25 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
नजाशी के दरबार में कुफ्फार की अपील
कुरैश ने जब यह देखा के सहाबा-ए-किराम हबशा जा कर सुकून व इत्मीनान के साथ जिंदगी गुजार रहे हैं, तो उन्होंने मशविरा कर के अम्र बिन आस और अब्दुल्लाह बिन अबी रबीआ को बहुत सारे तोहफे देकर बादशाह हबशा के पास भेजा।
वहाँ का बादशाह ईसाई था। इन दोनों ने वहाँ जाकर तोहफे पेश किये और कहा के हमारे यहाँ से कुछ लोग अपने आबाई मजहब को छोड़ कर एक नया दीन इख्तियार कर के आपके मुल्क में भाग कर आ गए हैं. इस लिये उन को हमारे पास वापस कर दीजिए।
बादशाह ने मुसलमानों को बुला कर हक़ीक़ते हाल दरयाफ्त की। मुसलमानों की तरफ से हज़रत जाफर आगे बढ़े और कहा :
“ऐ बादशाह ! हम लोग जहालत व गुमराही में मुब्तला थे। बुतों की पूजा करते, मुरदार खाते थे और हम में से ताकतवर कमजोर पर जुल्म करता था। हम इसी हाल में थे के अल्लाह तआला ने हम पर फजल फ़र्मा कर एक रसूल भेजा, जिन की सच्चाई, अमानतदारी और पाकदामनी को हम पहले ही से जानते थे। उन्होंने हमें एक अल्लाह की इबादत करने, नमाज़, रोज़ा और जकात अदा करने और पड़ोसियों व रिश्तेदारों के साथ अच्छा सुलूक करने का हुक्म दिया और जुल्म व सितम, खूरेजी और दूसरी बुरी बातों से रोका। हम उन बातों पर ईमान ले आए। इस पर हमारी कौम नाराज हो गई और हमें तकलीफें पहुंचाने लगी। तो फिर हम आपके मुल्क में आ गए हैं।
फिर हजरत जाफर ने सूरह मरयम की चंद आयतें पढ़ कर सुनाई। बादशाह पर इस का इतना असर पड़ा के आँख से आँसू जारी हो गए हत्ता के दाढ़ी तर हो गई और बादशाह ने कुफ्फारे कुरैश को यह कह कर दरबार से निकलवा दिया के मैं इन लोगों को हरगिज़ तुम्हारे हवाले नहीं करूँगा। सुभान अल्लाह
तफ्सील में यहाँ पढ़े : सीरतून नबी (ﷺ) नजाशी का का दरबार
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
काफिर का मरऊब हो जाना
हज़रत जाबिर (र.अ) फर्माते हैं के हम रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ एक ग़ज़वे में जा रहे थे, रास्ते में एक जगह पड़ाव डाला, तो लोग इधर उधर दो दो, तीन तीन की जमात बना कर दरख्तों के नीचे आराम करने लगे, रसूलुल्लाह (ﷺ) भी एक दरख्त के नीचे आराम फरमाने के लिये तशरीफ ले गए, और अपनी तलवार उस दरख्त पर लटका कर सो गए, रसूलुल्लाह (ﷺ) फ़र्माते हैं के मैं सोया हुआ था के एक आदमी आया और उस ने मेरी तलवार ले ली, अचानक मैं बेदार हुआ तो क्या देखता हूँ के वह तलवार लिये मेरे सर पर खड़ा है। वह मुझ से कहने लगा के तुम्हें कौन बचा सकता है ?
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इत्मिनान से जवाब दिया : “अल्लाह’ ! उस ने दूसरी मर्तबा सवाल किया. रसुलल्लाह (ﷺ) ने इत्मिनान से जवाब दिया : “अल्लाह” ! तो (उस पर यह असर हुआ के) उस ने तलवार मियान में वापस रख दी, (और आप (ﷺ) को कुछ न कर सका)
3. एक फर्ज के बारे में
जमात से नमाज़ अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“जिस ने तक्बीरे ऊला के साथ चालीस दिन तक अल्लाह की रज़ा के लिए जमात के साथ नमाज़ पढी उस के लिये दोजख से नजात और निफाक से बरात के दो परवाने लिख दिये जाते हैं।”
4. एक सुन्नत के बारे में
अल्लाह के रास्ते में जाने वाले को दुआ देना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक जमात को अल्लाह के रास्ते में रवाना करते हुए फ़रमाया :
“अल्लाह के नाम पर सफर शुरू करो और यह दुआ दी:
तर्जमा: ऐ अल्लाह! इनकी मदद फ़र्मा।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
बेवा और मिस्कीन की मदद करने की फजीलत
रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“बेवा और मिस्कीन के कामों में जद्दो जहद करने वाला अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने वाले के बराबर है।”
6. एक गुनाह के बारे में
शिर्क करने वाले की मिसाल
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“तुम सिर्फ अल्लाह की तरफ मुतवज्जेह रहो, उस के साथ किसी को शरीक मत ठहराओ और जो शख्स अल्लाह के साथ शिर्क करता है, तो उसकी मिसाल ऐसी है जैसा के वह आसमान से गिर पड़ा हो, फिर परिन्दों ने उस की बोटियाँ नोच ली हों या हवा ने किसी दूर दराज मक़ाम पर ले जाकर उसे डाल दिया हो।”
7. दुनिया के बारे में
दुनिया में लगे रहने का वबाल
दुनिया में लगे रहने का वबाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जो शख्स अल्लाह का हो जाता है तो अल्लाह तआला उस की हर जरूरत पूरी करता हैं
और उस को ऐसी जगह से रिज्क देता हैं के उस को गुमान भी नहीं होता।
और जो शख्स पूरे तौर पर दुनिया की तरफ लग जाता है,
तो अल्लाह तआला उस को दुनिया के हवाले कर देते हैं।”
8. आख़िरत के बारे में
अहले जहन्नम पर दर्दनाक अजाब
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“बेशक जक्कूम का दरख्त बड़े मुजरिम का खाना होगा, जो तेल की तलछट जैसा होगा,
वह पेट में तेज़ गर्म पानी की तरह खौलता होगा (कहा जाएगा)
उस गुनहगार को पकड़ लो और घसीटते हुए दोजख के बीच में ले जाओ,
फिर उसके सर पर तकलीफ देने वाला खौलता हुआ पानी डालो,
(फिर कहा जाएगा) अज़ाब का मज़ा चख ! तू अपने आप को बड़ी इज्जत व शान वाला समझता था, यही वह अजाब है जिसके बारे में तुम शक किया करते थे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
मोतदिल गिज़ा का इस्तेमाल
खीरा (ककड़ी) के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) खजूर के साथ खीरे खाते थे।
फायदा : मुहद्विसी ने किराम फ़र्माते हैं के खजूर चूँकि गर्म होती है इस लिये आप (ﷺ) उस के साथ ठंडी चीज खीरा (ककड़ी) इस्तेमाल फर्माते थे ताके दोनों मिलकर मोतदिल हो जाएं।
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
सूरह फलक और सूरह नास (मुअव्वज़तैन) से बीमारी का इलाज
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