20 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

हजरत कतादा (र.अ) की आँख का ठीक हो जाना

जंगे बद्र के दिन हज़रत कतादा बिन नोअमान (र.अ) की आँख में तीर लग गया, जिस की वजह से खून रुखसार पर बहने लगा, तो सहाबा (र.अ) ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा : क्या उन की आँख निकाल दें? तो आप (ﷺ) ने मना फ़रमाया : और हजरत कतादा को बूलाकर अपनी हथेली से उन की आँख की तरफ़ इशारा किया, तो वह इतनी अच्छी हो गई के पता नहीं चलता था के कौन सी आँख में तीर लगा था।

📕 बैहकी फी दलाइलिन्नुयुष्या : १११२

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

बारिश में कुदरती निज़ाम

अल्लाह तआला बादलों के जरिये इतनी बुलन्दी से बारिश बरसाता हैं के अगर वह अपनी रफ्तार में से ज़मीन पर गिरती तो जमीन में बड़े बड़े गढ़े हो जाते और तमाम जानदार, हैवानात, पेड़ पौधे, खेती-बाड़ी सब फ़ना हो जाते। 

लेकिन अल्लाह तआला ने फिजा में अपनी कुदरत से इतनी रुकावटें खड़ी कर दी हैं के तेज रफ्तार बारिश उनसे गुजर कर जब ज़मीन पर आती है तो इन्तेहाई धीमी हो जाती है, जिस से दूनिया की तमाम चीजें तबाह व बरबाद होने से महफुज हो जाती हैं। 

बेशक यह अल्लाह का कुदरती निजाम है जो बारिश को इतने अच्छे अन्दाज में बरसाता है।

📕 अल्लाह की कुदरत

3. एक फर्ज के बारे में

4. एक सुन्नत के बारे में

बिजली कड़कने और बादल गरजने के वक़्त की दुआ

अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर रज़ियल्लाहु अन्हुमा
जब बादल की गरज सुनते तो बातें छोड़ देते और यह दुआ पढ़ते।

(Subhanal-lathee yusabbihur-raAAdu bihamdih,
walmala-ikatu min kheefatih.)

📕 मुअत्ताः 2/992

तर्जुमा : पाक है वह ज़ात बादल की गरज जिसकी तस्बीह़ बयान करती है उसकी तारीफ के साथ और फ़रिश्ते भी उसके डर से उसकी तस्बीह़ पढ़ते हैं।

5. एक अहेम अमल की फजीलत

अच्छे और बुरे अख़्लाक़ की मिसाल

हदीस: रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“अच्छे अख्लाक बुराइयों को इस तरह खत्म कर देते हैं जिस तरह पानी बरफ को पिघला देता है और बुरे अख्लाक अच्छे कामों को इस तरह खत्म कर देते हैं जिस तरह सरका शहद को खराब कर देता है।”

📕 तबरानी कबीर: १०६२६

6. एक गुनाह के बारे में

7. दुनिया के बारे में

सब से बड़ा तक़वे वाला कौन है

एक शख्स ने रसूलल्लाह (ﷺ) की खिदमत में आकर अर्ज़ किया:

“ऐ अल्लाह के रसूल लोगों में सब से बड़ा जाहिद कौन है ?”

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
वह आदमी जो कब्र और उस की बोसीदगी को न भूले और दुनिया की जरूरत से ज़ियादा जेब व जीनत को छोड़ दे, बाकी रहने वाली (आखिरत) को फना हो जाने वाली (दनिया) पर तरजीह दे, आने वाले कल को अपनी (जिन्दगी का) दिन शुमार न करे और अपने आप को मुर्दो की फहेरिस्त में शुमार करे (तो यह सबसे बड़ा ज़ाहिद है)”

📕 तरग़ीब व तरहीब : ४५५३

8. आख़िरत के बारे में

कयामत में तीन किस्म के लोग

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“कयामत के दिन जहन्नम से एक गर्दन निकलेगी, जिस की दो देखने वाली औंखें, दो सुनने वाले कान और एक बोलने वाली जुबान होगी, वह कहेगी: तीन किस्म के लोग मेरे सुपुर्द किए गए हैं:

(१) हर मगरूर हक जान कर रुगरदानी करने वाला।,
(२) अल्लाह के साथ किसी और को खुदा समझ कर पुकारने वाला।,
(३) तस्वीर बनाने वाला।

📕 शोअबुल ईमान: ६०८४, अन अबी हुरैरह (र.अ)

9. तिब्बे नबवी से इलाज

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

हलीला से हर बीमारी का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“हलील-ए-सियाह को पिया करो इस लिए के यह जन्नत के पौदों में से एक पौदा है, जिस का मजा कड़वा होता है मगर हर बीमारी के लिए शिफा है।”

📕 मुस्तदरक : ८१३०

नोट: हलील-ए-सियाह को हिन्दी में काली हड़ कहते हैं। जिसे सिल पर घिस कर पीते हैं, यह कब्ज को खत्म करती है और बादी बवासीर में मुफीद है।

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