मौत की आरज़ू कभी मत करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –
तकलीफ़ और बीमारी की वजह से मौत की आरज़ू मत करो अगर तुम यही चाहते हो तो इस तरह दुआ करो:

( اللهم أحيني ما كانت المميزة خيزاتی وتولي إذا كانت الوفاة خيراتي )

तर्जमा: ऐ अल्लाह! तू मुझे ज़िन्दा रख जब तक मेरा ज़िन्दा रहना मेरे हक़ में बेहतर हो और मुझे मौत दे अगर मरना मेरे हक़ में बेहतर हो।

📕 बुखारी: ५६७१, अन अनस बिन मालिक रज़ि०

इस्लाम की दावत को ठुकराना एक बड़ा जुल्म

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“उस शख्स से बड़ा ज़ालिम कौन होगा, जो अल्लाह पर झूट बाँधे, जब के उसे इस्लाम की दावत दी जा रही हो और अल्लाह ऐसे जालिमों को हिदायत नहीं दिया करता।”

📕 सूरह सफ्फ ७

काफ़िरों की हालत

रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“काफ़िर अपनी ज़बान को एक या दो फरसख (यानी तकरीबन बारा किलोमीटर) तक जमीन पर घसीटते हुए चलेगा, और लोग उस को रौंदते हुए उस पर चलेंगे।”

📕 तिर्मिज़ी : २५८०, अन इब्ने उमर (र.अ)

जूं पड़ने का इलाज तिब्बे नबवी से

एक रिवायत में है के दो सहाबा ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से एक गजवे के मौके पर (कपड़ों में) जूं पड़ जाने की शिकायत की, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उन दोनों को रेश्मी कमीस पहनने की इजाजत दी।

फायदा: जूं पड़ना एक मर्ज है, जिस का इलाज आप (ﷺ) ने उस मौके पर रेश्मी लिबास तजवीज़ फ़र्माया, जरूरत की वजह से तजवीज़ करे तो गुन्जाइश है। अगरचे रेशमी कपडे आम तौर पे मर्दो पर हराम है (सुनन निसाई ५१४८/१०९)

📕 बुखारी : २९२०

हौजे कौसर की कैफियत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“हौज़े कौसर के बर्तन सितारों के बराबर होंगे, उस से जो भी इन्सान एक घूंट पी लेगा तो हमेशा के लिए उसकी प्यास बुझ जाएगी।”

📕 इब्ने माजा: ४३०३

किसी के सतर को देखने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अल्लाह तआला लानत करता हैं, उस शख्स पर जो जान बूझ कर किसी के सतर को देखता हो और उस पर भी लानत है जो बिला उज्र सतर दिखलाता हो।”

📕 बैहकी फी शोअबिल ईमान : ७५३८

सतर : इंसान के ढका रहने वाला बदन का हिस्सा, गुप्त अंग

जन्नत का मौसम

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“उन (अहले ईमान) के सब्र के बदले में (उन्हें) जन्नत और रेशमी लिबास अता किया जाएगा, उन की यह हालत होगी के जन्नत में मसेहरियों पर तकिये लगाए बैठे होंगे, वहाँ उन्हें न गर्मी का एहसास होगा और न वह सर्दी महसूस करेंगे।”

📕 सूरह दहर : १२ ता १३

आफत व बला दूर होने की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जो शख्स (माशाअल्लाह ला हौल वाला क़ूवता इल्लाह बिल्लाह ) पढ़ लिया करे, तो सिवाए मौत के अपने अहल व अयाल और माल में कोई आफत नहीं देखेगा।”

📕 तबरानी औसत: ४४१२

लोगों की जरूरतें पूरी करने वालो की फ़ज़ीलत

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अल्लाह तआला ने कुछ बन्दों को लोगों की जरूरत पूरी करने के लिये पैदा किया है, लोग उन के पास अपनी ज़रूरत ले कर जाते हैं, लोगों की जरूरत पूरी करने वाले यह लोग अल्लाह के अज़ाब से महफूज रहेंगे।”

📕 तबरानी कबीर : १३१५३

नमाज़ में भूल चूक हो जाए तो सज्दा-ए-सहव करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब तुम में से किसी को (नमाज़ में) भूल चूक हो जाए, तो सज्दा-ए-सहव कर ले।”

📕 मुस्लिम १२८३

फायदा : अगर नमाज़ में कोई वाजिब से छूट जाए या वाजिबात और फराइज़ में से किसी को अदा करने में देर हो जाए तो सज्द-ए-सब करना वाजिब है, इस के बगैर नमाज़ नहीं होती।

मुनक्का से पट्टे वगैरह का इलाज

हजरत अबू हिन्ददारी (र.अ) कहते हैं के –

रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में मुनक्का का तोहफा एक बन्द थाल में पेश किया गया। आप (ﷺ) ने उसे खोल कर इर्शाद फर्माया: 

“बिस्मिल्लाह” कह कर खाओ! मुनक्का बेहतरीन खाना है जो पेटों को मजबूत करता है, पुराने दर्द को खत्म करता है, गुस्से को ठंडा करता है और मुंह की बदबू को जाइल करता है, बलगम को निकालता है और रंग को निखारता है।”

