23 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
हज के मौसम में इस्लाम की दावत देना
जब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने देखा के कुफ्फारे कुरैश इस्लाम कबूल करने के बजाए बराबर दुश्मनी पर तुले हुए हैं। तो हुजूर (ﷺ) हज के मौसम के इंतज़ार में रहने लगे और जब हज का मौसम आ जाता और लोग मुख्तलिफ इलाकों से मक्का आते, तो ऐसे मौके पर रसूलुल्लाह (ﷺ) बजाते खुद उन लोगों के पास तशरीफ ले जाते और लोगों को एक अल्लाह की इबादत करने, बुत परस्ती से तौबा करने और हराम कामों से बचने की दावत देते थे।
कुफ्फारे कुरैश तमाम लोगों के दिलों में हुजूर (ﷺ) और आपकी दावत के मुतअल्लिक नफरत डालने की खूब कोशिश करते थे। खुद आप (ﷺ) के चचा अबू लहब आपके पीछे पीछे यह कहता फिरता था के ऐ लोगो ! यह शख्स तुम को बुतों की पूजा से हटा कर एक नए दीन की तरफ बुलाता है। तुम हरगिज़ इस की बात न मानना। मगर रसूलुल्लाह (ﷺ) तमाम मुसीबतों और उन की मुखालफतों को बरदाश्त करते हुए इस्लाम की दावत लोगों तक पहुंचाते रहे और दीने हक की सच्चाई और शिर्क व बुत परस्ती की खराबी को वाजेह करते रहे।
बाज़ लोग तो नर्मी से जवाब देते, लेकिन बाज़ लोग बड़ी सख्ती से पेश आते और गुस्ताखाना बातें कहते थे। उसी हज के मौसम में एक मर्तबा क़बील-ए-औस व खजरज के कुछ लोग मदीने से आए हुए थे। जिन के पास तशरीफ ले जाकर आपने इस्लाम की दावत दी। उन लोगों ने इस्लाम कबूल कर लिया और आपकी मदद का वादा किया।
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
काफिर का मरऊब हो जाना
हज़रत जाबिर (र.अ) फर्माते हैं के हम रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ एक ग़ज़वे में जा रहे थे, रास्ते में एक जगह पड़ाव डाला, तो लोग इधर उधर दो दो, तीन तीन की जमात बना कर दरख्तों के नीचे आराम करने लगे, रसूलुल्लाह (ﷺ) भी एक दरख्त के नीचे आराम फरमाने के लिये तशरीफ ले गए, और अपनी तलवार उस दरख्त पर लटका कर सो गए, रसूलुल्लाह (ﷺ) फ़र्माते हैं के मैं सोया हुआ था के एक आदमी आया और उस ने मेरी तलवार ले ली, अचानक मैं बेदार हुआ तो क्या देखता हूँ के वह तलवार लिये मेरे सर पर खड़ा है। वह मुझ से कहने लगा के तुम्हें कौन बचा सकता है ?
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इत्मिनान से जवाब दिया : “अल्लाह’ ! उस ने दूसरी मर्तबा सवाल किया. रसुलल्लाह (ﷺ) ने इत्मिनान से जवाब दिया : “अल्लाह” ! तो (उस पर यह असर हुआ के) उस ने तलवार मियान में वापस रख दी, (और आप (ﷺ) को कुछ न कर सका)
3. एक फर्ज के बारे में
कर्ज़ अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“क़र्ज़ की अदायगी पर ताकत रखने के बावजूद टाल मटोल करना जुल्म है।”
📕 बुखारी : २४००, अन अबू हुरैरह (र.अ)
फायदा: अगर किसी ने कर्ज़ ले रखा है और उस के पास कर्ज अदा करने के लिए माल है, तो फिर कर्ज, अदा करना ज़रूरी है, टाल मटोल करना जाइज नहीं है।
4. एक सुन्नत के बारे में
कर्जो और ग़मों से नजात की दुआ
रसूलल्लाह (ﷺ) ने कर्ज़ों और ग़मों से छुटकारे के लिये सुबह व शाम यह दुआ पढ़ने के लिये फर्माया :
“Allahumma inni a’udhu bika minal-hammi wal hazan, wa a’udhu bika minal-‘ajzi wal-kasal wa a’udhu bika minal-jubni wal-bukhul wa a’udhu bika min ghalabatid-dayn wa qahrir-rijal.”
