20 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

आमुल हुज़्न (ग़म का साल)

रसूलुल्लाह (ﷺ) की जौज-ए-मोहतरमा हज़रत ख़दीजा (र.अ) और चचा अबू तालिब हर वक्त आप (ﷺ) का साथ दिया करते थे। एक मर्तबा अबू तालिब बीमार हो गए और इंतकाल का वक्त करीब आ गया।

आप (ﷺ) ने फ़रमाया : ऐ चचा ! एक मर्तबा ” ला इलाहा इलल्लाह “ कह लो ताके खुदा के सामने तुम्हारी शफ़ाअत के लिये मुझे दलील मिल जाए।

लेकिन अबू जहल और अब्दुल्लाह बिन उमय्या वगैरह ने कहा के अबू तालिब ! क्या तुम अब्दुल मुत्तलिब के दीन को छोड़ दोगे?

अबू तालिब ने कलिमा पढ़ने से इनकार कर दिया और आखरी लफ़्ज़ जो उन की ज़बान पर था वह यह के मैं अब्दुल मुत्तलिब के दीन पर हूँ और इंतकाल हो गया। अभी चचा के इंतकाल का ग़म हल्का न हुआ था, के उसके कुछ ही दिनों के बाद आप (ﷺ) की जाँनिसार और गमख्वार बीवी हज़रत ख़दीजातुल कुबरा (र.अ) भी इस दुनिया से चल बसीं।

इस तरह यके बाद दीगरे दोनों के इन्तेक़ाल कर जाने से आप (ﷺ) पर रंज व ग़म और मुसीबत का एक पहाड़ टूट पड़ा, क्योंकि आपकी दावत व तबलीग़ के हर मरहले पर अबू तालिब और हजरत स ख़दीजा, दोनों आपका साथ दिया करते थे और हजरत खदीजा (र.अ) तो हमेशा आप की मदद करती थीं और परेशानी के वक्त बेहतरीन मशवरे दिया करती थीं। इस लिये दोनों का एक साल में इंतकाल कर जाना आपके लिए बड़ा हादसा था। इसी वजह से आप (ﷺ) ने इस साल का नाम “आमुल हुज्न” यानी गम का साल रखा।

📕 इस्लामी तारीख

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

एक प्याला खाने में बरकत

हज़रत समुरह बिन जुन्दुबई (र.अ) फ़र्माते हैं के:

“एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास कहीं से एक प्याला आया जिस में खाना था, तो उस को आपने सहाबा को खिलाया, एक जमात खाना खा कर फ़ारिग होती फिर दूसरी जमात बैठती, यह सिलसिला सुबह से जोहर तक चलता रहा, एक आदमी ने हज़रत समुरह (र.अ) से पूछा क्या खाना बढ़ता था, तो हज़रत समुरह (र.अ) ने फर्माया : इस में तअज्जुब की क्या बात है, खाना आस्मान से उतरता था।

📕 बैहकी फी दलाइलिन्नुबुह : २३४२

3. एक फर्ज के बारे में

नमाज़ में भूल चूक हो जाए तो सज्दा-ए-सहव करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब तुम में से किसी को (नमाज़ में) भूल चूक हो जाए, तो सज्दा-ए-सहव कर ले।”

📕 मुस्लिम १२८३

फायदा : अगर नमाज़ में कोई वाजिब से छूट जाए या वाजिबात और फराइज़ में से किसी को अदा करने में देर हो जाए तो सज्द-ए-सब करना वाजिब है, इस के बगैर नमाज़ नहीं होती।

4. एक सुन्नत के बारे में

5. एक अहेम अमल की फजीलत

तहज्जुद की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

”जब कोई आदमी रात को अपनी बीवी को बेदार करता है और अगर उस पर नींद का ग़लबा हो, तो उसके चेहरे पर पानी छिडक कर उठाता है और फिर दोनों अपने घर में खड़े होकर रात का कुछ हिस्सा अल्लाह की याद में गुज़रते हैं तो उन दोनों की मग़फिरत कर दी जाती है।”