📕 तारीखे दिमश्क लि इब्ने असाकिर : ६०/२१

लोगों के लिये वही चीज पसंद करो जो तुम अपने लिये पसंद करते हो

रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

तक़वा व परहेजगारी इख्तियार करो, सब से बड़े इबादत गुजार बन जाओगे
और थोड़ी चीज पर रजामन्द हो जाओ सब से बड़े शुक्रगुज़ार बन जाओगे
और लोगों के लिये वही चीज पसंद करो जो तुम अपने लिये पसंद करते हो,
तुम (सच्चे) मोमिन बन जाओगे
और तुम अपने पड़ोसी के साथ हुस्ने सुलूक करो (पक्के) मुसलमान बन जाओगे
और कम हँसा करो, क्योंकि ज्यादा हँसने से दिल मुर्दा हो जाता है।”

📕 इब्ने माजा : ४२१७

गुमशुदा चीज़ उठाकर अपने पास रखने का गुनाह: हदीस

Gumshuda cheez uthakar apne paas rakhne ka gunah Hadees

गुमशुदा चीज़ उठाकर अपने पास रखने का गुनाह

अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फ़रमाया:

“जो शख़्स गुमशुदाह चीज़ उठाके अपने पास रखे और उस (गुमशुदा चीज़) को (लौटाने के नियत से लोगो में) ऐलान ना करे तो वो शख़्स गुमराह है।”

📕 सहीह मुस्लिम, हदीस 4402

अल्लाह के रास्ते में खर्च किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“तुम लोग अल्लाह के रास्ते में खर्च किया करो,
अपने आप को अपने हाथों से हलाकत में न डालो
और खुलूस से काम किया करो,
क्योंकि अल्लाह तआला!
अच्छी तरह अमल करने वालों को पसन्द करता है।”

📕 सूरह बकरह: १९५

औरतों का चंद बातों पर अमल करना

औरतों का चंद बातों पर अमल करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“अगर औरत पाँच वक़्त की नमाज पढ़े और रमजान के रोजे रखे और अपनी शर्मगाह की हिफाज़त करे और अपने शौहर की फरमाबरदारी करे (तो कयामत के दिन) उससे कहा जाएगा: तुम जन्नत के जिस दरवाजे से चाहो जन्नत में दाखिल हो जाओ।”

📕 मुस्नदे अहमद : १६६४

अल्लाह के लिये मुहब्बत का बदला

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
अल्लाह तआला क़यामत के दिन फरमाएगा।

“मेरी अजमत की वजह से आपस में मुहब्बत करने वाले लोग आज कहाँ हैं ?
मैं आज उन को अपने साए में जगह दूँगा जब के मेरे साए के अलावा कोई साया न होगा।”

📕 मुस्लिम: ६५४८

दुनिया चाहने वालों के लिये नुकसान

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“जो शख्स आखिरत की खेती का तालिब हो, हम उसकी खेती में तरक्की देंगे और जो दुनिया की खेती का तालिब हो, (के सारी कोशिश उसी पर खर्च कर दे)। तो हम उस को दुनिया में से कुछ दे देंगे और ऐसे शख्स का आख़िरत में कोई हिस्सा नहीं।”

📕 सूरह शूरा : २०

नींद न आने का इलाज

हजरत जैद बिन साबित (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से नींद न आने की शिकायत की,
तो आप (ﷺ) ने फ़र्माया: यह पढ़ा करो:

तर्जमा : ऐ अल्लाह ! सितारे छुप गए और आँखें पुर सुकून हो गईं, तूह मेशा जिन्दा और कायम रहने वाला है, ऐ हमेशा जिन्दा और कायम रहने वाले! मेरी आंख को सुला दे और मेरी रात को पुर सुकून बना।

📕 मुअजमेल कबीर लित तबरानी: ४६८३

कयामत किन लोगों पर आएगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“कयामत सिर्फ बदतरीन लोगों पर ही आएगी।”

📕 मुस्लिम : ७४०२

फायदा: जब तक इस दुनिया में एक शख्स भी अल्लाह का नाम लेने वाला जिंदा रहेगा, उस वक्त तक दुनिया का निजाम चलता रहेगा, लेकिन जब अल्लाह का नाम लेने वाला कोई न रहेगा और सिर्फ बदतरीन और बुरे लोग ही रह जाएँगे, तो उस वक़्त क़यामत कायम की जाएगी।

कुआं खुदवाने का सवाब

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने पानी का कुंवा खुदवाया और उस से किसी प्यासे परिन्दे, जिन या इन्सान ने पानी पिया, तो कयामत के दिन अल्लाह तआला उसको अज्र अता फ़रमाएगा।”

📕 सही इब्ने खुजैमा : १२२७

नमाज़ से मुंह मोड़ने का गुनाह

मेअराज की रात रसूलुल्लाह (ﷺ) का गुज़र ऐसे लोगों पर हुआ जिन के सरों को कुचला जा रहा था, जब सर कुचल दिया जाता तो दोबारा फिर अपनी हालत पर लौट आता, फिर कुचल दिया जाता, इस अजाब में जर्रा बराबर कमी नहीं होती थी, हुजूर (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से पूछा : यह कौन लोग है?

