हज की फरज़ियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“ऐ लोगो ! तुम पर हज फर्ज़ कर दिया गया है, लिहाजा उस को अदा करो।”
अल्लाह तआला अद्ल व इंसाफ का हुक्म देता है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“अल्लाह तआला अद्ल व इंसाफ और अच्छा सुलूक करने का और रिश्तेदारों को माली मदद करने का हुक्म देता है और बेहयाई, नापसन्द कामों और जुल्म व ज़ियादती से मना करता है, वह तुम्हें ऐसी बातों की नसीहत करता है, ताके तुम याद रखो।”
गुनहगारों के लिये जहन्नम की आग है
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“(अल्लाह का अज़ाब उस दिन होगा) जिस दिन आसमान थर थर काँपने लगेगा और पहाड़ अपनी जगह से चल पड़ेंगे। उस दिन झुटलाने वालों के लिये बड़ी खराबी होगी, जो बेहूदा मशगले में लगे रहते हैं, उस दिन उन को जहन्नम की आग की तरफ धक्के मार कर धकेला जाएगा (और कहा जाएगा) यही वह आग है जिस को तुम झुटलाया करते थे।”
मुनक्का से पट्टे वगैरह का इलाज
हजरत अबू हिन्ददारी (र.अ) कहते हैं के –
रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में मुनक्का का तोहफा एक बन्द थाल में पेश किया गया। आप (ﷺ) ने उसे खोल कर इर्शाद फर्माया:
“बिस्मिल्लाह” कह कर खाओ! मुनक्का बेहतरीन खाना है जो पेटों को मजबूत करता है, पुराने दर्द को खत्म करता है, गुस्से को ठंडा करता है और मुंह की बदबू को जाइल करता है, बलगम को निकालता है और रंग को निखारता है।”
दुनिया व आखिरत में आफियत की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
बन्दे की अपने रब से माँगी जाने वाली दुआओं में सबसे अफजल यह है:
तर्जमा: ऐ अल्लाह! मैं दुनिया और आखिरत में तुझसे आफियत व भलाई का सवाल करता हूँ।
हिजाब क्या है?
हिजाब क्या है?
हिजाब” को लेकर आजकल एक गलतफहमी पाई जा रही है। लोग इसे एक कपड़ा समझ रहे हैं जो बुर्के के अलावा सिर पर बांधा जाता है। हालांकि ये ईजाद कपड़ा बेचने वालों ने की है।
“हिजाब के असल मायने रुकावट और आड़ के हैं।”
औरत अपने जिस्म और हम की नुमाइश को गैर मर्दो से छिपाने, रोकने के लिए जो तदबीर भी करती है इस्तेलाही(पारिभाषिक) तौर पर वो हिजाब है फिर चाहे वो चादर हो, बुर्का और नकाब हो, दरो दीवार हो, नज़रों का फेरना हो वगैराह।
मर्द भी औरत को देखकर अपनी नज़रें फेर लेता है तो यह हिजाब है! बुरी चीजो को देखना सुनना और बोलने से परहेज़ भी हिजाब है! अक्सर बोलचाल में बुरी बातों से बचने के लिए कहा जाता है “कुछ तो हिजाब करो।”
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ऑपरेशन से फोड़े का इलाज
हजरत अस्मा बिन्ते अबी बक्र (र.अ) कहती हैं के : मेरी गर्दन में एक फोड़ा निकल आया, जिसका जिक्र हुजूर (ﷺ) से किया गया, तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया :
“उसे खोल दो (फोड़ दो) और छोड़ो मत, वरना गोश्त खाएगा और खून चूसेगा, (यानी उसका खराब माद्दा अगर वक्त पर न निकाला गया तो ज़ख्म को और ज़ियादा बढाकर गोश्त और खून को बिगाड़ता रहेगा)।”
खाना खिलाने की फ़ज़ीलत
खाना खिलाने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जिस ने किसी मोमिन को खाना खिलाया और उसको सैराब कर दीया तो
अल्लाह तआला एक खास दरवाजे से उस को जन्नत में
दाखिल फ़रमाएगा जिस में उस के जैसा अमल करने वाला ही दाखिल होगा।”
कब्र में मिट्टी डालते वक़्त की दुआ
जब रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उम्मे कुलसूम को कब्र में रखा तो पढ़ा:
“मिन्हा खलकना कुम, व फिहा नुईदुकुम, व मिन्हा नुखरिजुकुम तारतन ऊखरा”
तर्जमा: इस मिट्टी से हमने तुम को पैदा किया और इसी में हम तुम को लौटाएँगे और इसीसे हम तुमको दोबारा उठाएंगे।
तहज्जुद की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
”जब कोई आदमी रात को अपनी बीवी को बेदार करता है और अगर उस पर नींद का ग़लबा हो, तो उसके चेहरे पर पानी छिडक कर उठाता है और फिर दोनों अपने घर में खड़े होकर रात का कुछ हिस्सा अल्लाह की याद में गुज़रते हैं तो उन दोनों की मग़फिरत कर दी जाती है।”
जन्नत का मौसम
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“उन (अहले ईमान) के सब्र के बदले में (उन्हें) जन्नत और रेशमी लिबास अता किया जाएगा, उन की यह हालत होगी के जन्नत में मसेहरियों पर तकिये लगाए बैठे होंगे, वहाँ उन्हें न गर्मी का एहसास होगा और न वह सर्दी महसूस करेंगे।”
इताअत ऐ रसूल (ﷺ) की अहमियत
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“(ऐ नबी (ﷺ) ) आप कह दीजिए के अगर तुम अल्लाह तआला से मोहब्बत रखते हो, तो तुम लोग मेरी पैरवी करो। अल्लाह भी तुम से मुहब्बत करेगा और तुम्हारे गुनाहों को बख्श देगा।”
