25 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

हज़रत जैनब बिन्ते रसूलुल्लाह (ﷺ)

 हज़रत जैनब हुजूर (ﷺ) की सब से बड़ी साहबजादी (बेटी) थीं, नुबुव्वत मिलने से तकरीबन दस साल पहले हजरत खदीजा (र.अ) से पैदा हुई, रसूलुल्लाह (ﷺ) की दावत के शुरु जमाने में ही मुसलमान हो गई।

.     उन का निकाह अबुल आस बिन रबीअ से हुआ था, वह उस वक्त तक मुसलमान नही हुए थे; इसलिए हिजरत न कर सकी, गजवा-ए-बद्र में कुफ्फ़ारे मक्का के साथ अबुल आस भी कैद हुए, सब ने अपने कैदी को छुड़ाने के लिए फ़िदया भेजा, जैनब ने भी वह हार जो हजरत ख़दीजा (र.अ) का दिया हुआ था फ़िदये में भेजा, जब हुजूर (ﷺ) की नजर उस हार पर पड़ी, तो आप (ﷺ) को हजरत ख़दीजा (र.अ) की याद आ गई और आँखों से आँसू जारी हो गए, सहाबा से मशवराह किया, यह बात तय हुई के अबुल आस को बगैर फ़िदया के रिहा किया जाए, इस शर्त पर के वह मक्का पहुँचने के बाद ज़ैनब (र.अ) को मदीना भेज दें। चुनांचे वह गए और अपने छोटे भाई के साथ मदीना रवाना किया मगर कुफ्फ़ारे मक्का ने उनको रोका उस वक्त उन को ज़ख्म भी आया, आखिर कार अबुलआस ने कुफ़्फ़ार से छुपा कर उन्हें मदीना भेज दिया।

.     छ: साल बाद सन ८ हिजरी में ज़ैनब (र.अ) का हिजरत वाला ज़ख्म हरा हुआ और उसी ज़ख्म की वजह से उन की शहादत हो गई।

📕 इस्लामी तारीख

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

कोसे कज़ह (Rainbow)

अल्लाह की कुदरत

बारिश के मौसम में जब हल्की धूप में बारिश होती है तो आसमान पर एक जानिब से दूसरी जानिब सात रंगों वाली क़ौसे कज़ह (कमान) ज़ाहिर होती है।

कमान के यह मुख्तलिफ रंग आसमान के हुस्न व खूबसूरती में इज़ाफ़ा कर देते हैं, जिसको देख कर इन्सान सोचने पर मजबूर हो जाता है के आखिर आसमान की इस बुलन्दी पर किसी पेन्टिंग के बगैर चन्द मिनटों में इतनी बड़ी, खूबसूरत और हसीन क़ौसे क़ज़ह किसने बनाई।

बेशक यह अल्लाह ही की ज़ात है जो अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ कुदरत का इज़हार फरमाती  है।

📕 अल्लाह की कुदरत

3. एक फर्ज के बारे में

माँगी हुई चीज़ का लौटाना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“(वापसी की शर्त पर) माँगी हुई चीज़ को वापस किया जाएगा।”

📕 इब्ने माजा : २३९८

खुलासा : अगर किसी शख्स ने कोई सामान यह कह कर माँगा के वापस कर दूंगा, तो उस का मुक़र्रर वक्त पर लौटाना वाजिब है, उसको अपने पास रख लेना और बहाना बनाना जाइज नही है।

4. एक सुन्नत के बारे में

गुस्ल करने का सुन्नत तरीका

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब गुस्ले जनाबत फ़र्माते,
तो सबसे पहले हाथ धोते, फिर सीधे हाथ से बाएँ हाथ पर पानी डालते,
फिर इस्तिन्जे की जगह धोते, फिर जिस तरह नमाज के लिये वुजू किया जाता है उसी तरह वुजू करते,
फिर पानी लेकर अपनी उंगलियों के जरिये सर के बालों की जड़ों में दाखिल करते,
फिर तीन दफा दोनों हाथ भर कर यके बाद दीगर सर पर पानी डालते,
फिर सारे बदन पर पानी बहाते और सबसे अखीर में दोनों पाँव धोते।

📕 मुस्लिमः १८

5. एक अहेम अमल की फजीलत

6. एक गुनाह के बारे में

मियाँ बीवी अपना राज़ बयान न करें

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“कयामत के रोज़ अल्लाह की नज़र में लोगों में सब से बदतरीन वह शख्स होगा, जो अपनी बीवी के पास जाए और उसकी बीवी उसके पास आए; फिर उनमें से एक अपने साथी का राज किसी दूसरे को बताए।”

📕 मुस्लिम: ३५४२, अबी सईद खुदरी (र.अ)

7. दुनिया के बारे में

दुनिया चाहने वालों का अन्जाम

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जो कोई दुनिया ही चाहता है, तो हम उस को दुनिया में जितना चाहते हैं, जल्द देते हैं फिर हम उस के लिए दोजख मुकर्रर कर देते हैं, जिस में (ऐसे लोग कयामत के दिन) जिल्लत व रुसवाई के साथ ढकेल दिए जाएंगे।”

📕 सूर-ए-बनी इसराईलः १८ 

8. आख़िरत के बारे में

अहले जन्नत की नेअमत: अहले जन्नत ऐश व राहत में होंगे

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

“बेशक अहले जन्नत (ऐश व राहत के) मजे ले रहे होंगे, वह और उन की बीवियाँ सायों में मसहेरियों पर तकिये लगाए बैठे होंगे और उन के लिये उस जन्नत में हर किस्म के मेवे होंगे और जो वह तलब करेंगे उनको मिलेगा।”

📕 सूरह यासीन ५५ ता ५७

9. तिब्बे नबवी से इलाज

बुखार व दीगर बीमारियों से नजात

हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ.) फ़रमाते हैं के :

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा-ए-किराम को बुखार और दूसरी तमाम बीमारियों से नजात के लिये यह दुआ बताई:

तर्जमा : मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ जो बहुत बड़ा है, मैं बहुत ही ज्यादा अज़मत वाले अल्लाह की पनाह माँगता हूँ, हर जोश मारने वाली रग की बुराई से और आग की गर्मी की बुराई से।

📕 तिर्मिज़ी : २०७५

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

मोतदिल गिज़ा का इस्तेमाल

खीरा (ककड़ी) के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) खजूर के साथ खीरे खाते थे।

📕 बुखारी : ५४४७

फायदा : मुहद्विसी ने किराम फ़र्माते हैं के खजूर चूँकि गर्म होती है इस लिये आप (ﷺ) उस के साथ ठंडी चीज खीरा (ककड़ी) इस्तेमाल फर्माते थे ताके दोनों मिलकर मोतदिल हो जाएं।

और देखे :