24 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
मदीना में हुजूर (ﷺ) का इस्तिकबाल
कुबा में चौदा दिन कयाम फ़र्मा कर रसूलुल्लाह (ﷺ) मदीना तय्यिबा के लिये रवाना हो गए, जब लोगों को आप के तशरीफ लाने का इल्म हुआ, तो खुशी में सब के सब बाहर निकल आए और सड़क के किनारे खड़े हो गए, सारा मदीना “अल्लाहु अक्बर” के नारों से गूंज उठा, अंसार की बच्चियाँ खुशी के आलम में यह अश्आर पढ़ने लगीं:
“तर्जुमा: “रसूलुल्लाह (ﷺ) की आमद ऐसी है के गोया के वदअ पहाड़ की घाटियों से चौदहवीं का चाँद निकल आया हो, लिहाज़ा जब तक दुनिया में अल्लाह का नाम लेने वाला बाकी रहेगा, उन का शुक्र हम पर वाजिब रहेगा, ऐहम में मबऊस होने वाले! आपमाने वाले अहकामात लाए हैं।”
और बनू नज्जार की लड़कियाँ दफ बजा बजाकर गा रही थीं:
“तर्जुमा: “हम खानदाने नज्जार की लड़कियाँ हैं, मुहम्मद (ﷺ) क्या ही अच्छे पड़ोसी हैं।”
हज़रत अनस बिन मालिक (र.अ) फ़र्माते हैं के मैं ने कोई दिन उस से ज़ियादा हसीन और रौशन नहीं देखा, जिस दिन रसूलुल्लाह (ﷺ) हमारे यहाँ (मदीना) तशरीफ लाए।
To be Continued …
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
बहरे मय्यित (Dead Sea)
मुल्के उरदुन (Jordan) में छोटा सा एक समुन्दर है जिस को “बहरे मय्यित” (Dead Sea) कहते हैं।
अल्लाह तआला ने कौमे लूत की बस्तियों को पलट कर एक गहरे समुन्दर में तब्दील कर दिया जिसके पानी की सतह आम समुन्दरों के मुकाबिल १३०० फुट गहरी है, उस की बड़ी खुसूसियत यह है के न कोई जानदार उस में जिन्दा रहता है और न ही डूबता है, जबकि दूसरे समुन्दरों में जानदार चीजें भी हैं और जानदार व बेजान चीजें इस में गिर कर डूब भी जाती हैं।
तफ्सील में यहाँ पढ़े : History of “Dead Sea” by Holy Quraan
3. एक फर्ज के बारे में
मस्जिद में दाखिल होने के लिए पाक होना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“किसी हाइजा औरत और किसी जनबी : यानी नापाक आदमी के लिए मस्जिद में दाखिल होने की बिल्कुल इजाजत नहीं है।”
📕 अबू दाऊद : २३२, अन आयशा (र.अ)
वजाहत: मस्जिद में दाखिल होने के लिये हैज व निफ़ास और जनाबत से पाक होना जरुरी है।
4. एक सुन्नत के बारे में
रुख्सत के वक़्त मुसाफा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी को रुख्सत फर्माते, तो उस का हाथ अपने हाथ में ले लेते और उस वक़्त तक (उसका हाथ) न छोड़ते, जब तक के वह आप के हाथ को खुद न छोड़ दे।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
जमात के लिये मस्जिद जाने की फ़ज़ीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जो शख्स बाजमात नमाज के लिये मस्जिद में जाए तो आते जाते हर कदम पर एक गुनाह मिटता है (हर कदम पर) और उसके लिये एक नेकी लिखी जाती है।”
6. एक गुनाह के बारे में
बुरे आमाल की नहूसत
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“खुश्की और तरी (यानी पूरी दुनिया) में लोगों के बुरे आमाल की वजह से हलाकत व तबाही फैल गई है, ताके अल्लाह तआला उन्हें उन के बाज़ आमाल (की सज़ा) का मजा चखा दे, ताके वह अपने बुरे आमाल से बाज आ जाएँ।”
7. दुनिया के बारे में
काफ़िरों के माल से तअज्जुब न करना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“तुम उन (काफ़िरों) के माल और औलाद से तअज्जुब में मत पड़ना, कयोंकि अल्लाह तआला दुनियाही की ज़िंदगी में उन काफ़िरों को अज़ाब में मुब्तला करना चाहता है और जब उनकी जान निकलेगी, तो कुफ्र की हालत में मरेंगे।”
खुलासा : काफ़िरों को माल व औलाद जो दी जाती है, उन की ज़ियादती से किसी को तअज्जुब नहीं होना चाहिए, क्योंकि उन्हें अल्लाह तआला उन चीज़ों के ज़रिए उन की नाफ़र्मानी और बगावत की वजह से अज़ाब देना चाहता है।
8. आख़िरत के बारे में
क़यामत में झूटे खुदाओं की बेबसी
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जिसको तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो, वह खजूर की गुठली के एक छिलके का भी इख्तियार नहीं रखते, अगर तुम उनको पुकारो भी, तो वह तुम्हारी पुकार सुन भी नहीं सकते और अगर (बिलफर्ज़) सुन भी लें तो तुम्हारी ज़रूरत पूरी न कर सकेंगे और कयामत के दिन तुम्हारे शिर्क की मुखालफत व इन्कार करेंगे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
गाय के दूध में शिफा है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“गाय का दूध इस्तेमाल किया करो, क्योंकि वह हर किस्म के पौधों को चरती है (इस लिए) उसके दूध में हर बीमारी से शिफ़ा है।”
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
नींद न आने का इलाज
हजरत जैद बिन साबित (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से नींद न आने की शिकायत की,
तो आप (ﷺ) ने फ़र्माया: यह पढ़ा करो:
तर्जमा : ऐ अल्लाह ! सितारे छुप गए और आँखें पुर सुकून हो गईं, तूह मेशा जिन्दा और कायम रहने वाला है, ऐ हमेशा जिन्दा और कायम रहने वाले! मेरी आंख को सुला दे और मेरी रात को पुर सुकून बना।
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