जन्नती अल्लाह तआला का दीदार करेंगे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने लैलतुबद्र में चाँद को देखा और फर्माया :

“तुम लोग अपने रब को इसी तरह देखोगे जिस तरह इस चाँद को देख रहे हो, तुम उस को देखने में किसी किस्म की परेशानी महसूस नहीं करोगे।”

📕 बुखारी : ५५४

किसी के सतर को देखने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अल्लाह तआला लानत करता हैं, उस शख्स पर जो जान बूझ कर किसी के सतर को देखता हो और उस पर भी लानत है जो बिला उज्र सतर दिखलाता हो।”

📕 बैहकी फी शोअबिल ईमान : ७५३८

सतर : इंसान के ढका रहने वाला बदन का हिस्सा, गुप्त अंग

फज़्र और अस्त्र की नमाज़ पाबन्दी से अदा करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“हरगिज़ वह आदमी जहन्नम में दाखिल नहीं हो सकता, जो सूरज निकलने से पहले फज़्र की नमाज और सूरज गुरूब होने से पहले अस्र की नमाज़ पढ़े।”

📕 मुस्लिम : १४३६

जो रहम नहीं करता उस पर भी रहम नहीं किया जाता

हज़रत अकरअ बिन हाबिस (र.अ) की मौजूदगी में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत हुसैन बिन अली का बोसा लिया।

यह देख कर हज़रत अकरअ विन हाबिस (र.अ) ने कहा: मेरे दसं बेटे हैं, मैंने कभी किसी का नहीं लिया। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने यह सुनकर फ़र्माया : “जो रहम नहीं करता उस पर रहम भी नहीं किया जाता।”

📕 अबू दाऊद: ५२१८

मुतअल्लिक़ीन की खबरगीरी करना एक बेहतरीन सुन्नत

हजरत अनस बिन मालिक (र.अ) बयान करते हैं के :

“अहले ताल्लुक में से कोई शख्स अगर तीन दिन तक न आता (या उस से मुलाक़ात न होती) तो आप (ﷺ) उसके मुतअल्लिक़ मालूमात फरमाते, अगर वह बाहर (सफर में) होता तो उस के लिये दुआ करते, अगर यह मौजूद होता तो आप उससे मुलाकात फ़रमाते, अगर बीमार होता तो उसकी इयादत फरमाते।

📕 मुस्नदे अबी याला : ३३३५

दावत कबूल करे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब तुम में से किसी को खाने की दावत दी जाए तो उस को कबूल करना चाहिये, फिर अगर वह चाहे तो खाना खाले और न चाहे तो छोड़ दे।”

📕 मुस्लिम : ३५१८

सूद से बचना

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“ऐ ईमान वालो! तुम कई गुना बढ़ा कर सूद मत खाया करो (क्योंकि सूद लेना मुतलकन हराम है) और अल्लाह तआला से डरते रहो ताके तुम कामयाब हो जाओ।”

📕 सूरह आले इमरान: १३०

नोट: कम या जियादा सुद लेना देना, खाना, खिलाना नाजाइज और हराम है,
कुरआन और हदीस में इस पर बडी सख्त सजा आई है,
लिहाजा हर मुसलमान पर सुदी लेन देन से बचना जरूरी है।’

दुनिया के लालची अल्लाह की रहमत से दूर होंगे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

क़यामत करीब आ चुकी है और लोग दुनिया की हिर्स व लालच और अल्लाह तआला की रहमत से दूरी में बढ़ते ही जा रहे हैं।”

खुलासा : कयामत के करीब आने की वजह से लोगों को नेकी कमाने की जियादा से जियादा फ़िक्र करनी चाहिये, लेकिन ऐसा करने के बजाए वह दुनिया की लालच में पड़ कर अल्लाह की रहमत से दूर होते जा रहे है।

📕 मुस्तदरक : ७९१७

हराम माल से सदक़ा करने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“जब तू माल की ज़कात अदा कर दे, तो जो (वाजिब) हक़ तुझ पर था, वह तो अदा हो गया (आगे सिर्फ नवाफिल का दर्जा है)

और जो शख्स हराम तरीके (सूद रिश्वत वगैरह) से माल जमा कर के सदका करे, उस को उस सदके का कोई सवाब नहीं मिलेगा, बल्के उस हराम कमाई का वबाल उस पर होगा।”

📕 इब्ने हिब्बान : ३२८५

मुसलमान को कपड़ा पहनाने की फ़ज़ीलत

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जिसने किसी मुसलमान को कपड़ा पहनाया, जब तक उस के बदन में एक धागा भी रहेगा, वह उस वक्त तक अल्लाह की हिफाजत रहेगा।”

📕 मुस्तदरक हाकिम : ७४२२

लोगों से अपनी जरूरत छुपाए रखने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जो शख्स भूका हो, या उस को कोई और खास हाजत हो और वह अपनी उस भूक और हाजत को लोगों से छुपाए रखे (यानी उन के सामने जाहिर कर के उनसे सवाल न करे) तो अल्लाह तआला के जिम्मे है के उस को हलाल तरीके से एक साल का रिज्क अता फ़रमाए।”