इन्कार करने वालो का अजाब
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो लोग हमारी आयतों का इन्कार करते रहे हैं, तो वही बडबख्त हैं, (जिन को बाएँ हाथ में नाम-ए-आमाल दिया जाएगा) उन पर चारों तरफ से बंद की हुई आग को मुसल्लत कर दिया जाएगा।”
दुनिया चाहने वालों के लिये नुकसान
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जो शख्स आखिरत की खेती का तालिब हो, हम उसकी खेती में तरक्की देंगे और जो दुनिया की खेती का तालिब हो, (के सारी कोशिश उसी पर खर्च कर दे)। तो हम उस को दुनिया में से कुछ दे देंगे और ऐसे शख्स का आख़िरत में कोई हिस्सा नहीं।”
वारिस को मीरास से महरूम करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स अपने वारिस को मीरास (विरासत) देने से भागेगा (और उसे मीरास से महरूम कर देगा) तो अल्लाह तआला कयामत के दिन जन्नत से उसकी मीरास खत्म कर देगा।”
घर से वुजू कर के मस्जिद जाने का सवाब
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जब तुम में से कोई घर से वुजू कर के मस्जिद आए, तो घर लौटने तक उसे नमाज का सवाब मिलता रहेगा।”
अहले ईमान का बदला
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“उन (अहले ईमान और नेक अमल करने वालों) का बदला उन के रब के पास ऐसे हमेशा रहने वाले बाग़ होंगे, जिन के नीचे नहरें बह रही होंगी। यह लोग उन में हमेशा रहेंगे। अल्लाह तआला उन से राज़ी, और वह अल्लाह से खुश होंगे। और यह बदला हर उस शख्स के लिये है जो अपने रब से डरता है।”
नमाजों को सही पढ़ने पर मगफिरत का वादा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“पाँच नमाजें अल्लाह तआला ने फर्ज की हैं, जिस ने उन के लिऐ अच्छी तरह वुजू किया और ठीक वक्त पर उन को पढ़ा और रुकू व सज्दह जैसे करना चाहिये वैस हो किया, तो ऐसे शख्स के लिये अल्लाह तआला का पक्का वादा है, के वह उसको बख्श देगा। और जिस ने ऐसा नहीं किया तो लिए अल्लाह तआला का कोई वादा नहीं, चाहेगा तो उसको बख्श देगा और चाहेगा तो सजा देगा।”
अल्लाह की चाहत दुनिया नहीं
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“तुम तो दुनिया का माल व असबाब चाहते हो और अल्लाह तआला तुमसे आखिरत को चाहता हैं।”
फायदा: इंसान हर वक़्त दुनियावी फायदे में मुन्हमिक रहता है और उसी को हासिल करने की फिक्र में लगा रहता है, हालांकि अल्लाह तआला चाहते हैं के दुनिया के मुकाबले में आखिरत की फिक्र ज्यादा की जाए, क्योंकि आखिरत में हमेशा रहना है।
बीमार को परहेज़ का हुक्म
एक मर्तबा उम्मे मुन्जिर (र.अ) के घर पर रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ साथ हजरत अली (र.अ) भी खजूर खा रहे थे, तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया: “ऐ अली! बस करो, क्योंकि तुम अभी कमजोर हो।”
फायदाः बीमारी की वजह से चूंकि सारे ही आज़ा कमज़ोर हो जाते हैं, जिन में मेअदा भी है, इस लिए ऐसे मौके पर खाने पीने में एहतियात करना चाहिए और मेअदे में हल्की और कम ग़िज़ा पहुँचनी चाहिए ताके सही तरीके से हज़्म हो सके।
नेअमत अता करने में अल्लाह तआला का कानून
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“अल्लाह जब किसी क़ौम को कोई नेअमत अता करता है तो उस नेअमत को उस वक्त तक नहीं बदलता जब तक वह लोग खुद अपनी हालत को न बदलें। यकीनन अल्लाह तआला बड़ा सुनने वाला और जानने वाला है।”
सामान ऐब बताए बगैर फरोख्त करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“मुसलमान मुसलमान का भाई है और किसी मुसलमान के लिये अपने भाई से ऐब वाले सामान को ऐब बयान किए बगैर फरोख्त करना जाइज नहीं।”
परहेज़गारों की नेअमत
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“(क़यामत के दिन) परहेज़गार लोग (जन्नत) के सायों में और चशमों में और पसन्दीदा मेवों में होंगे (उन से कहा जाएगा) अपने (नेक) आमाल के बदले में खूब मजे से खाओ पियो, हम नेक लोगों को ऐसा ही बदला दिया करते हैं। (और) उस दिन झुटलाने वालों के लिये बड़ी ख़राबी होगी।”
ईमान वालों का ठिकाना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“इन (ईमान वालों) के लिए हमेशा रहने वाले बाग़ हैं, जिन में वह दाखिल होंगे और उन के माँ बाप, उन की बीबियों और उन की औलाद में जो (जन्नत) के लायक होंगे, वह भी जन्नत में दाखिल होंगे और हर दरवाजे से फरिश्ते उन के पास यह कहते हए दाखिल होंगे ‘तुम्हारे दीन पर मज़बूत जमे रहने की बदौलत तुम पर सलामती हो, तुम्हारे लिए आखिरत का घर कितना उम्दा है!’”