हजरत जिब्रईल ने जवाब में फ़र्माया : 
यह वह लोग हैं जिन के चेहरे नमाज़ के वक्त भारी हो जाते थे, (यानी नमाज़ से मुंह चुराते थे)।

📕 अत्तरगीब क्त्तरहीब: ७९५, अन अबी हुरैरह (र.अ)

अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

” ऐ ईमान वालो! तुम अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो
और (शरीअत के मुताबिक फैसला करने वाले) हाकिमों की भी इताअत करो।”

📕 सूरह निसा : ५९

कयामत किस दिन कायम होगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“तुम्हारे दिनों में अफजल दिन जुमा का दिन है,
इसी रोज़ हज़रत आदम (अ.) को पैदा किया गया,
इसी रोज़ उन का इन्तेक़ाल हुआ,
इसी रोज सूर फूंका जाएगा और
इसी दिन क़यामत कायम होगी।”

📕 अबू दाऊद : १०४७

फसाद फैलाने की सज़ा

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

“जो लोग अल्लाह और उसके रसूल से लड़ते हैं, जमीन में फसाद करने की कोशिश करते हैं, ऐसे लोगों की बस यही सजा है के वह कत्ल कर दिये जाएं या सूली पर चढ़ा दिये जाएँ या उनके हाथ और पाँव मुखालिफ जानिब से काट दिये जाएं या वह मुल्क से बाहर निकाल दिये जाएँ। यह सजा उन के लिये दुनिया में सख्त रुसवाई (का जरिया) है और आखिरत में उनके लिये बहुत बड़ा अजाब है।”

📕 सूरह मायदा: ३३

सरगोशी करने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“ऐसी सरगोशी (खुफिया मश्वरा) सिर्फ शैतान की तरफ से है जो के मुसलमानों को रंज में मुब्तला कर दे, और वह अल्लाह की मशिय्यत व इरादे के बगैर (मुसलमानों को) कुछ भी नुकसान नहीं पहुँचा सकता और मुसलमानों को अल्लाह ही पर भरोसा रखना चाहिये।”

📕 सूरह मुजादला: १०

जन्नत का खेमा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जन्नत में मोती का खोलदार खेमा होगा, जिस की चौड़ाई साठ मील ही होगी। उस के हर कोने में जन्नतियों की बीवियाँ होंगी, जो एक दूसरी को नहीं देख पाएँगी और उनके पास उनके शौहर आते जाते रहेंगे।”

📕 सहीह बुखारी: ४८७९

गुस्ल करने का सुन्नत तरीका

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब गुस्ले जनाबत फ़र्माते,
तो सबसे पहले हाथ धोते, फिर सीधे हाथ से बाएँ हाथ पर पानी डालते,
फिर इस्तिन्जे की जगह धोते, फिर जिस तरह नमाज के लिये वुजू किया जाता है उसी तरह वुजू करते,
फिर पानी लेकर अपनी उंगलियों के जरिये सर के बालों की जड़ों में दाखिल करते,
फिर तीन दफा दोनों हाथ भर कर यके बाद दीगर सर पर पानी डालते,
फिर सारे बदन पर पानी बहाते और सबसे अखीर में दोनों पाँव धोते।

📕 मुस्लिमः १८

आखिरत की कामयाबी दुनिया से बेहतर है

अल्लाह तआला कुरआन में फरमाता है :

“तुम लोगों को जो कुछ दिया गया है वह सिर्फ दुनियावी जिन्दगी में (इस्तेमाल की) चीजें हैं और जो कुछ (अज्र व सवाब) अल्लाह के पास है, वह इस (दुनिया) से कहीं बेहतर और बाकी रहने वाला है और वह उन लोगों के लिये है जो ईमान लाए और अपने रब पर भरोसा रखते हैं।”

📕 सूर-ए-शूराः ३६

अज़ान के बाद दुआ पढ़ना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया: “जो बन्दा अजान सुनते वक़्त अल्लाह से यूँ दुआ करे:

Allahumma Rabba Hadhihi-D-Dawatit-Tammaa Was-Salatil Qaimah, Aati Muhammadan Al-Wasilata Wal-Fazilah, Wabaathhu Maqaman Mahmudan-Il-Ladhi Waadtah

तो वह बन्दा क़यामत के दिन मेरी शफाअत का हकदार हो गया।”

📕 बुखारी : ६१४

कोई चीज़ ऐब बताए बगैर बेचने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो शख्स कोई ऐबदार चीज़ उस का ऐब बताए बगैर बेचेगा, वह बराबर अल्लाह की नाराजगी में रहेगा और फरिश्ते उसपर लानत करते रहेंगे।”

📕 इब्ने माजा : २२४७

दुआए जिब्रईल से इलाज

हजरत आयशा (र.अ) बयान करती है के जब रसूलुल्लाह (ﷺ) बीमार हुए,
तो जिब्रईल ने इस दुआ को पढ़ कर दम किया:

[ ” اللہ کے نام سے ، وہ آپ کو بچائے اور ہر بیماری سے شفا دے اور حسد کرنے والے کے شر سے جب وہ حسد کرے اورنظر لگانے والی ہر آنکھ کے شرسے ( آپ کومحفوظ رکھے ۔ ) ” ]

तर्जुमा: “अल्लाह के नाम पर, वह आपको बचाये और आपको हर बीमारी और हसद की बुराई से, जब वह हसद करता है और हर आंख की बुराई से (जो आपको महफूज़ रखे)।”

📕 मुस्लिम: ५६९९

दुनिया की चीज़ों में गौर व फिक्र करना

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“इसी (बारिश के पानी के जरिये अल्लाह तआला तुम्हारे लिये खेती, जैतून, खजूर और अंगूर और हर किस्म के फल उगाता है, यकीनन इन चीजों में गौर व फिक्र करने वालों के लिये बड़ी निशानियां है।”

📕 सूरह नहल ११

जमीन में फसाद फैलाने का गुनाह

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है:

“बिलाशुबाह लोग जो अल्लाह से पक्का अहद करने के बाद तोड़ डालते हैं
और उन रिश्ते नातों को भी तोड़ डालते हैं जिन को अल्लाह ने जोड़े रखने का हुक़्म दिया है
और ज़मीन में फसाद फैलाते फिरते हैं,
तो ऐसे लोग बड़े ख़सारे (नुकसान उठाने) वाले हैं।”

