इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से अल्लाह की पनाह मांगना

रसूलुल्लाह (ﷺ) अक्सर यह दुआ किया करते थे :

तर्जमा: “ऐ अल्लाह ! मैं आपस के इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से तेरी पनाह चाहता हूँ।”

📕अबू दाऊद : १५४६

अल्लाह के रास्ते में जाने वाले को दुआ देना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक जमात को अल्लाह के रास्ते में रवाना करते हुए फ़रमाया :
“अल्लाह के नाम पर सफर शुरू करो और यह दुआ दी:

तर्जमा: ऐ अल्लाह! इनकी मदद फ़र्मा।

📕 तबरानी कबीर: ११३८९

पसंद के मुताबिक हदिया देना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो आदमी अपने मुसलमान भाई से किसी ऐसी चीज़ के साथ मुलाकात करे जिस से वह खुश होता हो, तो अल्लाह तआला उस को कयामत के दिन खुश कर देगा।

📕 तबरानी सगीर : ११७५

वजाहत: हदीस से मालूम हुआ के किसी दीनी भाई के यहाँ जाते वक़्त उस की पसंद के मुताबिक़ कोई चीज़ पेश करना चाहिये इस से अल्लाह की रजा व खुश्नूदी हासिल होती है।

नफा बख्श इल्म के लिए दुआ

हज़रत अबू हुरैरह (र.अ) फर्माते हैं के रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फरमाते थेः

”ऐ अल्लाह ! जो इल्म तूने मुझे दिया है इस से नफ़ा अता फर्मा और मुझे नफ़ा बख्श इल्म अता फ़र्मा और मेरे इल्म में ज़ियादती अता फ़र्मा।”

📕 तिर्मिज़ी : ३५९९

नमाज़ से मुंह मोड़ने का गुनाह

मेअराज की रात रसूलुल्लाह (ﷺ) का गुज़र ऐसे लोगों पर हुआ जिन के सरों को कुचला जा रहा था, जब सर कुचल दिया जाता तो दोबारा फिर अपनी हालत पर लौट आता, फिर कुचल दिया जाता, इस अजाब में जर्रा बराबर कमी नहीं होती थी, हुजूर (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से पूछा : यह कौन लोग है?

हजरत जिब्रईल ने जवाब में फ़र्माया : 
यह वह लोग हैं जिन के चेहरे नमाज़ के वक्त भारी हो जाते थे, (यानी नमाज़ से मुंह चुराते थे)।

📕 अत्तरगीब क्त्तरहीब: ७९५, अन अबी हुरैरह (र.अ)

फज़्र और अस्त्र की नमाज़ पाबन्दी से अदा करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“हरगिज़ वह आदमी जहन्नम में दाखिल नहीं हो सकता, जो सूरज निकलने से पहले फज़्र की नमाज और सूरज गुरूब होने से पहले अस्र की नमाज़ पढ़े।”

📕 मुस्लिम : १४३६

सूद खाने का अजाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) फ़रमाते हैं के :

“मेराज की शब मेरा गुजर चंद ऐसे लोगों पर हुआ जिन के पेट धड़ों के मानिन्द बड़े बड़े थे, जिस में सांप थे, जो पेट के बाहर से नजर आते थे, मैं ने हज़रत जिब्रईल से पूछा: यह कौन लोग हैं? तो फ़रमाया: यह सूद खाने वाले हैं।”

📕 इब्ने माजाः २२७३

आपस में झगड़ा न करो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“तुम अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो
और आपस में झगड़ा न करो,
वरना तुम बुजदिल हो जाओगे
और दुश्मन के मुकाबले में तुम्हारी हवा उखड़ जाएगी
और (मुसीबत के वक्त) सब्र करो,
बेशक अल्लाह तआला सब्र करने वालों के साथ है।”

