कयामत का मंजर
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“अगर (आखिरत के हौलनाक अहवाल के मुतअल्लिक) तुम्हें वह सब मालूम हो जाए जो मुझे मालूम है, तो तुम्हारा हँसना बहुत कम हो जाए और रोना बहुत बढ़ जाए।”
अच्छे और बुरे बराबर नहीं हो सकते
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“क्या वह लोग जो बुरे काम करते हैं, यह समझते हैं के हम उन्हें और उन लोगों को बराबर कर देंगे जो ईमान लाते हैं और नेक अमल करते हैं के उन का मरना और जीना बराबर हो जाए, उनका यह फैसला बहुत ही बुरा है।”
खुशू व खुजू से नमाज़ अदा करना
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जो कोई खूब अच्छी तरह वुजू करे और दो रकात नमाज खुशू खुजू के साथ पड़े तो उस के लिये जन्नत वाजिब हो गई।”
गुर्दे की बीमारियों का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –
“पहलू के दर्द का सबब गुर्दे की नस है, जब वह हरकत करती है, तो इन्सान को तकलीफ होती है लिहाज़ा उसका इलाज गर्म पानी और शहद से करो।”
📕 मुस्तदरक हाकिम : ८२३७, अन आयशा रज़ि०
फाएदा: गुर्दे में जब पथरी वगैरह हो जाती है, तो कूल्हों में दर्द होता है, अकसर इसी दर्द ही की वजह से बीमारी का पता चलता है, उसका इलाज आप ने यह बतलाया के गर्म पानी और शहद मिला कर पियो।
हराम चीज़ों का बयान
क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –
“तुम पर मरा हुआ जानवर, खून और खिंजीर का गोश्त हराम कर दिया गया है और वह जानवर भी जिस पर (ज़िब्हा करते वक्त) अल्लाह के अलावा किसी दूसरे का नाम लिया गया हो।”
अल्लाह तआला अपने बंदे से क्या कहता है?
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“अल्लाह तआला फ़र्माता है : ऐ इब्ने आदम ! तू मेरी इबादत के लिए फारिग हो जा, मैं तेरे सीने को मालदारी से भर दूंगा और तेरी मोहताजगी को खत्म कर दूंगा और अगर ऐसा नहीं करेगा, तो मैं तेरे सीने को मशगूली से भर दूंगा और तेरी मोहताजगी को बंद नहीं करूंगा।”
किसी इज्जत की हिफाज़त करने का सवाब
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जिस ने पीठ पीछे अपने भाई की इज्जत की हिफाजत की। अल्लाह तआला अपनी जिम्मेदारी से उस को (जहन्नम की) आग से आज़ाद कर देगा।”
माँगने वाले को नरमी से जवाब देना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“माँगने वाले को नरमी से जवाब देना और उस को माफ कर देना उस सदके और ख़ैरात से बेहतर है, जिस के बाद तकलीफ पहुँचाई जाए, (याद रहे) अल्लाह तआला बड़ा बे नियाज और ग़ैरतमन्द है।”
रुकू व सज्दा अच्छी तरह न करने पर वईद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“बदतरीन चोरी करने वाला शख्स वह है जो नमाज़ में से भी चोरी कर ले,
सहाबा ने अर्ज किया : या रसूलल्लाह (ﷺ) ! नमाज़ में से कोई किस तरह चोरी करेगा ?
फर्माया : वह रुकू और सज्दा अच्छी तरह से नहीं करता है।”
कंजूसी करने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो लोग अल्लाह तआला के अता करदा माल व दौलत को (खर्च करने में) बुख्ल (कंजूसी) करते हैं, वह बिल्कुल इस गुमान में ना रहें के (उनका यह बूख्ल करना) उनके लिये बेहतर है, बल्के वह उन के लिये बहुत बुरा है,
कयामत के दिन उनके जमा करदा माल व दौलत को तौक बनाकर गले में पहना दिया जाएगा और आसमान व जमीन का मालिक अल्लाह तआला ही है और अल्लाह तआला तुम्हारे आमाल से बाखबर है।”
बीवियों के साथ अच्छा सुलूक करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“ईमान वालों में ज़ियादा मुकम्मल ईमान वाले वह लोग हैं, जो अखलाक में ज्यादा अच्छे हैं और तुम में सबसे अच्छे वह लोग हैं जो अपनी बीवियों के साथ अच्छा बरताव करते हैं।”
हँसाने के लिये झूट बोलने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“उस शख्स के लिये हलाकत है, जो लोगों को हँसाने के लिये कोई बात कहे और उसमें झूट बोले, उसके लिये हलाकत है, हलाकत है।”
दोज़ख़ में बिच्छू के डसने का असर
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“दोजख में खच्चरों की तरह बिच्छू हैं, एक बार जब उनमें से एक बिच्छू डसेगा, तो दोजखी चालीस साल तक उस की जलन महसूस करेगा।”
काफ़िरों के माल से तअज्जुब न करना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“तुम उन (काफ़िरों) के माल और औलाद से तअज्जुब में मत पड़ना, कयोंकि अल्लाह तआला दुनियाही की ज़िंदगी में उन काफ़िरों को अज़ाब में मुब्तला करना चाहता है और जब उनकी जान निकलेगी, तो कुफ्र की हालत में मरेंगे।”
खुलासा : काफ़िरों को माल व औलाद जो दी जाती है, उन की ज़ियादती से किसी को तअज्जुब नहीं होना चाहिए, क्योंकि उन्हें अल्लाह तआला उन चीज़ों के ज़रिए उन की नाफ़र्मानी और बगावत की वजह से अज़ाब देना चाहता है।
बेवा और मिस्कीन की मदद करने की फजीलत
रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“बेवा और मिस्कीन के कामों में जद्दो जहद करने वाला अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने वाले के बराबर है।”
मर्द व औरत का एक दूसरे की नकल करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी औरत पर लानत फर्माई जो मर्द की नक्ल इख्तियार करती हैं और ऐसे मर्द पर लानत फ़रमाई जो औरतों की मुशाबहत इख्तियार करता है।
खुलासा: मर्द का औरतों की शक्ल व सूरत इख्तियार करना और औरत का मर्दो की शक्ल इख्तियार करना नाजाइज़ और हराम है।
देवर तो मौत है | शौहर के भाइयों से परदे का हुक्म
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“ना महरम) औरतों के पास आने जाने से बचो!