किसी मुसलमान को हंसता देखे तो यह दुआ पढ़े
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
जब किसी मुसलमान को हँसता हुआ देखे तो यह दुआ पढ़े:
तर्जमा: “अल्लाह आप को मुस्कुराता रखे।”
इजाजत न मिले तो अंदर दाखिल न हो: हदीस
इजाजत न मिले तो अंदर दाखिल न हो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तुम में से कोई घर में दाखिल होने के लिए तीन मर्तबा इजाजत मांगे और उस को इजाजत न मिले,या कोई जवाब न मिले तो उस को वापस हो जाना चाहिए।”
मुसलमान को कपड़ा पहनाने की फ़ज़ीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जिसने किसी मुसलमान को कपड़ा पहनाया, जब तक उस के बदन में एक धागा भी रहेगा, वह उस वक्त तक अल्लाह की हिफाजत रहेगा।”
अपने अख़्लाक़ दुरूस्त करने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“कामयाब हो गया वह आदमी जिस ने अपने दिल को ईमान के लिये सफारिश कर दिया और उसे सही सालिम रखा और अपनी जबान को सच्चा बनाया, अपने नफ़्स को नफ्से मुतमइन्ना और अख़्लाक़ को दुरूस्त बनाया और कानों को हक़ बात सुनने का और आँखों को अच्छी चीजों को देखने का आदी बनाया।”
जन्नती अल्लाह तआला का दीदार करेंगे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने लैलतुबद्र में चाँद को देखा और फर्माया :
“तुम लोग अपने रब को इसी तरह देखोगे जिस तरह इस चाँद को देख रहे हो, तुम उस को देखने में किसी किस्म की परेशानी महसूस नहीं करोगे।”
पछना के जरिये दर्द का इलाज
हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) बयान करते हैं के :
“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एहराम की हालत में दर्द की वजह से सर में पछना लगवाया।”
फायदा: पछना लगाने से बदन से फ़ासिद खून निकल जाता है जिस की वजह से दर्द वगैरह खत्म हो जाता है और आँख की रोशनी तेज़ हो जाती है।
सच्चे लोगों के साथ रहो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“ऐ ईमान वालो! अल्लाह तआला से डरते रहो और सच्चे लोगों के साथ रहो।”
जन्नतियों का लिबास
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“उन जन्नतियों के बदन पर बारीक और मोटे रेशम के कपड़े होंगे और उनको चाँदी के कंगन पहनाए जाएँगे और उनका रब उनको पाकीज़ा शराब पिलाएगा।
(अहले जन्नत से कहा जाएगा के) यह सब नेअमतें तुम्हारे आमाल का बदला हैं और तुम्हारी दुनियावी कोशिश कबूल हो गई।”
कयामत के दिन पहाड़ों का हाल
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:
“लोग आपसे पहाड़ों के बारे में सवाल करते हैं। तो आप (ﷺ) फ़र्मा दीजिये के मेरा रब उन को बिल्कुल उड़ा देगा, फिर वह जमीन को हमवार मैदान कर देगा, तुम उस में कोई टेढ़ापन और बुलन्दी नहीं देखोगे।”
बीमारी की शिकायत न करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला फर्माता है के मै जब अपने मोमिन बंदे को (बीमारी में) मुबतला करता हूँ और वह अपनी इयादत करने वालों से मेरी शिकायत नहीं करता, तो मैं उस को अपनी कैद (यानी बीमारी) से नजात दे देता हूँ, और फिर उस के गोश्त को उससे उम्दा गोश्त और उसके खून को उम्दा खून से बदल देता हूँ ताके नए सिरे से अमल करे।”
📕 मुस्तरदक १२९०, अन अबी हुरैरह (र.अ)
खुलासा: अगर कोइ बिमार हो जाए, तो सब्र करना चाहिए, किसी से शिकायत नही करनी चाहिए, उस पर इसे अल्लाह तआला इन्आमात से नवाज़ता हैं।
शराबी की सज़ा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने शराबनोशी की, अल्लाह तआला चालीस रात तक उस से खुश नहीं होगा। अगर वह (उसी हाल में) मर गया तो कुफ्र की हालत में मरेगा और अगर तौबा कर ली तो अल्लाह तआला उस की तौबा क़बूल फ़र्माएगा और अगर फिर शराब पी तो अल्लाह तआला उस को दोज़खियों का पीप पिलाएगा।”
जब बुरा ख्वाब देखे तो यह अमल करे
जब तुम में से कोई पुरा ख्वाब देखे, तो तीन मर्तबा बाएं तरफ थुतकार दे और तीन मर्तबा शैतान के शर्र (बुराई) से अल्लाह की पनाह चाहे ( आऊज़ो बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम पढ़े और) करवट बदल कर सो जाए।
मोमिन का ऐब छुपाने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो मोमिन अपने भाई के किसी ऐब को छुपाएगा तो अल्लाह तआला उसकी वजह से उस को जन्नत में दाखिल फरमाएगा”
दय्यूस कौन है ?
