24 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

सिरत : उम्मुल मोमिनीन हज़रत खदीजा (र.अ)

हजरत खदीजा बिन्ते खुवैलिद (र.अ) बड़ी बा कमाल और नेक सीरत खातून थीं, उनका तअल्लुक कुरैश के मुअज्जज खानदान से था, वह खुद भी बाअसर और कामयाब तिजारत की मालिक थीं। उनकी पहली शादी अबूहाला से हुई जिन से दो लड़के पैदा हुए उन के इन्तेकाल के बाद दूसरी शादी अतीक बिन आबिद मखजूमी से हुई उनसे एक लड़की पैदा हुई, कुछ दिनों के बाद अतीक की भी वफ़ात हो गई।

हजरत खदीजा (र.अ) की शराफ़त व मालदारी की वजह से बहुत से सरदाराने कुरैश उन के साथ निकाह करने के ख्वाहिशमन्द थे, मगर उन्होंने सबसे इन्कार कर दिया।

जब उन्होंने हुजूर (ﷺ) की अमानत व सच्चाई की शोहरत सुनी तो उनसे निकाह की रगबत पैदा हुई, मजीद तसल्ली के लिए आप को माले तिजारत देकर अपने गुलाम मैसरा के साथ मुल्के शाम भेजा, फिर जब आप सफ़र से वापस तशरीफ़ लाए, तो हजरत खदीजा (र.अ) ने तिजारत में बरकत और आप की अमानत व अख्लाक़ से मुतअस्सिर होकर खुद निकाह का पैगाम भेजा। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इस का तजकिरा अपने मुश्फ़िक चचा अबू तालिब से किया, उन्होंने बखुशी मंजूर किया और आप का निकाह हज़रत खदीजा (र.अ) से कर दिया। उस वक्त हज़रत खदीजा (र.अ) की उम्र चालीस साल और आप (ﷺ) की उम्र मुबारक पच्चीस साल थी।

📕 इस्लामी तारीख

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

दाँतों की बनावट में अल्लाह की क़ुदरत

दाँतों की बनावट पर गौर कीजिये के अल्लाह तआला ने ३२ टुकड़ों को कैसी हसीन व खूबसूरत लड़ी में पिरोया है और उस की जड़ों को नर्म हड्डी में किस खूबी के साथ पेवस्त किया है, यह दाँत एक तरफ जहाँ चेहरे की हुस्न व जीनत हैं।

वहीं उन से हम चबाने, काटने, पीसने और तोड़ने का अहम काम भी कर लेते हैं और अल्लाह की अजीब कुदरत के उन को बत्तीस टुकड़ों में बनाया, एक ही सालिम हड्डी में उन को नहीं ढाला, वरना मुंह में बड़ी तकलीफ होती, इसी तरह अगर एक दाँत में कोई खराबी होती है, तो बाकी दाँतों से काम लिया जा सकता है, एक सालिम हड्डी होने की सूरत में यह मुमकिन न था।

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“खुद तुम्हारी ज़ात में भी (अल्लाह की कुदरत की) निशानियाँ हैं, तो क्या तुम देखते नहीं हो?” [ सूरह जारियात : २१ ]

📕 अल्लाह की कुदरत

3. एक फर्ज के बारे में

नमाज के लिये मस्जिद जाना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो शख्स सुबह व शाम मस्जिद जाता है अल्लाह तआला उस के लिये जन्नत में मेहमान नवाज़ी का इंतिज़ाम फ़रमाता हैं, जितनी मर्तबा जाता है उतनी मर्तबा अल्लाह तआला उस के लिये मेहमान नवाज़ी का इंतिज़ाम फ़रमाता हैं।”

📕 बुखारी:662, अन अबी हुरैरह (र.अ)

4. एक सुन्नत के बारे में

5. एक अहेम अमल की फजीलत

नमाज़े गुनाहों को मिटा देती हैं

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा से पूछा:

“अगर किसी के दरवाजे पर एक नहर हो और उसमें वह हर रोज़ पाँच बार गुस्ल किया करे, तो क्या उसका कुछ मैल बाकी रह सकता है? सहाबा ने अर्ज किया  के कुछ भी मैल न रहेगा।”

आप (ﷺ) ने फर्माया के :

यही हालत है पाँचों वक्त की नमाज़ों की, के अल्लाह तआला उनके सब बगुनाों को मिटा देता है।”

📕 बुखारी: ५२८, अन अबी हुरैरह (र.अ)

6. एक गुनाह के बारे में

मोमिन को नाहक़ क़त्ल करने की सज़ा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“हर गुनाह के बारे में अल्लाह से उम्मीद है के वह माफ कर देगा, सिवाए उस आदमी के जो अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक करने की हालत में मरा हो या उस ने किसी मोमिन को जान बूझ कर क़त्ल किया हो।”

📕 अबू दाऊद: ४२७०

7. दुनिया के बारे में

सिर्फ दुनिया मांगने वाले को आख़िरत में कुछ नहीं मिलेगा

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है:

“लोगों में से बाज़ ऐसे भी हैं जो कहते हैं, के ऐ हमारे परवरदिगार ! हम को (जो कुछ देना हो) दुनिया में ही दे दीजिये (तो उन को जो कुछ मिलना होगा वह दुनिया ही में मिल जाएगा) और ऐसे शख़्स को आख़िरत में कुछ न मिलेगा।”

📕 सूरह बकरह: 200

8. आख़िरत के बारे में

हौजे कौसर की कैफियत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“हौज़े कौसर के बर्तन सितारों के बराबर होंगे, उस से जो भी इन्सान एक घूंट पी लेगा तो हमेशा के लिए उसकी प्यास बुझ जाएगी।”

📕 इब्ने माजा: ४३०३

9. तिब्बे नबवी से इलाज

गुर्दे की बीमारियों का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –

“पहलू के दर्द का सबब गुर्दे की नस है, जब वह हरकत करती है, तो इन्सान को तकलीफ होती है लिहाज़ा उसका इलाज गर्म पानी और शहद से करो।”

📕 मुस्तदरक हाकिम : ८२३७, अन आयशा रज़ि०

फाएदा: गुर्दे में जब पथरी वगैरह हो जाती है, तो कूल्हों में दर्द होता है, अकसर इसी दर्द ही की वजह से बीमारी का पता चलता है, उसका इलाज आप ने यह बतलाया के गर्म पानी और शहद मिला कर पियो।

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

तलबीना से इलाज

हजरत आयशा (र.अ) बीमार के लिये तलबीना तय्यार करने का हुकम देती थीं
और फर्माती थीं के मैंने हुजूर (ﷺ) को फ़र्माते हुए सुना के:

“तलबीना बीमार के दिल को सुकून पहुँचाता है और रंज व ग़म को दूर करता है।”

📕 बुखारी: ५६८९

फायदा: जौ (बरली) को कट कर दूध में पकाने के बाद मिठास के लिए इस में शहद डाला जाता है; इस को तलबीना कहते हैं।

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