पोस्ट 24 :
ख़्वातीन और नमाज़े ईद।
उम्मे अ़तिय्या फ़रमाती हैं: हमें इस बात का हुक्म दिया गया था कि हम ईदैन में हाएज़ा और पर्दानशीन (कुंवारी) ख़्वातीन को भी (ईदगाह) ले आएं ताकि वो मुसलमानों की जमात और उन की दुआ़ में शामिल हो जाएं। अलबत्ता हाएज़ा ख़्वातीन को नमाज़ की जगह (मुस़ल्ला) से अलग रहने के लिए कहा गया।
एक औ़रत ने अ़र्ज़ किया: “ऐ अल्लाह के रसूल ﷺ, हम में से किसी के पास जिलबाब (पर्दा, चादर) नहीं होता है (तो क्या करें ?) आप ने फ़रमाया: उस की बहन अपने जिलबाब में उसे उढ़ादे।“
📕 बुखारी: अस्स़लात 351
📕 मुस्लिम: स़लातुल ईदैन 1475————-J,Salafy————
इल्म हासिल करना हर एक मुसलमान मर्द-और-औरत पर फर्ज़ हैं
(सुनन्ऩ इब्ने माजा ज़िल्द 1, हदीस 224)
Series : ख़्वातीन ए इस्लाम