दय्यूस वोह है जो अपने घर में बेहयाई होने दे
इब्ने उमर रज़िअल्लाहु अ़न्हु से रिवायत है कि,
अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया:
“तीन लोगों पर अल्लाह ने जन्ऩत हराम कर दी है।
शराब से मस्त रहने वाला, मां बाप से बदसुलूकी करने वाला
और दय्यूस जो अपने घर में ख़बासत (यानी बेहयाई) पर इक़रार कर ले (यानी उसे होने दे)।”
📕 मुस्नद अहमद; रावी: इब्ने उमर
📕 स़ही़ह़ अल जामे 3052-स़ही़ह़
तीन आदमी अल्लाह की जमानत में है
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“तीन आदमी की अल्लाह ने जमानत ले रखी है, अगर वह जिन्दा रहें तो बक्रद्रे जरूरत रोजी मिलती है और अगर वफात पा जाएं तो अल्लाह तआला जन्नत में दाखिल फ़र्माता है (एक वह) जो घर में दाखिल होते वक़्त सलाम करे तो अल्लाह तआला उस का जामिन है, (दूसरा वह) जो मस्जिद गया, तो अल्लाह तआला उसका जामिन है, (तीसरा) राहे ख़ुदा में निकलने वाले का अल्लाह तआला जामिन है।”
ग़रीबों से मुहब्बत और उन के करीब रहने की वसिय्यत
हज़रत अबू जर (र.अ) फर्माते हैं के मुझे मेरे दोस्त रसूलुल्लाह (ﷺ) ने वसिय्यत फर्माई :
“मैं अपने से जियादा मालदार की तरफ न देखू और अपने से कम दर्जा वाले (कम मालदार) की तरफ देखू और ग़रीबों से मुहब्बत और उन के करीब रहने की वसिय्यत फर्माई और सिला रहमी करने की वसिय्यत फ़रमाई अगरचे वह तुमसे पीठ फेरे।”
क़यामत के दिन लोगों की हालत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“क़यामत के रोज़ सूरज एक मील के फासले पर होगा और उसकी गर्मी में भी इज़ाफा कर दिया जाएगा, जिस की वजह से लोगों की खोपड़ियों में दिमाग़ इस तरह उबल रहा होगा जिस तरह हाँड़ियाँ जोश मारती हैं, लोग अपने गुनाहों के बक़द्र पसीने में डूबे हुए होंगे, बाज टखनों तक, बाज़ पिंडलियों तक, बाज कमर तक और बाज़ के मुंह में लगाम की तरह होगा।”
क़यामत की रुसवाई से बचने की दुआ
कयामत के दिन जिल्लत व रुसवाई से बचने के लिए इस दुआ का एहतमाम करना चाहिए:
رَبَّنَا وَآتِنَا مَا وَعَدتَّنَا عَلَىٰ رُسُلِكَ وَلَا تُخْزِنَا يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۗ إِنَّكَ لَا تُخْلِفُ الْمِيعَادَ
तर्जमा : ऐ हमारे परवरदिगार! तूने जो अपने रसूलों से वादा किया है, वह हमें अता फर्माइये और कयामत के दिन हमें रुसवा न कीजिए बेशक तू वादा खिलाफ़ी नहीं करता।
जन्नत का मुस्तहिक
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो आदमी इस हाल में मर जाए के वह तकब्बुर, खयानत और कर्ज से बरी हो, तो जन्नत में दाखिल होगा।”
माल की चाहत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“लोगों पर एक ज़माना ऐसा आएगा जिस में (लोगों को अपने) माल की ज़कात देना बहुत भारी गुज़रेगा।”
ऐ ईमान वालो! तुम सब अल्लाह तआला से तौबा करो
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“ऐ ईमान वालो! तुम सब के सब अल्लाह तआला से तौबा कर लो,
ताके तुम कामयाब हो जाओ।”
ईमान को झुटलाने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जिस शख्स ने बुखल किया और लापरवाही करता रहा और भली बात (ईमान) को झुटलाया, तो हम उसके लिये तकलीफ व मुसीबत का रास्ता आसान कर देंगे (यानी जहन्नम में पहुँचा देंगे)।”
तबीअत के मुवाफिक ग़िज़ा से इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जब मरीज़ कोई चीज खाना चाहे, तो उसे खिलाओ।”
फायदा: जो गिजा चाहत और तबी अत के तकाजे से खाई जाती है, वह बदन में जल्द असर करती है, लिहाजा मरीज़ किसी चीज़ के खाने का तकाज़ा करे, तो उसे खिलाना चाहिये। हाँ अगर गिजा ऐसी है के जिस से मर्ज बढ़ने का कवी इमकान है, तो जरूर परहेज करना चाहिये।