📕 सूर-ए-अन्फाल : 46

क़यामत के दिन इन्सान के आज़ा की गवाही

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

“जिस दिन अल्लाह के दुश्मन (यानी कुफ्फार)
दोज़ख की तरफ जमा
(करने के मौकफ में) लाएंगे,
फिर वह रोके जाएँगे (ताके बाकी आजाएँ)
यहाँ तक के जब वह उसके करीब आजाएँगे
तो उनके कान, उनकी आँखें और उनकी खाल,
उनके खिलाफ उन के
किये हुए आमाल की गवाही देंगी।”

📕 सूरह फुसिलत: १९ ता २०

बात ठहर ठहरकर और साफ साफ़ करना

हजरत आयशा (रजि०) फरमाती  है के,

“हुजूर (ﷺ) की बात जुदा जुदा होती थी, जो सुनता समझ लेता था।”

📕 अबू दाऊदः हदीस 4839

फायदा: जब किसी से बात करे, तो साफ़ साफ़ बात करे, ताके सुनने वाले को समझने में कोई परेशानी ना हो, यह आप (ﷺ) की सुन्नत है।

वरम (सूजन) का इलाज

हज़रत अस्मा (र.अ) के चेहरे और सर में वरम (सूजन) हो गया,

तो उन्होंने हजरत आयशा (र.अ) के जरिये आप (ﷺ) को इस की खबर दी। चुनान्चे हुजूर (ﷺ) उन के यहाँ तशरीफ़ ले गए और दर्द की जगह पर कपड़े के ऊपर से हाथ रख कर तीन मर्तबा यह दुआ फ़रमाई।

اللهم أذْهِبْ عَنْهَا سُولَهُ وَفَحْشَهُ بِدَعْوَةٍ بَيْكَ الطَّيِّبِ الْمُبَارَكَ الْمَكِينِ عِندَكَ ، بسم الله

फिर इर्शाद फ़र्माया : यह कह लिया करो, चुनांचे उन्हों ने तीन दिन तक यही अमल किया तो उन का वरम जाता रहा।

📕 दलाइलुनबुवह लिल बैहकी: २४३०

मस्जिदे नबवी में चालीस नमाज़ों का सवाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जिस ने मेरी मस्जिद में चालीस नमाज़े अदा की और कोई नमाज़ कजा नहीं की, तो उस के लिए जहन्नम से बरात और अज़ाब से नजात लिख दी जाती है और निफ़ाक से बरी कर दिया जाता है।”

📕 मुसनदे अहमद : १२९४१, अन अनस (र.अ)

रसूल (ﷺ) के हुक्म को न मानने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जो लोग रसूलुल्लाह (ﷺ) के हुक्म की खिलाफ वरजी करते हैं,
उनको इस से डरना चाहिये के कोई आफत उन पर आ पड़े
या कोई दर्दनाक अज़ाब उन पर आ जाए।”

📕 सूरह नूर : ६३

वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करना

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“हम ने इन्सानों को अपने वालिदैन के साथ हुस्ने सुलूक ही करने का हुक्म दिया है।”

📕 सूरह अहकाफ:१५

फायदा: वालिदैन की इताअत फ़रमाबरदारी करना, उनके साथ अच्छा सलूक करना और उनके सामने अदब के साथ पेश आना इन्तेहाई जरूरी है।

खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“रहमान (अल्लाह) की इबादत करो और खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो (चाहे उस से जान पहचान हो या न हो) तुम जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।”

📕 तिर्मिज़ी : १८५५

बुरे आमाल की नहूसत

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“खुश्की और तरी (यानी पूरी दुनिया) में लोगों के बुरे आमाल की वजह से हलाकत व तबाही फैल गई है, ताके अल्लाह तआला उन्हें उन के बाज़ आमाल (की सज़ा) का मजा चखा दे, ताके वह अपने बुरे आमाल से बाज आ जाएँ।”

