20 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
नजाशी के दरबार में कुफ्फार की अपील
कुरैश ने जब यह देखा के सहाबा-ए-किराम हबशा जा कर सुकून व इत्मीनान के साथ जिंदगी गुजार रहे हैं, तो उन्होंने मशविरा कर के अम्र बिन आस और अब्दुल्लाह बिन अबी रबीआ को बहुत सारे तोहफे देकर बादशाह हबशा के पास भेजा।
वहाँ का बादशाह ईसाई था। इन दोनों ने वहाँ जाकर तोहफे पेश किये और कहा के हमारे यहाँ से कुछ लोग अपने आबाई मजहब को छोड़ कर एक नया दीन इख्तियार कर के आपके मुल्क में भाग कर आ गए हैं. इस लिये उन को हमारे पास वापस कर दीजिए।
बादशाह ने मुसलमानों को बुला कर हक़ीक़ते हाल दरयाफ्त की। मुसलमानों की तरफ से हज़रत जाफर आगे बढ़े और कहा :
“ऐ बादशाह ! हम लोग जहालत व गुमराही में मुब्तला थे। बुतों की पूजा करते, मुरदार खाते थे और हम में से ताकतवर कमजोर पर जुल्म करता था। हम इसी हाल में थे के अल्लाह तआला ने हम पर फजल फ़र्मा कर एक रसूल भेजा, जिन की सच्चाई, अमानतदारी और पाकदामनी को हम पहले ही से जानते थे। उन्होंने हमें एक अल्लाह की इबादत करने, नमाज़, रोज़ा और जकात अदा करने और पड़ोसियों व रिश्तेदारों के साथ अच्छा सुलूक करने का हुक्म दिया और जुल्म व सितम, खूरेजी और दूसरी बुरी बातों से रोका। हम उन बातों पर ईमान ले आए। इस पर हमारी कौम नाराज हो गई और हमें तकलीफें पहुंचाने लगी। तो फिर हम आपके मुल्क में आ गए हैं।
फिर हजरत जाफर ने सूरह मरयम की चंद आयतें पढ़ कर सुनाई। बादशाह पर इस का इतना असर पड़ा के आँख से आँसू जारी हो गए हत्ता के दाढ़ी तर हो गई और बादशाह ने कुफ्फारे कुरैश को यह कह कर दरबार से निकलवा दिया के मैं इन लोगों को हरगिज़ तुम्हारे हवाले नहीं करूँगा। सुभान अल्लाह
तफ्सील में यहाँ पढ़े : सीरतून नबी (ﷺ) नजाशी का का दरबार
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
कंगारु में अल्लाह की क़ुदरत
कंगारु, खरगोश की हम शक्ल एक बड़ा जानवर है जो इन्सानी कद के बराबर होता है।
उसके अगले पैर बहुत छोटे और पिछले पैर बहुत बड़े और मजबूत होते हैं, इस की दूम भी काफ़ी लंबी और मोटी होती है, यह अपनी दुम पर बैठ जाता है।
अजीब बात यह है के इस के पेट पर एक थैली होती है, कंगारु का बच्चा पैदाइश के वक्त सिर्फ दो इंच का होता है जिस की आँख भी बंद रहती है।
इसके बावजूद वह अपनी माँ के जिस्म के बालों को पकड़ कर सीधा उस थैली में पहुँच जाता है और वहा दूध पीकर बड़ा होता है। जियादा वक्त इसी थैले मे गुजारता है और कंगारु उस को हर जगह लिये फिरता खिलाता-पिलाता है।
भला बताओ तो सही के इस छोटे से बच्चे को थैली का रास्ता कौन बताता और बचपने से बडा होने तक कौन उसकी हिफाजत व परवरिश करता है। बेशक अल्लाह ही अपनी कुदरत से इन जानवरों की रहनुमाई फर्माता है।
3. एक फर्ज के बारे में
बीमार की नमाज़
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“नमाज़ खड़े होकर अदा करो: अगर ताक़त न हो तो बैठ कर अदा करो, और अगर उस पर भी कदरत नहो तो पहलू के बल लेट कर अदा करो।”
फायदा : अगर कोई बीमार हो और खड़े होकर नमाज़ पढ़ने पर क़ादिर न हो तो रुकू व सज्दा के साथ बैठ कर पढ़े, अगर रुकू व सज्दे पर भी कादिर न हो, तो बैठ कर इशारे से पढ़े और अगर बैठ कर पढ़ने की ताकत न रखता हो तो लेट कर पढ़े।
4. एक सुन्नत के बारे में
हर नमाज़ के लिये वुजू करना
हजरत अनस (र.अ) बयान करते हैं के,
आप (ﷺ) की आदते शरीफा थी, के बा वुजू होने के बावजूद हर नमाज के लिये ताज़ा वुजू फरमाते और हम लोग कई नमाजें एक ही वुजू से पढ़ते थे।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
अल्लाह के ज़िक्र की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स सुबह को सौ मर्तबा और शाम को सौ मर्तबा “सुब्हान अल्लाही वबिहम्दिहि” पढ़े, उस के गुनाहों की मग़फ़िरत कर दी जाएगी ख़्वाह उस के गुनाह समुन्दर के झाग से ज़्यादा हों।”
6. एक गुनाह के बारे में
दय्यूस कौन है ?
दय्यूस वोह है जो अपने घर में बेहयाई होने दे
इब्ने उमर रज़िअल्लाहु अ़न्हु से रिवायत है कि,
अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया:
“तीन लोगों पर अल्लाह ने जन्ऩत हराम कर दी है।
शराब से मस्त रहने वाला, मां बाप से बदसुलूकी करने वाला
और दय्यूस जो अपने घर में ख़बासत (यानी बेहयाई) पर इक़रार कर ले (यानी उसे होने दे)।”
📕 मुस्नद अहमद; रावी: इब्ने उमर
📕 स़ही़ह़ अल जामे 3052-स़ही़ह़
7. दुनिया के बारे में
दुनिया की मुहब्बत बीमारी है
हज़रत अबू दर्दा (र.अ) फ़र्माते थे के
क्या मैं तुम को तुम्हारी बीमारी और दवा न बताऊं ?
तुम्हारी बीमारी दुनिया की मुहब्बत है और
तुम्हारी दवा अल्लाह तआला का जिक्र है।
8. आख़िरत के बारे में
जहन्नम के दरवाजे का फासला
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जहन्नम के सात दरवाजे हैं, हर दो दरवाजों के दर्मियान का फासला एक सवार आदमी के सत्तर साल चलने के बराबर है।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
जोड़ों के दर्द का इलाज
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़र्माया :
“अंजीर खाओ (फिर उस की अहमियत बताते हुए इर्शाद फर्माया) अगर मैं कहता के जन्नत से कोई फल उतरा है तो यही है, क्यों कि जन्नत के फलों में गुठली नहीं है।”
(और अंजीर का यही हाल है) लिहाजा इसे खाओ, इस लिए के यह बवासिर को खत्म करता है और जोड़ो के दर्द में मुफीद है।”
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
गाय के दूध में शिफा है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“गाय का दूध इस्तेमाल किया करो, क्योंकि वह हर किस्म के पौधों को चरती है (इस लिए) उसके दूध में हर बीमारी से शिफ़ा है।”
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