📕 शोअबुल ईमान लिलबहकी : ९६९८

मुसीबत या खतरे को टालने की दुआ

जब किसी मुसीबत या बला का अंदेशा हो, तो इस दुआ को कसरत से पढ़े:

“हमारे लिए अल्लाह काफ़ी है और वह बेहतरीन काम बनाने वाला है, हम उसी पर भरोसा करते हैं।”

📕 तिर्मिज़ी : २४३१, अन अबी सईद खुदरी (र.अ)

वुजू में चमड़े के मोज़े पर मसह करना

हज़रत अली (र.अ) फ़र्माते हैं :

“मैं ने हुजूर (ﷺ) को मोज़े के ऊपर के हिस्से पर मसह करते देखा।”

📕 अबू दाऊद : १६२

नोट: जब किसी ने बावुजू चमड़े का मोज़ा पहेना हो, फिर वुजू टूट जाए,
तो वुजू करते वक्त उन मोजों के ऊपरी हिस्से पर मसह करना जरूरी है।

अच्छे और बुरे बराबर नहीं हो सकते

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“क्या वह लोग जो बुरे काम करते हैं, यह समझते हैं के हम उन्हें और उन लोगों को बराबर कर देंगे जो ईमान लाते हैं और नेक अमल करते हैं के उन का मरना और जीना बराबर हो जाए, उनका यह फैसला बहुत ही बुरा है।”

📕 सूरह जासिया : २१

छह चीजों की जमानत: जब बात करो तो सच बोलो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम अपनी तरफ से मुझे छह चीजों की जमानत दे दो मैं तुम्हें जन्नत की जमानत देता हूँ। जब तुम बात करो तो सच बोलो, जब वादा करो तो पूरा करो, जब तुम्हारे पास अमानत रखी जाए तो अमानत अदा करो, अपनी शर्मगाहों की हिफाजत करो, अपनी आँखों को नीचे रखो और अपने हाथों को (जुल्म व सितम से) रोके रखो।”

📕 मुस्नदे अहमद : २२२५१, अन उबादा बिन सामित (र.अ)

नेअमत अता करने में अल्लाह तआला का कानून

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“अल्लाह जब किसी क़ौम को कोई नेअमत अता करता है तो उस नेअमत को उस वक्त तक नहीं बदलता जब तक वह लोग खुद अपनी हालत को न बदलें। यकीनन अल्लाह तआला बड़ा सुनने वाला और जानने वाला है।”

📕 सूरह अनफाल : ५३

सिला रहमी करना

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: 

“जो लोग अल्लाह के अहद को तोड़ते हैं, उस को मजबूत कर लेने के बाद और उन तअल्लुक़ात को तोड़ते हैं, जिन के जोड़ने का अल्लाह तआला ने हुक्म दिया है और जमीन में फसाद मचाते हैं, यही लोग नुकसान उठाने वाले हैं।”

📕 सूरह बकरा : २७

फायदा: रिश्ते, नाते और तअल्लुक़ात को बरकरार (सिला रहमी करना) रखना और उस को खत्म न करना बहुत जरूरी है।

गुनाह और जुल्म व ज्यादती की बातें न करो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“ऐ ईमान वालो! जब तुम आपस में खुफिया बातें करो, तो गुनाह और जुल्म व ज्यादती और रसुल की नाफ़रमानी की बातें न किया करो, बलके भलाई और परहेजगारी की बातें किया करो और अल्लाह से डरते रहो, जिसके पास तुम सब जमा किये जाओगे।”

📕 सूरह मुजादला : 58:9

जन्नत में दाखिल करने वाले आमाल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अल्लाह तआला की इबादत करते रहो, खाना खिलाते रहो और सलाम फैलाते रहो, (इन आमाल की वजह से जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।”

📕 तिर्मिज़ी : १८५५, अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ)

लोगों की जरूरतें पूरी करने वालो की फ़ज़ीलत

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अल्लाह तआला ने कुछ बन्दों को लोगों की जरूरत पूरी करने के लिये पैदा किया है, लोग उन के पास अपनी ज़रूरत ले कर जाते हैं, लोगों की जरूरत पूरी करने वाले यह लोग अल्लाह के अज़ाब से महफूज रहेंगे।”

📕 तबरानी कबीर : १३१५३

नमाज़ में खामोश रहना (एक फर्ज अमल)

हज़रत जैद बिन अरकम (र.अ) फर्माते हैं :

(शुरू इस्लाम में) हम में से बाज़ अपने बाज़ में खड़े शख्स से नमाज की हालत में बात कर लिया करता था,
फिर यह आयत नाजिल हुई:

तर्जमाः अल्लाह के लिये खामोशी के साथ खड़े रहो (यानी बातें न करो)।

फिर हमें खामोश रहने का हुक्म दे दिया गया और बात करने से रोक दिया गया।

📕 तिर्मिज़ी : ४०५

फायदा: नमाज़ में बातचीत न करना और खामोश रहना जरूरी है।

रुकू में हाथों को घुटनों पर रखना

रसूलुल्लाह (ﷺ) रुकू फरमाते, तो “अपने हाथों को घुटनों पर रखते, ऐसा लगता था जैसे उन को पकड़ रखा हो और दोनों हाथों को थोडा मोड़ कर पहलुओं से अलग रखते थे।”

