रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़ारमाया :
“जो शख्स अल्लाह और आखिरत के दिन पर ईमान रखता हो
उसे चाहिये के अपने पड़ोसी को तकलीफ न दे।”
और पढ़े:
- पड़ोसी को तकलीफ देने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जिसने अपने पड़ोसी को तकलीफ दी, उस ने मुझे तकलीफ दी और जिस ने मुझे तकलीफ दी उस ने अल्लाह को तकलीफ दी और जिसने अपने पड़ोसी से झगड़ा किया, उसने मुझ से झगड़ा किया और जिसने मुझ से झगड़ा किया तो उसने अल्लाह से…
- पड़ोसी के साथ अच्छा सुलूक करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन साथी (दोस्त) वह है, जो अपने साथी के लिये बेहतर हो और अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन पड़ोसी वह है जो अपने पड़ोसी के हक़ में अच्छा हो।" 📕 तिर्मिज़ी : १९४४
- पडोसी का एहतराम किया करो ۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "जो अल्लाह और आखिरत के दिन पर ईमान रखता हो उसे अपने पडोसी का इकराम करना चाहिये। सहाबा ने पुछा: या रसुलल्लाह (ﷺ) पड़ोसी का क्या हक़ है ? फरमाया : अगर वह तुम से कुछ माँगे तो उस को दे दिया करो।"…
- मुसलमानों को तकलीफ देने का गुनाह रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “जिस शख्स ने किसी मुसलमान को तकलीफ दी, उस ने मुझे तकलीफ पहुँचाई और जिसने मुझे तकलीफ पहुँचाई उसने अल्लाह को तकलीफ पहुँचाई।” 📕 मोअजमे औसत लित्तबरानी : ३७४५
- जख्मी हाथ का अच्छा हो जाना एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) खाना खा रहे थे, इतने में हज़रत जरहद अस्लमी (र.अ) हाजिरे खिदमत हुए, हुजूर ने फ़र्माया: खाना खा लीजिए, हज़रत जरहद के दाहिने हाथ में कुछ तकलीफ थी, लिहाजा उन्होंने अपना बायाँ हाथ बढ़ाया, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: दाहिने हाथ से खाओ, हज़रत जरहदने (र.अ)…
- हराम लुकमे का गले से नीचे न उतरना एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) किसी की नमाजे नजाजा पढ़ कर वापस आ रहे थे, रास्ते में एक आदमी एक औरत की तरफ से खाने की दावत देने आया, तो हजर (र.अ) ने दावत कुबूल फ़रमा ली और रसूलुल्लाह (ﷺ) अपने सहाबा के साथ उस औरत के घर तशरीफ ले गए।…
- हर बीमारी का इलाज एक मर्तबा हज़रत जिब्रईल (अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास तशरीफ़ लाए और पूछा: ऐ मुहम्मद (ﷺ) ! क्या आप को तकलीफ है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: हाँ! तो जिब्रईल ने यह दुआ पढ़ी: तर्जमा: अल्लाह के नाम से दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो आपको तकलीफ़ दे ख्वाह…