एक अन्सारी सहाबी ने अर्ज किया : देवर के बारे में आप क्या फ़र्माते हैं ?
तो आप (ﷺ) ने फर्माया: देवर तो मौत है।”
वजाहत: शौहर के भाई वगैरह से परदा करना इन्तेहाई जरूरी है
और उस से इस तरह बचना चाहिये। जिस तरह मौत से बचा जाता है।
कयामत के दिन पहाड़ों का हाल
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:
“लोग आपसे पहाड़ों के बारे में सवाल करते हैं। तो आप (ﷺ) फ़र्मा दीजिये के मेरा रब उन को बिल्कुल उड़ा देगा, फिर वह जमीन को हमवार मैदान कर देगा, तुम उस में कोई टेढ़ापन और बुलन्दी नहीं देखोगे।”
99 बीमारियों की दवा (ला हौल वला कुव्वत इल्ला बिल्लाह)
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
जो शख्स “ला हौल वला कुव्वत इल्ला बिल्लाह” पढेगा,
तो यह निनान्वे मर्ज की दवा है,
जिस में सबसे छोटी बीमारी रंज व ग़म है।
हलाल कमाई से मस्जिद बनाने की फजीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“जिस ने हलाल कमाई से अल्लाह की इबादत के लिये घर बनाया, तो अल्लाह तआला उस के लिये जन्नत में कीमती मोती और याकूत का शानदार घर बनाएगा।”
शहीद कौन कौन लोग हैं
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“पाँच लोग शहीद हैं। ताऊन में मरने वाला, पेट की बीमारी में मरने वाला, डूब कर मरने वाला, दीवार वग़ैरा के गिरने से मरने वाला और राहे ख़ुदा में कत्ल होने वाला।”
कुफ्र की सज़ा जहन्नम है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जो लोग कुफ्र करते हैं तो अल्लाह तआला के मुकाबले में उन का माल और उन की औलाद कुछ काम नहीं आएगी और ऐसे लोग ही जहन्नम का इंधन होंगे।”
अल्लाह के रास्ते में जाने वाले को दुआ देना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक जमात को अल्लाह के रास्ते में रवाना करते हुए फ़रमाया :
“अल्लाह के नाम पर सफर शुरू करो और यह दुआ दी:
तर्जमा: ऐ अल्लाह! इनकी मदद फ़र्मा।
अहले जन्नत का हाल
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जो लोग अपने रब से डरते रहे, वह गिरोह के गिरोह हो कर जन्नत की तरफ रवाना किए जाएंगे, यहाँ तक के जब उस (जन्नत) के पास पहुंचेंगे और उस के दरवाजे (पहले से) खुले हुए होंगे और जन्नत के मुहाफ़िज़ (फरिश्ते) उन से कहेंगे, तुम पर सलामती हो, अच्छी तरह (मजे में) रहो, जाओ जन्नत में हमेशा हमेशा के लिये दाखिल हो जाओ।”
बाएँ हाथ से ना खाएं और ना पियें
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“तुम में से कोई अपने बाएँ हाथ से हरगिज़ न खाए और न बाएँ हाथ से पिये, क्योंकि शैतान अपने बाएँ हाथ से खाता पीता है।”
अज़ान देने की फ़ज़ीलत
रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जिस शख्स ने बारा साल तक अजान दी, उस के लिये जन्नत वाजिब हो गई और हर रोज अजान के बदले उसके लिये साठ नेकियाँ लिखी जाएँगी और हर तक्बीर पर तीस नेकियाँ मिलेंगी।”
फसाद करने वालों पर गलबा पाने की दुआ
फसाद करने वालों पर गलबा पाने की दुआ
फितना व फसाद करने वालों पर गलबा पाने के लिये क़ुरआन की इस दुआ का एहतेमाम करना चाहिये:
۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞
قَالَ رَبِّ انصُرْنِي عَلَى الْقَوْمِ الْمُفْسِدِينَ
“Rabbi onsurnee AAala alqawmi almufsideena”
तर्जुमा: ऐ मेरे परवरदिगार ! मुझे फसाद करने वाली कौम पर गलबा अता फर्मा।
शौहर की विरासत में बीवी का हिस्सा
कुरआन में अल्लाह तअला फर्माता है :
“उन औरतों के लिये तुम्हारे छोड़े हुए माल में चौथाई हिस्सा है, जब के तुम्हारी कोई औलाद न हो अगर तुम्हारी औलाद हो तो उन के लिये तुम्हारे छोड़े हुए माल में आठवाँ हिस्सा है (उन को यह हिस्सा) तुम्हारी वसिय्यत और कर्ज को अदा करने के बाद मिलेगा।”
फायदा : शौहर के इन्तेकाल के बाद अगर उस की कोई औलाद न हो, तो बीवी को शौहर के माल का चौथाई हिस्सा देना और अगर कोई औलाद हो, तो आठवाँ हिस्सा देना जरूरी है।
अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो
और हर शख्स को इस बात पर गौर करना चाहिये के
उस ने कल (आखिरत) के लिये क्या आगे भेजा है
और अल्लाह से डरते रहो
और अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है।”
शहद और कुरआन से शिफा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम अपने लिए शिफा की दो चीजों : यानी शहद और कुरआन को लाजिम पकड़लो।”
अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे
अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“यह ( कुरआन ) एक बाबरकत किताब है,
जिस को हम ने आप पर इस लिये नाजिल किया है के
लोग उस की आयतों में गौर व फिक्र करें
और अक्लमंद लोग उस से नसीहत हासिल करे।
हर नबी का हौज होगा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“हर नबी के लिये एक हौज़ होगा और अम्बिया आपस में फख्र करेंगे के किस के हौज़ पर ज़ियादा उम्मती पानी पीने के लिये आते हैं।
मुझे उम्मीद है के मेरे हौज पर आने वालों की तादाद सबसे ज़ियादा होगी।”
वुजू में चमड़े के मोज़े पर मसह करना
हज़रत अली (र.अ) फ़र्माते हैं :
“मैं ने हुजूर (ﷺ) को मोज़े के ऊपर के हिस्से पर मसह करते देखा।”
नोट: जब किसी ने बावुजू चमड़े का मोज़ा पहेना हो, फिर वुजू टूट जाए,
तो वुजू करते वक्त उन मोजों के ऊपरी हिस्से पर मसह करना जरूरी है।
माल की मुहब्बत खुदा की नाशुक्री का सबब है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“इन्सान अपने रब का बड़ा ही नाशुक्रा है, हालाँ के उसको भी इस की खबर है (और वह ऐसा मामला इस लिये करता है) के उस को माल की मुहब्बत ज़ियादा है।”
मौसमी फलों के फवाइद
कुरान में अल्लाह तआला फ़र्माता है
“जब वह दरख्त फ़ल ले आएँ तो उन्हें खाओ।”
फायदा: मौसमी फलों का इस्तेमाल सेहत के लिए बेहद मुफीद है और बहुत सी बीमारियों से हिफ़ाज़त का ज़रिया है, लिहाज़ा अगर गुंजाइश हो तो ज़रूर इस्तेमाल करना चाहिए।
मौत की सख्ती के वक़्त की दुआ
हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के,
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने मौत से पहले यह दुआ पढ़ी थी :
तर्जमा: ऐ अल्लाह! मौत की सख्तियों और बेहोशियों पर मेरी मदद फ़र्मा।
📕 तिर्मिजी : ९७८
नफ़्स की बुराई से पनाह माँगने की दुआ
रसूलल्लाह (ﷺ) ने हजरत इमरान बिन हुसैन (र.अ) के वालिद को यह दुआ सिखाई:
तर्जमा: ऐ अल्लाह! मेरे दिल में भलाई डाल दे और मेरे नफ़्स की बुराई से मुझे बचा दे।
मस्जिद में दाखिल होने के लिए पाक होना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“किसी हाइजा औरत और किसी जनबी : यानी नापाक आदमी के लिए मस्जिद में दाखिल होने की बिल्कुल इजाजत नहीं है।”
📕 अबू दाऊद : २३२, अन आयशा (र.अ)
वजाहत: मस्जिद में दाखिल होने के लिये हैज व निफ़ास और जनाबत से पाक होना जरुरी है।
अल्लाह की राह में खर्च करे
۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“तुम को क्या हो गया के तुम अल्लाह के रास्ते में खर्च नहीं करते, हालां के आसमान और जमीन की सब मीरास अल्लाह ही की है।”
दुनियावी ज़िन्दगी धोका है
दुनियावी जिन्दगी एक धोका है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“दुनियावी ज़िन्दगी तो कुछ भी नहीं सिर्फ धोके का सौदा है।”
📕 सूरह आले इमरान : १८५
“ऐ लोगो! बेशक अल्लाह तआला का वादा सच्चा है, फिर कहीं तुम को दुनियावी जिन्दगी धोके में न डाल दे और तुम को धोके बाज़ शैतान किसी धोके में न डाल दे, यकीनन शैतान तुम्हारा दुश्मन है। तुम भी उसे अपना दुश्मन ही समझो। वह तो अपने गिरोह (के लोगों) को इस लिये बुलाता है के वह भी दोज़ख वालों में शामिल हो जाएँ।”
📕 सूरह फातिर ५ ता ६
“ऐ इन्सान ! तुझे अपने रब की तरफ से किस चीज़ ने धोके में डाल रखा है (कि तू दुनिया में पड़ कर उसे भुलाए रखता है हालाँकि) उस ने तुझे पैदा किया (और) फिर तेरे तमाम आज़ा एक दम ठीक अन्दाज़ से बनाए। (फिर भी तू उससे गाफिल है)।”