📕 तिर्मिज़ी : २६०

हज़रत मुहम्मद (ﷺ) को आखरी नबी मानना

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“( हज़रत मुहम्मद ﷺ ) अल्लाह के रसूल और खातमुन नबिय्यीन हैं।”

📕 सूरह अहज़ाब : ४०

वजाहत: रसूलुल्लाह (ﷺ) अल्लाह के आखरी नबी और रसूल हैं, लिहाजा आप (ﷺ) को आख़री नबी और रसूल मानना और अब क़यामत तक किसी दूसरे नए नबी के न आने का यकीन रखना फर्ज है।

कुफ्र व नाफर्मानी की सजा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जो शख्स मुंह मोड़ेगा और कुफ्र करेगा, तो अल्लाह तआला उस को बड़ा अज़ाब देगा फिर उन को हमारे पास आना है। फिर हमारे ज़िम्मे उन का हिसाब लेना है।”

📕 सूरह गाशिया: २३ ता २६

वरम (सूजन) का इलाज

हज़रत अस्मा (र.अ) के चेहरे और सर में वरम (सूजन) हो गया,

तो उन्होंने हजरत आयशा (र.अ) के जरिये आप (ﷺ) को इस की खबर दी। चुनान्चे हुजूर (ﷺ) उन के यहाँ तशरीफ़ ले गए और दर्द की जगह पर कपड़े के ऊपर से हाथ रख कर तीन मर्तबा यह दुआ फ़रमाई।

اللهم أذْهِبْ عَنْهَا سُولَهُ وَفَحْشَهُ بِدَعْوَةٍ بَيْكَ الطَّيِّبِ الْمُبَارَكَ الْمَكِينِ عِندَكَ ، بسم الله

फिर इर्शाद फ़र्माया : यह कह लिया करो, चुनांचे उन्हों ने तीन दिन तक यही अमल किया तो उन का वरम जाता रहा।

📕 दलाइलुनबुवह लिल बैहकी: २४३०

मय्यित का कर्ज अदा करना

हजरत अली (र.अ) फ़र्माते हैं के:

रसुलअल्लाह (ﷺ) ने कर्ज को वसिय्यत से पहले अदा करवाया, हालाँकि तुम लोग (कुरआन पाक में) वसिय्यत का तजकेरा कर्ज से पहले पढ़ते हो।

📕 तिर्मिज़ी : २१२२

फायदा: अगर किसी शख्स ने कर्ज लिया और उसे अदा करने से पहले इन्तेकाल कर गया, तो कफन दफन के बाद माले वरासत में से सबसे पहले कर्ज अदा करना जरूरी है, चाहे सारा माल उस की। अदायगी में खत्म हो जाए।

मोमिन को नाहक़ क़त्ल करने की सज़ा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“हर गुनाह के बारे में अल्लाह से उम्मीद है के वह माफ कर देगा, सिवाए उस आदमी के जो अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक करने की हालत में मरा हो या उस ने किसी मोमिन को जान बूझ कर क़त्ल किया हो।”

📕 अबू दाऊद: ४२७०

दुनिया में खाना पीना चंद रोज़ा है

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

“तुम (दुनिया में) थोड़े दिन खा लो और (उससे) फायदा उठालो, बेशक तुम मुजरिम हो (यानी यह दुनियवी ज़िंदगी चंद रोज़ की है, अगर उसके पीछे पड़ कर अपनी आखिरत की ज़िंदगी को भुला दोगे, तो क़यामत के दिन तुम मुजरिम बन कर उठोगे)।”

📕 सूरह मुरसलात: ४६

इंसाफ करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“थोड़ी देर का इन्साफ साठ साल की शब बेदारी और रोजा रखने की इबादत से बेहतर है।
ऐ अबू हुरैरा (र.अ) ! किसी मामले में थोड़ी सी देर का जुल्म, अल्लाह के नजदीक साठ साल की नाफ़रमानी से जियादा सख्त और बड़ा गुनाह है।”

📕 तरघिब वा तरहीब: ३१२८

अपने मातहतों पर तोहमत लगाने गुनाह

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने अपने मातहत पर किसी ऐसी बात की तोहमत लगाई जिस से वह बरी है तो उस पर क़यामत के दिन हद जारी की जाएगी। मगर यह के वह कही हुई बात उस में मौजूद हो।”

📕 बुखारी : ६८५८

कयामत के दिन का अंदाज़

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जिस दिन तमाम जानदार और फ़रिश्ते सफ़ बांधकर खड़े होंगे उस रोज कोई कलाम न कर सकेगा, अल्बत्ता जिस को खुदाए रहमान (यानी अल्लाह तआला) बात करने की इजाजत देदे और वह बात भी ठीक ही कहेगा, उस दिन का आना यकीनी है, जो शख्स चाहे अपने रब के पास ठिकाना बना ले।”

