तक़दीर पर ईमान लाना

हर चीज़ तकदीर से है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

हर चीज़ तकदीर से है, यहाँ तक के आदमी का नाकारा और नाकाबिल और काबिल व होशियार होना (भी तकदीर ही से है)।”

📕 सहीह मुस्लिम : ६७५१

वजाहत: तकदीर कहते है के दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, अच्छा हो या बुरा वह सब अल्लाह तआला के हुक्म और उसकी मशिय्यत से है, हमारे ऊपर उसका यक़ीन रखना और उसपर ईमान लाना फर्ज है।

फिजूलखर्ची मत किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

“ऐ आदम की औलाद! तुम हर मस्जिद की हाज़री के वक्त अच्छा लिबास पहन लिया करो और खाओ पियो और फिजूलखर्ची मत किया करो, बेशक अल्लाह तआला फुजूल खर्ची करने वालों को पसन्द नहीं करता।”

📕 सूरह आराफ़: ३१

माल व दौलत आज़माइश की चीजें हैं

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“(जब अल्लाह तआला) इन्सान को आजमाता है तो उस को (जाहिरन माल व दौलत दे कर) उसका इकराम करता है, तो वह (बतौरे फन) कहने लगता है, के मेरे रब ने मेरी कद्र बढ़ा दी।
(हालांके यह उसकी तरफ से इसकी आज़माइश का ज़रिया है)।”

📕 सूरह फज्र : १५

औरतों का खुशबु लगाकर बाहर निकलने का गुनाह

रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो औरत इत्र लगा कर लोगों के पास से गुजरे, ताके लोग उस की खुश्बू महसूस करें, तो वह ज़ानिया है और हर (देखने वाली) आँख जिनाकार होगी।”

📕 तिर्मिज़ी : २७८६, अबी मूसा (र.अ)

ज़ानिया: जीना करने वाली खातून

फसाद फैलाने की सज़ा

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

“जो लोग अल्लाह और उसके रसूल से लड़ते हैं, जमीन में फसाद करने की कोशिश करते हैं, ऐसे लोगों की बस यही सजा है के वह कत्ल कर दिये जाएं या सूली पर चढ़ा दिये जाएँ या उनके हाथ और पाँव मुखालिफ जानिब से काट दिये जाएं या वह मुल्क से बाहर निकाल दिये जाएँ। यह सजा उन के लिये दुनिया में सख्त रुसवाई (का जरिया) है और आखिरत में उनके लिये बहुत बड़ा अजाब है।”

📕 सूरह मायदा: ३३

दुनिया की चीजें खत्म होने वाली हैं

दुनिया की चीजें खत्म होने वाली हैं

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : 

“जो कुछ तुम्हारे पास (दुनिया में) है वह (एक दिन) खत्म हो जाएगा और जो अल्लाह तआला के पास है वह हमेशा बाकी रहने वाली चीज़ है।”

📕 सूरह नहल: ९६

सबसे पहले जिन्दा होने वाले

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“हम दुनिया में सबसे आखिर में आए हैं, लेकिन कल हश्र (यानी आखिरत में जब सब को जमा किया जाएगा) तो हम सबसे पहले जिन्दा किये जाएँगे।”

📕 बुखारी : ८७६

जन्नत की सिफात

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“वह घर हमेशा रहने के बाग़ हैं, जिन में परहेजगार लोग दाखिल होंगे। उन बागों के नीचे दूध, शहद और पाकीज़ा शराब की नहरें बह रही होंगी, जिस चीज़ को उनका जी चाहेगा वह उन को वहाँ मिलेगी। अल्लाह तआला परहेजगारों को ऐसा ही बदला दिया करता है।”

📕 सूर नहल: ३१

जमात के लिये मस्जिद जाने की फ़ज़ीलत

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“जो शख्स बाजमात नमाज के लिये मस्जिद में जाए तो आते जाते हर कदम पर एक गुनाह मिटता है (हर कदम पर) और उसके लिये एक नेकी लिखी जाती है।”

📕 मुस्नदे अहमद : ६५६३

अल्लाह के रास्ते में जाने वाले को दुआ देना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक जमात को अल्लाह के रास्ते में रवाना करते हुए फ़रमाया :
“अल्लाह के नाम पर सफर शुरू करो और यह दुआ दी:

तर्जमा: ऐ अल्लाह! इनकी मदद फ़र्मा।

📕 तबरानी कबीर: ११३८९

जमात से नमाज़ अदा करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“जिस ने तक्बीरे ऊला के साथ चालीस दिन तक अल्लाह की रज़ा के लिए जमात के साथ नमाज़ पढी उस के लिये दोजख से नजात और निफाक से बरात के दो परवाने लिख दिये जाते हैं।”

📕 तिर्मिज़ी: २४१

कुफ्र की सज़ा जहन्नम है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जो लोग कुफ्र करते हैं तो अल्लाह तआला के मुकाबले में उन का माल और उन की औलाद कुछ काम नहीं आएगी और ऐसे लोग ही जहन्नम का इंधन होंगे।”

📕 सूरह आले इमरान : १०

सलाम करने के आदाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“छोटों को चाहिए के बड़ों को सलाम करें और चलने वालों को चाहिए के बैठे हुए को सलाम करें और कम लोगों को चाहिए के ज़ियादा लोगों को सलाम करें।”

📕 अबू दाऊद : ५१९८, अन अबी हुरैरह (र.अ)

