23 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

दूसरी बैते अक़बा

मदीना मुनव्वरा में हजरत मुसअब बिन उमैर (र.अ) की दावत और मुसलमानों की कोशिश से हर घर में इस्लाम और पैगम्बरे इस्लाम का तजकेरा होने लगा था, लोग इस्लाम की खूबियों को देख कर ईमान में दाखिल होने लगे थे। सन १३ नबवी में मुसअब बिन उमैर (र.अ) ७० से ज़ियादा मुसलमानों पर मुश्तमिल एक जमात ले कर हज करने की गर्ज से मक्का आए, उस काफले में मुसलमानों के साथ क़बील-ए-औस व खज़रज के मुश्किीन भी थे। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अपने चचा हजरत अब्बास (र.अ) के साथ अक़बा नामी घाटी में आकर रात के वक़्त मुसलमानों से मुलाकात फर्माई।

हज़रत अब्बास (र.अ) ने मुसलमानों की जमात से कहा: मुहम्मद (ﷺ) अपनी कौम में निहायत बाइज्जत हैं और हम उन की हिफाजत का ख़याल करते हैं। वह तुम्हारे यहाँ आना चाहते हैं। अगर तुम पूरी तरह हिफाज़त करने का वादा करो तो बेहतर है। वरना साफ जवाब दे दो।

अन्सार ने कहा : हम ने आप की बात सुन ली। अब हुजूर (ﷺ) भी कुछ फरमाए, आप (ﷺ) ने कुरआन की तिलावत फ़र्मा कर उन्हें इस्लाम लाने का शौक दिलाया फिर फ़र्माया : हम चाहते है के तुम लोग हमारे साथियों को ठिकाना दे कर उन की हिफाज़त करो और रंज व ग़म, राहत व आराम और तंगदस्ती व मालदारी हर हाल में मेरी पैरवी करो, इस नसीहत को सुन कर अंसार ने बख़ुशी मंज़ूर करते हुए आप (ﷺ) के हाथ पर बैत की, फिर इस्लाम की दावत व तब्लीग़ के लिये उन में से बारा अफराद को जिम्मेदार बनाया।

To be continued …

📕 इस्लामी तारीख

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

बकरी का दूध देना

हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) फरमाते हैं के मैं मकामे जियाद में उकबा बिन अबी मुईत की बकरियाँ चरा रहा था, इतने में मुहम्मद (ﷺ) और हजरत अबू बक्र (र.अ) हिजरत करते हुए मेरे पास पहुँचे और कहने लगे: तुम हम को दूध पिला सकते हो?

मैंने कहा: यह बकरियाँ मेरे पास अमानत हैं मैं इन का दूध कैसे पिला सकता हूँ? तो फर्माया: अच्छा ठीक है इतना तो करो के जिस बकरीने अभी तक बच्चा नहीं जना उसको ले आओ, तो मैंने ऐसी बकरी हाज़िर कर दी।

आप (ﷺ) ने उसके थनों पर जैसे ही हाथ फेरा थनों में दूध भर आया फिर उसको एक प्याले में दूहा, उस में से आप (ﷺ) ने पिया फिर हज़रत अबू बक्र (र.अ) को और फिर मुझ को पिलाया और थनों से कहा सुकड़ जाओ तो वह थन अपनी पहली हालत पर लौट आए।

📕 तबरानी कबीर: ८३७४, अन इब्ने मसऊद (र.अ)

3. एक फर्ज के बारे में

मस्जिद में दाखिल होने के लिए पाक होना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“किसी हाइजा औरत और किसी जनबी : यानी नापाक आदमी के लिए मस्जिद में दाखिल होने की बिल्कुल इजाजत नहीं है।”

📕 अबू दाऊद : २३२, अन आयशा (र.अ)

वजाहत: मस्जिद में दाखिल होने के लिये हैज व निफ़ास और जनाबत से पाक होना जरुरी है।

4. एक सुन्नत के बारे में

अल्लाह से रेहम तलब करने की दुआ

अल्लाह तआला से रहम तलब करने के लिये दुआ

( Anta waliyyuna fagh-fir lana war-hamna, wa anta Khayrul- ghafirin )

तर्जुमा: (ऐ अल्लाह) तू ही हमारी खबर रखने वाला हैं, इस लिये हमारी मगफिरत और हमपर रहम फर्मा और तू सब से जियादा बेहतर माफ करने वाला हैं।

📕 सूरह आराफ: १५५

( Rabbana amanna faghfir lana warhamna wa anta khayrur Rahimiin )

तर्जमा : ऐ हमारे पालने वाले हम ईमान लाए तो तू हमको बख्श दे और हम पर रहम कर तू तो तमाम रहम करने वालों से बेहतर है।

📕 सूरह मोमिनून : १09

5. एक अहेम अमल की फजीलत

6. एक गुनाह के बारे में

नमाज़ में सुस्ती करने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“ऐसे नमाजियों के लिए बड़ी खराबी है, जो अपनी नमाजों की तरफ़ से गफ़लत व सुस्ती बरतते हैं, जो सिर्फ रियाकारी करते हैं।”

📕 सूरह माऊन :४-६

7. दुनिया के बारे में

8. आख़िरत के बारे में

जन्नतियों का लिबास

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“उन जन्नतियों के बदन पर बारीक और मोटे रेशम के कपड़े होंगे और उनको चाँदी के कंगन पहनाए जाएँगे और उनका रब उनको पाकीज़ा शराब पिलाएगा।
(अहले जन्नत से कहा जाएगा के) यह सब नेअमतें तुम्हारे आमाल का बदला हैं और तुम्हारी दुनियावी कोशिश कबूल हो गई।”

📕 सूरह दहर : २१ ता २२

9. तिब्बे नबवी से इलाज

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

और देखे :