📕 सूरह नबाः ३८ ता ३९

इन आयतों में रोज़े क़यामत अल्लाह की अदालत में ह़ाज़िरी का अंदाज दिखाया गया है। और जो इस ख्याल में पड़े हैं कि उन के झूठे माबूद उनकी सिफारिश करेंगे उन को आगाह किया गया है कि उस दिन कोई बिना अल्लाह की इजाजत के मुँह नहीं खोलेगा और अल्लाह की इजाजत से सिफारिश भी करेगा।

सिफारिश तो उसी के लिये होगी जो दुनिआ में कलिमा-ऐ-हक़ “ला इलाहा इल्लल्लाह” को मानता हो। जबकि काफिर और मुशरिक किसी किस्म के लायक न होंगे।

जहन्नुम से नजात की दुआ

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जब तुम मग़रिब की नमाज़ से फारिग हो जाओ, तो सात मर्तबा यह दुआ पढ लिया करो।

( Allahumma Ajirni Minan Naar )
( ऐ अल्लाह! मुझ को दोजख से महफूज़ रख )

जब तुम इस को पढ़ लो और फिर उसी रात तुम्हारी मौत आजाए तो दोजख से महफूज़ रहोगे और अगर इस दुआ को सात मर्तबा फज़्र की नमाज के बाद (भी) पढ लो और उसी दिन तूम्हारी मौत आजाए तो दोजख से महफूज़ रहोगे।”

📕 अबू दाऊद : ५०७९, अन मुस्लिम बिन हारिस तमीमी (र.अ)

सब से बड़ा तक़वे वाला कौन है

एक शख्स ने रसूलल्लाह (ﷺ) की खिदमत में आकर अर्ज़ किया:

“ऐ अल्लाह के रसूल लोगों में सब से बड़ा जाहिद कौन है ?”

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
वह आदमी जो कब्र और उस की बोसीदगी को न भूले और दुनिया की जरूरत से ज़ियादा जेब व जीनत को छोड़ दे, बाकी रहने वाली (आखिरत) को फना हो जाने वाली (दनिया) पर तरजीह दे, आने वाले कल को अपनी (जिन्दगी का) दिन शुमार न करे और अपने आप को मुर्दो की फहेरिस्त में शुमार करे (तो यह सबसे बड़ा ज़ाहिद है)”

📕 तरग़ीब व तरहीब : ४५५३

शहीद कौन कौन लोग हैं

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“पाँच लोग शहीद हैं। ताऊन में मरने वाला, पेट की बीमारी में मरने वाला, डूब कर मरने वाला, दीवार वग़ैरा के गिरने से मरने वाला और राहे ख़ुदा में कत्ल होने वाला।”

📕 बुखारी: ६५३ अन अबी हुरैरा (र.अ)

अहले जहन्नम पर दर्दनाक अजाब

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“बेशक जक्कूम का दरख्त बड़े मुजरिम का खाना होगा, जो तेल की तलछट जैसा होगा,
वह पेट में तेज़ गर्म पानी की तरह खौलता होगा (कहा जाएगा)
उस गुनहगार को पकड़ लो और घसीटते हुए दोजख के बीच में ले जाओ,
फिर उसके सर पर तकलीफ देने वाला खौलता हुआ पानी डालो,
(फिर कहा जाएगा) अज़ाब का मज़ा चख ! तू अपने आप को बड़ी इज्जत व शान वाला समझता था, यही वह अजाब है जिसके बारे में तुम शक किया करते थे।”

📕 सूरह दुखान : ४३ ता ५०

इस्मे आजम का वजीफा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक शख्स को दुआ मांगते हुए सुना तो फ़र्माया :

तुम ने इस्मे आजम के साथ दुआ मांगी है के उस के साथ जो भी सवाल व दुआ की जाती है वह पूरी की जाती है, वह इस्मे आज़म यह है –

“Allahu la ilaha illa hu al ahad’us samad’ ulladhee lam yalid walam yulad wa lam yakun lahu kufuwan ahad”

📕 तिर्मिज़ी : ३४७५, अन बुरैदा (र.अ)

वुजू कर के इमाम के साथ नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने अच्छी तरह मुकम्मल वुजू किया, फिर फर्ज नमाज अदा करने के लिये गया और इमाम के साथ नमाज पढी, उसके (सगीरा गुनाह) माफ कर दिये जाते हैं।”

📕 इब्ने खुजैमा १४०९

कसरत से अल्लाह का जिक्र करना

अब्दल्लाह बिन अबी औफ़ (र.अ) बयान करते हैं के :

“रसुलल्लाह (ﷺ) कसरत से (अल्लाह का) जिक्र फरमाते, बेजा बात ना फरमाते, नमाज़ लम्बी पढ़ते, खुत्बाब मुख्तसर देते और बेवाओं और मिस्कीनों की जरुरत पूरी करने के लिए चलने में आर और शर्म महसूस न फरमाते।”

