18 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

दावत व तबलीग़ का हुक्म

नुबुव्वत मिलने के बाद भी हुजूर (ﷺ) बादस्तूर गारे हिरा जाया करते थे। शुरू में सूरह अलक़ की इब्तेदाई पाँच आयतें नाज़िल हुईं, फिर कई दिनों तक कोई वहीं नाज़िल नहीं हुई। उस को “फतरतुल वह्य” का जमाना कहते हैं।

एक रोज़ आप गारे हिरा से तशरीफ ला रहे थे के एक आवाज़ आई, आप ने चारों तरफ घूम कर देखा, मगर कोई नजर नहीं आया। जब निगाह ऊपर उठाई,तो देखा के जमीन व आस्मान के दर्मियान हज़रत जिब्रईल (अ.) एक तख्त पर बैठे हुए हैं।

हज़रत जिब्रईल (अ.) को इस हालत में देख कर आप पर खौफ तारी हो गया और घर आकर चादर ओढ़ कर लेट गए। आप की यह अदा अल्लाह तबारक व तआला को पसंद आई और सूर-ए-मुदस्सिर की इब्तेदाई आयतें नाज़िल फ़रमाई।

“ऐ कपड़े में लिपटने वाले ! खड़े हो जाइये और (लोगों को) डराइये और अपने पर्दरदिगार की बड़ाई बयान कीजिए और अपने कपड़ों को पाक साफ रखिये और हर किस्म की नापाकी से दूर रहिये।”
[सूरह मुद्दस्सिर : १ ता ५]

इस तरह आप को दावत व तब्लीग का हुक्म भी दिया गया, चूँकि पूरी दुनिया सदियों से शिर्क व बुत परस्ती में मुब्तला थी और खुल्लम खुल्ला दावत देना मुश्किल था, इस लिये शुरू में पोशीदा तौर पर आपने इस्लाम की दावत देना शुरू की।

आपकी दावत से औरतों में सबसे पहले आपकी जौजा-ए-मुहतरमा हज़रत ख़दीजा ने, मर्दों में हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ (र.अ) ने और बच्चों में हजरत अली (र.अ) ने इस्लाम क़बूल किया।

📕 इस्लामी तारीख

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

गोह की ख़ुसूसियत

गोह, गिरगिट और छिपकिली की शक्ल व सूरत का एक जंगली जानवर है, उसकी खासियत यह है के यह पानी नहीं पीती और सात सौ साल से भी जायद जिन्दा रहती है। और उस के दाँत कभी नहीं गिरते।

उस के तमाम दाँत एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं, गोह बहुत से अंडे दे कर जमीन में दबा देती है और उन की निगरानी करती रहती है, चालीस दिन के बाद उस के बच्चे निकल आते हैं।

अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत से कैसी कैसी अजीब किस्म की मखलूक पैदा फ़र्मा रखी है।

📕 अल्लाह की कुदरत

3. एक फर्ज के बारे में

मस्जिद में दाखिल होने के लिए पाक होना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“किसी हाइजा औरत और किसी जनबी : यानी नापाक आदमी के लिए मस्जिद में दाखिल होने की बिल्कुल इजाजत नहीं है।”

📕 अबू दाऊद : २३२, अन आयशा (र.अ)

वजाहत: मस्जिद में दाखिल होने के लिये हैज व निफ़ास और जनाबत से पाक होना जरुरी है।

4. एक सुन्नत के बारे में

अल्लाह के रास्ते में जाने वाले को दुआ देना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक जमात को अल्लाह के रास्ते में रवाना करते हुए फ़रमाया :
“अल्लाह के नाम पर सफर शुरू करो और यह दुआ दी:

तर्जमा: ऐ अल्लाह! इनकी मदद फ़र्मा।

📕 तबरानी कबीर: ११३८९

5. एक अहेम अमल की फजीलत

मुसाफा करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जब दो मुसलमान मिलते हैं और एक दूसरे से मुसाफह करते हैं (यानी हाथ मिलाते हैं) तो उनके जुदा होने से पहले पहले दोनो की मगफिरत कर दी जाती है।”