तर्जुमा: ए अल्लाह मैं पनाह चाहता हु रंज और ग़म से, और पनाह चाहता हूँ आजज़ी और कुसली (सुस्ती) से और पनाह चाहता हूँ बुख़ल और बुज़दिली से और पनाह चाहता हु कसरत ए क़र्ज़ से और लोगों के ग़लबा पाने से।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
मौत को कसरत से याद करने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“दिलों में भी ज़ंग लगता है, जैसे के लोहे में जब पानी लग जाता है” तो पूछा गया (दिलों का ज़ंग) कैसे दूर होगा? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया “मौत को खूब याद करने और क़ुरआन पाक की तिलावत से।”
6. एक गुनाह के बारे में
किसी के सतर को देखने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला लानत करता हैं, उस शख्स पर जो जान बूझ कर किसी के सतर को देखता हो और उस पर भी लानत है जो बिला उज्र सतर दिखलाता हो।”
सतर : इंसान के ढका रहने वाला बदन का हिस्सा, गुप्त अंग
7. दुनिया के बारे में
दुनिया छूटने वाली है जब की “बन्दा कहता है मेरा माल मेरा माल…”
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“बन्दा कहता है मेरा माल मेरा माल, हालांकि उस के लिए उस के माल में से तीन चीजें हैं:
(१) वह जो खा कर खत्म कर दिया, (२) जो पहेन कर पुराना कर दिया, (३) वह जो (सदका) देकर (आखिरत के लिए) ज़खीराह कर लिया। और इसके अलावा जो कुछ है वह खत्म होने वाला और लोगों के लिए छोड़ने वाला है।”
8. आख़िरत के बारे में
कयामत के रोज़ सब को जिंदा किया जाएगा
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“(दोबारा) सूर फूंका जाएगा, तो सब के सब कब्रों से निकल कर अपने रब की तरफ दौड़ पड़ेंगे। वह कहेंगे: हाय हमारी बरबादी! हमको हमारी ख्वाब गाहों से किस ने उठा दिया?
(जवाब मिलेगा) यह वही है जिसका रहमान (अल्लाह) ने वादा किया था और रसूलों ने सच कहा था। बस वह एक जोर की आवाज़ होगी, जिस से सब जमा हो कर हमारे पास हाजिर कर दिए जाएंगे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
कद्दू (दूधी) से इलाज
۞ हदीस: हज़रत अनस (र.अ) फर्माते हैं के,
“मैंने खाने के दौरान रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा के
प्याले के चारों तरफ से कद्दू तलाश कर के खा रहे थे,
उसी रोज़ से मेरे दिल में कद्दु की रग़बत पैदा हो गई।”
फायदा : अतिब्बा ने इस के बे शुमार फवायद लिखे हैं और अगर बही के साथ पका कर इस्तेमाल किया जाए तो
बदन को उम्दा ग़िज़ाइयत बख्शता है, गरम मिजाज और बुख़ार जदा लोगों के लिये यह गैर मामूली तौर पर नफा बख्श है।
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
कलौंजी में मौत के सिवा हर बीमारी का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम इस कलौंजी (मंगरैला) को इस्तेमाल करो, क्योंकि इस में मौत के अलावा हर बीमारी से शिफ़ा मौजूद है।”
एक और रिवायत में आप (ﷺ) ने फ़रमाया :
“बीमारियों में मौत के सिवा ऐसी कोई बीमारी नहीं, जिस के लिये कलौंजी में शिफा नहो।”
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