📕 नसई : १४१५

अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो
और हर शख्स को इस बात पर गौर करना चाहिये के
उस ने कल (आखिरत) के लिये क्या आगे भेजा है
और अल्लाह से डरते रहो
और अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है।”

📕 सूरह हश्र १८

नमाज़ के लिये पैदल आना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“सब से जियादा नमाज का सवाब उस आदमी को मिलेगा जो सबसे जियादा पैदल चल कर आए फिर उससे जियादा सवाब उस आदमी को मिलेगा जो उस से ज़ियादा दूर से चल कर आए।”

📕 बुखारी : ६५१

दुनिया चाहने वालों का अन्जाम

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जो कोई दुनिया ही चाहता है, तो हम उस को दुनिया में जितना चाहते हैं, जल्द देते हैं फिर हम उस के लिए दोजख मुकर्रर कर देते हैं, जिस में (ऐसे लोग कयामत के दिन) जिल्लत व रुसवाई के साथ ढकेल दिए जाएंगे।”

📕 सूर-ए-बनी इसराईलः १८ 

अजनबी औरत से मिलने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“तुम में से किसी के सर में लोहे की कील ठोंक दिया जाना इस से बेहतर है के वह किसी ऐसी (अजनबी) औरत को छुए जो उसके लिये हलाल नहीं है।”

📕 तबरानी कबीर : १६८८०

सब के साथ हुस्ने सुलूक (अच्छा बर्ताव) करो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“तुम सब अल्लाह की इबादत करो, उस के साथ किसी को शरीक न करो, माँ बाप, रिश्तेदारों, यतीमों, मिस्कीनों, करीबी पड़ोसियों और दूर के पड़ोसियों, पास बैठने वालों, मुसाफिरों और जो लोग तुम्हारे मातहत हों, सब के साथ हुस्ने सुलूक (अच्छा बर्ताव) करो और अल्लाह तआला तकब्बुर (घमंड) करने वाले और शेखी (बढ़ाई) मारने वाले को बिलकुल पसंद नहीं करता।”

📕 सूरह निसा:३६

बेवा और मिस्कीन की मदद करने की फजीलत

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“बेवा और मिस्कीन के कामों में जद्दो जहद करने वाला अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने वाले के बराबर है।”

📕 बुखारी : ५३५३ अन अबी हुरैरह (र.अ)

बद नसीबी की पहचान

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:

“चार चीजें बदनसीबी की पहेचान हैं।

(१) आँखों का खुश्क होना (के अल्लाह के खौफ से किसी वक्त भी आँसू न टपके)
(२) दिल का सख्त होना (के आखिरत के लिये या न किसी दूसरे के लिये किसी वक़्त भी नर्म न पड़े।) (३) उम्मीदों का लम्बा होना ।
(४) दुनिया की हिर्स व लालच का होना।”

📕 तरगीब व तरहीब : ४७४१

अल्लाह के लिये मुहब्बत का बदला

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
अल्लाह तआला क़यामत के दिन फरमाएगा।

“मेरी अजमत की वजह से आपस में मुहब्बत करने वाले लोग आज कहाँ हैं ?
मैं आज उन को अपने साए में जगह दूँगा जब के मेरे साए के अलावा कोई साया न होगा।”

📕 मुस्लिम: ६५४८

सुबह शाम अपने रब को याद किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“तुम सुबह व शाम अपने रब को अपने दिल में गिड़गिड़ा कर, डरते हुए और दर्मियानी आवाज के साथ याद किया करो और गाफिलों में से मत हो जाओ।”

📕 सूरह आराफ : २०५

गुनहगारों को नेअमत देने का मक्सद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब तू यह देखे के अल्लाह तआला किसी गुनहगार को उस के गुनाहों के बावजूद दुनिया की चीजें दे रहा है तो यह अल्लाह तआला की तरफ से ढील है।

📕 मुस्नदे अहमद : १६८६०

बिमारियों का इलाज

हज़रत अनस (र.अ) के पास दो शख्स आए, जिन में से एक ने कहा: ऐ अबू हम्जा (यह हजरत अनस (र.अ) की कुन्नियत है) मुझे तकलीफ है, यानी मैं बीमार हूँ, तो हजरत अनस (र.अ) ने फ़रमाया: क्या मैं ! तुम को उस दुआ से दम न कर दूं जिस से रसूलुल्लाह (ﷺ) दम किया करते थे? उस ने कहा :जी हाँ जरूर , तो उन्होंने यह दुआ पढ़ी:

तर्जुमा: ऐ अल्लाह! लोगों के रब! तकलीफ को दूर कर देने वाले, शिफा अता फरमा, तू ही शिफा देने वाला है तेरे सिवा कोई शिफा देने वाला नहीं, ऐसी शिफा अता फरमा के बीमारी बिलकुल बाकी ना रहे।

📕 बुखारी : ५७४२

सलाम करने के आदाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“छोटों को चाहिए के बड़ों को सलाम करें और चलने वालों को चाहिए के बैठे हुए को सलाम करें और कम लोगों को चाहिए के ज़ियादा लोगों को सलाम करें।”

