18 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

मदीना के कबाइल से हुजूर (ﷺ) का मुआहदा

मदीना तय्यिबा में मुख्तलिफ नस्ल व मज़हब के लोग रहते थे, कुफ्फार व मुश्रिकीन के साथ यहुद भी एक लम्बे जमाने से आबाद थे। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मदीना पहुँचने के बाद हिजरत के पहले ही साल मुसलमानों और यहूदियों के दर्मियान बाहमी तअल्लुकात ख़ुशगवार रखने के लिये एक बैनल अक्रवामी मुआहदा फर्माया। ताके नसल व मजहब के इख्तिलाफ के बावजूद कौमी यकजेहती और इत्तेहाद व इत्तेफाक कायम रहे और हर एक को एक दूसरे से मदद मिलती रहे।

यह मुआहदा हुकूके इन्सानी की सच्ची तस्वीर थी, तमाम लोगों को पूरे तौर पर मज़हबी आजादी हासिल थी, शहर में अमन व अमान और अद्ल व इन्साफ कायम करने और जुल्म व सितम को जड़ से ख़त्म करने का एक कामिल व मुकम्मल कानून था, बल्के इस को दुनिया का क़दीम तरीन बाकायदा “तहरीरी दस्तूर” कहा जा सकता है जो मुकम्मल शक्ल में आज भी मौजूद है। इस मुआहदे पर मदीना और उस के आस पास रहने वाले कबाइल से दस्तख़त भी लिये गए थे।

📕 इस्लामी तारीख

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

इंसान की हड्डियों में अल्लाह की कुदरत

अल्लाह तआला ने इंसानी जिस्म को हड्डी के ढांचे पर खड़ा किया है।

यह हड्डियाँ इंसानी जिस्म से कई गुना ज़ियादा वजन उठाने की सलाहियत रखती हैं। जब इन्सान क़दम उठाता है, तो उस की हड्डी पर जिस्म से कई गुना ज़ियादा वजन पड़ता है और कूल्हे की हड्डी तीन हजार किलो वजन उठाने की सलाहियत रखती है वह स्टील से जियादा मजबूत और उस से दस गुना ज़ियादा लचकदार और हल्की होती है। अगर यह हड्डियाँ भी स्टील की तरह वज़नी होती, तो उन का वजन हमारे लिये नाकाबिले बर्दाश्त हो जाता।

बेशक उन हल्की फुल्की हड्डियों में स्टील से जियादा कुव्वत व ताक़त पैदा फ़र्माना अल्लाह की जबरदस्त कुदरत है।

📕 अल्लाह की कुदरत

3. एक फर्ज के बारे में

माँगी हुई चीज़ का लौटाना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“(वापसी की शर्त पर) माँगी हुई चीज़ को वापस किया जाएगा।”

📕 इब्ने माजा : २३९८

खुलासा : अगर किसी शख्स ने कोई सामान यह कह कर माँगा के वापस कर दूंगा, तो उस का मुक़र्रर वक्त पर लौटाना वाजिब है, उसको अपने पास रख लेना और बहाना बनाना जाइज नही है।

4. एक सुन्नत के बारे में

दुनिया व आखिरत में आफियत की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

बन्दे की अपने रब से माँगी जाने वाली दुआओं में सबसे अफजल यह है:

तर्जमा: ऐ अल्लाह! मैं दुनिया और आखिरत में तुझसे आफियत व भलाई का सवाल करता हूँ।

📕 इब्ने माजा: ३८५१

5. एक अहेम अमल की फजीलत

मरीज़ के अयादत की फ़ज़ीलत

हज़रत अली (रज़ीअल्लाहु अन्हु) कहते है के ;

“जो शख्स किसी बीमार की दिन के आखिर हिस्से (शाम) में अयादत करता है तो इसके साथ सत्तर हज़ार फ़रिश्ते निकलते है और फज़र तक इस के लये मगफिरत की दुआ करते है, और इस के लिए जन्नत में एक बाग़ होता है, और जो शख्स दिन के इब्तेदाई (सुबह) में अयादत के लिए निकलता है इसके लिए सत्तर हज़ार फ़रिश्ते निकलते और शाम तक इस के लिए दुआ-ऐ-मग़फ़िरत करते है और इसके लिए जन्नत में एक बाग़ है।”

📕 सुनन अबू दावूद 3098

6. एक गुनाह के बारे में

पाक दामन औरतों पर तोहमत लगाने का गुनाह

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

“जो लोग पाक दामन औरतों पर (ज़िना की) तोहमत लगाते हैं, फिर अपने दावे पर चार गवाह न ला सकें, तो ऐसे लोगों को अस्सी कोड़े लगाओ और आइन्दा कभी उन की गवाही कबूल न करो और यह लोग (सख्त) गुनहगार हैं, मगर जो लोग इस तोहमत के बाद तौबा कर लें और अपनी इस्लाह कर लें, तो बेशक अल्लाह तआला बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है।”

📕 सूरह नूर : ४ ता ५

7. दुनिया के बारे में

माल व औलाद की मुहब्बत

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : 

“(माल व औलाद की) कसरत और (दुनिया के सामान पर) फख्र ने तुम को (अल्लाह की याद से) ग़ाफिल कर दिया है, यहाँ तक के तुम कब्रिस्तान जा पहुँचते हो, हरगिज़ ऐसा न करो, तुमको बहुत जल्द मालूम हो जाएगा।” 

📕 सूरह तकासुरः १ ता ३

8. आख़िरत के बारे में

9. तिब्बे नबवी से इलाज

मिस्वाक के फायदे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इर्शाद फ़रमाया :

“मिस्वाक मुंह की सफाई और अल्लाह की रज़ामंदी का ज़रिया है।”

📕 नसई : ५, अन आयशा (र.अ)

फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम मिस्वाक के फवाइद में लिखते हैं, यह दाँतों में चमक पैदा करती है, मसूड़ों में मज़बूती और मुँह की बदबू ख़त्म करती है, जिससे दिमाग़ पाक व साफ हो जाता है। यह बलग़म को काटती है, निगाह को तेज़ और आवाज़ को साफ करती है और भी इस के बहुत से फवाइद हैं।

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

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