📕 सूरह इन्फित्तार; ६
फायदा : जिस तरह माल के जाहिर को देख कर खरीदार फँस जाता है, इसी तरह इंसान दुनिया की चमक दमक से धोका खा कर आखिरत से गाफिल हो जाता है, इसलिए इन्सानों को दुनिया की चमक दमक से होशियार रहना चाहिए।
वालिद के दोस्तों के साथ अच्छा बर्ताव करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“नेकियों में बेहतरीन नेकी यह है के आदमी अपने वालिद के दोस्तों के साथ अच्छा बर्ताव करे।”
झूठे बादशाह का अंजाम: हदीस
झूठे बादशाह का अंजाम: हदीस
अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया:
“अल्लाह तआला रोज़े क़यामत 3 तरह के लोगो से न कलाम करेगा और न ही उनकी तरफ नज़रे रेहमत से देखेगा, और उनको दर्दनाक अजाब में मुब्तेला करेगा, और वो 3 ये लोग होंगे:
“बुढा जानी, झूठा बादशाह और मुतक्कबिर फ़क़ीर।”
बगैर किसी उज्र के नमाज़ क़ज़ा करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जो शख्स दो नमाज़ों को बगैर किसी उज्र के एक वक्त में पढ़े वह कबीरा गुनाहों के दरवाजों में से एक दरवाजे पर पहुँच गया।”
कसरत से अल्लाह का जिक्र करना
अब्दल्लाह बिन अबी औफ़ (र.अ) बयान करते हैं के :
“रसुलल्लाह (ﷺ) कसरत से (अल्लाह का) जिक्र फरमाते, बेजा बात ना फरमाते, नमाज़ लम्बी पढ़ते, खुत्बाब मुख्तसर देते और बेवाओं और मिस्कीनों की जरुरत पूरी करने के लिए चलने में आर और शर्म महसूस न फरमाते।”
फसाद फैलाने की सज़ा
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:
“जो लोग अल्लाह और उसके रसूल से लड़ते हैं, जमीन में फसाद करने की कोशिश करते हैं, ऐसे लोगों की बस यही सजा है के वह कत्ल कर दिये जाएं या सूली पर चढ़ा दिये जाएँ या उनके हाथ और पाँव मुखालिफ जानिब से काट दिये जाएं या वह मुल्क से बाहर निकाल दिये जाएँ। यह सजा उन के लिये दुनिया में सख्त रुसवाई (का जरिया) है और आखिरत में उनके लिये बहुत बड़ा अजाब है।”
कयामत के दिन जमीन का लरज़ना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जब ज़मीन पूरी हरकत से हिला दी जाएगी और जमीन अपने बोझ (मुर्दे और खज़ाने) बाहर निकाल देगी और इन्सान कहेगा के इस ज़मीन को क्या हो गया है? उस दिन जमीन अपनी बातें बयान कर देगी, इस लिए के आपके रब ने उसको हुक्म दिया होगा।”
खाने पीने की चीजों में गौर करने की दावत
क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –
“इन्सान को अपने खाने में गौर करना चाहिये के हम ने खूब पानी बरसाया, फिर हम ने अजीब तरीके से जमीन को फाड़ा, फिर हम ने उस ज़मीन में से ग़ल्ला, अंगूर, तरकारी, ज़ैतून और खजूर, घने बाग़, मेवे और चारा पैदा किया। यह सब तुम्हारे और तुम्हारे जानवरों के फायदे के लिये हैं।”
औरतों का खुशबु लगाकर बाहर निकलने का गुनाह
रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो औरत इत्र लगा कर लोगों के पास से गुजरे, ताके लोग उस की खुश्बू महसूस करें, तो वह ज़ानिया है और हर (देखने वाली) आँख जिनाकार होगी।”
📕 तिर्मिज़ी : २७८६, अबी मूसा (र.अ)
ज़ानिया: जीना करने वाली खातून
किसी मुसलमान की ग़ीबत और बेइज्जती की सजा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जिस ने किसी मुसलमान (की गीबत की और उस की ग़ीबत) के बदले में एक लुक्मा भी खाया, तो कयामत के दिन अल्लाह तआला उस को एक लुक्मा जहन्नम से खिलाएगा और जिस ने किसी (मुसलमान की बेइज्जती की और उस) के बदले में उस को कपड़ा पहनने को मिला, तो कयामत के दिन अल्लाह तआला उस को उसी कद्र जहन्नम से पहनाएंगा।”
इस्लाम की दावत को ठुकराना एक बड़ा जुल्म
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“उस शख्स से बड़ा ज़ालिम कौन होगा, जो अल्लाह पर झूट बाँधे, जब के उसे इस्लाम की दावत दी जा रही हो और अल्लाह ऐसे जालिमों को हिदायत नहीं दिया करता।”