दुनिया मोमिन के लिये कैदख़ाना है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“दुनिया मोमिन के लिये कैदखाना है और काफिर के लिये जन्नत है।”

📕 मुस्लिम : ७४१७

वजाहत: शरीअत के अहकाम पर अमल करना, नफसानी ख्वाहिशों को छोड़ना, अल्लाह और उसके रसूल के हुक्मों पर चलना नफ्स के लिये कैद है और काफिर अपने नफ्स की हर ख्वाहिश को पूरी करने में आज़ाद है, इस लिये गोया दुनिया ही उसके लिये जन्नत का दर्जा रखती है। अगरचे के आख़िरत में उसके लिए रुस्वाई है और मोमिन के लिए जन्नत।

कयामत के दिन पूरा पूरा बदला दिया जाएगा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जब हम उन लोगों को उस दिन जमा करेंगे, जिस के आने में कोई शक नहीं और हर एक आदमी को उस के आमाल का पूरा पूरा बदला दिया जाएगा और उन पर कोई जुल्म नहीं किया जाएगा।”

📕 सूर:आले इमरान : २५

आपस में झगड़ा न करो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“तुम अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो
और आपस में झगड़ा न करो,
वरना तुम बुजदिल हो जाओगे
और दुश्मन के मुकाबले में तुम्हारी हवा उखड़ जाएगी
और (मुसीबत के वक्त) सब्र करो,
बेशक अल्लाह तआला सब्र करने वालों के साथ है।”

📕 सूर-ए-अन्फाल : 46

रुख्सत के वक़्त मुसाफा करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी को रुख्सत फर्माते, तो उस का हाथ अपने हाथ में ले लेते और उस वक़्त तक (उसका हाथ) न छोड़ते, जब तक के वह आप के हाथ को खुद न छोड़ दे।

📕 तिर्मिजी : ३४४२, अन इब्ने उमर (र.अ)

आख़िरत में काफिर की बदहाली

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“क़यामत के दिन काफिर अपने पसीने में डूब जाएगा, यहाँ तक के वह पुकार उठेगा: ऐ मेरे परवरदिगार! जहन्नम में डालकर मुझे इस (अजाब) से नजात दे दीजिये।”

📕 कंजुल उम्माल : ३८९२३

यतीमों का माल खाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“यतीमों के माल उन को देते रहा करो और पाक माल को नापाक माल से न बदलो और उन का माल अपने मालों के साथ मिला कर मत खाओ ऐसा करना यकीनन बहुत बड़ा गुनाह है।”

📕 सूरह निसा : २

आबे जमजम के फवाइद

हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ.) कहते के
मैंने रसूलअल्लाह (ﷺ) को फरमाते हुए सुना:

“जमजम का पानी जिस निय्यत से पिया जाए, उस से वही फायदा हासिल होता है।”

📕  इब्ने माजाह ३०६२

जहन्नमी हथौड़े

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अगर जहन्नम के लोहे के हथौड़े से पहाड़ को मारा जाए, तो वह रेजा रेजा हो जाएगा, फिर वह पहाड़ दोबारा अपनी असली हालत पर लौट आएगा।”

📕 मुस्नदे अहमद : ११३७७

कयामत में तीन किस्म के लोग

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“कयामत के दिन जहन्नम से एक गर्दन निकलेगी, जिस की दो देखने वाली औंखें, दो सुनने वाले कान और एक बोलने वाली जुबान होगी, वह कहेगी: तीन किस्म के लोग मेरे सुपुर्द किए गए हैं:

(१) हर मगरूर हक जान कर रुगरदानी करने वाला।,
(२) अल्लाह के साथ किसी और को खुदा समझ कर पुकारने वाला।,
(३) तस्वीर बनाने वाला।

📕 शोअबुल ईमान: ६०८४, अन अबी हुरैरह (र.अ)

किसी गुनाह को छोटा और मामूली न समझो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“ऐ आयशा खुद को उन गुनाहों से भी बचाने की कोशिश करो जिन का छोटा और मामूली समझा जाता है, क्यों कि इस पर भी अल्लाह की तरफ से फरिश्ता मुकर्रर है जो उस को लिखता रहता है।”

📕 इब्ने माजाह ४२५३ अन आयशा (र.अ)

कलोंजी में हर बीमारी का इलाज है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम इस कलोंजी को इस्तेमाल करो, क्यों कि इस में मौत के अलावा हर बीमारी की शिफ़ा मौजूद है।”

📕 बुखारी: ५६८७,अन आयशा (र.अ)

फायदा: अल्लामा इब्ने कय्यिम फर्माते हैं : इस के इस्तेमाल से उफारा (पेट फूलना) खत्म हो जाता है, बलगमी बुखार के लिए नफ़ा बख्श है, अगर इस को पीस कर शहद के साथ माजून बना लिया जाए और गर्म पानी के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो गुर्दे और मसाने की पथरी को गला कर निकाल देती है।

अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ और अपने बीमारों का सदके से इलाज करो और अल्लाह तआला सामने आजिजी से इस्तकबाल करो।”

📕 तबरानी कबीर : १००४४

बीमार पुरसी के वक़्त की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी बीमार की इयादत के लिये जाते या आप (ﷺ) की खिदमत में बीमार को हाज़िर किया जाता तो आप यह दुआ पढ़ते:

