हजरत मूसा अलैहि सलाम (भाग: 7) | Qasas ul Anbiya: Part 27

हजरत मूसा अलैहि सलाम (भाग: 7)
Qasas ul Anbiya: Part 27

बनी इसराईल की गौशालापरस्ती

.     इसी बीच एक और अजीब व ग़रीब वाकिया पेश आया, वह यह कि कोहे तूर पर एतिकाफ़ में फैलाव से फायदा उठाकर एक आदमी सामरी [सामरी के बारे में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने वजाहत की है कि वह बनी इसराईल में से न था, बल्कि वह सुमैरी क़ौम का आदमी था और सापरी उसका नाम नहीं है, बल्कि उसकी क़ौमियत की तरफ़ इशारा है (Sumarian) ] ने जो जाहिर में मुसलमान था, बनी इसराईल से कहा कि अगर तुम वह तमाम जेवर मेरे पास ले आओ जो तुमने मिस्रियों से उधार लिए थे और फिर वापस न कर सके, तो मैं तुम्हारे फायदे की एक बात कर दूं।

.     बनी इसराईल ने तमाम जेवर सामरी के हवाले कर दिए। उसने उनको गलाकर बछड़े का जिस्म तैयार किया और फिर अपने पास से एक मुट्ठी मिट्टी उसके लिए डाल दी। इस तर्कीब से उसमें जिंदगी के निशान पैदा हो गए और उससे बछड़े की आवाज़ ‘भाएं-भाएं’ आने लगी। अब सामरी ने बनी इसराईल से कहा कि मूसा (अलैहि सलाम) से गलती हो गई, तुम्हारा माबूद तो यह है।

सामरी की इस तर्गीब से बनी इससईल ने उसकी पूजा शुरू कर दी।

.     हजरत हारुन (अलैहि सलाम) ने यह देखा तो बनी इसराईल को समझाया कि ऐसा न करो। यह तो गुमगही का रास्ता है, मगर उन्होंने हारून (अ०) की बात मानने से इंकार कर दिया और कहने लगे कि जब तक मूसा न आ जाएं हम इससे वाज आने वाले नहीं।

.     यहां जब यह नौबत पहुंची तो अल्लाह तआला की मस्लहत का ताकाजा हुआ कि हजरत मुसा (अलैहि सलाम) को इस वाकिए की इत्तिला दे दे, इसलिए मुसा से पूछा, मुसा! तुमने कौम को छोड़कर यहां आने में इतनी जल्दी क्यों की? हजरत मूसा (अ०) ने अर्ज किया, ऐ अल्लाह! इसलिए कि तेरे पास हाजिर होकर कौम के लिए हिदायत हसिल करू?’ अल्लाह तआला ने उस वक़्त उनको बताया कि जिसकी हिदायत के लिए तुम इस कदर बेचैन हो। वह इस गुमराही में मुब्तला है। हजरत मूसा (अ०) ने यह सुना तो उनको सख्त रंज हुआ। और गुस्से और नदामत के साथ कौम की तरफ वापस हुए और कौम से मुखातब होकर फ़रमाया : “तुमने यह क्या किया?” मुझसे ऐसी कौन सी देर हो गई थी जो तुमने यह आफ़त खड़ी कर दी। यह फरमाते जाते थे और गैज व गजब से कांप रहे थे, यहां तक कि हाथ की लोहें (तख्तियां) भी गिर गई।

.     बनी इसराईल ने कहाः हमारा तो कोई कुसूर नहीं। मिस्रियों के जेवरों का जो बोझ हम साथ लिए फिर रहे थे, वह सामरी ने हमसे मांग कर यह स्वांग बना लिया और हमको गुमराह कर दिया।

.     ‘शिर्क‘ नुबूवत के मंसब के लिए एक बर्दाश्त न करने के काबिल चीज है, इसलिए और फिर इसलिए भी कि हज़रत मूसा बहुत गर्म मिज़ाज थे। उन्होंने अपने भाई हारून की गरदन पकड़ ली और दाढ़ी की तरफ हाथ बढ़ाया तो हज़रत हारून (अ.स) ने फ़रमाया, ‘ब्रादर! मेरी मुतलक खता नहीं है। मैंने उन्हें हर पहलू से समझाया, मगर उन्होंने किसी तरह नहीं माना और कहने लगे कि जब तक मूसा न आ जाएं, हम तेरी बात सुनने वाले नहीं, बल्कि उन्होंने मुझको कमजोर पा कर मेरे कत्ल का इरादा कर लिया था। जब मैंने यह हालत देखी तो ख्याल किया कि अगर इनसे लड़ाई की जाए और पूरे ईमान वालों और उनके दर्मियान लड़ाई छिड़ जाए तो कहीं मुझ पर यह इलज़ाम न लगाया जाए कि मेरे पीछे कौम में फूट डाल दी, इसलिए मैं ख़ामोशी के साथ तेरे इतिज़ार में रहा। प्यारे भाई! तू मेरे सर के बाल न नोच और न दाढ़ी पर हाथ वला और इस तरह दूसरों को हंसने का मौका न।”

.     हारून (अ०) की यह माकूल दलील सुनकर हजरत मुसा का गुस्सा उनकी तरफ से ठंडा हो गया और अब सामरी की तरफ़ मुखातब होकर फ़रमाया –

.     ‘सामरी! तूने यह क्या स्वांग बनाया है?’