इस्तिगफार की बेशुमार बरकतें
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो शख्स पाबंदी के साथ इस्तिगफ़ार करेगा, अल्लाह तआला हर तंगी में उस के लिए आसानी पैदा करेगा, उसे हर गम से नजात दिलाएगा और उसे ऐसी जगह से रिज्क अता करेगा, जहां से उस को वहम व गुमान भी नहीं होगा।”
औरत के लिये चंद आमाल
रसुलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब औरत पाँच वक्त की नमाज पढती रहे और अपनी इज्जत की हिफाजत करती रहे और अपने शौहर की फरमाबरदारी करती रहे तो वह जन्नत के जिस दरवाजे से चाहे, दाखिल हो जाए।”
मोमिन को नाहक़ क़त्ल करने की सज़ा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“हर गुनाह के बारे में अल्लाह से उम्मीद है के वह माफ कर देगा, सिवाए उस आदमी के जो अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक करने की हालत में मरा हो या उस ने किसी मोमिन को जान बूझ कर क़त्ल किया हो।”
दुनिया की चीज़ों में गौर व फिक्र करना
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“इसी (बारिश के पानी के जरिये अल्लाह तआला तुम्हारे लिये खेती, जैतून, खजूर और अंगूर और हर किस्म के फल उगाता है, यकीनन इन चीजों में गौर व फिक्र करने वालों के लिये बड़ी निशानियां है।”
मोहब्बत पाने का तरीका
एक शख्स ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से अर्ज किया :
ऐ अल्लाह के रसूल ! मुझे कोई ऐसा अमल बंता दीजिये जिसको मैं करूं
ताके अल्लाह तआला और लोग मुझसे मुहब्बत करने लगें।
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“दुनिया से मुँह मोड़ लो, तो अल्लाह तुम से मुहब्बत करने लगेगा और जो लोगों के पास है। (यानी माल व दौलत) उससे बेरूखी इख्तियार कर लो, तो लोग तुमसे मुहब्बत करने लगेंगे।”
बुरी तदबीरें करने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो लोग बुरी बुरी तदबीरें (बुरी चाल) करते हैं उन को सख्त अज़ाब होगा और उन की सब तदबीरे (प्लानिंग) नाकाम हो जाएँगी।”
दुनिया छूटने वाली है जब की “बन्दा कहता है मेरा माल मेरा माल…”
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“बन्दा कहता है मेरा माल मेरा माल, हालांकि उस के लिए उस के माल में से तीन चीजें हैं:
(१) वह जो खा कर खत्म कर दिया, (२) जो पहेन कर पुराना कर दिया, (३) वह जो (सदका) देकर (आखिरत के लिए) ज़खीराह कर लिया। और इसके अलावा जो कुछ है वह खत्म होने वाला और लोगों के लिए छोड़ने वाला है।”
चाँदी के बरतन में पीने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जो चाँदी के बर्तन में पानी वगैरा पीते हैं वह अपने पेट में जहन्नम की आग भर रहे हैं।”
पड़ोसी के साथ अच्छा सुलूक करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन साथी (दोस्त) वह है, जो अपने साथी के लिये बेहतर हो और अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन पड़ोसी वह है जो अपने पड़ोसी के हक़ में अच्छा हो।”
खुश्बू को रद्द नहीं करना चाहिये
रसूलल्लाह (ﷺ) को जब खुशबु का हदिया दिया जाता,
तो आप (ﷺ) उस को रद्द नहीं फ़रमाते थे।
सफर जल (बही, Pear) से इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“सफर जल (यानी बही) खाया करो, क्योंकि यह दिल को राहत पहुँचाता है।”
नमाज़ से मुंह मोड़ने का गुनाह
मेअराज की रात रसूलुल्लाह (ﷺ) का गुज़र ऐसे लोगों पर हुआ जिन के सरों को कुचला जा रहा था, जब सर कुचल दिया जाता तो दोबारा फिर अपनी हालत पर लौट आता, फिर कुचल दिया जाता, इस अजाब में जर्रा बराबर कमी नहीं होती थी, हुजूर (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से पूछा : यह कौन लोग है?
