20 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

रसूलुल्लाह (ﷺ) की चचा अबू तालिब से गुफ्तगू

जब रसूलुल्लाह (ﷺ) लोगों की नाराजगी की परवा किये बगैर बराबर बुत परस्ती से रोकते रहे लोगों को सच्चे दीन की दावत देते रहे, तो कुरैश के सरदारों ने आप (ﷺ) के चचा अबू तालिब से शिकायत की, के तुम्हारा भतीजा हमारे माबूदों को बुरा भला कहता है, हमारे बाप दादाओं को गुमराह कहता है, जिसे हम बरदाश्त नहीं कर सकते।

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

बिजली की कड़क में अल्लाह की कुदरत

अल्लाह तआला बादलों के जरिये बारिश नाज़िल करता है और कभी उससे बिजली पैदा करता है, जिसकी आवाज़ में बड़ी गरज और सख्त कड़क होती है।

अल्लाह तआला ने इस बिजली में रौशनी और आवाज़ पैदा कर के अपनी कुदरत से रोशनी में इतनी तेज रफ्तारी पैदा कर दी के वह जमीन पर बिजली की आवाज़ से पहले पहुंच जाती है, फिर कभी इस बिजली को गिरा कर तबाही मचा देता है, गर्ज़ इन बादलों से बारिश और बिजली की गर्ज पैदा करना कुदरते खुदावन्दी का जबरदस्त नमूना है।

📕 अल्लाह की कुदरत

3. एक फर्ज के बारे में

हिजाब क्या है?

हिजाब क्या है?

हिजाब” को लेकर आजकल एक गलतफहमी पाई जा रही है। लोग इसे एक कपड़ा समझ रहे हैं जो बुर्के के अलावा सिर पर बांधा जाता है। हालांकि ये ईजाद कपड़ा बेचने वालों ने की है।

“हिजाब के असल मायने रुकावट और आड़ के हैं।”

औरत अपने जिस्म और हम की नुमाइश को गैर मर्दो से छिपाने, रोकने के लिए जो तदबीर भी करती है इस्तेलाही(पारिभाषिक) तौर पर वो हिजाब है फिर चाहे वो चादर हो, बुर्का और नकाब हो, दरो दीवार हो, नज़रों का फेरना हो वगैराह।

मर्द भी औरत को देखकर अपनी नज़रें फेर लेता है तो यह हिजाब है! बुरी चीजो को देखना सुनना और बोलने से परहेज़ भी हिजाब है! अक्सर बोलचाल में बुरी बातों से बचने के लिए कहा जाता है “कुछ तो हिजाब करो।”

📕 idkbhopal (9617628145)

4. एक सुन्नत के बारे में

कर्जो और ग़मों से नजात की दुआ

रसूलल्लाह (ﷺ) ने कर्ज़ों और ग़मों से छुटकारे के लिये सुबह व शाम यह दुआ पढ़ने के लिये फर्माया :

“Allahumma inni a’udhu bika minal-hammi wal hazan, wa a’udhu bika minal-‘ajzi wal-kasal wa a’udhu bika minal-jubni wal-bukhul wa a’udhu bika min ghalabatid-dayn wa qahrir-rijal.”

तर्जुमा: ए अल्लाह मैं पनाह चाहता हु रंज और ग़म से, और पनाह चाहता हूँ आजज़ी और कुसली (सुस्ती) से और पनाह चाहता हूँ बुख़ल और बुज़दिली से और पनाह चाहता हु कसरत ए क़र्ज़ से और लोगों के ग़लबा पाने से।

📕 अबू दाऊद : १५५५

5. एक अहेम अमल की फजीलत

6. एक गुनाह के बारे में

अल्लाह तआला के साथ शिर्क करने का गुनाह

अल्लाह तआला के साथ शिर्क करने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“बिलाशुबा अल्लाह तआला शिर्क को मुआफ नहीं करेगा। शिर्क के अलावा जिस गुनाह को चाहेगा, माफ कर देगा और जिसने अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक किया, तो उसने अल्लाह के खिलाफ बहुत बड़ा झूट बोला।”

📕 सूरह निसा: ४४

7. दुनिया के बारे में

आदमी का दुनिया में कितना हक़ है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“इब्ने आदम को दुनिया में सिर्फ चार चीजों के अलावा और किसी की जरूरत नहीं : (१) घर : जिस में वह रेहता है, (२) कपड़ा : जिस से वह सतर छुपाता है। (३) खुश्क रोटी। (४) पानी।“

📕 तिर्मिजी: २३४१

8. आख़िरत के बारे में

कुफ्र की सज़ा जहन्नम है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जो लोग कुफ्र करते हैं तो अल्लाह तआला के मुकाबले में उन का माल और उन की औलाद कुछ काम नहीं आएगी और ऐसे लोग ही जहन्नम का इंधन होंगे।”

📕 सूरह आले इमरान : १०

9. तिब्बे नबवी से इलाज

मोतदिल गिज़ा का इस्तेमाल

खीरा (ककड़ी) के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) खजूर के साथ खीरे खाते थे।

📕 बुखारी : ५४४७

फायदा : मुहद्विसी ने किराम फ़र्माते हैं के खजूर चूँकि गर्म होती है इस लिये आप (ﷺ) उस के साथ ठंडी चीज खीरा (ककड़ी) इस्तेमाल फर्माते थे ताके दोनों मिलकर मोतदिल हो जाएं।

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

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