फज़्र और अस्त्र की नमाज़ पाबन्दी से अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“हरगिज़ वह आदमी जहन्नम में दाखिल नहीं हो सकता, जो सूरज निकलने से पहले फज़्र की नमाज और सूरज गुरूब होने से पहले अस्र की नमाज़ पढ़े।”
छह चीजों की जमानत: जब बात करो तो सच बोलो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम अपनी तरफ से मुझे छह चीजों की जमानत दे दो मैं तुम्हें जन्नत की जमानत देता हूँ। जब तुम बात करो तो सच बोलो, जब वादा करो तो पूरा करो, जब तुम्हारे पास अमानत रखी जाए तो अमानत अदा करो, अपनी शर्मगाहों की हिफाजत करो, अपनी आँखों को नीचे रखो और अपने हाथों को (जुल्म व सितम से) रोके रखो।”
जन्नत का मौसम
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“उन (अहले ईमान) के सब्र के बदले में (उन्हें) जन्नत और रेशमी लिबास अता किया जाएगा, उन की यह हालत होगी के जन्नत में मसेहरियों पर तकिये लगाए बैठे होंगे, वहाँ उन्हें न गर्मी का एहसास होगा और न वह सर्दी महसूस करेंगे।”
अगर किसी बात पर तुम में इख़्तेलाफ़ हो जाए
कुरआन में अल्लाह तआला फर्रमाता है :
“अगर किसी बात पर तुम में इख़्तेलाफ़ हो जाए, तो अल्लाह और उसके रसूल के हुक्म की तरफ रूजूअ करो, अगर तुम अल्लाह और क़यामत के दिन पर ईमान रखते हो, यह तरीका तुम्हारे लिये बेहतर है और अच्छा भी है।”
कर्ज ना लौटाने की निय्यत से लेने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो शख्स लोगों का माल (बतौर क़र्ज़) लेता है और उसे अदा करना चाहता हो तो उसकी तरफ से अल्लाह अदा फरमा देता है, लेकिन जो शख्स लोगों का माल वापस ना करने के इरादा से लेता है तो अल्लाह भी उसे तबाह कर देता है।
एक और रिवायत में आप ﷺ ने फ़र्माया :
“जो शख्स किसी से क़र्ज़ ले और दिल में यह पक्का इरादा कर रखे के कर्ज पूरा पूरा नहीं लौटाएगा, तो वह (क़यामत के दिन) अल्लाह से एक चोर की हालत में मुलाकात करेगा।”
अल्लाह इस बुरी सिफ़त से सबकी हिफाज़त फरमाए। अमीन
हिकमत के लिये दुआ
हिकमत और सलाह व तकवा हासिल करने के लिये यह दुआ पढ़ें:
तर्जुमा: ऐ हमारे परवरदिगार! हमें हिकमत अता फ़रमा
और नेक लोगों के साथ शामिल फरमा।
अहले जन्नत की नेअमत: अहले जन्नत ऐश व राहत में होंगे
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:
“बेशक अहले जन्नत (ऐश व राहत के) मजे ले रहे होंगे, वह और उन की बीवियाँ सायों में मसहेरियों पर तकिये लगाए बैठे होंगे और उन के लिये उस जन्नत में हर किस्म के मेवे होंगे और जो वह तलब करेंगे उनको मिलेगा।”
मुसाफा से गुनाहों का झड़ना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब मोमिन दूसरे मोमिन से मिल कर सलाम करता है और उस का हाथ पकड़ कर मुसाफा करता है, तो उन दोनों के गुनाह इस तरह झड़ते हैं जैसे दरख्त के पत्ते गिरते हैं।”
ऑपरेशन से फोड़े का इलाज
हजरत अस्मा बिन्ते अबी बक्र (र.अ) कहती हैं के : मेरी गर्दन में एक फोड़ा निकल आया, जिसका जिक्र हुजूर (ﷺ) से किया गया, तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया :
“उसे खोल दो (फोड़ दो) और छोड़ो मत, वरना गोश्त खाएगा और खून चूसेगा, (यानी उसका खराब माद्दा अगर वक्त पर न निकाला गया तो ज़ख्म को और ज़ियादा बढाकर गोश्त और खून को बिगाड़ता रहेगा)।”
अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
” ऐ ईमान वालो! तुम अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो
और (शरीअत के मुताबिक फैसला करने वाले) हाकिमों की भी इताअत करो।”
फराइज़ की अदायगी का सवाब
एक आदमी रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में हाजिर हुआ और अर्ज़ किया:
“या रसूलल्लाह ! अगर मैं इस बात की शहादत दू के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और आप अल्लाह के सच्चे रसूल है और पाँच वक्त की नमाज पढ़ता रहूँ और जकात देता रहु और रमज़ान के रोज़े रखा करूँ और उस की रातों में इबादत किया करूं तो मेरा शुमार किन लोगों में होगा?