हजरत जिब्रईल ने जवाब में फ़र्माया :
यह वह लोग हैं जिन के चेहरे नमाज़ के वक्त भारी हो जाते थे, (यानी नमाज़ से मुंह चुराते थे)।
अच्छे और बुरे अख़्लाक़ की मिसाल
हदीस: रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“अच्छे अख्लाक बुराइयों को इस तरह खत्म कर देते हैं जिस तरह पानी बरफ को पिघला देता है और बुरे अख्लाक अच्छे कामों को इस तरह खत्म कर देते हैं जिस तरह सरका शहद को खराब कर देता है।”
कुरआन की तिलावत करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“कुरआन शरीफ की तिलावत किया करो, इस लिए के कयामत के दिन अपने साथी (यानी पढ़ने वाले) की शफ़ाअत करेगा।”
जूं पड़ने का इलाज तिब्बे नबवी से
एक रिवायत में है के दो सहाबा ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से एक गजवे के मौके पर (कपड़ों में) जूं पड़ जाने की शिकायत की, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उन दोनों को रेश्मी कमीस पहनने की इजाजत दी।
फायदा: जूं पड़ना एक मर्ज है, जिस का इलाज आप (ﷺ) ने उस मौके पर रेश्मी लिबास तजवीज़ फ़र्माया, जरूरत की वजह से तजवीज़ करे तो गुन्जाइश है। अगरचे रेशमी कपडे आम तौर पे मर्दो पर हराम है (सुनन निसाई ५१४८/१०९)
माल के मुताल्लिक़ फ़रिश्तों का एलान
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“हर रोज़ जब अल्लाह के बन्दे सुबह को उठते हैं, दो फरिश्ते नाज़िल होते हैं उनमें से एक कहता है।
ऐ अल्लाह! (अच्छे कामों में) खर्च करने वाले को मज़ीद अता फ़रमा और दूसरा कहता है ऐ अल्लाह ! माल को (अच्छे कामों में खर्च करने के बजाए) रोक कर रखने वाले का माल ज़ाये फ़रमा।”
कंजूसी करने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो लोग अल्लाह तआला के अता करदा माल व दौलत को (खर्च करने में) बुख्ल (कंजूसी) करते हैं, वह बिल्कुल इस गुमान में ना रहें के (उनका यह बूख्ल करना) उनके लिये बेहतर है, बल्के वह उन के लिये बहुत बुरा है,
कयामत के दिन उनके जमा करदा माल व दौलत को तौक बनाकर गले में पहना दिया जाएगा और आसमान व जमीन का मालिक अल्लाह तआला ही है और अल्लाह तआला तुम्हारे आमाल से बाखबर है।”
कीसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस
किसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस
रसूलअल्लाह (ﷺ) फरमाते है:
“जिस शख्स ने किसी मुसलमान की दुनियावी मुश्किलात (तकलीफ) में से कोई मुश्किल दूर की तो अल्लाह तआला उस की क़यामत की मुश्किलात में से कोई मुश्किल दूर कर देगा”
मुस्कुराते हुए मुलाकात करना
हजरत जरीर (र.अ) के फर्माते हैं के मेरे इस्लाम लाने के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मुझे कभी भी किसी भी वक्त अपने पास हाजिर होने से नहीं रोका और जब भी मुझे देखते तो आप मुस्कुराते थे।
सिफारिश पर बतौरे हदिया माल लेना एक गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“किसी ने अपने (मुसलमान) भाई की किसी चीज़ में सिफारिश की और सिफारिश करने पर सामने वाले ने उस को कोई चीज बतौरे हदिया पेश की और उस ने कुबूल कर ली, तो वह सूद के बहुत बड़े दरवाजे पर आ पहुँचा।”
मुसलमानों के दिल अल्लाह की याद और उस के सच्चे दीन के सामने झुक जाएँ
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“क्या ईमान वालों के लिए अभी तक ऐसा वक्त नहीं आया के उनके दिल अल्लाह की नसीहत और जो दीने हक़ नाजिल हुआ है उसके सामने झुक जाएँ और वह उन लोगों की तरह न हो जाएँ जिन को उन से पहले किताब दी गई थी। यानी वह वक्त आ चुका है के मुसलमानों के दिल कुरआन और अल्लाह की याद और उस के सच्चे दीन के सामने झुक जाएँ।”
हर मर्ज़ का इलाज मौजूद है
हज़रत उसामा (र.अ) बयान करते है के,
मैं हुज़ूर (ﷺ) की ख़िदमत में मौजूद था के,
कुछ देहात के रहने वाले आए और आप (ﷺ) से अर्ज़ किया : या रसूलल्लाह ! क्या हम दवा करें? तो रसूलुल्लाह ने फ़रमाया: ”अल्लाह के बन्दो! ज़रूर दवा किया करो: इसलिये के कोई बीमारी ऐसी नहीं है जिसकी दवा अल्लाह ने न पैदा की हो, सिवाए एक बीमारी के और वह बुढ़ापा है।”
गुमराही इख्तियार करने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जो लोग अल्लाह तआला के रास्ते से भटकते हैं, उनके लिये सख्त अज़ाब है, इस लिये के वह हिसाब के दिन को भूले हुए हैं।”
जन्नतुल फिरदौस का दर्जा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तुम अल्लाह तआला से सवाल करो, तो जन्नतुल फिरदौस का सवाल किया करो, क्योंकि वह जन्नत का सबसे अफजल और बुलंद दर्जा है और उसके ऊपर रहमान का अर्श है और उसीसे जन्नत की नहरें निकलती हैं।”
मेहर अदा ना करने का गुनाह
