20 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
हुजूर (ﷺ) की हिजरत
रसूलअल्लाह (ﷺ) को जब अल्लाह ताला के हुक्म से हिजरत की इजाजत मिली, तो उसकी इत्तेला हजरत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) को दे दी, और जब हिजरत का वक्त आया, तो रात के वक्त घर से निकले और काबा पर अलविदाई नज़र डालकर फ़र्माया : तू मुझे तमाम दुनिया से ज़ियादा महबूब है। अगर मेरी क़ौम यहाँ से न निकालती तो मै तेरे सिवा किसी और जगह को रहने के लिये इख्तियार न करता।
हजरत असमा बिन्ते अबू बक्र (र.अ) ने दो तीन रोज़ के खाने पीने का सामान तय्यार किया। आप (ﷺ) हज़रत अबू बक्र (र.अ) के साथ मक्का से रवाना हुए। एक तरफ महबूब वतन छोड़ने का गम था और दूसरी तरफ नुकीले पत्थरों के दुश्वार गुजार रास्ते और हर तरफ से दुश्मनों का खौफ था। मगर इस्लाम की खातिर इमामुल अम्बिया तमाम मुसीबतों को झेलते हुए आगे बढ़ रहे थे।
रास्ते में हज़रत अबू बक्र (र.अ) कभी आगे आगे चलते और कभी पीछे पीछे चलने लगते थे। हुजूर (ﷺ) ने इस की वजह पूछी, तो उन्होंने फ़रमाया : या रसूलल्लाह (ﷺ) जब मुझे पीछे से किसी के आने का खयाल होता है, तो मैं आप के पीछे चलने लगता हूँ और जब आगे किसी के घात में रहने का खतरा होता है, तो आगे चलने लगता हूँ। चूँकि कुफ्फार की मुखालफत का जोर था और वह लोग (नऊजु बिल्लाह) आप (ﷺ) के कत्ल की कोशिश में थे। इस लिये रास्ते में आप (ﷺ) और हज़रत अबू बक्र (र.अ) ने “गारे सौर” में पनाह ली, उस गार में पहले हजरत अबू बक्र (र.अ) दाखिल हुए और उसको साफ किया, फिर हुजूर (ﷺ) उस में दाखिल हुए और तीन रोज तक उसी ग़ार में रहे।
To be Continued…
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
हज़रत सअद (र.अ) के हक में दुआ
आप (ﷺ) ने हजरत सअद (र.अ) के हक में दुआ फरमायी :
“ऐ अल्लाह ! सअद की दुआएँ क़बूल फर्मा।”
(इस का असर यह हुआ के हजरत सअद (र.अ) जो दुआ माँगते थे वह कबूल हो जाती थी।)
3. एक फर्ज के बारे में
दीन-ऐ-इस्लाम में नमाज़ की अहमियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“दीन बगैर नमाज़ के नहीं है, नमाज़ दीन के लिये ऐसी है जैसा आदमी के बदन के लिये सर होता है।”
4. एक सुन्नत के बारे में
कसरत से इस्तिग़फार करने की सुन्नत
हज़रत अबू हुरैरा (र.अ) फर्माते हैं के मैं ने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के:
“ख़ुदा की कसम ! मैं दिन में सत्तर से जियादा मर्तबा अल्लाह तआला से तौबा व इस्तिगफार करता हूँ।”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
अल्लाह के रास्ते में रोज़ा रखना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिसने अल्लाह के रास्ते में एक रोज़ा रखा, तो अल्लाह तआला उस के और जहन्नम के दर्मियान
आसमान व ज़मीन के फासले के बराबर खन्दक़ कायम कर देगा।”
6. एक गुनाह के बारे में
कोई चीज़ ऐब बताए बगैर बेचने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स कोई ऐबदार चीज़ उस का ऐब बताए बगैर बेचेगा, वह बराबर अल्लाह की नाराजगी में रहेगा और फरिश्ते उसपर लानत करते रहेंगे।”
7. दुनिया के बारे में
अपने बीवी बच्चों से होशियार रहो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ ईमान वालो ! तुम्हारी बाज़ बीवियाँ और बाज़ औलाद तुम्हारे हक़ में दुश्मन हैं, तो तुम उन से होशियार रहो।”
वजाहत: बीवी बच्चे बाज़ मर्तबा दुनियावी नफे के लिये शरीअत के खिलाफ कामों का हुक्म देते हैं, उन्हीं लोगों को अल्लाह तआला ने दीन का दुश्मन बताया है और उन के हुक्म को पूरा न करने की हिदायत दी है।
8. आख़िरत के बारे में
दोज़ख़ में बिच्छू के डसने का असर
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“दोजख में खच्चरों की तरह बिच्छू हैं, एक बार जब उनमें से एक बिच्छू डसेगा, तो दोजखी चालीस साल तक उस की जलन महसूस करेगा।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
सूरह फलक और सूरह नास (मुअव्वज़तैन) से बीमारी का इलाज
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
हिजामा के फायदे: मुफीद तरीन इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“मुझे जिब्रईल (र.अ) ने यह बात बताई के हजामत ( पछना लगाना )
सब से जियादा नफा बख्श इलाज है।”
फायदा : हजामत से फासिद खून निकल जाता है जिसकी वजह से
बदन का दर्द और बहुत सारी बीमारियां दूर हो जाती हैं।
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