📕 अबू दाऊद : ५१९८, अन अबी हुरैरह (र.अ)

इस्लाम की दावत को ठुकराना एक बड़ा जुल्म

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“उस शख्स से बड़ा ज़ालिम कौन होगा, जो अल्लाह पर झूट बाँधे, जब के उसे इस्लाम की दावत दी जा रही हो और अल्लाह ऐसे जालिमों को हिदायत नहीं दिया करता।”

📕 सूरह सफ्फ ७

आपस में दुश्मनी रखने का गुनाह

आपस में दुश्मनी रखने का गुनाह

रसलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“हर पीर व जुमेरात को (अल्लाह की बारगाह में) आमाल पेश किए जाते है,
अल्लाह तआला उन दिनों में हर ऐसे आदमी की मगफिरत
फर्मा देता है जो अल्लाह के साथ किसी को शरीक नहीं करता मगर
( उन दो आदमियों की मगफिरत नहीं करता ) जिन के दर्मियान दुश्मनी हो

अल्लाह तआला फर्माता है जब तक यह दोनों
सुलह व सफाई न कर लें उन को उसी हाल पर छोड़े रखो।”

📕 मुस्लिम: ६५४६

शराबी की सज़ा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“जिस ने शराबनोशी की, अल्लाह तआला चालीस रात तक उस से खुश नहीं होगा। अगर वह (उसी हाल में) मर गया तो कुफ्र की हालत में मरेगा और अगर तौबा कर ली तो अल्लाह तआला उस की तौबा क़बूल फ़र्माएगा और अगर फिर शराब पी तो अल्लाह तआला उस को दोज़खियों का पीप पिलाएगा।”

📕 मुस्नदे अहमद : २७०५६

गुस्ल करने का सुन्नत तरीका

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब गुस्ले जनाबत फ़र्माते,
तो सबसे पहले हाथ धोते, फिर सीधे हाथ से बाएँ हाथ पर पानी डालते,
फिर इस्तिन्जे की जगह धोते, फिर जिस तरह नमाज के लिये वुजू किया जाता है उसी तरह वुजू करते,
फिर पानी लेकर अपनी उंगलियों के जरिये सर के बालों की जड़ों में दाखिल करते,
फिर तीन दफा दोनों हाथ भर कर यके बाद दीगर सर पर पानी डालते,
फिर सारे बदन पर पानी बहाते और सबसे अखीर में दोनों पाँव धोते।

📕 मुस्लिमः १८

मस्जिदे नबवी में चालीस नमाज़ों का सवाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जिस ने मेरी मस्जिद में चालीस नमाज़े अदा की और कोई नमाज़ कजा नहीं की, तो उस के लिए जहन्नम से बरात और अज़ाब से नजात लिख दी जाती है और निफ़ाक से बरी कर दिया जाता है।”

📕 मुसनदे अहमद : १२९४१, अन अनस (र.अ)

बिजली कड़कने और बादल गरजने के वक़्त की दुआ

अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर रज़ियल्लाहु अन्हुमा
जब बादल की गरज सुनते तो बातें छोड़ देते और यह दुआ पढ़ते।

(Subhanal-lathee yusabbihur-raAAdu bihamdih,
walmala-ikatu min kheefatih.)

📕 मुअत्ताः 2/992

तर्जुमा : पाक है वह ज़ात बादल की गरज जिसकी तस्बीह़ बयान करती है उसकी तारीफ के साथ और फ़रिश्ते भी उसके डर से उसकी तस्बीह़ पढ़ते हैं।

अपने भाइयों के दर्मियान सुलह किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“मुसलमान आपस में एक दूसरे के भाई है (अगर उनके दरमियान लड़ाई हो जाए) तो अपने दो भाइयों के दर्मियान सुलह करा दिया करो, और अल्लाह से डरते रहा करो, ताके तुम पर रहम किया जाए।”

📕 सूरह हुजरात: १०

नमाज़ों का सही होना जरूरी है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा, अगर नमाज़ अच्छी हुई तो बाकी आमाल भी अच्छे होंगे और अगर नमाज खराब हुई तो बाकी आमाल भी खराब होंगे।”

📕 तर्गीब व तहींब: ५१६

दुनिया की इमारतें साहिबे इमारत के लिए वबाल होगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) एक मर्तबा एक गुंबद वाली इमारत के पास से गुज़रे तो फर्माया :
“यह किस ने बनाया है? लोगों ने बताया के फलाँ शख्स ने, तो फर्मायाः

“क़यामत के दिन मस्जिद के अलावा हर इमारत साहिबे इमारत के लिए वबाल होगी।”

📕 शोअबुल ईमान : १०३०३, अन अनस बिन मालिक (र.अ)

हक को झुटलाने की सज़ा

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: 

“हमने उन (कौमे आद) के लोगों को उन चीजों की कुदरत दी थी के जिन की कुदरत तुम को नहीं दी और हमने उन को कान और आँखें और दिल अता किए थे। चूँकि वह अल्लाह की आयतों का इनकार करते थे, इसलिये न उन के कान उन के कुछ काम आए, न उन की आँखें और न उन के दिल; और जिस अजाब का वह मजाक उड़ाया करते थे उसी ने उन को आ घेरा।”