📕 सूरह रूम: ४१

पाक दामन औरतों पर तोहमत लगाने का गुनाह

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

“जो लोग पाक दामन औरतों पर (ज़िना की) तोहमत लगाते हैं, फिर अपने दावे पर चार गवाह न ला सकें, तो ऐसे लोगों को अस्सी कोड़े लगाओ और आइन्दा कभी उन की गवाही कबूल न करो और यह लोग (सख्त) गुनहगार हैं, मगर जो लोग इस तोहमत के बाद तौबा कर लें और अपनी इस्लाह कर लें, तो बेशक अल्लाह तआला बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है।”

📕 सूरह नूर : ४ ता ५

मौत की आरज़ू कभी मत करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –
तकलीफ़ और बीमारी की वजह से मौत की आरज़ू मत करो अगर तुम यही चाहते हो तो इस तरह दुआ करो:

( اللهم أحيني ما كانت المميزة خيزاتی وتولي إذا كانت الوفاة خيراتي )

तर्जमा: ऐ अल्लाह! तू मुझे ज़िन्दा रख जब तक मेरा ज़िन्दा रहना मेरे हक़ में बेहतर हो और मुझे मौत दे अगर मरना मेरे हक़ में बेहतर हो।

📕 बुखारी: ५६७१, अन अनस बिन मालिक रज़ि०

गुनाहों की मगफिरत का वजीफा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“ज़मीन पर जो शख्स भी “La ilaha illallah, Wallahu Akbar, La Hawla Wala Quwwata Illa Billahil Aliyyil Azeem” पढ़ता है, तो उस के तमाम गुनाह माफ हो जाते हैं ख्वाह समन्दर के झाग के बराबर हों।”

📕 तिर्मिज़ी : ३४६०

गुर्दे की बीमारियों का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –

“पहलू के दर्द का सबब गुर्दे की नस है, जब वह हरकत करती है, तो इन्सान को तकलीफ होती है लिहाज़ा उसका इलाज गर्म पानी और शहद से करो।”

📕 मुस्तदरक हाकिम : ८२३७, अन आयशा रज़ि०

फाएदा: गुर्दे में जब पथरी वगैरह हो जाती है, तो कूल्हों में दर्द होता है, अकसर इसी दर्द ही की वजह से बीमारी का पता चलता है, उसका इलाज आप ने यह बतलाया के गर्म पानी और शहद मिला कर पियो।

आखिरत दुनिया से बेहतर है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“तुम दुनियावी जिंदगी को मुकद्दम रखते हो, हालांके ! आखिरत दुनिया से बेहतर है और बाकी रहने वाली है (इसलिए आखिरत ही की तय्यारी करो)।”

📕 सूरह आला : १६ ता १७

दुनिया से बेरग़वती का इनाम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:

“जो शख्स जन्नत का ख्वाहिश मन्द होगा वह भलाई में जल्दी करेगा।
और जो शख्स जहन्नम से खौफ करेगा, वह ख्वाहिशात से गाफिल (बेपरवाह) हो जाएगा
और जो मौत का इंतज़ार करेगा उसपर लज्जतें बेकार हो जाएगी
और जो शख्स दुनिया में जुद (दुनिया से बेरगबती) इख्तियार करेगा,
उस पर मुसीबतें आसान हो जाएँगी।”

📕 शोअबुल ईमान: १०२१९

बेवा और मिस्कीन की मदद करने की फजीलत

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“बेवा और मिस्कीन के कामों में जद्दो जहद करने वाला अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने वाले के बराबर है।”

📕 बुखारी : ५३५३ अन अबी हुरैरह (र.अ)

हमेशा सच्ची गवाही देना

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“ऐ ईमान वालो ! इन्साफ पर कायम रहते हुए अल्लाह के लिए गवाही दो, चाहे वह तुम्हारी जात, वालिदैन और रिश्तेदारों के खिलाफ ही (क्यों न हो।”