📕 तबरानी कबीर:3370, अन अबी मालिक (र.अ)

6. एक गुनाह के बारे में

मोमिन पर तोहमत लगाने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो शख्स अपने मोमिन भाई को मुनाफिक के शर से बचाए, तो अल्लाह तआला कयामत के दिन ऐसे आदमी के साथ एक फरिश्ते को मुकर्रर कर देगा, जो उसके बदन को जहन्नम से बचाएगा; और जो आदमी भोमिन भाई पर किसी चीज़ की तोहमत लगाए जिस से उस को जलील करना मक्सूद हो, तो अल्लाह तआला उस को जहन्नम के पुल पर रोक देगा, यहाँ तक के वह अपनी कही हुई बात का बदला न दे दे।

📕 अबू दाऊद : ४८८३, अन मुआन बिन अनस (र.अ)

7. दुनिया के बारे में

दुनिया की चीजें खत्म होने वाली हैं

दुनिया की चीजें खत्म होने वाली हैं

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : 

“जो कुछ तुम्हारे पास (दुनिया में) है वह (एक दिन) खत्म हो जाएगा और जो अल्लाह तआला के पास है वह हमेशा बाकी रहने वाली चीज़ है।”

📕 सूरह नहल: ९६

8. आख़िरत के बारे में

मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम

मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम

अबू हुरैरा (रज़ि) से रिवायत है की, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया –

3 तरह के लोग वो होंगे जिनकी तरफ कयामत के दिन अल्लाह तआला नज़र (नज़र-ए-रहमत) भी नहीं उठाएगा और ना उन्हें पाक करेगा, बल्कि उनके लिए दर्दनाक अज़ाब होगा।

एक वो शख़्स जिसके पास रास्ते में ज़रूरत से ज़्यादा पानी हो और उसने किसी मुसाफ़िर को उसके इस्तमाल से रोक दिया।

दूसरा वो शख्स जो किसी हाकीम से बैत सिर्फ दुनिया के लिए करे, कि अगर वो हाकीम उसे कुछ दे तो वो राजी रहे वरना खफा हो जाए।

तीसरा वो शख्स जो अपना (बेचने का तिजारती) सामान असर के बाद लेकर खड़ा हुआ और कहने लगा कि उस अल्लाह की कसम जिसके सिवा कोई सच्चा माबूद नहीं, मुझे इस सामान की कीमत इतनी मिल रही थी उस पर एक शख्श ने उसे सही समझा (और उस सामान को खरीद लिया) (यानी झूठ को इख्तियार करके तिजारत करनेवाला)।

📕 सहीह बुखारी, हदीस 2358

9. तिब्बे नबवी से इलाज

हर बीमारी का इलाज

एक मर्तबा हज़रत जिब्रईल (अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास तशरीफ़ लाए और पूछा: ऐ मुहम्मद (ﷺ) ! क्या आप को तकलीफ है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: हाँ! तो जिब्रईल ने यह दुआ पढ़ी:

तर्जमा: अल्लाह के नाम से दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो आपको तकलीफ़ दे ख्वाह किसी जानदार की बुराई हो या हसद करने वाली आँख की बुराई हो, अल्लाह के नाम से दम करता हूँ, अल्लाह आप को शिफा दे।

📕 तिर्मिज़ी : ९७२

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

दस्त (बकरी की अगली रान) के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) को दस्त (अगली रान) का गोश्त बहुत पसन्द था।

📕 बुखारी : ३३४०, अन अबी हुरैरह (र.अ)

फायदा : अल्लामा इब्ने क़य्यिम ने लिखा है के बकरी के गोश्त में सब से हल्की गिज़ा का हिस्सा गरदन और दस्त है, उसके खाने से मेदे में भारीपन नहीं होता।

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