📕 सूरह बकरह 2:27

माल व औलाद क़ुर्बे खुदावन्दी का जरिया नहीं

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : 

“तुम्हारे माल और तुम्हारी औलाद ऐसी चीज़ नहीं जो तुम को दर्जे में हमारा मुकर्रब बना दे, मगर हाँ! जो ईमान लाए और नेक अमल करता रहे, तो ऐसे लोगों को उनके आमाल का दूगना बदला मिलेगा और वह जन्नत के बाला खानों में आराम से रहेंगे।”

📕 सूरह सबा : ३७

दुनिया मोमिन के लिये कैदख़ाना है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“दुनिया मोमिन के लिये कैदखाना है और काफिर के लिये जन्नत है।”

📕 मुस्लिम : ७४१७

वजाहत: शरीअत के अहकाम पर अमल करना, नफसानी ख्वाहिशों को छोड़ना, अल्लाह और उसके रसूल के हुक्मों पर चलना नफ्स के लिये कैद है और काफिर अपने नफ्स की हर ख्वाहिश को पूरी करने में आज़ाद है, इस लिये गोया दुनिया ही उसके लिये जन्नत का दर्जा रखती है। अगरचे के आख़िरत में उसके लिए रुस्वाई है और मोमिन के लिए जन्नत।

किसी मुसलमान की ग़ीबत और बेइज्जती की सजा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जिस ने किसी मुसलमान (की गीबत की और उस की ग़ीबत) के बदले में एक लुक्मा भी खाया, तो कयामत के दिन अल्लाह तआला उस को एक लुक्मा जहन्नम से खिलाएगा और जिस ने किसी (मुसलमान की बेइज्जती की और उस) के बदले में उस को कपड़ा पहनने को मिला, तो कयामत के दिन अल्लाह तआला उस को उसी कद्र जहन्नम से पहनाएंगा।”

📕 अबू दाऊद : ४८८१, अन मुस्तरिद (र.अ)

अज़ान का जवाब दे कर दुआ करने की फ़ज़ीलत

एक आदमी ने अर्ज किया: “या रसूलल्लाह (ﷺ) ! मोअज्जिन हज़रात फजीलत में हम से आगे बढ गए।

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“तुम भी इसी तरह अज़ान का जवाब दिया करो, जिस तरह वह अजान देते है फिर जब तुम फारिग़ हो जाओ तो अल्लाह तआला से दुआ करो, तुम्हारी दुआ पूरी होगी!”

📕 अबू दाऊद : ५२४

गुनहगारों को नेअमत देने का मक्सद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब तू यह देखे के अल्लाह तआला किसी गुनहगार को उस के गुनाहों के बावजूद दुनिया की चीजें दे रहा है तो यह अल्लाह तआला की तरफ से ढील है।

📕 मुस्नदे अहमद : १६८६०

जो रहम नहीं करता उस पर भी रहम नहीं किया जाता

हज़रत अकरअ बिन हाबिस (र.अ) की मौजूदगी में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत हुसैन बिन अली का बोसा लिया।

यह देख कर हज़रत अकरअ विन हाबिस (र.अ) ने कहा: मेरे दसं बेटे हैं, मैंने कभी किसी का नहीं लिया। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने यह सुनकर फ़र्माया : “जो रहम नहीं करता उस पर रहम भी नहीं किया जाता।”

📕 अबू दाऊद: ५२१८

कुरआन का मजाक उड़ाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जब इन्सान के सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं, तो कहता है के यह पहले लोगों के किस्से कहानियां हैं। हरगिज़ नहीं! बल्के उन के बुरे कामों के सबब उन के दिलों पर जंग लग गया है।”

📕 सूरह मुतफ्फिफीन: १३ ता १४

इत्र लगाना

हजरते आयशा (र.अ) से मालूम किया गया के
रसूलुल्लाह इत्र लगाया करते थे? उन्होंने फ़रमाया :

“हाँ मुश्क वगैरह की उम्दा खुशबु लगाया करते थे।”

📕 निसाई: ५११९

दुनिया की चीजें चंद रोजा हैं

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : 

“जो कुछ भी तुम को दिया गया है, वह सिर्फ चंद रोज़ा ज़िन्दगी के लिये है और वह उस की रौनक है और जो कुछ अल्लाह तआला के पास है, वह इस से कहीं बेहतर और बाकी रहने वाला है। क्या तुम लोग इतनी बात भी नहीं समझते?”

📕 सूरह कसस : ६०

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कामयाब कौन है?

रसूलुल्लाह (ﷺ)ने इर्शाद फ़र्माया :

“कामयाब हो गया वह शख्स जिसने इस्लाम कबूल किया और उसको जरुरत के ब कद्र रोजी मिली और अल्लाह तआला ने उस को दी हई रोजी पर कनाअत करने वाला बना दिया।”

📕 मुस्लिम: २४२६

फराइज़ की अदायगी का सवाब

एक आदमी रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में हाजिर हुआ और अर्ज़ किया:

“या रसूलल्लाह ! अगर मैं इस बात की शहादत दू के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और आप अल्लाह के सच्चे रसूल है और पाँच वक्त की नमाज पढ़ता रहूँ और जकात देता रहु और रमज़ान के रोज़े रखा करूँ और उस की रातों में इबादत किया करूं तो मेरा शुमार किन लोगों में होगा?