 اَللَّهُمَّ رَبَّ النَّاسِ مُذْهِبَ الْبَاسِ اشْفِ أَنْتَ الشَّافِيْ لَا شَافِيَ إِلَّا أَنْتَ شِفَاءً لَا يُغَادِرُ سَقَمًا

ALLAHumma Rabbannasi Muzhibal-baasi-shfee Antashhaafi La Shaafi Illa Anta Shifa-an La Yughaadiru Saqama

तर्जमा : “ऐ अल्लाह! लोगों के रब्ब! बीमारी को दूर करने वाले! शिफ़ा ‘अता फरमाए| तू ही शिफ़ा देने वाला है। तेरे सिवा कोई शिफ़ा देने वाला नहीं। ऐसी शिफ़ा ‘अता फरमा के जिसके बाद बीमारी बाक़ी न बचे।”

📕 बुखारी: ५६७५, अन आयशा (र.अ)

जिस्म के दर्द का इलाज

हजरत उस्मान बिन अबिल आस (र.अ) ने रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में हाजिर हो कर अपने जिस्म के दर्द को बताया तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : जहां दर्द होता हो वहां हाथ रख कर तीन बार “बिस्मिल्लाह” और सात मर्तबा यह दुआ पढ़ो:

( أَعُوذُ بِاللَّهِ وَقُدْرَتِهِ مِنْ شَرِّ مَا أَجِدُ وَأُحَاذِرُ )

“A’udhu Billahi Wa Qudratihi Min Sharri Ma Ajidu Wa Uhadhiru”

तर्जमा: मैं अल्लाह और उस की कुदरत की पनाह चाहता हुँ उस तकलीफ़ से जो मुझे पहुँची है और जिस से मैं डरता हुँ। चुनान्चे उन सहाबी ने जब यह कलिमात कहे तो उन का दर्द खत्म हो गया फिर वह सहाबी अपने घर वालों और दूसरे जरुरतमंदों को हमेशा इन कलिमात की तलकीन करते रहते थे।

📕 मुस्लिम: ५७३७, अन उस्मान बिन अबिल आस (र.अ)

बदअख़्लाक़ी से बचने की दुआ

۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फरमाते थे :

‏اللَّهمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِن منْكَرَاتِ الأَخلاقِ، والأعْمَالِ، والأَهْواءِ‏

( Allahumma Inni A’udhu Bika Min Munkaratil-Akhlaqi Wal-Amali Wal-Ahwa )

तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! मै बुरे अख्लाक और ख्वाहिशात से तेरी पनाह चाहता हु।

📕 तिर्मिज़ी : ३५९१

पुरे यकींन से दुआ करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“तुम अल्लाह तआला से ऐसी हालत में दुआ किया करो के तुम्हें कुबूलियत का पूरा यकीन हो और यह जान रखो के अल्लाह तआला गफलत से भरे दिल की दुआ कबूल नहीं करता।”

📕 तिर्मिजी: ३४७९

जो शख्स किसी मां को उसके बच्चे से जुदा करेगा तो…

۞ हदीस: अनस रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की,
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:

“जो शख्स किसी मां को उसके बच्चे से जुदा करेगा अल्लाह सुबहानहु क़यामत के दिन उसको उसके महबूब लोगो से जुदा कर देगा।”

📕 जामिया तिरमिज़ी , जिल्द 1, 1291-हसन

ज़ियादा अमल की तमन्ना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अगर कोई बन्दा पैदाइश के दिन से मौत आने तक अल्लाह की इताअत में चेहरे के बल गिरा पड़ा रहे तो वह भी क़यामत के दिन अपने सारे अमल को हक़ीर समझेगा और यह तमन्ना करेगा के उस को दुनिया की तरफ वापस कर दिया जाए ताके और ज़ियादा नेक अमल कर ले।”

📕 मुस्नदे अहमद: १७१९८

मोहब्बत पाने का तरीका

एक शख्स ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से अर्ज किया :
ऐ अल्लाह के रसूल ! मुझे कोई ऐसा अमल बंता दीजिये जिसको मैं करूं
ताके अल्लाह तआला और लोग मुझसे मुहब्बत करने लगें।

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“दुनिया से मुँह मोड़ लो, तो अल्लाह तुम से मुहब्बत करने लगेगा और जो लोगों के पास है। (यानी माल व दौलत) उससे बेरूखी इख्तियार कर लो, तो लोग तुमसे मुहब्बत करने लगेंगे।”

📕 इब्ने माजा : ४१०२, अन सहल बिन सअद (र.अ)

सरगोशी करने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“ऐसी सरगोशी (खुफिया मश्वरा) सिर्फ शैतान की तरफ से है जो के मुसलमानों को रंज में मुब्तला कर दे, और वह अल्लाह की मशिय्यत व इरादे के बगैर (मुसलमानों को) कुछ भी नुकसान नहीं पहुँचा सकता और मुसलमानों को अल्लाह ही पर भरोसा रखना चाहिये।”

📕 सूरह मुजादला: १०

नमाज़ से मुंह मोड़ने का गुनाह

मेअराज की रात रसूलुल्लाह (ﷺ) का गुज़र ऐसे लोगों पर हुआ जिन के सरों को कुचला जा रहा था, जब सर कुचल दिया जाता तो दोबारा फिर अपनी हालत पर लौट आता, फिर कुचल दिया जाता, इस अजाब में जर्रा बराबर कमी नहीं होती थी, हुजूर (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से पूछा : यह कौन लोग है?

