25 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
गज्व-ए-ख़न्दक में सहाबा की कुरबानी
ग़ज़्व-ए-खन्दक में मारिकीन ने दस हजार का लश्कर ले कर मदीने का मुहासरा कर दोनों तरफ से तीर अन्दाज़ी और संगबारी का तबादला होते हुए दो हफ्ते गुजर गए, तो कुरैश ने तमाम फौज को जमा कर के हमला करने का मन्सूबा बनाया, इत्तेफाक से एक मकाम पर खन्दक़ की चौडाई कम थी, तो अरब का मशहूर बहादुर अम्र बिन अब्देवुद्ध और उसके साथियों ने घोड़ों को एड लगाकर खन्दक को पार कर लिया और मुसलमानों को तीन मर्तबा मुकाबले के लिये ललकारा, तो हजरत अली (र.अ) मुकाबले के लिये आगे बढ़े, थोड़ी देर दोनों ने अपने अपने जौहर दिखाए, बिलआखिर हजरत अली (र.अ) ने उस को निमटा दिया, यह मन्जर देख कर मुश्रिकीन पर रोब तारी हो गया और मुकाबले की ताबनला कर भाग गए, हमले का यह बड़ा सख्त दिन था, कुफ्फार व मुश्रिकीन की तरफ से नेजों और पत्थरोंकी बारिश हो रही थी।
चुनान्चे एक माह के तवील मुहासरे के बाद अल्लाह तआला की गैबी मदद आई और ऐसी ठंडी व तेज हवा चली के उन के खेमे उखड़ गए, लश्करों में अफरा तफरी मच गई मौसम की सख्ती, खाने पीने की किल्लत की वजह से वह मजबूर हो कर भाग गए।
To be Continued …
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
च्यूँटी अल्लाह की कुदरत का नमूना है
च्यूटी भी अल्लाह की अजीब मखलूक है। इतने छोटे से जान्वर में अल्लाह तआला ने आँख नाक कान दिल व दिमाग हाथ पैर कितनी कारीगरी से बनाए। फिर इन को सोचने, समझने और सूंघने की बेपनाह सलाहियतों से नवाज़ा।
वह एक मील की दूरी से मीठी चीज़ों का सूंघ कर पता लगा लेती है। च्यंटियों की सरदार को जब कोई चीज़ मिलती है, तो वह अपने मातहत तमाम च्यंटियो को बुलाती है।।और वह उस चीज़ को उठा कर अपने बिलों में ले जाती हैं।
अगर किसी दाने के जमने का खतरा महसूस करती हैं, तो उस के टुकड़े कर देती हैं और गर्मी के मौसम में सर्दी के लिए और इसी तरह बरसात का मौसम आने से पहले ही ज़खीरा जमा कर लेती हैं, बगैर किसी मशीन व आला के गर्मी और बरसात के मौसम की खबर उन्हें किस ने दी? इतनी छोटी सी मखलूक को ऐसे ऐसे हनर सिखा देना अल्लाह की कुदरत का करिश्मा है।
3. एक फर्ज के बारे में
मज़दूर की मज़दूरी पसीना सुखने से पहले दिया करो
मज़दूर को पसीना सुखने से पहले मज़दूरी दो
۞ हदीस: अब्दुल्ला इब्न उमर (रजि.) से रिवायत है की,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“मज़दूर को उसकी मज़दूरी उसका पसीना सुखने से पहले दे दो।”
📕सुनन इब्न माजाह, हदीस:600
मज़दूर को पूरी मजदूरी देना
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“मैं क़यामत के दिन तीन लोगों का मुक़ाबिल बन कर उन से झगडूंगा, (उन तीन में से एक) वह शख्स है जिसने किसी को मज़दूरी पर रखा और उससे पूरा-पूरा काम लिया मगर उसको पूरी मज़दूरी नहीं दी।”
खुलासा: मज़दूर को मुकम्मल मज़दूरी देना वाजिब है।
4. एक सुन्नत के बारे में
घर वालों से नेक बरताव करना
हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के –
आप (ﷺ) ने ग़ज़वे के अलावा कभी भी किसी को अपने हाथ से नहीं मारा और न कभी किसी खादिम को मारा और न ही कभी किसी औरत को मारा।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
अल्लाह के लिये मुहब्बत का बदला
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
अल्लाह तआला क़यामत के दिन फरमाएगा।
“मेरी अजमत की वजह से आपस में मुहब्बत करने वाले लोग आज कहाँ हैं ?
मैं आज उन को अपने साए में जगह दूँगा जब के मेरे साए के अलावा कोई साया न होगा।”
6. एक गुनाह के बारे में
हक को झुटलाने की सज़ा
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“हमने उन (कौमे आद) के लोगों को उन चीजों की कुदरत दी थी के जिन की कुदरत तुम को नहीं दी और हमने उन को कान और आँखें और दिल अता किए थे। चूँकि वह अल्लाह की आयतों का इनकार करते थे, इसलिये न उन के कान उन के कुछ काम आए, न उन की आँखें और न उन के दिल; और जिस अजाब का वह मजाक उड़ाया करते थे उसी ने उन को आ घेरा।”
7. दुनिया के बारे में
सिर्फ दुनिया की नेअमतें मत मांगो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो शख्स (अपने आमाल के बदले में) सिर्फ दुनिया के इनाम की ख्वाहिश रखता है (तो यह उस की नादानी है के उसे मालूम नहीं) के अल्लाह तआला के यहाँ दुनिया और आखिरत दोनों का इनाम मौजूद है (लिहाजा अल्लाह से दुनिया और आखिरत दोनों की नेअमतें मांगो) अल्लाह तुम्हारी दुआओं को सुनता और तुम्हारी निय्यतों को देखता है।”
8. आख़िरत के बारे में
कयामत के दिन के सवालात
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“इन्सान के क़दम कयामत के दिन अल्लाह के सामने से उस वक़्त तक नहीं हटेंगे
जब तक उस से पाँच चीज़ो के बारे में सवाल न कर लिया जाए।
(1) उसकी उम्र के बारे में कि उसको कहाँ खत्म किया।
(2) उसकी जवानी के बारे में के उसको कहाँ ख़र्च किया।
(3) माल कहाँ से कमाया
(4) कहाँ खर्च किया।
(5) इल्म के मुताबिक़ क्या-क्या अमल किया।
9. तिब्बे नबवी से इलाज
सफर जल (बही, Pear) से इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“सफर जल (यानी बही) खाया करो, क्योंकि यह दिल को राहत पहुँचाता है।”
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
बीमारी से बचने की तदबीरें
हज़रत जाबिर (र.अ) बयान करते हैं के मैंने रसूलुल्लाह (ﷺ) को फर्माते हुए सुना के :
“बर्तनों को ढांक दिया करो और मशकीज़े का मुँह बांध दिया करो क्योंकि साल में एक ऐसी रात आती है जिस में वबा उतरती है पस जिस बर्तन या मशकीजे का मुँह खुला रहेता है वह उस में उतर जाती है।”
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