आप (ﷺ) ने फ़रमाया: तम्हारा शुमार सिद्दिक़ीन और शोहदा में होगा।”

📕 सहीह इब्ने हिब्बान : ३५०७

अल्लाह का सहारा मजबूती से पकड़ लो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“और अल्लाह का सहारा मजबूती से पकड़ लो, वही तुम्हारा काम बनाने वाला है और (जिस का काम बनाने वाला अल्लाह हो तो) अल्लाह तआला क्या ही अच्छा काम बनाने वाला है और क्या ही अच्छा मददगार है।”

📕 सूरह हज: ७६

दोज़ख़ में बिच्छू के डसने का असर

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“दोजख में खच्चरों की तरह बिच्छू हैं, एक बार जब उनमें से एक बिच्छू डसेगा, तो दोजखी चालीस साल तक उस की जलन महसूस करेगा।”

📕 मुस्नदे अहमद : १७२६०

अपने अख़्लाक़ दुरूस्त करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“कामयाब हो गया वह आदमी जिस ने अपने दिल को ईमान के लिये सफारिश कर दिया और उसे सही सालिम रखा और अपनी जबान को सच्चा बनाया, अपने नफ़्स को नफ्से मुतमइन्ना और अख़्लाक़ को दुरूस्त बनाया और कानों को हक़ बात सुनने का और आँखों को अच्छी चीजों को देखने का आदी बनाया।”

📕 मुस्नदे अहमद: २०८०३, अन अबी जर (र.अ)

अमानत का वापस करना

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“अल्लाह तआला तुम को हुक्म देता है के जिन की अमानतें हैं उनको लौटा दो।”

📕 सूरह निसा: ५८

फायदा : अगर किसी ने किसी शख्स के पास कोई चीज़ अमानत के तौर पर रखी हो तो मुतालबे के वक़्त उसका अदा करना जरूरी है।

कलौंजी में मौत के सिवा हर बीमारी का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम इस कलौंजी (मंगरैला) को इस्तेमाल करो, क्योंकि इस में मौत के अलावा हर बीमारी से शिफ़ा मौजूद है।”

📕 बुखारी: 5687, अन आयशा (र.अ)

एक और रिवायत में आप (ﷺ) ने फ़रमाया :

“बीमारियों में मौत के सिवा ऐसी कोई बीमारी नहीं, जिस के लिये कलौंजी में शिफा नहो।”

📕 मुस्लिम ५७६८

नमाज़ में खामोश रहना (एक फर्ज अमल)

हज़रत जैद बिन अरकम (र.अ) फर्माते हैं :

(शुरू इस्लाम में) हम में से बाज़ अपने बाज़ में खड़े शख्स से नमाज की हालत में बात कर लिया करता था,
फिर यह आयत नाजिल हुई:

तर्जमाः अल्लाह के लिये खामोशी के साथ खड़े रहो (यानी बातें न करो)।

फिर हमें खामोश रहने का हुक्म दे दिया गया और बात करने से रोक दिया गया।

📕 तिर्मिज़ी : ४०५

फायदा: नमाज़ में बातचीत न करना और खामोश रहना जरूरी है।

जमाई / उबासी ले तो अपना हाथ मुंह पर रख ले

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जब तुम में से कोई शख्स जमाई / उबासी ले तो उस को अपना हाथ मुंह पर रख लेना चाहिये, क्योंकि (खुले) मुँह में शैतान दाखिल हो जाता है।”

📕 मुस्लिम: ७४९१, अन अबी सईद रज़ि०

जन्नत में दाखिल करने वाले आमाल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अल्लाह तआला की इबादत करते रहो, खाना खिलाते रहो और सलाम फैलाते रहो, (इन आमाल की वजह से जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।”

📕 तिर्मिज़ी : १८५५, अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ)

अहेद और कस्मों को तोड़ने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“यक़ीनन जो लोग अल्लाह तआला से अहेद कर के उस अहेद को और अपनी क़स्मों को थोड़ी सी कीमत पर फरोख्त कर डालते हैं, तो ऐसे लोगों का आखिरत में कोई हिस्सा नहीं और न अल्लाह तआला उनसे बात करेगा और न कयामत के दिन (रहमत की नज़र से) उनकी तरफ देखेगा और न उन को पाक करेगा और उन के लिये दर्दनाक अजाब होगा।”

📕 सूरह आले इमरान : ७७

नेअमत अता करने में अल्लाह तआला का कानून

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“अल्लाह जब किसी क़ौम को कोई नेअमत अता करता है तो उस नेअमत को उस वक्त तक नहीं बदलता जब तक वह लोग खुद अपनी हालत को न बदलें। यकीनन अल्लाह तआला बड़ा सुनने वाला और जानने वाला है।”

📕 सूरह अनफाल : ५३

मेहमान की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है

मेहमान की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जो आदमी अल्लाह और यौमे आखिरत पर ईमान रखता हो, उसे अपने मेहमान का इकराम करना चाहिये, एक दिन व रात की खिदमत उस का जाइज हक़ है और उस की दावत व मेहमान नवाजी तीन दिन है, उस के बाद की मेजबानी उस के लिये सदक़ा है और मेहमान के लिये जियादा दिन ठहर कर मेजबान को तंगी में मुब्तला करना जाइज नहीं है।”

📕 बुखारी : ६१३५

दाई करवट सोना

हज़रत बरा बिन आजिब (र.अ) बयान करते हैं के

“रसूलुल्लाह (ﷺ) जब बिस्तर पर तशरीफ लाते,
तो दाई (right) करवट पर आराम फर्माते।”

📕 बुखारी : ६३१५

बीमार पुरसी के वक़्त की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी बीमार की इयादत के लिये जाते या आप (ﷺ) की खिदमत में बीमार को हाज़िर किया जाता तो आप यह दुआ पढ़ते:

 اَللَّهُمَّ رَبَّ النَّاسِ مُذْهِبَ الْبَاسِ اشْفِ أَنْتَ الشَّافِيْ لَا شَافِيَ إِلَّا أَنْتَ شِفَاءً لَا يُغَادِرُ سَقَمًا

ALLAHumma Rabbannasi Muzhibal-baasi-shfee Antashhaafi La Shaafi Illa Anta Shifa-an La Yughaadiru Saqama

तर्जमा : “ऐ अल्लाह! लोगों के रब्ब! बीमारी को दूर करने वाले! शिफ़ा ‘अता फरमाए| तू ही शिफ़ा देने वाला है। तेरे सिवा कोई शिफ़ा देने वाला नहीं। ऐसी शिफ़ा ‘अता फरमा के जिसके बाद बीमारी बाक़ी न बचे।”

📕 बुखारी: ५६७५, अन आयशा (र.अ)

अल्लाह और उसके बन्दों के हुकूक अदा करो

क़ुरान में अल्लाह तआला फर्माता है:

अल्लाह के सिवा किसी की इबादत न करो, वालिदेन के साथ अच्छा सुलूक करो, रिश्तेदारों, यतीमों और मिसकीनों के साथ भी अच्छा बर्ताव करो, लोगों से ख़ुश अख्लाक़ी से बात करो, नमाज़ क़ायम करो और ज़कात अदा करो।”

📕 सूरह बकरा: 83  

हिजामा के फायदे: मुफीद तरीन इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“मुझे जिब्रईल (र.अ) ने यह बात बताई के हजामत ( पछना लगाना )
सब से जियादा नफा बख्श इलाज है।”

फायदा : हजामत से फासिद खून निकल जाता है जिसकी वजह से
बदन का दर्द और बहुत सारी  बीमारियां दूर हो जाती हैं।

📕 कन्जुल उम्माल : २८१३८

सना के फायदे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“मौत से अगर किसी चीज में शिफा होती तो सना में होती।”

📕 तिर्मिज़ी : २०८१

फायदा: सना एक दरख्त का नाम है, जिस की पत्ती तक़रीबन दो इंच लम्बी और एक इंच चौड़ी होती है, उस में छोटे छोटे पीले रंग के फूल होते हैं, उसकी पत्ती क़ब्ज़ के मरीज़ के लिये मुफीद है।

रुकू व सज्दा अच्छी तरह न करने पर वईद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

बदतरीन चोरी करने वाला शख्स वह है जो नमाज़ में से भी चोरी कर ले,
सहाबा ने अर्ज किया : या रसूलल्लाह (ﷺ) ! नमाज़ में से कोई किस तरह चोरी करेगा ?
फर्माया : वह रुकू और सज्दा अच्छी तरह से नहीं करता है।”

📕 इब्ने खुजैमा : ६४३

क़यामत की रुसवाई से बचने की दुआ

कयामत के दिन जिल्लत व रुसवाई से बचने के लिए इस दुआ का एहतमाम करना चाहिए:

رَبَّنَا وَآتِنَا مَا وَعَدتَّنَا عَلَىٰ رُسُلِكَ وَلَا تُخْزِنَا يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۗ إِنَّكَ لَا تُخْلِفُ الْمِيعَادَ

तर्जमा : ऐ हमारे परवरदिगार! तूने जो अपने रसूलों से वादा किया है, वह हमें अता फर्माइये और कयामत के दिन हमें रुसवा न कीजिए बेशक तू वादा खिलाफ़ी नहीं करता।

📕 सूर-ए-आले इमरान: १९४

बाराह रकात नफ़्ल नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स एक दिन में बाराह रकात नफ़्ल नमाज़ पढ़ेगा, तो इन नमाज़ों बदले में उसके लिए जन्नत में एक घर बनाया जाएगा।”

📕 अबू दाऊदः १२५०, अन उम्मे हबीबा (र.अ)

सोने के आदाब (सुन्नत)

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सोने का इरादा करते
तो अपने दाहने हाथ को दाहने गाल के नीचे रख कर सोते फिर तीन बार यह दुआ पढ़ते :

(Allahumma qinee ‘adhabaka yawma tab’athu ‘ibadaka)

तर्जुमा: (ऐ अल्लाह! मुझे (उस दिन) अपने अ़ज़ाब से बचा, जिस दिन तू अपने बन्दों को उठायेगा।

📕 अबू दाऊद : ५०४५

दुनिया पर मुतमइन नहीं होना चाहिये

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“जिन लोगों को हमारे पास आने की उम्मीद नहीं है और वह दुनिया की जिन्दगी पर राजी हो गए और उस पर वह मुतमइन हो बैठे और हमारी निशानियों से गाफिल हो गए हैं, ऐसे लोगों का ठिकाना उनके आमाल की वजह से जहन्नम है।”

📕 सूरह यूनुस ७ ता ८

जन्नतियों का लिबास

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“उन जन्नतियों के बदन पर बारीक और मोटे रेशम के कपड़े होंगे और उनको चाँदी के कंगन पहनाए जाएँगे और उनका रब उनको पाकीज़ा शराब पिलाएगा।
(अहले जन्नत से कहा जाएगा के) यह सब नेअमतें तुम्हारे आमाल का बदला हैं और तुम्हारी दुनियावी कोशिश कबूल हो गई।”

