23 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
रूम के बादशाह हिरकल (Hercules) के नाम दावती खत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हजरत दिह्या कलबी (र.अ) के हाथ रूम के बादशाह हिरकल (Hercules) के नाम दावती खत भेजा, जिस का मजमून यह था –
“यह खत अल्लाह के रसूल मुहम्मद (ﷺ) की तरफ से रूम के बड़े बादशाह हिरक्ल के नाम है, जो हिदायत की इत्तेबा करे, उस पर सलामती हो, मैं तुम्हें दीने इस्लाम की तरफ बुलाता हूँ, इस्लाम कबूल कर लो, सलामत रहोगे, अल्लाह तआला तुम को दुगना अज्र अता फ़र्माएगा और अगर तुम ने नहीं माना तो तमाम रिआया के इस्लाम न लाने का गुनाह भी तुम पर होगा।
ऐ अहले किताब ! ऐक ऐसी बात की तरफ आओ, जो हमारे और तुम्हारे दर्मियान बराबर है, वह यह के हम अल्लाह के अलावा किसी की इबादत न करें और हम में से कोई अल्लाह के अलावा किसी को रब और माबूद न बनाए और अगर तुम नहीं मानते तो गवाह रहो के हम अल्लाह की ताबेदारी करते हैं।”
शाहे हिरक्ल ने आप (ﷺ) के मुबारक खत को अदब व एहतेराम के साथ सोने के कलमदान में रखा और अबू सुफियान की जबानी हालात सुन कर कहा मैं खूब जानता हूँ के आप सच्चे नबी हैं, लेकिन अगर मैंने ईमान क़बूल कर लिया तो मेरी हुकूमत जाती रहेगी और रूम के लोग मुझे कत्ल कर डालेंगे।
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
च्यूँटी अल्लाह की कुदरत का नमूना है
च्यूटी भी अल्लाह की अजीब मखलूक है। इतने छोटे से जान्वर में अल्लाह तआला ने आँख नाक कान दिल व दिमाग हाथ पैर कितनी कारीगरी से बनाए। फिर इन को सोचने, समझने और सूंघने की बेपनाह सलाहियतों से नवाज़ा।
वह एक मील की दूरी से मीठी चीज़ों का सूंघ कर पता लगा लेती है। च्यंटियों की सरदार को जब कोई चीज़ मिलती है, तो वह अपने मातहत तमाम च्यंटियो को बुलाती है।।और वह उस चीज़ को उठा कर अपने बिलों में ले जाती हैं।
अगर किसी दाने के जमने का खतरा महसूस करती हैं, तो उस के टुकड़े कर देती हैं और गर्मी के मौसम में सर्दी के लिए और इसी तरह बरसात का मौसम आने से पहले ही ज़खीरा जमा कर लेती हैं, बगैर किसी मशीन व आला के गर्मी और बरसात के मौसम की खबर उन्हें किस ने दी? इतनी छोटी सी मखलूक को ऐसे ऐसे हनर सिखा देना अल्लाह की कुदरत का करिश्मा है।
3. एक फर्ज के बारे में
खड़े हो कर नमाज़ पढ़ना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“नमाज़ में अल्लाह के सामने आजिज़ बने हुए खड़े हुआ करो।”
फायदा: अगर कोई शख्स खड़े होकर नमाज़ पढ़ने की ताकत रखता हो तो उस पर फ़र्ज और वाजिब नमाज़ को खड़े हो कर पढ़ना फ़र्ज़ है।
4. एक सुन्नत के बारे में
सवारी पर सवार होने के बाद की दुआ
सवारी पर सवार होने के बाद की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सफ़र के इरादे से निकलते और सवारी पर बैठ जाते तो तीन मर्तबा तक्बीर: (अल्लाहु अकबर) फ़र्माते और यह दुआ पढ़तेः
“Allahu akbar, Allahu akbar, Allahu akbar,
subhanal-lathee sakhkhara lana hatha wama kunna lahu muqrineen,
wa-inna ila rabbina lamunqaliboon”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
अच्छे अखलाक़ की फजीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“यक़ीनन मोमिन अपने अच्छे अखलाक के ज़रिए, नफ़्ल नमाजें पढ़ने वाले रोज़ेदार शख्स के मर्तबे को हासिल कर लेता है।”
6. एक गुनाह के बारे में
वालिदैन की नाफरमानी और जुल्म करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“तुम जुल्म व सितम करने से बचो ! क्योंकि जुल्म व सितम की सज़ा दूसरी सजाओं के मुकाबले में सबसे जल्दी मिलती है। और वालिदैन की नाफर्मानी से बचो! अल्लाह की कसम वालिदैन का नाफ़र्मान जन्नत की खुश्बू भी नहीं पाएगा। जब के जन्नत की खुश्बू एक हजार साल की दूरी से महसूस होती है।”
7. दुनिया के बारे में
आदमी का दुनिया में कितना हक़ है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“इब्ने आदम को दुनिया में सिर्फ चार चीजों के अलावा और किसी की जरूरत नहीं : (१) घर : जिस में वह रेहता है, (२) कपड़ा : जिस से वह सतर छुपाता है। (३) खुश्क रोटी। (४) पानी।“
8. आख़िरत के बारे में
क़यामत के दिन लोगों की हालत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“क़यामत के रोज़ सूरज एक मील के फासले पर होगा और उसकी गर्मी में भी इज़ाफा कर दिया जाएगा, जिस की वजह से लोगों की खोपड़ियों में दिमाग़ इस तरह उबल रहा होगा जिस तरह हाँड़ियाँ जोश मारती हैं, लोग अपने गुनाहों के बक़द्र पसीने में डूबे हुए होंगे, बाज टखनों तक, बाज़ पिंडलियों तक, बाज कमर तक और बाज़ के मुंह में लगाम की तरह होगा।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
जैतून के तेल के फवायद
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जैतून का तेल खाओ और उसे लगाओ, क्यों कि उस में सत्तर बीमारियों से शिफा है, जिनमें से एक कोढ़ भी है।”
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
फोड़े फुंसी का इलाज
आप (ﷺ) की बीवीयों में से एक बीवी बयान फ़र्माती हैं के एक दिन रसूलुल्लाह ﷺ मेरे पास तशरीफ़ लाए और दर्याफ्त फ़ाया : क्या तेरे पास जरीरह है ? (चिरायता) मैं ने कहा: हाँ! तो आप ने उसे मंगाया और अपने पैर की उंगलियों के दर्मियान जो फुंसी थी उसपर रख कर यह दुआ फ़रमाई:
तर्जमा : ऐ बड़े को छोटा और छोटे को बड़ा करने वाले अल्लाह! इस जख्म को ख़त्म कर दे, चुनांचे वह फुंसी अच्छी हो गई।
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