हजरत जिब्रईल ने जवाब में फ़र्माया : 
यह वह लोग हैं जिन के चेहरे नमाज़ के वक्त भारी हो जाते थे, (यानी नमाज़ से मुंह चुराते थे)।

📕 अत्तरगीब क्त्तरहीब: ७९५, अन अबी हुरैरह (र.अ)

जन्नत वालों का इनाम व इकराम

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“(जन्नती लोग) जन्नत में सलाम के अलावा कोई बेकार व बेहूदा बात नहीं सुनेंगे और जन्नत में सुबह व शाम उनको खाना (वगैरह) मिलेगा। यही वह जन्नत है, जिसका मालिक हम अपने बन्दों में से उस शख्स को बनाएँगे, जो अल्लाह से डरने वाला होगा।”

📕 सूरह मरयम : ६२ ता ६३

अजनबी औरत से मिलने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“तुम में से किसी के सर में लोहे की कील ठोंक दिया जाना इस से बेहतर है के वह किसी ऐसी (अजनबी) औरत को छुए जो उसके लिये हलाल नहीं है।”

📕 तबरानी कबीर : १६८८०

मुत्तक़ी और परहेज़गारों का इनाम

क़ुरआन में अल्लाह तआला ने इर्शाद फ़रमाया है:

“जो लोग परहेज़गारी और तक़वा के पाबंद थे, अल्लाह तआला उन को कामयाबी के साथ जहन्नम से बचा लेगा, न उन को किसी तरह की तकलीफ़ पहुँचेगी और न वह कभी ग़मगीन होंगे।”

📕 सूरह जुमर: ६१

ज़िना की कसरत और नाप तौल में कमी करने का वबाल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जिस कौम में ज़िना आम होता है, उस में ताऊन और ऐसी बीमारियां फ़ैल जाती हैं जो पहले नहीं थीं और जो लोग नाप तौल में कमी करते हैं, तो वह लोग कहत साली, परेशानियों और बादशाह (हुकुमरानों) के जुल्म के शिकार हो जाते हैं।”

📕 इब्ने माजा: ४०१९

मौत और माल की कमी से घबराना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“आदमी दो चीज़ों को नापसंद करता है, (हालांकि दोनों उस के लिए खैर है) एक मौत को, हालांकि मौत फ़ितनों से बचाव है, दूसरे माल की कमी को, हालांकि जितना माल कम होगा उतना ही हिसाब कम होगा।”

📕 मुस्नदे अहमदः २३११३

अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

” ऐ ईमान वालो! तुम अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो
और (शरीअत के मुताबिक फैसला करने वाले) हाकिमों की भी इताअत करो।”

📕 सूरह निसा : ५९

जख्म वगैरह का इलाज

हजरत आयशा (र.अ) फ़र्माती हैं :

अगर किसी को कोई ज़ख्म हो जाता या दाना निकल आता, तो । आप (ﷺ) अपनी शहादत की उंगली को (थूक के साथ) मिट्टी में रख कर यह दुआ पढ़ते:

तर्जमा: अल्लाह के नाम से हमारी जमीन की मिट्टी हम में से किसी के थूक के साथ मिली हुई लगाता हूँ, (ताके) हमारे रब के हुक्म से हमारा मरीज़ अच्छा हो जाए।

📕 मुस्लिम ५७१९

अपने घर वालों को खिलाना पिलाना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“जो तुमने खुद खा लिया वह तुम्हारे लिये सदका है और जो कुछ तुम ने अपनी औलाद को खिलाया वह तुम्हारे लिये सदका है और जो कुछ तुम ने अपनी बीवी को खिलाया वह तुम्हारे लिये सदका है और जो कुछ तुमने अपने खादिम को खिलाया उस में भी तुम्हारे लिये सदके का सवाब है।”

📕 मुस्नदे अहमद: १६७२७

बीमार की नमाज़

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“नमाज़ खड़े होकर अदा करो: अगर ताक़त न हो तो बैठ कर अदा करो, और अगर उस पर भी कदरत नहो तो पहलू के बल लेट कर अदा करो।”

📕 बुखारी : १९१७

फायदा : अगर कोई बीमार हो और खड़े होकर नमाज़ पढ़ने पर क़ादिर न हो तो रुकू व सज्दा के साथ बैठ कर पढ़े, अगर रुकू व सज्दे पर भी कादिर न हो, तो बैठ कर इशारे से पढ़े और अगर बैठ कर पढ़ने की ताकत न रखता हो तो लेट कर पढ़े।

वुजू में चमड़े के मोज़े पर मसह करना

हज़रत अली (र.अ) फ़र्माते हैं :

“मैं ने हुजूर (ﷺ) को मोज़े के ऊपर के हिस्से पर मसह करते देखा।”

📕 अबू दाऊद : १६२

नोट: जब किसी ने बावुजू चमड़े का मोज़ा पहेना हो, फिर वुजू टूट जाए,
तो वुजू करते वक्त उन मोजों के ऊपरी हिस्से पर मसह करना जरूरी है।

कयामत के दिन के सवालात

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“इन्सान के क़दम कयामत के दिन अल्लाह के सामने से उस वक़्त तक नहीं हटेंगे
जब तक उस से पाँच चीज़ो के बारे में सवाल न कर लिया जाए।