📕 सूरह दहर : २१ ता २२

किसी गुनाह को छोटा और मामूली न समझो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“ऐ आयशा खुद को उन गुनाहों से भी बचाने की कोशिश करो जिन का छोटा और मामूली समझा जाता है, क्यों कि इस पर भी अल्लाह की तरफ से फरिश्ता मुकर्रर है जो उस को लिखता रहता है।”

📕 इब्ने माजाह ४२५३ अन आयशा (र.अ)

सवारी के जानवर

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“उसी ने (यानी अल्लाह ने) घोड़े, खच्चर और गधे भी पैदा किये ताके तुम उन पर सवारी करो और जेब व ज़ीनत हासिल करो और आइंदा भी ऐसी चीजें पैदा कर देगा जिनको तुम अभी नहीं जानते।”

📕 सूरह नहल ८

पसंद के मुताबिक हदिया देना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो आदमी अपने मुसलमान भाई से किसी ऐसी चीज़ के साथ मुलाकात करे जिस से वह खुश होता हो, तो अल्लाह तआला उस को कयामत के दिन खुश कर देगा।

📕 तबरानी सगीर : ११७५

वजाहत: हदीस से मालूम हुआ के किसी दीनी भाई के यहाँ जाते वक़्त उस की पसंद के मुताबिक़ कोई चीज़ पेश करना चाहिये इस से अल्लाह की रजा व खुश्नूदी हासिल होती है।

क़यामत के दिन लोगों की हालत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“क़यामत के रोज़ सूरज एक मील के फासले पर होगा और उसकी गर्मी में भी इज़ाफा कर दिया जाएगा, जिस की वजह से लोगों की खोपड़ियों में दिमाग़ इस तरह उबल रहा होगा जिस तरह हाँड़ियाँ जोश मारती हैं, लोग अपने गुनाहों के बक़द्र पसीने में डूबे हुए होंगे, बाज टखनों तक, बाज़ पिंडलियों तक, बाज कमर तक और बाज़ के मुंह में लगाम की तरह होगा।”

📕 मुस्नदे अहमद : २१६८२

हलाल रोज़ी कमाओ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

रोज़ी को दूर न समझो, क्योंकि कोई आदमी उस वक्त तक नहीं मर सकता जब तक के जो रोजी उस के मुक़द्दर में लिख दी गई है, वह उस को न मिल जाए।

लिहाजा रोजी हासिल करने में बेहतर तरीका इख्तियार करो, हलाल रोजी कमाओ और हराम को छोड़ दो।”

📕 मुस्तदरक हाकिम : २१३४

तकब्बुर का अंजाम: दिल पर मुहर लग जाती है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो लोग बगैर किसी दलील के अल्लाह तआला की आयात में झगड़े निकाला करते है, अल्लाह तआला और अहले ईमान के नज़दीक यह बात बड़ी काबिले नफरत है, इसी तरह अल्लाह तआला हर मुतकब्बिर सरकश के दिल पर मुहर लगा देता है।”

📕 सूरह मोमिन : ३५

बुरे लोगों की सोहबत से बचने की दुआ

अपने आप को और अपनी औलाद को बुरे लोगों की सोहबत से बचाने के लिये यह दुआ पढ़े:

“Rabbi najjinee waahlee mimma yaAAmaloon”

तर्जमा: ऐ मेरे रब! मुझे और मेरे अहल व अयाल को उनके (बुरे) काम से नजात अता फ़र्मा।

📕 सूरह शुअरा : १६९

आप (ﷺ) की आखरी वसिय्यत

रसूलल्लाह (ﷺ) ने आखरी वसिय्यत यह इरशाद फ़रमाई :

“नमाजों और अपने ग़ुलामों के बारे में अल्लाह तआला से डरो।”
( यानी नमाज को पाबन्दी से पढ़ते रहा करो और गुलामों (नौकरों) के हुकूक अदा करो।)

📕 अबू दाऊद: ५१५६

वारिसीन के दर्मियान विरासत तकसीम करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : 

“माल (विरासत) को किताबुल्लाह के मुताबिक हक़ वालों के दर्मियान तकसीम करो।”

📕 मुस्लिम: ४१४३

फायदा : अगर किसी का इन्तेकाल हो जाए और उस ने माल छोड़ा हो, तो उस को तमाम हक वालों के दर्मियान तकसीम करना वाजिब है, बगैर किसी शरई वजह के किसी वारिस को महरूम करना या  अल्लाह तआला के बनाए हुए हिस्से से कम देना जाइज नहीं है ।

कुफ्र व नाफर्मानी की सजा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जो शख्स मुंह मोड़ेगा और कुफ्र करेगा, तो अल्लाह तआला उस को बड़ा अज़ाब देगा फिर उन को हमारे पास आना है। फिर हमारे ज़िम्मे उन का हिसाब लेना है।”

📕 सूरह गाशिया: २३ ता २६

जहन्नम की आग की सख्ती

जहन्नम की आग की सख्ती

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“दोजख को एक हजार साल तक दहकाया गया, तो वह लाल हो गई, फिर एक हजार साल तक दहकाया गया तो वह सफेद हो गई, फिर एक हजार साल तक दहकाया गया तो अब वह बहुत जियादा काली हो गई।”

📕 शोअबुल ईमान : ८१२

मुनाफ़िक की निशानियाँ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“मुनाफ़िक की तीन निशानियाँ हैं: जब बात करे तो झूट बोले, वादा करे तो पूरा न करे, जब कोई अमानत रखी जाए तो उस में खयानत करे।”

📕 बुखारी : ३३, मुस्लिम: २११

दय्यूस कौन है ?