📕 सूरह निसा : १३५

फायदा: सच्ची गवाही देना और झूठी गवाही देने से बचना जरुरी है।

अज़ान देने की फ़ज़ीलत

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जिस शख्स ने बारा साल तक अजान दी, उस के लिये जन्नत वाजिब हो गई और हर रोज अजान के बदले उसके लिये साठ नेकियाँ लिखी जाएँगी और हर तक्बीर पर तीस नेकियाँ मिलेंगी।” 

📕 इब्ने माजा : ७२८

अल्लाह से मदद चाहो और हिम्मत मत हारो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“अपने नफे की चीज को कोशिश से हासिल करो और अल्लाह से मदद चाहो और हिम्मत मत हारो और अगर तुम्हें कोई हादसा पेश आजाए तो यू मत कहो के अगर मैं यू करता तो एसा हो जाता बल्के यू कहो के अल्लाह तआला ने यही मुकद्दर फर्माया था और जो उसको मंजूर था उसने वही किया।”

📕 मुस्लिम ६७७४

मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम

मुसाफिर को पानी न देने का अंजाम

अबू हुरैरा (रज़ि) से रिवायत है की, रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया –

3 तरह के लोग वो होंगे जिनकी तरफ कयामत के दिन अल्लाह तआला नज़र (नज़र-ए-रहमत) भी नहीं उठाएगा और ना उन्हें पाक करेगा, बल्कि उनके लिए दर्दनाक अज़ाब होगा।

एक वो शख़्स जिसके पास रास्ते में ज़रूरत से ज़्यादा पानी हो और उसने किसी मुसाफ़िर को उसके इस्तमाल से रोक दिया।

दूसरा वो शख्स जो किसी हाकीम से बैत सिर्फ दुनिया के लिए करे, कि अगर वो हाकीम उसे कुछ दे तो वो राजी रहे वरना खफा हो जाए।

तीसरा वो शख्स जो अपना (बेचने का तिजारती) सामान असर के बाद लेकर खड़ा हुआ और कहने लगा कि उस अल्लाह की कसम जिसके सिवा कोई सच्चा माबूद नहीं, मुझे इस सामान की कीमत इतनी मिल रही थी उस पर एक शख्श ने उसे सही समझा (और उस सामान को खरीद लिया) (यानी झूठ को इख्तियार करके तिजारत करनेवाला)।

📕 सहीह बुखारी, हदीस 2358

कुआं खुदवाने का सवाब

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने पानी का कुंवा खुदवाया और उस से किसी प्यासे परिन्दे, जिन या इन्सान ने पानी पिया, तो कयामत के दिन अल्लाह तआला उसको अज्र अता फ़रमाएगा।”

📕 सही इब्ने खुजैमा : १२२७

शहीद कौन कौन लोग हैं

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“पाँच लोग शहीद हैं। ताऊन में मरने वाला, पेट की बीमारी में मरने वाला, डूब कर मरने वाला, दीवार वग़ैरा के गिरने से मरने वाला और राहे ख़ुदा में कत्ल होने वाला।”

📕 बुखारी: ६५३ अन अबी हुरैरा (र.अ)

जो रहम नहीं करता उस पर भी रहम नहीं किया जाता

हज़रत अकरअ बिन हाबिस (र.अ) की मौजूदगी में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत हुसैन बिन अली का बोसा लिया।

यह देख कर हज़रत अकरअ विन हाबिस (र.अ) ने कहा: मेरे दसं बेटे हैं, मैंने कभी किसी का नहीं लिया। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने यह सुनकर फ़र्माया : “जो रहम नहीं करता उस पर रहम भी नहीं किया जाता।”

📕 अबू दाऊद: ५२१८

इस्तिगफार की बेशुमार बरकतें

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो शख्स पाबंदी के साथ इस्तिगफ़ार करेगा, अल्लाह तआला हर तंगी में उस के लिए आसानी पैदा करेगा, उसे हर गम से नजात दिलाएगा और उसे ऐसी जगह से रिज्क अता करेगा, जहां से उस को वहम व गुमान भी नहीं होगा।”