आप (ﷺ) ने फ़रमाया: तम्हारा शुमार सिद्दिक़ीन और शोहदा में होगा।”
अमानत का वापस करना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“अल्लाह तआला तुम को हुक्म देता है के जिन की अमानतें हैं उनको लौटा दो।”
फायदा : अगर किसी ने किसी शख्स के पास कोई चीज़ अमानत के तौर पर रखी हो तो मुतालबे के वक़्त उसका अदा करना जरूरी है।
हौजे कौसर की कैफियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“हौज़े कौसर के बर्तन सितारों के बराबर होंगे, उस से जो भी इन्सान एक घूंट पी लेगा तो हमेशा के लिए उसकी प्यास बुझ जाएगी।”
कै (उल्टी) के जरिये इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने कै (Vomit) की और फिर वुजू फ़रमाया।
वजाहत : अल्लामा इब्ने कय्यिम (रह.) लिखते हैं : कै(उलटी) से मेअदे की सफाई होती है और उस में ताकत आती है, आँखों की रौशनी तेज होती है, सर का भारी पन खत्म हो जाता है। इस के अलावा और भी बहुत से फवायद हैं।
गुमराही इख्तियार करने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जो लोग अल्लाह तआला के रास्ते से भटकते हैं, उनके लिये सख्त अज़ाब है, इस लिये के वह हिसाब के दिन को भूले हुए हैं।”
कब्र का अज़ाब बरहक है
रसूलुल्लाह (ﷺ) दो कब्रों के करीब से गुजरे, आप ने फ़र्माया :
“इन दो कब्र वालों को अज़ाब हो रहा है, इन्हें किसी बड़े गुनाह की वजह से अज़ाब नहीं दिया जा रहा है, इन में से एक तो पेशाब (के छींटों) से नहीं बचता था और दूसरा चुगलखोरी किया करता था।”
📕 बुखारी: २१८. अन इब्ने अब्बास (र.अ)
वजाहत: इस हदीस से मालूम हुआ के कब्र का अज़ाब बरहक है और इन्सानों को अपने गुनाहों की सजा कब्र से ही मिलनी शुरू हो जाती है।
नफा न पहुँचाने वाली नमाज़ से पनाह मांगना
हजरत अनस (र.अ) का बयान है के
रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फरमाते थे :
तर्जुमा : ऐ अल्लाह! मैं तेरी पनाह चाहता है उस नमाज से जो नफा न पहुँचाती हो।
अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों तो!
अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों तो!
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“ऐ इमान वालो ! तुम्हारे बाप और भाई अगर ईमान के मुकाबले में कुफ्र पसंद करते हों, तो तुम उनको अपना दोस्त न बनाओ और तुम में से जो शख्स उनसे दोस्ती करेगा, तो वही जुल्म करने वाले होंगे।”
ज़रूरत से ज्यादा सामान शैतान के लिये
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ) से फ़र्माया :
“एक बिस्तर आदमी के लिये और एक उसकी बीवी के लिये और तीसरा मेहमान के लिये और चौथा शैतान के लिये होता है।”
बिला शुबा यह कुरआन एक नसीहत है
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“बिला शुबा यह कुरआन एक नसीहत है तो जो शख्स चाहे अपने रब तक पहुँचने का रास्ता इख्तियार कर ले और तुम अल्लाह की मर्जी के बगैर कुछ नहीं चाह सकते, अल्लाह तआला बड़े इल्म व हिकमत का मालिक है।”
मौत को कसरत से याद करने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“दिलों में भी ज़ंग लगता है, जैसे के लोहे में जब पानी लग जाता है” तो पूछा गया (दिलों का ज़ंग) कैसे दूर होगा? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया “मौत को खूब याद करने और क़ुरआन पाक की तिलावत से।”
दुनिया की रगबत का खौफ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“मैं तुम से पहले जाने वाला हूँ और मैं तुम पर गवाह हूँ, तुमसे मिलने की जगह हौज़ होगी और अब मैं यहाँ खड़े हो कर उसे देख रहा हूँ, मुझे इस बात का अन्देशा नहीं के तुम मेरे बाद शिर्क करोगे, मगर इस बात का डर है के तुम कहीं दुनिया में रगबत न करने लगो।”
आपस में झगड़ा न करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“तुम अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो
और आपस में झगड़ा न करो,
वरना तुम बुजदिल हो जाओगे
और दुश्मन के मुकाबले में तुम्हारी हवा उखड़ जाएगी
और (मुसीबत के वक्त) सब्र करो,
बेशक अल्लाह तआला सब्र करने वालों के साथ है।”
माल व औलाद दुनिया के लिए ज़ीनत
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“माल और औलाद यह सिर्फ दुनिया की जिंदगी की एक रौनक है और (जो) नेक आमाल हमेशा बाकी रहने वाले हैं, वह आप के रब के नज़दीक सवाब और बदले के एतेबार से भी बेहतर हैं और उम्मीद के एतेबार से भी बेहतर हैं।”
(लिहाज़ा नेक अमल करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए और उस पर मिलने वाले बदले की उम्मीद रखनी चाहिए।)
मरीज़ के अयादत की फ़ज़ीलत
हज़रत अली (रज़ीअल्लाहु अन्हु) कहते है के ;
