24 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

मेअराज का सफर

हिजरत से एक साल पहले हजूर (ﷺ) को सातों आसमानों की सैर कराई गई, जिस को “मेअराज” कहते हैं। क़ुरआने करीम में भी सराहत के साथ इस का तज़केरा आया है। जब आपकी उम्र मुबारक ५१ साल ९ माह हुई, तो रात के वक़्त आपको मस्जिदे हराम लाया गया और जमजम और मकामे इब्राहिम के दर्मियान से बुराक नामी सवारी पर हजरत जिबईल (अ.स.) के साथ बैतूल मकदीस तशरीफ लाए। यहाँ आपने तमाम अम्बियाए किराम की इमामत फर्माई।

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

बहरे मय्यित (Dead Sea)

मुल्के उरदुन (Jordan) में छोटा सा एक समुन्दर है जिस को “बहरे मय्यित” (Dead Sea) कहते हैं।

अल्लाह तआला ने कौमे लूत की बस्तियों को पलट कर एक गहरे समुन्दर में तब्दील कर दिया जिसके पानी की सतह आम समुन्दरों के मुकाबिल १३०० फुट गहरी है, उस की बड़ी खुसूसियत यह है के न कोई जानदार उस में जिन्दा रहता है और न ही डूबता है, जबकि दूसरे समुन्दरों में जानदार चीजें भी हैं और जानदार व बेजान चीजें इस में गिर कर डूब भी जाती हैं।

तफ्सील में यहाँ पढ़े : History of “Dead Sea” by Holy Quraan

3. एक फर्ज के बारे में

वालिदैन के साथ एहसान का मामला करो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“तुम्हारे रब (अल्लाह) ने फैसला कर दिया है उसके के अलावा किसी और की इबादत न करो और वालिदैन के साथ एहसान का मामला करो।”

📕 सूरह बनी इस्राईल : २३

खुलासा: माँ बाप की खिदमत करना और उनके साथ अच्छा बरताव करना फर्ज है।

4. एक सुन्नत के बारे में

मौत की सख्ती के वक़्त की दुआ

हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के,
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने मौत से पहले यह दुआ पढ़ी थी :

तर्जमा: ऐ अल्लाह! मौत की सख्तियों और बेहोशियों पर मेरी मदद फ़र्मा।

📕 तिर्मिजी : ९७८

5. एक अहेम अमल की फजीलत

बेवा और मिस्कीन की मदद करने की फजीलत

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“बेवा और मिस्कीन के कामों में जद्दो जहद करने वाला अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने वाले के बराबर है।”

📕 बुखारी : ५३५३ अन अबी हुरैरह (र.अ)

6. एक गुनाह के बारे में

मर्द व औरत का एक दूसरे की नकल करने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी औरत पर लानत फर्माई जो मर्द की नक्ल इख्तियार करती हैं और ऐसे मर्द पर लानत फ़रमाई जो औरतों की मुशाबहत इख्तियार करता है।

📕 इब्ने माजा : १९०२

खुलासा: मर्द का औरतों की शक्ल व सूरत इख्तियार करना और औरत का मर्दो की शक्ल इख्तियार करना नाजाइज़ और हराम है।

7. दुनिया के बारे में

अल्लाह तआला अपने बंदे से क्या कहता है?

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“अल्लाह तआला फ़र्माता है : ऐ इब्ने आदम ! तू मेरी इबादत के लिए फारिग हो जा, मैं तेरे सीने को मालदारी से भर दूंगा और तेरी मोहताजगी को खत्म कर दूंगा और अगर ऐसा नहीं करेगा, तो मैं तेरे सीने को मशगूली से भर दूंगा और तेरी मोहताजगी को बंद नहीं करूंगा।”

📕 तिर्मिज़ी : २४६६

8. आख़िरत के बारे में

काफ़िर नाकाम होंगे

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“बेशक जो लोग काफिर हो गए और (दूसरों को भी) अल्लाह के रास्ते से रोका और हिदायत ज़ाहिर होने के बाद अल्लाह के रसूल की मुखालफत की, तो यह लोग अल्लाह (के दीन) को ज़रा भी नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे और अल्लाह तआला उन के तमाम आमाल को बरबाद कर देगा।”

📕 सूरह मुहम्मद : ३२

9. तिब्बे नबवी से इलाज

निमोनिया का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने निमोनिया के लिये वर्स, कुस्त और रोग़ने जैतून पिलाने को मुफीद बतलाया है।

फायदा : “वर्स” तिल के मानिंद एक किस्म की घास है, जिस से रंगाई का काम लिया जाता है और “कुस्त” एक खुशबूदार लकड़ी है जिस को ऊदे हिन्दी भी कहते हैं।

📕 इब्ने माजा : ३४६७

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

सब से बेहतरीन दवा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: 

“सबसे बेहतरीन दवा कुरआन है।”

📕 इब्ने माजा: ३५३३

फायदा : उलमाए किराम फर्माते हैं के क़ुरआनी आयात के मफ़हूम के मुताबिक जिस बीमारी के लिए जो आयत मुनासिब हो, उस आयत को पढ़ने से इन्शा अल्लाह शिफा होगी और यह सहाब-ए-किराम का मामूल था।

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