📕 अबू दाऊद : १५१८, इब्ने अब्बास (र.अ)

सबसे पहले जिन्दा होने वाले

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“हम दुनिया में सबसे आखिर में आए हैं, लेकिन कल हश्र (यानी आखिरत में जब सब को जमा किया जाएगा) तो हम सबसे पहले जिन्दा किये जाएँगे।”

📕 बुखारी : ८७६

अल्लाह तआला अद्ल व इंसाफ का हुक्म देता है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“अल्लाह तआला अद्ल व इंसाफ और अच्छा सुलूक करने का और रिश्तेदारों को माली मदद करने का हुक्म देता है और बेहयाई, नापसन्द कामों और जुल्म व ज़ियादती से मना करता है, वह तुम्हें ऐसी बातों की नसीहत करता है, ताके तुम याद रखो।”

📕 सूरह नहल : ९०

दुनिया की जाहिरी हालत धोका है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“यह लोग सिर्फ दुनियावी ज़िंदगी की ज़ाहिरी हालत को जानते हैं और यह आख़िरत से बिल्कुल ग़ाफिल हैं।” (यानी इन्सान सिर्फ दुनिया की चीजों को जानते और उसी को हासिल करने की फिक्र में लगे रहते हैं, उन्हें पता ही नहीं है के इस के बाद दूसरी जिंदगी आने वाली है और वह हमेशा हमेशा की जिंदगी है, लिहाजा दुनिया में लगने के बजाए आखिरत की तय्यारी में मशगूल रहना चाहिये।)”

📕 सूरह रूम : ७

जमीन पर अकड़ कर मत चलो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जमीन पर अकड़ कर मत चलो (क्योंकि) तुम न तो जमीन को फाड़ सकते हो और ना तन कर चलने से पहाड़ों की बुलन्दी तक पहुँच सकते हो।”

📕 सूरह बनी इस्माईल : ३७

खजूर से इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़ारमाया :

“जचगी की हालत में तुम अपनी औरतों को तर खजूर खिलाओ और अगर वह न मिलें तो सूखी खजूर खिलाओ।”

📕 मुस्नदे अबी याला; ४३४

खुलासा : बच्चे की पैदाइश के बाद खजूर खाने से औरत के जिस्म का फासिद खून निकल जाता है। और बदन की कमजोरी खत्म हो जाती है।

गुनहगारों को नेअमत देने का मक्सद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब तू यह देखे के अल्लाह तआला किसी गुनहगार को उस के गुनाहों के बावजूद दुनिया की चीजें दे रहा है तो यह अल्लाह तआला की तरफ से ढील है।

📕 मुस्नदे अहमद : १६८६०

शिर्क और कत्ल करने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“अल्लाह तआला हर गुनाह को माफ कर सकता है, मगर उस आदमी को माफ नहीं करेगा,
जो शिर्क की हालत में मर जाए, दूसरा वह आदमी जो किसी (बेगुनाह) मुसलमान भाई को जानबूझ कर क़त्ल कर दे।”

📕 अबू दाऊद: ४२७०

बीवियों के साथ अच्छा सुलूक करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“ईमान वालों में ज़ियादा मुकम्मल ईमान वाले वह लोग हैं, जो अखलाक में ज्यादा अच्छे हैं और तुम में सबसे अच्छे वह लोग हैं जो अपनी बीवियों के साथ अच्छा बरताव करते हैं।”

📕 तिर्मिज़ी: ११६२

दुनिया चाहने वालों के लिये नुकसान

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :

“जो शख्स आखिरत की खेती का तालिब हो, हम उसकी खेती में तरक्की देंगे और जो दुनिया की खेती का तालिब हो, (के सारी कोशिश उसी पर खर्च कर दे)। तो हम उस को दुनिया में से कुछ दे देंगे और ऐसे शख्स का आख़िरत में कोई हिस्सा नहीं।”