(1) उसकी उम्र के बारे में कि उसको कहाँ खत्म किया।
(2) उसकी जवानी के बारे में के उसको कहाँ ख़र्च किया।
(3) माल कहाँ से कमाया
(4) कहाँ खर्च किया।
(5) इल्म के मुताबिक़ क्या-क्या अमल किया।

📕 तिर्मिजी:2416, अन अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ)

दुनिया व आखिरत में आफियत की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

बन्दे की अपने रब से माँगी जाने वाली दुआओं में सबसे अफजल यह है:

तर्जमा: ऐ अल्लाह! मैं दुनिया और आखिरत में तुझसे आफियत व भलाई का सवाल करता हूँ।

📕 इब्ने माजा: ३८५१

नफ़्स की बुराई से पनाह माँगने की दुआ

रसूलल्लाह (ﷺ) ने हजरत इमरान बिन हुसैन (र.अ) के वालिद को यह दुआ सिखाई:

तर्जमा: ऐ अल्लाह! मेरे दिल में भलाई डाल दे और मेरे नफ़्स की बुराई से मुझे बचा दे।

📕 तिर्मिज़ी: ३४८३

दुनिया की इमारतें साहिबे इमारत के लिए वबाल होगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) एक मर्तबा एक गुंबद वाली इमारत के पास से गुज़रे तो फर्माया :
“यह किस ने बनाया है? लोगों ने बताया के फलाँ शख्स ने, तो फर्मायाः

“क़यामत के दिन मस्जिद के अलावा हर इमारत साहिबे इमारत के लिए वबाल होगी।”

📕 शोअबुल ईमान : १०३०३, अन अनस बिन मालिक (र.अ)

अगर किसी बात पर तुम में इख़्तेलाफ़ हो जाए

कुरआन में अल्लाह तआला फर्रमाता है :

“अगर किसी बात पर तुम में इख़्तेलाफ़ हो जाए, तो अल्लाह और उसके रसूल के हुक्म की तरफ रूजूअ करो, अगर तुम अल्लाह और क़यामत के दिन पर ईमान रखते हो, यह तरीका तुम्हारे लिये बेहतर है और अच्छा भी है।”

📕 सूरह निसा: 59

कब्र का अज़ाब बरहक है

रसूलुल्लाह (ﷺ) दो कब्रों के करीब से गुजरे, आप ने फ़र्माया :

“इन दो कब्र वालों को अज़ाब हो रहा है, इन्हें किसी बड़े गुनाह की वजह से अज़ाब नहीं दिया जा रहा है, इन में से एक तो पेशाब (के छींटों) से नहीं बचता था और दूसरा चुगलखोरी किया करता था।”

📕 बुखारी: २१८. अन इब्ने अब्बास (र.अ)

वजाहत: इस हदीस से मालूम हुआ के कब्र का अज़ाब बरहक है और इन्सानों को अपने गुनाहों की सजा कब्र से ही मिलनी शुरू हो जाती है।

मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम

मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम

अबू हुरैरा (रज़ि) से रिवायत है की, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया –

3 तरह के लोग वो होंगे जिनकी तरफ कयामत के दिन अल्लाह तआला नज़र (नज़र-ए-रहमत) भी नहीं उठाएगा और ना उन्हें पाक करेगा, बल्कि उनके लिए दर्दनाक अज़ाब होगा।

एक वो शख़्स जिसके पास रास्ते में ज़रूरत से ज़्यादा पानी हो और उसने किसी मुसाफ़िर को उसके इस्तमाल से रोक दिया।

दूसरा वो शख्स जो किसी हाकीम से बैत सिर्फ दुनिया के लिए करे, कि अगर वो हाकीम उसे कुछ दे तो वो राजी रहे वरना खफा हो जाए।

तीसरा वो शख्स जो अपना (बेचने का तिजारती) सामान असर के बाद लेकर खड़ा हुआ और कहने लगा कि उस अल्लाह की कसम जिसके सिवा कोई सच्चा माबूद नहीं, मुझे इस सामान की कीमत इतनी मिल रही थी उस पर एक शख्श ने उसे सही समझा (और उस सामान को खरीद लिया) (यानी झूठ को इख्तियार करके तिजारत करनेवाला)।

📕 सहीह बुखारी, हदीस 2358

दाई करवट सोना

हज़रत बरा बिन आजिब (र.अ) बयान करते हैं के

“रसूलुल्लाह (ﷺ) जब बिस्तर पर तशरीफ लाते,
तो दाई (right) करवट पर आराम फर्माते।”

📕 बुखारी : ६३१५

तोहफा देने वाले के साथ सुलूक

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जिस शख्स को हदिया (तोहफा) दिया जाए, अगर उस के पास भी देने के लिए हो, तो उसको बदले में हदिया देने वाले को दे देना चाहिए और अगर कुछ न हो तो (बतौर शुक्रिया) देने वाले की तारीफ़ करनी चाहिए। क्यों कि जिस ने तारीफ़ की उसने शुक्रिया अदा कर दिया और जिस ने छुपाया उसने नाशुक्री की।”

📕 अबू दाऊद : ४८१३

दुनिया में खुद को मशगूल न करो

रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“तुम में से कयामत के दिन मुझ से ज़ियादा करीब वह शख्स होगा, जो दुनिया से उसी तरह निकल आए, जिस तरह मैं छोड़ कर जा रहा हूँ; अल्लाह की कसम! मेरे सिवा तुम में से हर एक दुनिया की किसी न किसी चीज़ में फंसा हुआ है।”