“जो शख्स किसी बीमार की दिन के आखिर हिस्से (शाम) में अयादत करता है तो इसके साथ सत्तर हज़ार फ़रिश्ते निकलते है और फज़र तक इस के लये मगफिरत की दुआ करते है, और इस के लिए जन्नत में एक बाग़ होता है, और जो शख्स दिन के इब्तेदाई (सुबह) में अयादत के लिए निकलता है इसके लिए सत्तर हज़ार फ़रिश्ते निकलते और शाम तक इस के लिए दुआ-ऐ-मग़फ़िरत करते है और इसके लिए जन्नत में एक बाग़ है।”
मेहमान की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है
मेहमान की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जो आदमी अल्लाह और यौमे आखिरत पर ईमान रखता हो, उसे अपने मेहमान का इकराम करना चाहिये, एक दिन व रात की खिदमत उस का जाइज हक़ है और उस की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है, उस के बाद की मेजबानी उस के लिये सदक़ा है और मेहमान के लिये जियादा दिन ठहर कर मेजबान को तंगी में मुब्तला करना जाइज नहीं है।”
गुनहगारों को नेअमत देने का मक्सद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तू यह देखे के अल्लाह तआला किसी गुनहगार को उस के गुनाहों के बावजूद दुनिया की चीजें दे रहा है तो यह अल्लाह तआला की तरफ से ढील है।”
कब्र की पुकार
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“कब्र रोज़ाना पुकार कर कहती है, मैं तन्हाई का घर हूँ, मैं मिट्टी का घर हूँ, मैं कीड़े मकोड़े का घर हूँ।”
किसी बुराई को देखे तो उसे रोकने की कोशिश करे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“तुम में से जो शख्स किसी बुराई को देखे तो उसे अपने हाथ से रोके अगर इस की ताकत न हो तो अपनी ज़बान से रोके, फिर अगर इस की भी ताकत न हो तो दिल से उस जाने और यह ईमान का सब से कमजोर दर्जा है।”
अगर कोई फासिक खबर लाये तो तहक़ीक़ किया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“ऐ ईमान वालो! अगर कोई फासिक तुम्हारे पास कोई खबर, लेकर आए, तो उस की तहक़ीक़ कर लिया करो, कहीं ऐसा न हो, के तुम किसी कौम को अपनी ला इल्मी से कोई नुकसान पहुँचादो, फिर तुम को अपने किये पर पछताना पड़े।”
अहले जन्नत का इनाम : उस दिन बहुत से चेहरे तर व ताजा होंगे
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता :
“उस दिन बहुत से चेहरे तर व ताजा होंगे, अपने (नेक) आमाल की वजह से खुश होंगे, ऊँचे ऊँचे बागों में होंगे। वह उन बागों में कोई बेहूदा बात नहीं सुनेंगे। उनमें चश्मे बह रहे होंगे।”
जन्नतुल फिरदौस का दर्जा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तुम अल्लाह तआला से सवाल करो, तो जन्नतुल फिरदौस का सवाल किया करो, क्योंकि वह जन्नत का सबसे अफजल और बुलंद दर्जा है और उसके ऊपर रहमान का अर्श है और उसीसे जन्नत की नहरें निकलती हैं।”
माल के मुताल्लिक़ फ़रिश्तों का एलान
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“हर रोज़ जब अल्लाह के बन्दे सुबह को उठते हैं, दो फरिश्ते नाज़िल होते हैं उनमें से एक कहता है।
ऐ अल्लाह! (अच्छे कामों में) खर्च करने वाले को मज़ीद अता फ़रमा और दूसरा कहता है ऐ अल्लाह ! माल को (अच्छे कामों में खर्च करने के बजाए) रोक कर रखने वाले का माल ज़ाये फ़रमा।”
आखिरत दुनिया से बेहतर है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“तुम दुनियावी जिंदगी को मुकद्दम रखते हो, हालांके ! आखिरत दुनिया से बेहतर है और बाकी रहने वाली है (इसलिए आखिरत ही की तय्यारी करो)।”
नर्म मिज़ाजी इख्तियार करना
लोगों के साथ नर्मी से पेश आने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“क्या मैं तुम को ऐसे शख्स की खबर न दूँ जो दोजख के लिये हराम है और दोज़ख की आग उस पर हराम है? हर ऐसे शख्स पर जो तेज़ मिजाज न हो बल्के नर्म हो, लोगों से क़रीब होने वाला हो, नर्म मिजाज हो।”
माँगी हुई चीज़ का लौटाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“(वापसी की शर्त पर) माँगी हुई चीज़ को वापस किया जाएगा।”
खुलासा : अगर किसी शख्स ने कोई सामान यह कह कर माँगा के वापस कर दूंगा, तो उस का मुक़र्रर वक्त पर लौटाना वाजिब है, उसको अपने पास रख लेना और बहाना बनाना जाइज नही है।
खुश्बू को रद्द नहीं करना चाहिये
रसूलल्लाह (ﷺ) को जब खुशबु का हदिया दिया जाता,
तो आप (ﷺ) उस को रद्द नहीं फ़रमाते थे।
दुनिया मोमिन के लिये कैदख़ाना है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“दुनिया मोमिन के लिये कैदखाना है और काफिर के लिये जन्नत है।”
वजाहत: शरीअत के अहकाम पर अमल करना, नफसानी ख्वाहिशों को छोड़ना, अल्लाह और उसके रसूल के हुक्मों पर चलना नफ्स के लिये कैद है और काफिर अपने नफ्स की हर ख्वाहिश को पूरी करने में आज़ाद है, इस लिये गोया दुनिया ही उसके लिये जन्नत का दर्जा रखती है। अगरचे के आख़िरत में उसके लिए रुस्वाई है और मोमिन के लिए जन्नत।
हिजाब क्या है?
हिजाब क्या है?
