रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब मय्यित को क़ब्र में रख दिया जाता है, तो उस को सूरज गुरूब होता हुआ दिखाई देता है, तो वह बैठ कर आँखें मलने लगता है और कहता है, मुझे नमाज पढ़ने दो।”
📕 इब्ने माजा : ४२७२, अन जाबिर (र.अ)
और पढ़े:
- ज़ियादा अमल की तमन्ना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "अगर कोई बन्दा पैदाइश के दिन से मौत आने तक अल्लाह की इताअत में चेहरे के बल गिरा पड़ा रहे तो वह भी क़यामत के दिन अपने सारे अमल को हक़ीर समझेगा और यह तमन्ना करेगा के उस को दुनिया की तरफ वापस कर दिया…
- बिच्छू के जहर का इलाज हजरत अली (र.अ) फरमाते हैं : एक रात रसूलुल्लाह (ﷺ) नमाज़ पढ़ रहे थे के नमाज के दौरान एक बिच्छू ने आप को डंक मार दिया, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उस को मार डाला जब नमाज़ से फारिग हुए तो फरमाया : अल्लाह बिच्छू पर लानत करे, यह न नमाज़ी को…
- नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करने की फ़ज़ीलत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "तकलीफ और नागवारी के बावजूद पूरी तरह मुकम्मल वुजू करना, मस्जिदों की तरफ जियादा कदम बढ़ाना और एक नमाज के बाद दूसरी नमाज़ का इंतज़ार करना, यह आमाल गुनाहों से (आदमी को) बिलकुल पाक साफ कर देते हैं।" 📕 मुस्तदरक : ४५६
- क़ज़ा नमाजों की अदायगी रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "जो कोई नमाज पढ़ना भूल गया या नमाज के वक्त सोता रह गया, तो (उसका कफ्फारा यह है के) जब याद आए उसी वक्त पढ़ ले।” 📕 तिर्मिज़ी: १७७ फायदा: अगर किसी शख्स की नमाज किसी उज्र की वजह से छूट जाए या सोने की…
- दीन-ऐ-इस्लाम में नमाज़ की अहमियत रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : "दीन बगैर नमाज़ के नहीं है, नमाज़ दीन के लिये ऐसी है जैसा आदमी के बदन के लिये सर होता है।" 📕 तबरानी औसत: २३८३
- नमाज़ में भूल चूक हो जाए तो सज्दा-ए-सहव करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "जब तुम में से किसी को (नमाज़ में) भूल चूक हो जाए, तो सज्दा-ए-सहव कर ले।" 📕 मुस्लिम १२८३ फायदा : अगर नमाज़ में कोई वाजिब से छूट जाए या वाजिबात और फराइज़ में से किसी को अदा करने में देर हो जाए तो सज्द-ए-सब करना…
- अस्र की नमाज़ की फज़ीलत एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अस्र की नमाज़ पढ़ाई और फिर लोगों की तरफ मुतवज्जेह हो कर फ़रमाया - "यह नमाज़ तुमसे पहले वाले लोगों पर भी फ़र्ज़ की गई थी, मगर उन्होंने इस को ज़ाय कर दिया, लिहाज़ा सुनो! जो इसको पाबन्दी से पढ़ता रहेगा उसको दोहरा सवाब मिलेगा।"…