दय्यूस वोह है जो अपने घर में बेहयाई होने दे

इब्ने उमर रज़िअल्लाहु अ़न्हु से रिवायत है कि,
अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया:

“तीन लोगों पर अल्लाह ने जन्ऩत हराम कर दी है।
शराब से मस्त रहने वाला, मां बाप से बदसुलूकी करने वाला
और दय्यूस जो अपने घर में ख़बासत (यानी बेहयाई) पर इक़रार कर ले (यानी उसे होने दे)।”

📕 मुस्नद अहमद; रावी: इब्ने उमर
📕 स़ही़ह़ अल जामे 3052-स़ही़ह़

मज़दूर की मज़दूरी पसीना सुखने से पहले दिया करो

मज़दूर को पसीना सुखने से पहले मज़दूरी दो

۞ हदीस: अब्दुल्ला इब्न उमर (रजि.) से रिवायत है की,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“मज़दूर को उसकी मज़दूरी उसका पसीना सुखने से पहले दे दो।”

📕सुनन इब्न माजाह, हदीस:600


मज़दूर को पूरी मजदूरी देना

۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“मैं क़यामत के दिन तीन लोगों का मुक़ाबिल बन कर उन से झगडूंगा, (उन तीन में से एक) वह शख्स है जिसने किसी को मज़दूरी पर रखा और उससे पूरा-पूरा काम लिया मगर उसको पूरी मज़दूरी नहीं दी।”

📕 इब्ने माजाह : २४४२

खुलासा: मज़दूर को मुकम्मल मज़दूरी देना वाजिब है।

अल्लाह ही रोजी तकसीम करता हैं

क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : 

“दुनियवी जिंदगी में उन की रोज़ी हम ने ही तकसीम कर रखी है और एक को दूसरे पर मर्तबा के एतबार से फज़ीलत दे रखी है ताकि एक दूसरे से काम लेता रहे।”

📕 सूर-ए-जुखरुफ़ :३२

हिकमत के लिये दुआ

हिकमत और सलाह व तकवा हासिल करने के लिये यह दुआ पढ़ें:

तर्जुमा: ऐ हमारे परवरदिगार! हमें हिकमत अता फ़रमा
और नेक लोगों के साथ शामिल फरमा।

📕 सूरह शुअरा : ८३

मुस्कुराते हुए मुलाकात करना

हजरत जरीर (र.अ) के फर्माते हैं के मेरे इस्लाम लाने के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मुझे कभी भी किसी भी वक्त अपने पास हाजिर होने से नहीं रोका और जब भी मुझे देखते तो आप मुस्कुराते थे।

📕 बूखारी : ३०३५

अल्लाह से मुहब्बत

रसूल अल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अल्लाह तआला से मुहब्बत रखो, इस वजह से के वह तूमको खाने के लिये अपनी नेअमतें देता है और मुझ से मुहब्बत रखो, इस वजह से के अल्लाह तआला को मुझ से मुहब्बत है।”

📕 तिर्मिज़ी: ३७८९

हर बीमारी का इलाज

एक मर्तबा हज़रत जिब्रईल (अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास तशरीफ़ लाए और पूछा: ऐ मुहम्मद (ﷺ) ! क्या आप को तकलीफ है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: हाँ! तो जिब्रईल ने यह दुआ पढ़ी:

तर्जमा: अल्लाह के नाम से दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो आपको तकलीफ़ दे ख्वाह किसी जानदार की बुराई हो या हसद करने वाली आँख की बुराई हो, अल्लाह के नाम से दम करता हूँ, अल्लाह आप को शिफा दे।

📕 तिर्मिज़ी : ९७२

अच्छे और बुरे बराबर नहीं हो सकते

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“क्या वह लोग जो बुरे काम करते हैं, यह समझते हैं के हम उन्हें और उन लोगों को बराबर कर देंगे जो ईमान लाते हैं और नेक अमल करते हैं के उन का मरना और जीना बराबर हो जाए, उनका यह फैसला बहुत ही बुरा है।”

📕 सूरह जासिया : २१

कीसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस

किसी की तकलीफ दूर करने का सवाब: हदीस

रसूलअल्लाह (ﷺ) फरमाते है:

“जिस शख्स ने किसी मुसलमान की दुनियावी मुश्किलात (तकलीफ) में से कोई मुश्किल दूर की तो अल्लाह तआला उस की क़यामत की मुश्किलात में से कोई मुश्किल दूर कर देगा”

📕 मुस्लिम, जिल्द 3, पेज 493

जहन्नुम की गहराई

दोजख (जहन्नुम) की गहराई

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“एक पत्थर को जहन्नम के किनारे से फेंका गया, वह सत्तर साल तक उस में गिरता रहा मगर उस की गहराई तक नहीं पहुंच सका।”

📕 मुस्लिम : ७४३५

अहले ईमान का बदला

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“उन (अहले ईमान और नेक अमल करने वालों) का बदला उन के रब के पास ऐसे हमेशा रहने वाले बाग़ होंगे, जिन के नीचे नहरें बह रही होंगी। यह लोग उन में हमेशा रहेंगे। अल्लाह तआला उन से राज़ी, और वह अल्लाह से खुश होंगे। और यह बदला हर उस शख्स के लिये है जो अपने रब से डरता है।”

📕 सूरह अल-बय्यिना 98:8

अजनबी औरत से मिलने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“तुम में से किसी के सर में लोहे की कील ठोंक दिया जाना इस से बेहतर है के वह किसी ऐसी (अजनबी) औरत को छुए जो उसके लिये हलाल नहीं है।”

📕 तबरानी कबीर : १६८८०