📕 मुस्नदे अहमद ; हदीस २०९४७

दुनियावी ख्वाहिशों को पूरा करने का अंजाम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स दुनिया में अपनी ख्वाहिशों को पूरा करता है, वह आखिरत में अपनी ख्वाहिशात के पूरा करने से महरूम होता है।”

📕 बैहाकि फी शोअबिल ईमान : ९३९०

नोट: अपनी तमाम चाहतों को इसी में पूरी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिये वरना आखिरत में महरूम हो जाएगा।

गुनहगारों के लिये जहन्नम की आग है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“(अल्लाह का अज़ाब उस दिन होगा) जिस दिन आसमान थर थर काँपने लगेगा और पहाड़ अपनी जगह से चल पड़ेंगे। उस दिन झुटलाने वालों के लिये बड़ी खराबी होगी, जो बेहूदा मशगले में लगे रहते हैं, उस दिन उन को जहन्नम की आग की तरफ धक्के मार कर धकेला जाएगा (और कहा जाएगा) यही वह आग है जिस को तुम झुटलाया करते थे।”

📕 सूरह तूर : ९ ता १४

रात के आखरी हिस्से में अल्लाह अपने बन्दे से करीब होता हैं

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अल्लाह तआला रात के आखरी हिस्से में बन्दे से बहुत जियादा करीब होता हैं, अगर तुमसे हो सके, तो उस वक़्त अल्लाह तआला का जिक्र किया करो।”

📕 तिर्मिजी : ३५७९, अन अम्र बिन अबसा (र.अ)

नमाज़ दीन ऐ इस्लाम का सुतून है

एक आदमी ने आप (ﷺ) से अर्ज़ किया ऐ अल्लाह के रसूल ! इस्लाम में अल्लाह के नजदीक सबसे ज़ियादा पसन्दीदा अमल क्या है ? आप (ﷺ) ने फर्माया :

“नमाज़ को उस के वक्त पर अदा करना और जो शख्स नमाज़ को (जान बूझ कर) छोड़ दे उसका कोई दीन नहीं है, और नमाज़ दीन का सुतून है।”

📕 बैहकी फी शोअबिल ईमान : २६८३, अन उमर (र.अ)

ईमान की बरकत से जहन्नम से छुटकारा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

जब जन्नती जन्नत में चले जाएंगे और जहन्नमी जहन्नम में चले जाएंगे, तो अल्लाह तआला फरमाएगा:

जिस के दिल में राई के दाने के बराबर भी ईमान हो उसे भी जहन्नम से निकाल लो, चुनान्चे उन लोगों को भी निकाल लिया जाएगा, जिनकी यह हालत होगी के वह जल कर काले सियाह हो गए होंगे। उसके बाद उन को “नहरे हयात” में डाला जाएगा, तो इस तरह निकल आएंगे जैसे दाना सैलाब के कड़े में (खाद और पानी मिलने की वजह से) उग आता है।”

📕 बुखारी: २२, अन अबी सईद खुदरी (र.अ)

अल्लाह से डरते रहो जैसा के उस से डरने का हक्र है

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो जैसा के उस से डरने का हक्र है और मरते दम तक इस्लाम पर क़ाएम रहना।”

📕 सूरह आले इमरान :१०२

इस्तिगफार की बेशुमार बरकतें

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो शख्स पाबंदी के साथ इस्तिगफ़ार करेगा, अल्लाह तआला हर तंगी में उस के लिए आसानी पैदा करेगा, उसे हर गम से नजात दिलाएगा और उसे ऐसी जगह से रिज्क अता करेगा, जहां से उस को वहम व गुमान भी नहीं होगा।”

📕 अबू दाऊद : १५१८, इब्ने अब्बास (र.अ)

दुनिया की रगबत का खौफ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

मैं तुम से पहले जाने वाला हूँ और मैं तुम पर गवाह हूँ, तुमसे मिलने की जगह हौज़ होगी और अब मैं यहाँ खड़े हो कर उसे देख रहा हूँ, मुझे इस बात का अन्देशा नहीं के तुम मेरे बाद शिर्क करोगे, मगर इस बात का डर है के तुम कहीं दुनिया में रगबत न करने लगो।”

📕 मुस्नदे अहमद : १६९४९

मुसाफा से गुनाहों का झड़ना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब मोमिन दूसरे मोमिन से मिल कर सलाम करता है और उस का हाथ पकड़ कर मुसाफा करता है, तो उन दोनों के गुनाह इस तरह झड़ते हैं जैसे दरख्त के पत्ते गिरते हैं।”

📕 तबरानी औसत : २५०, अन हुजैफा (र.अ)

औरत के लिये चंद आमाल

रसुलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब औरत पाँच वक्त की नमाज पढती रहे और अपनी इज्जत की हिफाजत करती रहे और अपने शौहर की फरमाबरदारी करती रहे तो वह जन्नत के जिस दरवाजे से चाहे, दाखिल हो जाए।”

📕 सही इब्ने हिम्बान : ४२३७

दुनिया छूटने वाली है जब की “बन्दा कहता है मेरा माल मेरा माल…”

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“बन्दा कहता है मेरा माल मेरा माल, हालांकि उस के लिए उस के माल में से तीन चीजें हैं:

(१) वह जो खा कर खत्म कर दिया, (२) जो पहेन कर पुराना कर दिया, (३) वह जो (सदका) देकर (आखिरत के लिए) ज़खीराह कर लिया। और इसके अलावा जो कुछ है वह खत्म होने वाला और लोगों के लिए छोड़ने वाला है।”

📕 मुस्लिम, हदीस ४२२

हज़रत मिकाईल की हालत

आप (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से दर्याप्त फ़रमाया :

“क्या बात है ? मैं ने मिकाईल (फ़रिश्ते) को हंसते हुए नहीं देखा?“
अर्ज़ किया: जब से दोज़ख की पैदाइश हुई है, मिकाईल नहीं हंसे।”

📕 मुस्नद अहमद : १२९३०

जहन्नमियों का खाना

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जहन्नम वालों का आज न कोई दोस्त होगा और न कोई खाने की चीज़ नसीब होगी, सिवाए जख्मों के धोवन के जिस को बड़े गुनहगारों के सिवा कोई न खाएगा।

📕 सूरह हाक्का : ३५ ता ३७


“दोज़खियों को खौलते हुए चश्मे का पानी पिलाया जाएगा, उन को कांटेदार दरख्त के अलावा कोई खाना नसीब न होगा, जो न मोटा करेगा और न भूक को दूर करेगा।”

📕 सूर-ए-गाशीया: ५ ता ७

अल्लाह और उस के रसूल का हुक्म मानो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“तुम अल्लाह तआला और उस के रसूल का हुक्म मानो
और हुक्म की खिलाफ वरजी से बचते रहो,
फिर अगर तुम मुँह मोड़ोगे (और नहीं मानोगे) तो
यकीन जानो के हमारे रसूल के जिम्मे तो
सिर्फ अहकाम को साफ साफ पहुँचा देना है।”

📕 सूरह मायदा ९२

सामान ऐब बताए बगैर फरोख्त करने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“मुसलमान मुसलमान का भाई है और किसी मुसलमान के लिये अपने भाई से ऐब वाले सामान को ऐब बयान किए बगैर फरोख्त करना जाइज नहीं।”

📕 इब्ने माजा : २२४६, अन उकबा बिन आमिर (र.अ)

अपने बीवी बच्चों से होशियार रहो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“ऐ ईमान वालो ! तुम्हारी बाज़ बीवियाँ और बाज़ औलाद तुम्हारे हक़ में दुश्मन हैं, तो तुम उन से होशियार रहो।”

वजाहत: बीवी बच्चे बाज़ मर्तबा दुनियावी नफे के लिये शरीअत के खिलाफ कामों का हुक्म देते हैं, उन्हीं लोगों को अल्लाह तआला ने दीन का दुश्मन बताया है और उन के हुक्म को पूरा न करने की हिदायत दी है।

📕 सूरह तग़ाबुन : १४

जोड़ों के दर्द का इलाज

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़र्माया :

अंजीर खाओ (फिर उस की अहमियत बताते हुए इर्शाद फर्माया) अगर मैं कहता के जन्नत से कोई फल उतरा है तो यही है, क्यों कि जन्नत के फलों में गुठली नहीं है।”

(और अंजीर का यही हाल है) लिहाजा इसे खाओ, इस लिए के यह बवासिर को खत्म करता है और जोड़ो के दर्द में मुफीद है।”

📕 कंजुल उम्माल: २८२७६

इताअत ऐ रसूल (ﷺ) की अहमियत

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“(ऐ नबी (ﷺ) ) आप कह दीजिए के अगर तुम अल्लाह तआला से मोहब्बत रखते हो, तो तुम लोग मेरी पैरवी करो। अल्लाह भी तुम से मुहब्बत करेगा और तुम्हारे गुनाहों को बख्श देगा।”

📕 सूरह आले इमरान; ३१

पडोसी का एहतराम किया करो

۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जो अल्लाह और आखिरत के दिन पर ईमान रखता हो उसे अपने पडोसी का इकराम करना चाहिये।

सहाबा ने पुछा: या रसुलल्लाह (ﷺ) पड़ोसी का क्या हक़ है ?

फरमाया : अगर वह तुम से कुछ माँगे तो उस को दे दिया करो।”

📕 तरगीब व तरहीब : ३६५७

इस्लाम की दावत को ठुकराना एक बड़ा जुल्म

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“उस शख्स से बड़ा ज़ालिम कौन होगा, जो अल्लाह पर झूट बाँधे, जब के उसे इस्लाम की दावत दी जा रही हो और अल्लाह ऐसे जालिमों को हिदायत नहीं दिया करता।”

📕 सूरह सफ्फ ७

कयामत किस दिन कायम होगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“तुम्हारे दिनों में अफजल दिन जुमा का दिन है,
इसी रोज़ हज़रत आदम (अ.) को पैदा किया गया,
इसी रोज़ उन का इन्तेक़ाल हुआ,
इसी रोज सूर फूंका जाएगा और
इसी दिन क़यामत कायम होगी।”

📕 अबू दाऊद : १०४७

हक को झुटलाने की सज़ा

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: 

“हमने उन (कौमे आद) के लोगों को उन चीजों की कुदरत दी थी के जिन की कुदरत तुम को नहीं दी और हमने उन को कान और आँखें और दिल अता किए थे। चूँकि वह अल्लाह की आयतों का इनकार करते थे, इसलिये न उन के कान उन के कुछ काम आए, न उन की आँखें और न उन के दिल; और जिस अजाब का वह मजाक उड़ाया करते थे उसी ने उन को आ घेरा।”