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जिस आदमी ने किसी औरत से मेहर के बदले निकाह किया और उस का महेर अदा करने का इरादा न हो, तो वह जानी (जीना करने) के हुक्म में है और जिस आदमी ने किसी से क़र्ज़ लिया। फिर उस का क़र्ज़ अदा करने की निय्यत न हो, तो वह चोर के हुक्म में है।”
आप (ﷺ) की आखरी वसिय्यत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने आखरी वसिय्यत यह इरशाद फ़रमाई :
“नमाजों और अपने ग़ुलामों के बारे में अल्लाह तआला से डरो।”
( यानी नमाज को पाबन्दी से पढ़ते रहा करो और गुलामों (नौकरों) के हुकूक अदा करो।)
विरासत में लड़की का हिस्सा
विरासत में लड़की का हिस्सा
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“अल्लाह तआला तुमको तुम्हारी औलाद के हक में हुक्म देता है के 1 लड़के का हिस्सा 2 लड़कियों के हिस्से के बराबर है।”
खुलासा: वालिदैन की विरासत में लड़के के 2 हिस्से और लडकी का 1 हिस्सा होता है, जिस का अदा करना फर्ज है।
इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है …
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।”
फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और सही मसाइल की मालमात हो जाए।
अगर किसी बात पर तुम में इख़्तेलाफ़ हो जाए
कुरआन में अल्लाह तआला फर्रमाता है :
“अगर किसी बात पर तुम में इख़्तेलाफ़ हो जाए, तो अल्लाह और उसके रसूल के हुक्म की तरफ रूजूअ करो, अगर तुम अल्लाह और क़यामत के दिन पर ईमान रखते हो, यह तरीका तुम्हारे लिये बेहतर है और अच्छा भी है।”
रोज़े आख़िरत (क़यामत के दिन) हर अमल का बदला मिल जायेगा
क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है :
“जो शख्स क़यामत के दिन नेकी लेकर हाज़िर होगा, तो उस को उस नेकी से बेहतर बदला मिलेगा और जो शख़्स बदी ले कर हाज़िर होगा, तो ऐसे बुरे आमाल वालों को सिर्फ उनके कामों की सज़ा दी जाएगी।”
जकात न देने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जकात का अदा न करने वाला क़यामत के दिन जहन्नम में जाएगा।”
नमाज़ों का सही होना जरूरी है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“कयामत के दिन सब से पहले नमाज़ का हिसाब होगा, अगर नमाज़ अच्छी हुई तो बाकी आमाल भी अच्छे होंगे और अगर नमाज खराब हुई तो बाकी आमाल भी खराब होंगे।”
नमाज़ में सुस्ती करने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“ऐसे नमाजियों के लिए बड़ी खराबी है, जो अपनी नमाजों की तरफ़ से गफ़लत व सुस्ती बरतते हैं, जो सिर्फ रियाकारी करते हैं।”
हलीला से हर बीमारी का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“हलील-ए-सियाह को पिया करो इस लिए के यह जन्नत के पौदों में से एक पौदा है, जिस का मजा कड़वा होता है मगर हर बीमारी के लिए शिफा है।”
नोट: हलील-ए-सियाह को हिन्दी में काली हड़ कहते हैं। जिसे सिल पर घिस कर पीते हैं, यह कब्ज को खत्म करती है और बादी बवासीर में मुफीद है।
सवारी पर सवार होने के बाद की दुआ
सवारी पर सवार होने के बाद की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सफ़र के इरादे से निकलते और सवारी पर बैठ जाते तो तीन मर्तबा तक्बीर: (अल्लाहु अकबर) फ़र्माते और यह दुआ पढ़तेः
“Allahu akbar, Allahu akbar, Allahu akbar,
subhanal-lathee sakhkhara lana hatha wama kunna lahu muqrineen,
wa-inna ila rabbina lamunqaliboon”
अच्छे अखलाक़ की फजीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“यक़ीनन मोमिन अपने अच्छे अखलाक के ज़रिए, नफ़्ल नमाजें पढ़ने वाले रोज़ेदार शख्स के मर्तबे को हासिल कर लेता है।”
बुरे लोगों का अंजाम
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जो शख्स झुटलाने वाले गुमराहों में से होगा, तो खौलते हुए गरम पानी से उसकी मेहमानवाजी होगी और उसे दोजख में दाखिल किया जाएगा।”
पड़ोसी को तकलीफ देने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जिसने अपने पड़ोसी को तकलीफ दी, उस ने मुझे तकलीफ दी
और जिस ने मुझे तकलीफ दी उस ने अल्लाह को तकलीफ दी
और जिसने अपने पड़ोसी से झगड़ा किया, उसने मुझ से झगड़ा किया
और जिसने मुझ से झगड़ा किया तो उसने अल्लाह से झगड़ा किया।”
नमाज़ दीन ऐ इस्लाम का सुतून है
एक आदमी ने आप (ﷺ) से अर्ज़ किया ऐ अल्लाह के रसूल ! इस्लाम में अल्लाह के नजदीक सबसे ज़ियादा पसन्दीदा अमल क्या है ? आप (ﷺ) ने फर्माया :
“नमाज़ को उस के वक्त पर अदा करना और जो शख्स नमाज़ को (जान बूझ कर) छोड़ दे उसका कोई दीन नहीं है, और नमाज़ दीन का सुतून है।”
बच्चों को यह दुआ पढ़ कर दम करें
रसूलुल्लाह (ﷺ) हजरत हसन व हुसैन (र.अ) को यह दुआ पढ कर दम किया करते थे :
أَعُوذُ بِكَلِمَاتِ اللَّهِ التَّامَّةِ مِنْ كُلِّ شَيْطَانٍ وَهَامَّةٍ وَمِنْ كُلِّ عَيْنٍ لامَّةٍ
आऊज़ु बिकालिमातिल्लाहीत ताम्माह
वा मीन कुल्ली शयतानीव वा हाम्माह