हिजाब” को लेकर आजकल एक गलतफहमी पाई जा रही है। लोग इसे एक कपड़ा समझ रहे हैं जो बुर्के के अलावा सिर पर बांधा जाता है। हालांकि ये ईजाद कपड़ा बेचने वालों ने की है।
“हिजाब के असल मायने रुकावट और आड़ के हैं।”
औरत अपने जिस्म और हम की नुमाइश को गैर मर्दो से छिपाने, रोकने के लिए जो तदबीर भी करती है इस्तेलाही(पारिभाषिक) तौर पर वो हिजाब है फिर चाहे वो चादर हो, बुर्का और नकाब हो, दरो दीवार हो, नज़रों का फेरना हो वगैराह।
मर्द भी औरत को देखकर अपनी नज़रें फेर लेता है तो यह हिजाब है! बुरी चीजो को देखना सुनना और बोलने से परहेज़ भी हिजाब है! अक्सर बोलचाल में बुरी बातों से बचने के लिए कहा जाता है “कुछ तो हिजाब करो।”
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बैतुलखला जाने का तरीका
रसूलल्लाह (ﷺ) जब इस्तंजा के लिये तशरीफ ले जाते,
तो चप्पल पहन लेते और सर को ढांप लेते।
नमाज़ के लिये पैदल आना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“सब से जियादा नमाज का सवाब उस आदमी को मिलेगा जो सबसे जियादा पैदल चल कर आए फिर उससे जियादा सवाब उस आदमी को मिलेगा जो उस से ज़ियादा दूर से चल कर आए।”
मुनक्का से पट्टे वगैरह का इलाज
हजरत अबू हिन्ददारी (र.अ) कहते हैं के –
रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में मुनक्का का तोहफा एक बन्द थाल में पेश किया गया। आप (ﷺ) ने उसे खोल कर इर्शाद फर्माया:
“बिस्मिल्लाह” कह कर खाओ! मुनक्का बेहतरीन खाना है जो पेटों को मजबूत करता है, पुराने दर्द को खत्म करता है, गुस्से को ठंडा करता है और मुंह की बदबू को जाइल करता है, बलगम को निकालता है और रंग को निखारता है।”
हर मामले में इंसाफ करो
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
” ऐ ईमान वालो ! अल्लाह तआला के लिये सच्चाई पर कायम रहने वाले और इन्साफ के साथ शहादत (गवाही) देने वाले बन जाओ और किसी कौम की दुश्मनी तुम्हें इस बात पर आमादा न कर दे, के तुम इन्साफ न करो (बल्कि हर मामले में) इंसाफ करो, यह परहेजगारी के ज्यादा करीब है और अल्लाह तआला से डरते रहो बेशक जो कुछ तुम करते हो अल्लाह तआला उसे बाखबर है।”
क़यामत के दिन लोगों की हालत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“क़यामत के रोज़ सूरज एक मील के फासले पर होगा और उसकी गर्मी में भी इज़ाफा कर दिया जाएगा, जिस की वजह से लोगों की खोपड़ियों में दिमाग़ इस तरह उबल रहा होगा जिस तरह हाँड़ियाँ जोश मारती हैं, लोग अपने गुनाहों के बक़द्र पसीने में डूबे हुए होंगे, बाज टखनों तक, बाज़ पिंडलियों तक, बाज कमर तक और बाज़ के मुंह में लगाम की तरह होगा।”
एक दिन के नफ़ली रोजे का सवाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अगर कोई शख्स अल्लाह के वास्ते एक दिन का नफ़ली रोजा रखे और उसके बदले में उस को सारी जमीन भरकर सोना (रोजाना) दिया जाए, तो कयामत के दिन तक भी इस रोजे के सवाब का बदला अदा नहीं हो सकता।”
बुढ़ापे में रिज़्क में बरकत की दुआ
बुढ़ापे में रिज्क में बरकत के लिये यह दुआ पढ़ें :
( اللهم اجعل أوسع رزقك على عند كبر سنئ وانقطاع غمري )
तर्जमा: ऐ अल्लाह ! मेरी बड़ी उम्र में अपना रिज्क मुझपर ज़्यादा कर दे।
जमात के लिये मस्जिद जाने की फ़ज़ीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जो शख्स बाजमात नमाज के लिये मस्जिद में जाए तो आते जाते हर कदम पर एक गुनाह मिटता है (हर कदम पर) और उसके लिये एक नेकी लिखी जाती है।”
नाफ़र्मानों से नेअमतें छीन ली जाती हैं
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“वह नाफरमान लोग कितने ही बाग, चश्मे, खेतियाँ और उम्दा मकानात
और आराम के सामान जिन में वह मजे किया करते थे, (सब) छोड़ गए,
हम ने इसी तरह किया और उन सब चीज़ों का वारिस एक दूसरी कौम को बना दिया।
फिर उन लोगों पर न तो आसमान रोया और न ही जमीन
और नही उन को मोहलत दी गई।”
हमेशा सच्ची गवाही देना
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“ऐ ईमान वालो ! इन्साफ पर कायम रहते हुए अल्लाह के लिए गवाही दो, चाहे वह तुम्हारी जात, वालिदैन और रिश्तेदारों के खिलाफ ही (क्यों न हो।”
फायदा: सच्ची गवाही देना और झूठी गवाही देने से बचना जरुरी है।