25 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

मदीना में हुजूर (ﷺ) का इन्तेज़ार

जब मदीना तय्यिबा के लोगों को यह मालूम हुआ के रसूलुल्लाह (ﷺ) मक्का से हिजरत कर के मदीना तशरीफ ला रहे हैं, तो उन की खुशी की इन्तेहा न रही, बच्चे बच्चियाँ अपने छतों पर बैठ कर हुजूर (ﷺ) के आने की खुशी में तराने गाती थीं, रोजाना जवान, बड़े बूढ़े शहर से बाहर निकल कर दोपहर तक आप (ﷺ) की तशरीफ आवरी का इन्तेज़ार करते थे।

एक दिन वह इन्तेज़ार कर के वापस हो ही रहे थे के एक यहूदी की नज़र आप (ﷺ) पर पड़ी तो वह फौरन पुकार उठा “लोगो ! जिन का तुम को शिद्दत से इन्तेज़ार था वह आ गए!” बस फिर क्या था, इस आवाज़ को सुनते ही सारे शहर में खुशी की लहर दौड़ गई और पूरा शहर “अल्लाहु अकबर” के नारों से गूंज उठा और तमाम मुसलमान इस्तिकबाल के लिये निकल आए, अन्सार हर तरफ से जौक़ दर जौक आए और मुहब्बत व अकीदत के साथ सलाम अर्ज करते थे, खुश आमदीद कहते थे। तक़रीबन पांच सौ अन्सारियों ने हुजूर (ﷺ) का इस्तिकबाल किया।

To be Continued …

📕 इस्लामी तारीख

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

बचाव की सलाहियत

अल्लाह तआला ने हर एक जानवर को अपनी हिफ़ाजत व बचाव की सलाहियत से नवाज़ा है चुनांचे बैल, भैंस, बकरियों को सींग अता कर दिए।

और जंगली जानवरों में से हिरन, बारा सिंघा और गेंडे को ऐसे सींग लगाए के अगर कोई खूंखार दरिदा उन पर हमला करे तो आसानी से यह अपनी हिफ़ाजत कर लेते हैं।

इस तरह तमाम जानवरों को बचाव का सामान और हिफ़ाज़त का तरीका सिखा देना यह अल्लाह की कुदरत की बड़ी निशानी है।

📕 अल्लाह की कुदरत

3. एक फर्ज के बारे में

शौहर की विरासत में बीवी का हिस्सा

कुरआन में अल्लाह तअला फर्माता है :

“उन औरतों के लिये तुम्हारे छोड़े हुए माल में चौथाई हिस्सा है, जब के तुम्हारी कोई औलाद न हो अगर तुम्हारी औलाद हो तो उन के लिये तुम्हारे छोड़े हुए माल में आठवाँ हिस्सा है (उन को यह हिस्सा) तुम्हारी वसिय्यत और कर्ज को अदा करने के बाद मिलेगा।”

📕 सूरह निसा: १२

फायदा : शौहर के इन्तेकाल के बाद अगर उस की कोई औलाद न हो, तो बीवी को शौहर के माल का चौथाई हिस्सा देना और अगर कोई औलाद हो, तो आठवाँ हिस्सा देना जरूरी है।

4. एक सुन्नत के बारे में

बदअख़्लाक़ी से बचने की दुआ

۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फरमाते थे :

‏اللَّهمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِن منْكَرَاتِ الأَخلاقِ، والأعْمَالِ، والأَهْواءِ‏

( Allahumma Inni A’udhu Bika Min Munkaratil-Akhlaqi Wal-Amali Wal-Ahwa )

तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! मै बुरे अख्लाक और ख्वाहिशात से तेरी पनाह चाहता हु।

📕 तिर्मिज़ी : ३५९१

5. एक अहेम अमल की फजीलत

6. एक गुनाह के बारे में

मोमिन पर तोहमत लगाने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो शख्स अपने मोमिन भाई को मुनाफिक के शर से बचाए, तो अल्लाह तआला कयामत के दिन ऐसे आदमी के साथ एक फरिश्ते को मुकर्रर कर देगा, जो उसके बदन को जहन्नम से बचाएगा; और जो आदमी भोमिन भाई पर किसी चीज़ की तोहमत लगाए जिस से उस को जलील करना मक्सूद हो, तो अल्लाह तआला उस को जहन्नम के पुल पर रोक देगा, यहाँ तक के वह अपनी कही हुई बात का बदला न दे दे।

📕 अबू दाऊद : ४८८३, अन मुआन बिन अनस (र.अ)

7. दुनिया के बारे में

आखिरत के मुकाबले में दुनिया से राज़ी होने का वबाल

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“क्या तुम लोग आख़िरत की जिन्दगी के मुकाबले में दुनिया की ज़िन्दगी पर राजी हो गए? दुनिया का माल व मताअ तो आखिरत के मुकाबले में कुछ भी नहीं।”

📕 सूरह तौबा: ३८

यानी मुसलमान के लिये मुनासिब नहीं है के वह दुनिया ही की जिन्दगी पर राजी हो जाए या दुनिया के थोड़ेसे साज़ व सामान की खातिर अपनी आखिरत को बरबाद कर दे।

8. आख़िरत के बारे में

जन्नत का खेमा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जन्नत में मोती का खोलदार खेमा होगा, जिस की चौड़ाई साठ मील ही होगी। उस के हर कोने में जन्नतियों की बीवियाँ होंगी, जो एक दूसरी को नहीं देख पाएँगी और उनके पास उनके शौहर आते जाते रहेंगे।”

📕 सहीह बुखारी: ४८७९

9. तिब्बे नबवी से इलाज

कद्दू (दूधी) से इलाज

۞ हदीस: हज़रत अनस (र.अ) फर्माते हैं के,
“मैंने खाने के दौरान रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा के
प्याले के चारों तरफ से कद्दू तलाश कर के खा रहे थे,

उसी रोज़ से मेरे दिल में कद्दु की रग़बत पैदा हो गई।”

📕 बुख़ारी : ५३७९

फायदा : अतिब्बा ने इस के बे शुमार फवायद लिखे हैं और अगर बही के साथ पका कर इस्तेमाल किया जाए तो
बदन को उम्दा ग़िज़ाइयत बख्शता है, गरम मिजाज और बुख़ार जदा लोगों के लिये यह गैर मामूली तौर पर नफा बख्श है।

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

ककड़ी के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) से खजूर के साथ ककड़ी खाते थे।

फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम (रह.) ककड़ी के फवाइद में लिखते हैं के यह मेअदे की गरमी को बुझाती है और मसाना के दर्द को खत्म करती है।

📕 अबू दाऊद: ३८३५

और देखे :