19 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

रमज़ान की फरज़ियत और ईद की खुशी

सन २ हिजरी में रमजान के रोजे फर्ज हुए। इसी साल सदक-ए-फित्र और जकात का भी हुक्म नाजिल हुआ।

रमजान के रोजे से पहले आशूरा का रोज़ा रखा जाता था, लेकिन यह इख्तियारी था, जब रसूलुल्लाह (ﷺ) मदीना तशरीफ लाए, तो देखा के अहले मदीना साल में दो दिन खेल, तमाशों के जरिये खुशियाँ मनाते हैं, तो आप (ﷺ) ने उनसे दरयाफ्त किया के इन दो दिनों की हकीकत क्या है? सहाबा ने कहा : हम ज़माना-ए-जाहिलियत में इन दो दिनों में खेल, तमाशा करते थे।

चुनान्चे रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:

“अल्लाह तआला ने इन दो दिनों को बेहतर दिनों से बदल दिया है, वह ईदुल अजहा और ईदुल फित्र है, बिल आख़िर १ शव्वाल सन २ हिजरी को पहली मर्तबा ईद मनाई, अल्लाह तआला ने ईद की खुशियाँ व मसर्रतें मुसलमानों के सर पर फतह व इज्जत का ताज रखने के बाद अता फ़रमाई।”

जब मुसलमान अपने घरों से निकल कर तक्बीर व तौहीद और तस्बीह व तहमीद की आवाजें बुलन्द करते हुए मैदान में जाकर नमाजे ईद अदा कर रहे थे, तो दिल अल्लाह की दी हुई नेअमतों से भरे हुए थे, इसी जज्बा-ए-शुक्र में दोगाना नमाज़ में उनकी पेशानी अल्लाह के सामने झुकी हुई थी।

📕 इस्लामी तारीख

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

हज़रत साबित (र.अ) के लिये पेशीनगोई

हुजूर (ﷺ) का मुअजिजा

आप (ﷺ) ने हज़रत साबित बिन कैस (र.अ) से फरमाया था:

“क्या तुम इस पर राजी नहीं के एक अच्छी जिन्दगी बसर करो और शहीद की मौत मरो
और फिर जन्नत में दाखिल हो जाओ?

तो हजरत साबित ने फरमाया : या रसूलल्लाह (ﷺ) हाँ क्यों नहीं।

चुनान्चे हज़रत साबित (र.अ) ने अच्छी जिन्दगी बसर की
और फिर अल्लाह की राह में शहीद हो गए।”

📕 मुअजमे कबीर लित तबरानी : १२९६

3. एक फर्ज के बारे में

इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है …

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।”

📕 इब्ने माजा: २२४

फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और सही मसाइल की मालमात हो जाए।

4. एक सुन्नत के बारे में

दुनिया व आखिरत में आफियत की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

बन्दे की अपने रब से माँगी जाने वाली दुआओं में सबसे अफजल यह है:

तर्जमा: ऐ अल्लाह! मैं दुनिया और आखिरत में तुझसे आफियत व भलाई का सवाल करता हूँ।

📕 इब्ने माजा: ३८५१

5. एक अहेम अमल की फजीलत

अल्लाह के लिये अपने भाई की जियारत करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“क्या मैं तुम्हें जन्नती लोगों के बारे में खबर न करूं? सहाबा (र.अ) ने अर्ज किया: जरूर या रसूलल्लाह (ﷺ)!

आप (ﷺ) ने फर्माया: नबी जन्नती है, सिद्दीक जन्नती है और वह आदमी जन्नती है जो सिर्फ अल्लाह की रजा के लिये शहर के दूर दराज इलाके में अपने भाई की जियारत के लिये जाए।

📕 तबरानी औसत: १८१०, अन अनस बिन मालिक (र.अ)

6. एक गुनाह के बारे में

इजार या पैन्ट टखने से नीचे पहनने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स तकब्बुर के तौर पर अपने इज़ार को टखने से नीचे लटकाएगा, अल्लाह तआला क़यामत के दिन उसकी तरफ रहमत की नजर से नहीं देखेगा।”

📕 बुखारी: ५७८८

7. दुनिया के बारे में

गुनहगारों को नेअमत देने का मक्सद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब तू यह देखे के अल्लाह तआला किसी गुनहगार को उस के गुनाहों के बावजूद दुनिया की चीजें दे रहा है तो यह अल्लाह तआला की तरफ से ढील है।

📕 मुस्नदे अहमद : १६८६०

8. आख़िरत के बारे में

कयामत से हर एक डरता है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“कोई मुकर्रब फरिश्ता, कोई आसमान, कोई ज़मीन, कोई हवा, कोई पहाड़. कोई समुन्दर ऐसा नहीं जो जुमा के दिन से न डरता हो (इस लिये के जुमा के दिन ही क़यामत कायम होगी)”

📕 इब्ने माजा: १०८४

9. तिब्बे नबवी से इलाज

जिस्म के दर्द का इलाज

हजरत उस्मान बिन अबिल आस (र.अ) ने रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में हाजिर हो कर अपने जिस्म के दर्द को बताया तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : जहां दर्द होता हो वहां हाथ रख कर तीन बार “बिस्मिल्लाह” और सात मर्तबा यह दुआ पढ़ो:

( أَعُوذُ بِاللَّهِ وَقُدْرَتِهِ مِنْ شَرِّ مَا أَجِدُ وَأُحَاذِرُ )

“A’udhu Billahi Wa Qudratihi Min Sharri Ma Ajidu Wa Uhadhiru”

तर्जमा: मैं अल्लाह और उस की कुदरत की पनाह चाहता हुँ उस तकलीफ़ से जो मुझे पहुँची है और जिस से मैं डरता हुँ। चुनान्चे उन सहाबी ने जब यह कलिमात कहे तो उन का दर्द खत्म हो गया फिर वह सहाबी अपने घर वालों और दूसरे जरुरतमंदों को हमेशा इन कलिमात की तलकीन करते रहते थे।

📕 मुस्लिम: ५७३७, अन उस्मान बिन अबिल आस (र.अ)

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

हिजामा के फायदे: मुफीद तरीन इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“मुझे जिब्रईल (र.अ) ने यह बात बताई के हजामत ( पछना लगाना )
सब से जियादा नफा बख्श इलाज है।”

फायदा : हजामत से फासिद खून निकल जाता है जिसकी वजह से
बदन का दर्द और बहुत सारी  बीमारियां दूर हो जाती हैं।

📕 कन्जुल उम्माल : २८१३८

और देखे :