📕 सूर अल-अह्काफ़: २६

दस्त (बकरी की अगली रान) के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) को दस्त (अगली रान) का गोश्त बहुत पसन्द था।

📕 बुखारी : ३३४०, अन अबी हुरैरह (र.अ)

फायदा : अल्लामा इब्ने क़य्यिम ने लिखा है के बकरी के गोश्त में सब से हल्की गिज़ा का हिस्सा गरदन और दस्त है, उसके खाने से मेदे में भारीपन नहीं होता।

जो कुछ खर्च करना है दुनिया ही में कर लो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“हमने तुमको जो कुछ दिया है, उसमें से खर्च करो इससे पहले के तुम में से किसी को मौत आ जाए और फिर (मौत को देख कर ) कहने लगे के ऐ मेरे रब ! तूने मुझ को और थोड़े दिनों की मोहलत क्यों न दी, ताके खूब खर्च (सदका, खैरात) कर के नेक लोगों में शामिल हो जाता।”

📕 सूरह मुनाफिकून: १०

खुजली का इलाज

हजरत अनस बिन मालिक (र.अ) फर्माते हैं के :

रसूलल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ (र.अ) और जुबैर बिन अव्वाम (र.अ) को खुजली की वजह से रेशमी कपड़े पहनने की इजाजत मरहमत फर्माई थी।”

📕 बुखारी: ५८३९

फायदा: आम हालात में मर्दो के लिये रेश्मी लिबास पहनना हराम है, मगर जरूरत की वजह से माहिर हकीम या डॉक्टर कहे तो गुंजाइश है।

बाराह रकात नफ़्ल नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स एक दिन में बाराह रकात नफ़्ल नमाज़ पढ़ेगा, तो इन नमाज़ों बदले में उसके लिए जन्नत में एक घर बनाया जाएगा।”

📕 अबू दाऊदः १२५०, अन उम्मे हबीबा (र.अ)

अहले ईमान और क़यामत का दिन

۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) से पचास हज़ार साल के बराबर दिन (यानी क़यामत) के बारे में पूछा गया के वह कितना लम्बा होगा? तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“उस ज़ात की कसम जिस के कब्जे में मेरी जान है ! वह दिन मोमिन के लिये इतना मुख्तसर कर दिया जाएगा, जितनी देर में यह दुनिया में फर्ज़ नमाज अदा त किया करता था।”

📕 मुस्नदे अहमद : ११३२०

इन्कार करने वालो का अजाब

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो लोग हमारी आयतों का इन्कार करते रहे हैं, तो वही बडबख्त हैं, (जिन को बाएँ हाथ में नाम-ए-आमाल दिया जाएगा) उन पर चारों तरफ से बंद की हुई आग को मुसल्लत कर दिया जाएगा।”

📕 सूरह बलद: १९ ता २०

सजदा-ए-तिलावत की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) कुआन मजीद की तिलावत करते हुए आयते सज्दा पर पहुँचते तो इस दुआ को सज्दा-ए-तिलावत में पढ़ा करते –

(سجدہ وجهى على خلقه ومتى وبصره بحوله وقوته )

तर्जमा – मेरे चेहरे ने उस जात के लिये सज्दा किया जिसने उस को पैदा किया और अपनी कुदरत व कुव्वत से उसके कान और आँख खोले।

📕 तिर्मिज़ी:580, अन आयशा (र.अ)

अल्लाह की राह में खर्च करे

۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“तुम को क्या हो गया के तुम अल्लाह के रास्ते में खर्च नहीं करते, हालां के आसमान और जमीन की सब मीरास अल्लाह ही की है।”

📕 सूरह हदीद : १०

आधी धुप और आधी छाँव में न बैठे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी जगह बैठने से मना फरमाया है के जहाँ बदन का कुछ हिस्सा साए में हो और कुछ हिस्सा धूप में हो।

📕 इब्ने माजा: ३७२२

वजाहत: तिब्बी एतेबार से एक साथ धूप और साए में बैठना सेहत के लिये मुजिर है।

बगैर किसी उज्र के नमाज़ क़ज़ा करने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जो शख्स दो नमाज़ों को बगैर किसी उज्र के एक वक्त में पढ़े वह कबीरा गुनाहों के दरवाजों में से एक दरवाजे पर पहुँच गया।”

📕 मुस्तदरक : १०२०, अन इब्ने अब्बास (र.अ)

लोगों के लिये वही चीज पसंद करो जो तुम अपने लिये पसंद करते हो

रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

तक़वा व परहेजगारी इख्तियार करो, सब से बड़े इबादत गुजार बन जाओगे
और थोड़ी चीज पर रजामन्द हो जाओ सब से बड़े शुक्रगुज़ार बन जाओगे
और लोगों के लिये वही चीज पसंद करो जो तुम अपने लिये पसंद करते हो,
तुम (सच्चे) मोमिन बन जाओगे
और तुम अपने पड़ोसी के साथ हुस्ने सुलूक करो (पक्के) मुसलमान बन जाओगे
और कम हँसा करो, क्योंकि ज्यादा हँसने से दिल मुर्दा हो जाता है।”

