिया में ही है। जन्नत की खुशखबरी सुना दी थी। आप इस्लाम लाने वालों में चौथे या पाँचवे शख्स है। पंद्रह साल की उम्र में इस्लाम कबूल किया और हबशा और मदीना दोनो की…
मेहमान की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है मेहमान की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो आदमी अल्लाह और यौमे आखिरत पर ईमान रखता हो, उसे अपने मेहमान का इकराम करना चाहिये, एक दिन व रात की खिदमत उस का जाइज हक़ है और उस की दावत व मेहमान नवाजी तीन…
मोमिन पर तोहमत लगाने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जो शख्स अपने मोमिन भाई को मुनाफिक के शर से बचाए, तो अल्लाह तआला कयामत के दिन ऐसे आदमी के साथ एक फरिश्ते को मुकर्रर कर देगा, जो उसके बदन को जहन्नम से बचाएगा; और जो आदमी भोमिन भाई पर किसी चीज़ की तोहमत लगाए…
मुस्कुराते हुए मुलाकात करना हजरत जरीर (र.अ) के फर्माते हैं के मेरे इस्लाम लाने के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मुझे कभी भी किसी भी वक्त अपने पास हाजिर होने से नहीं रोका और जब भी मुझे देखते तो आप मुस्कुराते थे। 📕 बूखारी : ३०३५