📕 सूर अल-अह्काफ़: २६

नींद न आने का इलाज

हजरत जैद बिन साबित (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से नींद न आने की शिकायत की,
तो आप (ﷺ) ने फ़र्माया: यह पढ़ा करो:

तर्जमा : ऐ अल्लाह ! सितारे छुप गए और आँखें पुर सुकून हो गईं, तूह मेशा जिन्दा और कायम रहने वाला है, ऐ हमेशा जिन्दा और कायम रहने वाले! मेरी आंख को सुला दे और मेरी रात को पुर सुकून बना।

📕 मुअजमेल कबीर लित तबरानी: ४६८३

निमोनिया का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने निमोनिया के लिये वर्स, कुस्त और रोग़ने जैतून पिलाने को मुफीद बतलाया है।

फायदा : “वर्स” तिल के मानिंद एक किस्म की घास है, जिस से रंगाई का काम लिया जाता है और “कुस्त” एक खुशबूदार लकड़ी है जिस को ऊदे हिन्दी भी कहते हैं।

📕 इब्ने माजा : ३४६७

हर जानदार को मौत का मज़ा चखना है

कुल्लु नफ़्सिन ज़ाइक़त-उल-माैत

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

(कुल्लु नफ़्सिन ज़ाइक़त-उल-माैत)
हर जानदार को मौत का मज़ा चखना है और तुम को क़यामत के दिन आमाल का पूरा पूरा बदला दिया जाएगा, फिर जो शख्स जहन्नम की आग से बचाकर जन्नत में दाखिल कर दिया गया, तो वह कामयाब हो गया।”

📕 सूरह आले इमरान: १८५

पानी न मिलने पर तयम्मुम करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“पाक मिट्टी मुसलमान का सामाने तहारत है, अगरचे दस साल तक पानी न मिले, पस जब पानी पाए तो चाहिये के उस को बदन पर डाले यानी उस से वुजू या ग़ुस्ल कर ले। क्योंकि यह बहुत अच्छा है।”

📕 अबू दाऊद : ३३२

खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“रहमान (अल्लाह) की इबादत करो और खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो (चाहे उस से जान पहचान हो या न हो) तुम जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।”

📕 तिर्मिज़ी : १८५५

मेहमान का अच्छे अलफाज़ से इस्तिकबाल करना

हज़रत इब्ने अब्बास फ़रमाते हैं के,

जब रसूलुल्लाह (ﷺ) की ख़िदमत में क़बील-ए-बनू अबदुल कैस के लोग आए,
तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया “खुशामदीद” (यानी आपका आना मुबारक हो।)

📕 बुखारी: ५३

फायदा: जब कोई मेहमान आए, तो खुशामदीद, मरहबाया इस तरह के अल्फ़ाज़ कहना सुन्नत है।

सबसे अच्छा मुसलमान कौन है ?

अबू मूसा (र.अ) से रिवायत है के, कुछ सहाबा ने पूछा, या रसूल अल्लाह ﷺ ! कौन सा इस्लाम अफज़ल है (यानि सबसे अच्छा मुसलमान कौन है) तो नबी-ऐ-करीम ﷺ ने फ़रमाया:

“वह शख्स जिस की जबान और हाथ से दूसरे मुसलमान महफूज रहें।”

📕 बुखारी : ११

फासिद खून का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“बेहतरीन दवा हिजामा (पछना लगाना, cupping) है, क्यों कि वह फ़ासिद खून को निकाल देती है, निगाह को रौशन और कमर को हल्का करती है।”

📕 मुस्तदरक : ८२५८, अन इन्ने अब्बास (र.अ)

पेट से ज्यादा बुरा कोई बर्तन नहीं

आदमी (इंसान) ने पेट से ज्यादा बुरा कोई बर्तन नहीं भरा। इब्ने आदम को चंद लुक्मे काफी है जो उसकी पीठ को सीधा रखे। लेकिन अगर ज्यादा खाना ज़रूरी हो तो तिहाई पेट खाने के लिए, तिहाई पानी के लिए और तिहाई साँस के लिए रखे।”

📕 तिर्मिजी: २३८०

जन्नत का मौसम

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“उन (अहले ईमान) के सब्र के बदले में (उन्हें) जन्नत और रेशमी लिबास अता किया जाएगा, उन की यह हालत होगी के जन्नत में मसेहरियों पर तकिये लगाए बैठे होंगे, वहाँ उन्हें न गर्मी का एहसास होगा और न वह सर्दी महसूस करेंगे।”

📕 सूरह दहर : १२ ता १३

पछना के जरिये दर्द का इलाज

हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) बयान करते हैं के :

“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एहराम की हालत में दर्द की वजह से सर में पछना लगवाया।”

📕 बुखारी: ५७०१

फायदा: पछना लगाने से बदन से फ़ासिद खून निकल जाता है जिस की वजह से दर्द वगैरह खत्म हो जाता है और आँख की रोशनी तेज़ हो जाती है।

कसरत से सज्दा करने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“कसरत से सज्दा किया करो क्योंकि जब तुम सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के लिये सज्दा करोगे तो अल्लाह तआला उस के बदले तुम्हें एक दर्जा बुलंद करेगा और तुम्हारा एक गुनाह माफ करेगा।”

📕 मुस्लिम: 1093