📕 तिरमिजी : २७२७, अन बरा बिन आजिब (र.अ)

6. एक गुनाह के बारे में

बोहतान / झूठा इलज़ाम लगाने का गुनाह और अज़ाब

झूठी तोहमत लगाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो लोग मुसलमान मर्दो और मुसलमान औरतों को बगैर किसी जुर्म के तोहमत लगा कर तकलीफ पहुँचाते हैं, तो यक़ीनन वह लोग बड़े बोहतान और खुले गुनाह का बोझ उठाते हैं।”

📕 सूरह अहज़ाब : ५८


झूठा इलज़ाम लगाने का अज़ाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जिस ने किसी मोमिन के बारे में ऐसी बात कही जो उस में नहीं है, तो अल्लाह तआला उस को दोज़खियों के पीप में डाल देगा, यहाँ तक के उस की सजा पा कर उस से निकल जाए।”

📕 अबू दाऊद: ३५९७

7. दुनिया के बारे में

दुनिया के लालची अल्लाह की रहमत से दूर होंगे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

क़यामत करीब आ चुकी है और लोग दुनिया की हिर्स व लालच और अल्लाह तआला की रहमत से दूरी में बढ़ते ही जा रहे हैं।”

खुलासा : कयामत के करीब आने की वजह से लोगों को नेकी कमाने की जियादा से जियादा फ़िक्र करनी चाहिये, लेकिन ऐसा करने के बजाए वह दुनिया की लालच में पड़ कर अल्लाह की रहमत से दूर होते जा रहे है।

📕 मुस्तदरक : ७९१७

8. आख़िरत के बारे में

परहेज़गारों की नेअमत

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“(क़यामत के दिन) परहेज़गार लोग (जन्नत) के सायों में और चशमों में और पसन्दीदा मेवों में होंगे (उन से कहा जाएगा) अपने (नेक) आमाल के बदले में खूब मजे से खाओ पियो, हम नेक लोगों को ऐसा ही बदला दिया करते हैं। (और) उस दिन झुटलाने वालों के लिये बड़ी ख़राबी होगी।”

📕 सूरह मुरसलात: ४१ ता ४५

9. तिब्बे नबवी से इलाज

दाढ़ के दर्द का इलाज

एक मर्तबा हजरत अब्दुल्लाह बिन रवाहा (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से दाढ में शदीद दर्द की शिकायत की, तो आप (ﷺ) ने उन्हें करीब बुला कर दर्द की जगह अपना मुबारक हाथ रखा और सात मर्तबा यह दुआ फ़रमाई :

اللّهُمَّ أَذْهِبْ عَنْهُ سُوءَ مَا يَجِدُ، وَاشْفِهِ بِدَوَاءِ نَبِيِّكَ الْمُبَارَكِ الْمَكِينِ عِنْدَكَ

“Allahumma adhhib ‘anhu su’a ma yajidu, wa shfihi bidawaa’i Nabiyyika al-Mubarak al-Makki ‘indak.” चुनान्चे फ़ौरन आराम हो गया।

📕 दलाइलुन्नबह लिल बैहकी: २४३१

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

मिस्वाक के फायदे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इर्शाद फ़रमाया :

“मिस्वाक मुंह की सफाई और अल्लाह की रज़ामंदी का ज़रिया है।”

📕 नसई : ५, अन आयशा (र.अ)

फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम मिस्वाक के फवाइद में लिखते हैं, यह दाँतों में चमक पैदा करती है, मसूड़ों में मज़बूती और मुँह की बदबू ख़त्म करती है, जिससे दिमाग़ पाक व साफ हो जाता है। यह बलग़म को काटती है, निगाह को तेज़ और आवाज़ को साफ करती है और भी इस के बहुत से फवाइद हैं।

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