📕 इब्ने माजा : ४२१७

जोड़ों के दर्द का इलाज

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़र्माया :

अंजीर खाओ (फिर उस की अहमियत बताते हुए इर्शाद फर्माया) अगर मैं कहता के जन्नत से कोई फल उतरा है तो यही है, क्यों कि जन्नत के फलों में गुठली नहीं है।”

(और अंजीर का यही हाल है) लिहाजा इसे खाओ, इस लिए के यह बवासिर को खत्म करता है और जोड़ो के दर्द में मुफीद है।”

📕 कंजुल उम्माल: २८२७६

गुनहगारों के साथ क़ब्र का सुलूक

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब गुनहगार या काफिर बन्दे को दफन किया जाता है, तो क़ब्र उससे कहती है : तेरा आना नामुबारक हो, मेरी पीठ पर चलने वालों में तू मुझे सब से ज़ियादा ना पसन्द था, जब तू मेरे हवाले कर दिया गया है और मेरे पास आ गया है, तो तू आज मेरी बद सुलूकी देखेगा, फिर क़ब्र उस को दबाती है और उस पर मुसल्लत हो जाती है, तो उस की पसलियाँ एक दूसरे में घुस जाती है।”

📕 तिर्मिज़ी : २४६०, अन अबी सईद (र.अ)

जमीन पर अकड़ कर मत चलो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जमीन पर अकड़ कर मत चलो (क्योंकि) तुम न तो जमीन को फाड़ सकते हो और ना तन कर चलने से पहाड़ों की बुलन्दी तक पहुँच सकते हो।”

📕 सूरह बनी इस्माईल : ३७

गुनाह से न रोकने का वबाल

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो आदमी ऐसे लोगों के दर्मियान रह कर गुनाह के काम करता हो के वह उस को रोकने पर कादिर हों, मगर फिर भी न रोकें तो अल्लाह तआला मरने से पहले उन को भी उस गुनाह के अज़ाब में मुब्तला कर देगा।”

📕 अबू दाऊद: ४३३९-हसन

कै (उल्टी) के जरिये इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने कै (Vomit) की और फिर वुजू फ़रमाया।

📕 तिर्मिजी : ८७

वजाहत : अल्लामा इब्ने कय्यिम (रह.) लिखते हैं : कै(उलटी) से मेअदे की सफाई होती है और उस में ताकत आती है, आँखों की रौशनी तेज होती है, सर का भारी पन खत्म हो जाता है। इस के अलावा और भी बहुत से फवायद हैं।

रसूलल्लाह (ﷺ) की नाफ़रमानी करने का गुनाह

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“मेरे सब उम्मती जन्नत में जाएंगे मगर जिसने इन्कार कर दिया (वह जन्नत में दाखिल न होगा। ) अर्ज़ किया गया : या रसूलल्लाह (ﷺ) इन्कार कौन करेगा? फ़रमाया : जिसने मेरी इताअत की जन्नत में दाखिल हो गया और जिसने मेरी फ़रमानी की तो उसने इन्कार किया।

📕 बुखारी : ७२८० अन अबी हुरैरह (र.अ)

सच्ची गवाही को छुपाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“तुम गवाही मत छुपाया करो और जो शख्स इस (गवाही) को छुपाएगा, तो बिला शुबा उस का दिल गुनहगार होगा और अल्लाह तआला तुम्हारे किए हुए कामों को खूब जानता है।”

📕 सूरह बकराह 283 

अहेद और कस्मों को तोड़ने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“यक़ीनन जो लोग अल्लाह तआला से अहेद कर के उस अहेद को और अपनी क़स्मों को थोड़ी सी कीमत पर फरोख्त कर डालते हैं, तो ऐसे लोगों का आखिरत में कोई हिस्सा नहीं और न अल्लाह तआला उनसे बात करेगा और न कयामत के दिन (रहमत की नज़र से) उनकी तरफ देखेगा और न उन को पाक करेगा और उन के लिये दर्दनाक अजाब होगा।”

📕 सूरह आले इमरान : ७७

दुनिया में उम्मीदों का लम्बा होने का फितना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“मुझे अपनी उम्मत पर सब से ज़ियादा डर ख्वाहिशात और उम्मीदों के बढ़ जाने का है, ख्वाहिशात हक़ से दूर कर देती हैं और उम्मीदों का लम्बा होना आखिरत को भुला देता है, यह दुनिया भी चल रही है और हर दिन दूर होती चली जा रही है और आखिरत भी चल रही है और हर दिन करीब होती जा रही है।”

(यानी हर वक़्त ज़िन्दगी कम होती जा रही है और मौत करीब आती जा रही है, इसलिये आखिरत की तैयारी में लगे रहना चाहिए)

📕 कंजुल उम्माल : ४३७५८