25 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

शेख अब्दुल कादिर जीलानी (रह.)

शेख अब्दुल कादिर जीलानी (रह.) की विलादत बा सआदत ईरान के शहर गीलान में सन ४७० हिजरी में हुई, आप हजरत हसन की नस्ल से हैं, जब अठारा साल के हुए तो इल्मे दीन का मरकज बगदाद इल्म हासिल करने के लिए तशरीफ़ लाए, दुनिया उन के इल्म व फजल और तकवाह के कायल है, अल्लाह तआला ने आप की ज़बान में बड़ी तासीर दी थी,कोई मजलिस ऐसी ना होती, जिस में यहूदी या ईसाई इस्लाम कबूल न करते हों और बहुत से लोग फ़िस्क व फुजूर से तौबा न करते हों।

हजरत अब्दुल कादिर जीलानी बड़े मुत्तक़ी और परहेज़गार थे, उन के जमाने में लोग दुनिया की तरफ ऐसे मुतवज्जेह हो गए थे जैसे उन्हें आखिरत की तरफ़ जाना ही नहीं है, चुनांचे आप के वाज़ व नसीहत की वजह से लोगों ने आखिरत की तय्यारी का रुख किया। सन ५६१ हिजरी में नब्वे साल की उम्र में आप ने वफ़ात पाई।

आपके बारे में तफ्सील जानकारी के लिए यहाँ देखे:

देखे: शैख़ अब्दुल कादिर (रह.) की मुख़्तसर सीरत और आपके अक़वाल

📕 इस्लामी तारीख

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

जिस्म में गुर्दे की अहमियत (Kidney)

इन्सान के ख़ून में हर लम्हा ज़हरीले माददे (Toxin) की मिक़दार बढ़ती रहती है। गुर्दे उन ज़हरीले माददों को पेशाब के ज़रिये खारिज कर के बदन को साफ़ ख़ून सपलाई करते रहते हैं, इस तरह गुर्दे 24 घंटे में कई लीटर ख़ून से ज़हरीला माददा निकाल कर पूरे जिस्म की हिफाज़त करते रहते हैं।

अल्लाह ना करे अगर ये गुर्दे काम करना बंद कर दें, तो भारी दौलत ख़र्च कर के बड़ी-बड़ी मशीनों के ज़रिये खून साफ कर के वह फ़ायदा हासिल नहीं होता, जो गुर्दो के कुदरती अमल से होता है।

गुर्दो के ज़रिये ख़ून से ज़हरीले माददों को ख़ारिज कर के जिस्मे इन्सानी की हिफाज़त करना अल्लाह की कितनी बड़ी कुदरत है।

📕 अल्लाह की कुदरत

3. एक फर्ज के बारे में

नमाज़ दीन ऐ इस्लाम का सुतून है

एक आदमी ने आप (ﷺ) से अर्ज़ किया ऐ अल्लाह के रसूल ! इस्लाम में अल्लाह के नजदीक सबसे ज़ियादा पसन्दीदा अमल क्या है ? आप (ﷺ) ने फर्माया :

“नमाज़ को उस के वक्त पर अदा करना और जो शख्स नमाज़ को (जान बूझ कर) छोड़ दे उसका कोई दीन नहीं है, और नमाज़ दीन का सुतून है।”

📕 बैहकी फी शोअबिल ईमान : २६८३, अन उमर (र.अ)

4. एक सुन्नत के बारे में

बात ठहर ठहरकर और साफ साफ़ करना

हजरत आयशा (रजि०) फरमाती  है के,

“हुजूर (ﷺ) की बात जुदा जुदा होती थी, जो सुनता समझ लेता था।”

📕 अबू दाऊदः हदीस 4839

फायदा: जब किसी से बात करे, तो साफ़ साफ़ बात करे, ताके सुनने वाले को समझने में कोई परेशानी ना हो, यह आप (ﷺ) की सुन्नत है।

5. एक अहेम अमल की फजीलत

अल्लाह के लिये अपने भाई की जियारत करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“क्या मैं तुम्हें जन्नती लोगों के बारे में खबर न करूं? सहाबा (र.अ) ने अर्ज किया: जरूर या रसूलल्लाह (ﷺ)!

आप (ﷺ) ने फर्माया: नबी जन्नती है, सिद्दीक जन्नती है और वह आदमी जन्नती है जो सिर्फ अल्लाह की रजा के लिये शहर के दूर दराज इलाके में अपने भाई की जियारत के लिये जाए।

📕 तबरानी औसत: १८१०, अन अनस बिन मालिक (र.अ)

6. एक गुनाह के बारे में

औरतों का खुशबु लगाकर बाहर निकलने का गुनाह

रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो औरत इत्र लगा कर लोगों के पास से गुजरे, ताके लोग उस की खुश्बू महसूस करें, तो वह ज़ानिया है और हर (देखने वाली) आँख जिनाकार होगी।”

📕 तिर्मिज़ी : २७८६, अबी मूसा (र.अ)

ज़ानिया: जीना करने वाली खातून

7. दुनिया के बारे में

पेट से ज्यादा बुरा कोई बर्तन नहीं

आदमी (इंसान) ने पेट से ज्यादा बुरा कोई बर्तन नहीं भरा। इब्ने आदम को चंद लुक्मे काफी है जो उसकी पीठ को सीधा रखे। लेकिन अगर ज्यादा खाना ज़रूरी हो तो तिहाई पेट खाने के लिए, तिहाई पानी के लिए और तिहाई साँस के लिए रखे।”

📕 तिर्मिजी: २३८०

8. आख़िरत के बारे में

अहले जन्नत की नेअमतें: परहेज़गारों के लिये अच्छा ठिकाना है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“परहेज़गारों के लिये (आखिरत में) अच्छा ठिकाना है, हमेशा रहने वाले बागात हैं, जिन के दरवाजे उन के लिये खुले हुए होंगे, वह उन बागों में तकिये लगाए बैठे होंगे, वह वहाँ (जन्नत के खादिमों से) बहुत से मेवे और पीने की चीजें मंगाएँगे और उन लोगों के पास नीची नजरों वाली हम उम्र हुरे होंगी।”

📕 सूरह साद: ४९ ता ५२

9. तिब्बे नबवी से इलाज

दस्त (बकरी की अगली रान) के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) को दस्त (अगली रान) का गोश्त बहुत पसन्द था।

📕 बुखारी : ३३४०, अन अबी हुरैरह (र.अ)

फायदा : अल्लामा इब्ने क़य्यिम ने लिखा है के बकरी के गोश्त में सब से हल्की गिज़ा का हिस्सा गरदन और दस्त है, उसके खाने से मेदे में भारीपन नहीं होता।

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

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