वा मीन कुल्ली अयनील आम्माह
तर्जमा: मैं पनाह माँगता हूँ अल्लाह की पूरे पूरे कलिमात के ज़रिए, हर शैतान से और हर ज़हरीले जानवर से और हर नुकसान पहुँचने वाली बुरी नज़र से।
मय्यित का कर्ज अदा करना
हजरत अली (र.अ) फ़र्माते हैं के:
रसुलअल्लाह (ﷺ) ने कर्ज को वसिय्यत से पहले अदा करवाया, हालाँकि तुम लोग (कुरआन पाक में) वसिय्यत का तजकेरा कर्ज से पहले पढ़ते हो।
फायदा: अगर किसी शख्स ने कर्ज लिया और उसे अदा करने से पहले इन्तेकाल कर गया, तो कफन दफन के बाद माले वरासत में से सबसे पहले कर्ज अदा करना जरूरी है, चाहे सारा माल उस की। अदायगी में खत्म हो जाए।
सुबह शाम अपने रब को याद किया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“तुम सुबह व शाम अपने रब को अपने दिल में गिड़गिड़ा कर, डरते हुए और दर्मियानी आवाज के साथ याद किया करो और गाफिलों में से मत हो जाओ।”
अज़ाबे कब्र से बचने की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ कसरत से फ़रमाते थे:
तर्जमा: ऐ अल्लाह ! मैं अज़ाबे कब्र, अज़ाबे दोजख, ज़िंदगी और मौत के फितने और दज्जाल के फितने से तेरी पनाह चाहता हूँ।
बुरे आमाल की नहूसत
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“खुश्की और तरी (यानी पूरी दुनिया) में लोगों के बुरे आमाल की वजह से हलाकत व तबाही फैल गई है, ताके अल्लाह तआला उन्हें उन के बाज़ आमाल (की सज़ा) का मजा चखा दे, ताके वह अपने बुरे आमाल से बाज आ जाएँ।”
अल्लाह तआला सबको दोबारा ज़िन्दा करेगा
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“अल्लाह वह है, जिसने तुम को पैदा किया और वही तुम्हें रोजी देता है, फिर (वक्त आने पर) वही तुम को मौत देगा और फिर तुम को वही दोबारा जिन्दा करेगा।”
वजाहत: मरने के बाद अल्लाह तआला दोबारा जिन्दा करेंगा, जिसको “बअस बादल मौत” कहते हैं, इसके हक होने पर ईमान लाना फर्ज है।
अल्लाह तआला से जो वादा करो उस को पूरा किया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जब तुम बात किया करो, तो इन्साफ का ख्याल रखा करो, अगरचे वह शख्स तुम्हारा रिश्तेदार ही हो और अल्लाह तआला से जो अहद करो उस को पूरा किया करो, अल्लाह तआला ने तुम्हें इस का ताकीदी हुक्म दिया है। ताके तुम याद रखो (और अमल करो)।
इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से अल्लाह की पनाह मांगना
रसूलुल्लाह (ﷺ) अक्सर यह दुआ किया करते थे :
तर्जमा: “ऐ अल्लाह ! मैं आपस के इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से तेरी पनाह चाहता हूँ।”
इलाज करने वालों के लिये अहम हिदायत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“अगर किसी ने बगैर इल्म और तजुर्बे के इलाज किया तो कयामत के दिन उस के बारे में पूछा जाएगा।”
फायदा: मतलब यह है के अगर हकीम या डॉक्टर की ना तजरबा कारी और अनाड़ीपन की वजह से मरीज को तकलीफ पहुँचती है या वह मर जाता है तो ऐसे हकीम और डॉक्टर की कयामत के दिन गिरिफ्त होगी।
क़यामत के दिन इन्सान के आज़ा की गवाही
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:
“जिस दिन अल्लाह के दुश्मन (यानी कुफ्फार)
दोज़ख की तरफ जमा
(करने के मौकफ में) लाएंगे,
फिर वह रोके जाएँगे (ताके बाकी आजाएँ)
यहाँ तक के जब वह उसके करीब आजाएँगे
तो उनके कान, उनकी आँखें और उनकी खाल,
उनके खिलाफ उन के
किये हुए आमाल की गवाही देंगी।”
हज़रत मिकाईल की हालत
आप (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से दर्याप्त फ़रमाया :
“क्या बात है ? मैं ने मिकाईल (फ़रिश्ते) को हंसते हुए नहीं देखा?“
अर्ज़ किया: जब से दोज़ख की पैदाइश हुई है, मिकाईल नहीं हंसे।”
कलोंजी में हर बीमारी का इलाज है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम इस कलोंजी को इस्तेमाल करो, क्यों कि इस में मौत के अलावा हर बीमारी की शिफ़ा मौजूद है।”
फायदा: अल्लामा इब्ने कय्यिम फर्माते हैं : इस के इस्तेमाल से उफारा (पेट फूलना) खत्म हो जाता है, बलगमी बुखार के लिए नफ़ा बख्श है, अगर इस को पीस कर शहद के साथ माजून बना लिया जाए और गर्म पानी के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो गुर्दे और मसाने की पथरी को गला कर निकाल देती है।
आखिरत की कामयाबी दुनिया से बेहतर है
अल्लाह तआला कुरआन में फरमाता है :
“तुम लोगों को जो कुछ दिया गया है वह सिर्फ दुनियावी जिन्दगी में (इस्तेमाल की) चीजें हैं और जो कुछ (अज्र व सवाब) अल्लाह के पास है, वह इस (दुनिया) से कहीं बेहतर और बाकी रहने वाला है और वह उन लोगों के लिये है जो ईमान लाए और अपने रब पर भरोसा रखते हैं।”
दुनिया आरजी और आखिरत मुस्तकिल है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“दुनिया की ज़िन्दगी महज चंद रोज़ा है और अस्ल ठहरने की जगह तो आखिरत ही है।”