24 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
ग़ज़व-ए-उहुद में सहाबा-ए-किराम की बेमिसाल क़ुरबानी
गजवा-ए-उहुद में हुजूर (ﷺ) के सहाबा ने जिस वालिहाना मुहब्बत व फिदाकारी का मुजाहरा किया उस का तसव्वुर भी रहती दुनिया तक आलमे इस्लाम को रूहानी जज़्बे से माला माल करता रहेगा।
जब मुश्रिकीन ने आप (ﷺ) का घेराव कर लिया तो फ़रमाया : मुझ पर कौन जान कुरबान करता है ?
जियाद बिन सकन (र.अ) चदं अन्सारियों के साथ आगे बढ़े और यके बाद दीगरे सातों ने आप (ﷺ) की हिफाजत में अपने आप को कुर्बान कर दिया।
अब्दुल्लाह बिन कमीआ ने जब तलवार का वार किया तो उम्मे अम्मारा हुजूर (ﷺ) के सामने आ गईं और उस के वार को अपने कन्धे पर रोक लिया।
हज़रत अबू दुजाना (र.अ) ढाल बन कर खड़े हो गए, यहाँ तक के उन की पीठ तीरों से छलनी हो गई।
हज़रत तलहा (र.अ) ने दुश्मन के तीर और तलवार हाथों पर रोकी, जिस की वजह से उन का एक हाथ कट कर गिर गया।
दुश्मन की एक जमात हमले के लिये आगे बढ़ी तो तन्हा हज़रत अली (ﷺ) ने उन का रुख फेर दिया।
ग़र्ज सहाब-ए-किराम (र.अ) की हुजूर (ﷺ) से वफादारी और जाँनिसारी ने अपनी शिकस्त को फतह में तबदील कर दिया।
To be Continued …
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
बिजली कुंदना अल्लाह की कुदरत
बारिश के आने से पहले आसमान पर तह ब तह बादल जमा होना शुरू हो जाते हैं, लेकिन अल्लाह की कुदरत का नजारा देखिये के इन बादलों में न कोई मशीन फिट होती है और न ही किसी किस का कोई जनरेटर लगा होता है।
मगर इन घने बादलों में अल्लाह बिजली की ऐसी चमक और कड़क पैदा कर देता है के रात की तारीकी में भी उजाला फैल जाता है और कभी कभी इतनी सख्त गरज्ती और बिजली कुंदती है के दिलों में घबराहट और सारे माहौल में खौफ तारी हो जाता है।
बेशक यह अल्लाह तआला की कुदरत की दलील है।
3. एक फर्ज के बारे में
नमाज़ दीन ऐ इस्लाम का सुतून है
एक आदमी ने आप (ﷺ) से अर्ज़ किया ऐ अल्लाह के रसूल ! इस्लाम में अल्लाह के नजदीक सबसे ज़ियादा पसन्दीदा अमल क्या है ? आप (ﷺ) ने फर्माया :
“नमाज़ को उस के वक्त पर अदा करना और जो शख्स नमाज़ को (जान बूझ कर) छोड़ दे उसका कोई दीन नहीं है, और नमाज़ दीन का सुतून है।”
4. एक सुन्नत के बारे में
क़यामत की रुसवाई से बचने की दुआ
कयामत के दिन जिल्लत व रुसवाई से बचने के लिए इस दुआ का एहतमाम करना चाहिए:
رَبَّنَا وَآتِنَا مَا وَعَدتَّنَا عَلَىٰ رُسُلِكَ وَلَا تُخْزِنَا يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۗ إِنَّكَ لَا تُخْلِفُ الْمِيعَادَ
तर्जमा : ऐ हमारे परवरदिगार! तूने जो अपने रसूलों से वादा किया है, वह हमें अता फर्माइये और कयामत के दिन हमें रुसवा न कीजिए बेशक तू वादा खिलाफ़ी नहीं करता।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
एक दिन के नफ़ली रोजे का सवाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अगर कोई शख्स अल्लाह के वास्ते एक दिन का नफ़ली रोजा रखे और उसके बदले में उस को सारी जमीन भरकर सोना (रोजाना) दिया जाए, तो कयामत के दिन तक भी इस रोजे के सवाब का बदला अदा नहीं हो सकता।”
6. एक गुनाह के बारे में
सूद खाने का अजाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) फ़रमाते हैं के :
“मेराज की शब मेरा गुजर चंद ऐसे लोगों पर हुआ जिन के पेट धड़ों के मानिन्द बड़े बड़े थे, जिस में सांप थे, जो पेट के बाहर से नजर आते थे, मैं ने हज़रत जिब्रईल से पूछा: यह कौन लोग हैं? तो फ़रमाया: यह सूद खाने वाले हैं।”
7. दुनिया के बारे में
दुनियावी ख्वाहिशों को पूरा करने का अंजाम
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स दुनिया में अपनी ख्वाहिशों को पूरा करता है, वह आखिरत में अपनी ख्वाहिशात के पूरा करने से महरूम होता है।”
📕 बैहाकि फी शोअबिल ईमान : ९३९०
नोट: अपनी तमाम चाहतों को इसी में पूरी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिये वरना आखिरत में महरूम हो जाएगा।
8. आख़िरत के बारे में
दोज़ख़ (जहन्नुम) की दीवार की चौड़ाई
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“दोजख की आग की कनातों को चार दीवारों ने घेर रखा है
और हर एक दीवार की चौड़ाई चालीस साल चलने के बराबर है।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
कलौंजी में मौत के सिवा हर बीमारी का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम इस कलौंजी (मंगरैला) को इस्तेमाल करो, क्योंकि इस में मौत के अलावा हर बीमारी से शिफ़ा मौजूद है।”
एक और रिवायत में आप (ﷺ) ने फ़रमाया :
“बीमारियों में मौत के सिवा ऐसी कोई बीमारी नहीं, जिस के लिये कलौंजी में शिफा नहो।”
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
99 बीमारियों की दवा (ला हौल वला कुव्वत इल्ला बिल्लाह)
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
जो शख्स “ला हौल वला कुव्वत इल्ला बिल्लाह” पढेगा,
तो यह निनान्वे मर्ज की दवा है,
जिस में सबसे छोटी बीमारी रंज व ग़म है।
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