पोस्ट 18 :
ह़ाएज़ा औ़रत से शफ़कत व मुहब्बत से पेश आना।आ़ईशा रज़िअल्लाहु अ़न्हा फ़रमाती हैं:
❝ मैं ह़ैज़ की हालत में हुवा करती और पानी पी कर बर्तन अल्लाह के नबी ﷺ को दे दिया करती। आप वहीं से मुंह लगा कर पीते जहां से मैं ने पिया था। और ह़ैज़ ही की हालत में मैं हड्डी चूस कर आप को दे देती फ़िर आप उसी जगा मूं लगा कर खाते जहां से मैंने खाया था। ❞
————-J,Salafy————
इल्म हासिल करना हर एक मुसलमान मर्द-और-औरत पर फर्ज़ हैं
(सुनन्ऩ इब्ने माजा ज़िल्द 1, हदीस 224)
Series : ख़्वातीन ए इस्लाम