16 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
Image Not Found

1. इस्लामी तारीख

गज्व-ए-तबूक

फतहे मक्का के बाद पूरे अरब में इस्लामी दावत व तब्लीग़ की असल हकीक़त वाजेह हो गई और लोग इस्लाम में जौक़ दर जौक दाखिल होने लगे, ऐसे मौके पर रूमी हुकूमत ने अपने लिये खतरा महसूस करते हुए मदीना पर हमले का इरादा कर लिया और उस की तय्यारियाँ शुरू कर दी।

शाम से आने वाले एक क़ाफले ने मुसलमानों को इस की इत्तेला दी। रूम की सलतनत आधी दुनिया पर हुकूमत करती थी और उस ज़माने में सबसे बड़ी ताक़त शुमार होती थी, इस लिये मुसलमान बहुत परेशान थे। एक तरफ बे सरो सामानी की हालत और अरब की सख्त गरमी ज़ोरों पर थी और दूसरी तरफ दूर दराज़ का सफर था। मगर ख़ामोश बैठना भी किसी तरह मुनासिब नहीं था। चुनान्चे रसूलुल्लाह (ﷺ) ने जंग की तय्यारी का एलान कर दिया और माहे रजब सन ९ हिजरी में तीस हजार के लश्कर को ले कर आप तबूक के लिये रवाना हुए। मुसलमानों के इस दीलेराना इझदाम की वजह से रूमियों पर बड़ा असर हुआ और उन्होंने हमला करने का इरादा छोड़ दिया और बहुत सारे कबीले के सरदारों ने सुलह कर ली। 

यहाँ एक माह कयाम करने के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) बगैर जंग किए फतहमन्दी के साथ मदीना वापस हो गए। यह आप की जिन्दगी का आखरी गजवा था। 

📕 इस्लामी तारीख

To be Continued …

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

च्यूँटी अल्लाह की कुदरत का नमूना है

च्यूटी भी अल्लाह की अजीब मखलूक है। इतने छोटे से जान्वर में अल्लाह तआला ने आँख नाक कान दिल व दिमाग हाथ पैर कितनी कारीगरी से बनाए। फिर इन को सोचने, समझने और सूंघने की बेपनाह सलाहियतों से नवाज़ा।

वह एक मील की दूरी से मीठी चीज़ों का सूंघ कर पता लगा लेती है। च्यंटियों की सरदार को जब कोई चीज़ मिलती है, तो वह अपने मातहत तमाम च्यंटियो को बुलाती है।।और वह उस चीज़ को उठा कर अपने बिलों में ले जाती हैं।

अगर किसी दाने के जमने का खतरा महसूस करती हैं, तो उस के टुकड़े कर देती हैं और गर्मी के मौसम में सर्दी के लिए और इसी तरह बरसात का मौसम आने से पहले ही ज़खीरा जमा कर लेती हैं, बगैर किसी मशीन व आला के गर्मी और बरसात के मौसम की खबर उन्हें किस ने दी? इतनी छोटी सी मखलूक को ऐसे ऐसे हनर सिखा देना अल्लाह की कुदरत का करिश्मा है।

📕 अल्लाह की कुदरत

3. एक फर्ज के बारे में

सजद-ए-तिलावत अदा करना

हज़रत इब्ने उमर (र.अ) फ़र्माते हैं :

“हुजूर (ﷺ) हमारे दर्मियान सजदे वाली सूरह की तिलावत फ़र्माते, तो सजदा करते और हम लोग भी सजदा करते, हत्ता के हम में से बाज़ आदमी को अपनी पेशानी रखने की जगह नहीं मिलती।”

📕 बुखारी: १७५, अन इब्ने उमर (र.अ)

वजाहत: सजदे वाली आयत तिलावत करने के बाद, तिलावत करने वाले और सुनने वाले दोनों पर सजदा करना वाजिब है।

4. एक सुन्नत के बारे में

फसाद करने वालों पर गलबा पाने की दुआ

फसाद करने वालों पर गलबा पाने की दुआ

फितना व फसाद करने वालों पर गलबा पाने के लिये क़ुरआन की इस दुआ का एहतेमाम करना चाहिये:

۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞

قَالَ رَبِّ انصُرْنِي عَلَى الْقَوْمِ الْمُفْسِدِينَ

“Rabbi onsurnee AAala alqawmi almufsideena”

तर्जुमा: ऐ मेरे परवरदिगार ! मुझे फसाद करने वाली कौम पर गलबा अता फर्मा।

📕 सूरह अंकबूत 29:30

5. एक अहेम अमल की फजीलत

कसरत से सज्दा करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“कसरत से सज्दा किया करो क्योंकि जब तुम सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के लिये सज्दा करोगे तो अल्लाह तआला उस के बदले तुम्हें एक दर्जा बुलंद करेगा और तुम्हारा एक गुनाह माफ करेगा।”

📕 मुस्लिम: 1093

6. एक गुनाह के बारे में

गुमशुदा चीज़ उठाकर अपने पास रखने का गुनाह: हदीस

Gumshuda cheez uthakar apne paas rakhne ka gunah Hadees

गुमशुदा चीज़ उठाकर अपने पास रखने का गुनाह

अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया:

“जो शख़्स गुमशुदाह चीज़ उठाके अपने पास रखे और उस (गुमशुदा चीज़) को (लौटाने के नियत से लोगो में) ऐलान ना करे तो वो शख़्स गुमराह है।”

📕 सहीह मुस्लिम, हदीस 4402

7. दुनिया के बारे में

अल्लाह की चाहत दुनिया नहीं

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“तुम तो दुनिया का माल व असबाब चाहते हो और अल्लाह तआला तुमसे आखिरत को चाहता हैं।”

📕 सूरह अन्फाल: ६७

फायदा: इंसान हर वक़्त दुनियावी फायदे में मुन्हमिक रहता है और उसी को हासिल करने की फिक्र में लगा रहता है, हालांकि अल्लाह तआला चाहते हैं के दुनिया के मुकाबले में आखिरत की फिक्र ज्यादा की जाए, क्योंकि आखिरत में हमेशा रहना है।

8. आख़िरत के बारे में

हज़रत मिकाईल की हालत

आप (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से दर्याप्त फ़रमाया :

“क्या बात है ? मैं ने मिकाईल (फ़रिश्ते) को हंसते हुए नहीं देखा?“
अर्ज़ किया: जब से दोज़ख की पैदाइश हुई है, मिकाईल नहीं हंसे।”

📕 मुस्नद अहमद : १२९३०

9. तिब्बे नबवी से इलाज

नींद न आने का इलाज

हजरत जैद बिन साबित (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से नींद न आने की शिकायत की,
तो आप (ﷺ) ने फ़र्माया: यह पढ़ा करो:

तर्जमा : ऐ अल्लाह ! सितारे छुप गए और आँखें पुर सुकून हो गईं, तूह मेशा जिन्दा और कायम रहने वाला है, ऐ हमेशा जिन्दा और कायम रहने वाले! मेरी आंख को सुला दे और मेरी रात को पुर सुकून बना।

📕 मुअजमेल कबीर लित तबरानी: ४६८३

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

ककड़ी के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) से खजूर के साथ ककड़ी खाते थे।

फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम (रह.) ककड़ी के फवाइद में लिखते हैं के यह मेअदे की गरमी को बुझाती है और मसाना के दर्द को खत्म करती है।

📕 अबू दाऊद: ३८३५

और देखे :