.     सामरी ने जवाब दिया कि मैंने ऐसी बात देखी जो इन इसराईलियों में से किसी ने नहीं देखी थी, यानी फ़िरऔन के डूबने के वक्त जिब्राइल घोड़े पर सवार इसराईलियों और फ़िरऔनियों के दर्मियान रोक बने हुए थे। मैंने देखा कि उनके घोड़े की सुम की ख़ाक में जिंदगी का असर पैदा हो जाता है और सूखी जमीन पर सब्जा उग आता है, तो मैंने जिब्रइल के घोड़े के क़दमों की खाक से एक मुट्ठी भर ली और उस ख़ाक को इस बछड़े में डाल दिया और उसमें जिंदगी की निशानियां पैदा हो गईं और यह ‘भां-भां’ करने लगा।

.     हजरत मूसा (अ०) ने फ़रमाया –
.     अच्छा, अब दुनिया में तेरे लिए यह सजा तजवीज की गई है कि तू पागलों की तरह मारा-मारा फिरे और जब कोई इंसान तेरे करीब आए तो उससे भागते हुए यह कहे कि देखना, मुझको हाथ न लगाना, यह तो दुनिया वाला अजाब है और कयामत में ऐसे नाफ़रमानों और गुमराहों के लिए जो अजाब मुकर्रर है, वह तेरे लिए अल्लाह के वायदे की शक्ल में पूरा होने वाला है।

.     ऐ सामरी! यह भी देख कि तूने जिस गौशाला को माबूद बनाया था और उसकी समाधि लगाकर बैठा था, हम अभी उसको आग में डालकर खाक किए देते हैं और इस ख़ाक को दरिया में फेंके देते हैं कि तुझको और तेरे इन बेवकूफ मुक्तादिओं को मालूम हो जाए कि तुम्हारे माबूद की क़द्र व कीमत और ताकत व कूवत का यह हाल है कि वह दूसरों पर इनायत व करम तो क्या करता, ख़ुद अपनी ज़ात को हलाकत व तबाही से न बचा सका।


बनी इसराईल को माफ़ी

.     गुस्सा कम होने पर हज़रत मूसा (अ०) ने तौरात की तख्तियों को उठा लिया और अल्लाह की तरफ़ रुजू किया कि अब बनी इसराईल की इस बेदीनी और इर्तिदाद की सजा अल्लाह के नजदीक क्या है? जवाब मिला कि जिन लोगों ने यह शिर्क किया, उनको अपनी जान से हाथ धो लेना पड़ेगा।

.     नसई में रिवायत है कि हजरत मूसा (अ०) ने बनी इसराईल से कहा कि तुम्हारी तौबा की सिर्फ़ एक शक्ल मुकर्रर की गई है कि मुजरिमो को अपनी जान इस तरह खत्म कराना चाहिए कि जो आदमी रिश्ते में जिससे सबसे ज्यादा करीब है, वह अपने अजीज़ को अपने हाथ से कत्ल करे यानी बाप बेटे और बेटा बाप को और भाई भाई को, आख़िरकार बनी इसराईल को इस हुक्म के आगे सर झुका देना पड़ा।

काफ़ी तायदाद में बनी इसराईल कत्ल हुए, जब नौबत यहां तक पहुंची तो हज़रत मूसा (अ०) अल्लाह के दरबार में सज्दे में गिर पड़े और अर्ज किया, ऐ अल्लाह! अब इन पर रहम फ़रमा कर इनकी ख़ताओं को बश दे। हज़रत मूसा (अ०) की दुआ कुबूल हुई और अल्लाह तआला ने फ़रमाया कि हमने क़ातिल व मक्तूल दोनों को बना दिया और जो जिंदा और कुसूरवार हैं, उनकी भी खता माफ़ कर दी। तुम उनको समझा दो कि आगे शिर्क के करीब भी न जाएं।

To be continued …

इंशा अल्लाह अगले पार्ट 28 में हम देखंगे बनी इसराईल पर अल्लाह का अज़ाब

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