📕 सूरह शूरा : २०

कयामत के हालात

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है

“जब सूरज बेनूर हो जाएगा और सितारे टूट कर गिर पड़ेंगे और जब पहाड़ चला दिए जाएँगे और जब दस माह की गाभिन ऊँटनियाँ (कीमती होने के बावजूद आजाद) छोड़ दी जाएँगी और जब जंगली जानवर जमा हो जाएँगे और जब दर्या भड़का दिए जाएंगे।”

📕 सूर तकवीर: १-६

हर बीमारी का इलाज

एक मर्तबा हज़रत जिब्रईल (अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास तशरीफ़ लाए और पूछा: ऐ मुहम्मद (ﷺ) ! क्या आप को तकलीफ है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: हाँ! तो जिब्रईल ने यह दुआ पढ़ी:

तर्जमा: अल्लाह के नाम से दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो आपको तकलीफ़ दे ख्वाह किसी जानदार की बुराई हो या हसद करने वाली आँख की बुराई हो, अल्लाह के नाम से दम करता हूँ, अल्लाह आप को शिफा दे।

📕 तिर्मिज़ी : ९७२

अल्लाह तआला अपने बंदे से क्या कहता है?

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“अल्लाह तआला फ़र्माता है : ऐ इब्ने आदम ! तू मेरी इबादत के लिए फारिग हो जा, मैं तेरे सीने को मालदारी से भर दूंगा और तेरी मोहताजगी को खत्म कर दूंगा और अगर ऐसा नहीं करेगा, तो मैं तेरे सीने को मशगूली से भर दूंगा और तेरी मोहताजगी को बंद नहीं करूंगा।”

📕 तिर्मिज़ी : २४६६

काफ़िर नाकाम होंगे

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“बेशक जो लोग काफिर हो गए और (दूसरों को भी) अल्लाह के रास्ते से रोका और हिदायत ज़ाहिर होने के बाद अल्लाह के रसूल की मुखालफत की, तो यह लोग अल्लाह (के दीन) को ज़रा भी नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे और अल्लाह तआला उन के तमाम आमाल को बरबाद कर देगा।”

📕 सूरह मुहम्मद : ३२

अहले जन्नत की नेअमत: अहले जन्नत ऐश व राहत में होंगे

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:

“बेशक अहले जन्नत (ऐश व राहत के) मजे ले रहे होंगे, वह और उन की बीवियाँ सायों में मसहेरियों पर तकिये लगाए बैठे होंगे और उन के लिये उस जन्नत में हर किस्म के मेवे होंगे और जो वह तलब करेंगे उनको मिलेगा।”

📕 सूरह यासीन ५५ ता ५७

सब से बड़ा तक़वे वाला कौन है

एक शख्स ने रसूलल्लाह (ﷺ) की खिदमत में आकर अर्ज़ किया:

“ऐ अल्लाह के रसूल लोगों में सब से बड़ा जाहिद कौन है ?”

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
वह आदमी जो कब्र और उस की बोसीदगी को न भूले और दुनिया की जरूरत से ज़ियादा जेब व जीनत को छोड़ दे, बाकी रहने वाली (आखिरत) को फना हो जाने वाली (दनिया) पर तरजीह दे, आने वाले कल को अपनी (जिन्दगी का) दिन शुमार न करे और अपने आप को मुर्दो की फहेरिस्त में शुमार करे (तो यह सबसे बड़ा ज़ाहिद है)”

📕 तरग़ीब व तरहीब : ४५५३

मुसीबत के वक्त की दुआ

जब कोई मुसीबत पहुँचे या उसकी खबर आए, तो यह दुआ पढ़ेः

“इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजिऊन”

तर्जमा : हम सब (मअ माल व औलाद हकीक़त में) अल्लाह तआला ही की मिल्कियत में है और मरने के बाद) हम सब को उसी के पास लौट कर जाना है।

📕 सूर-ए-बकरह: १५६

किसी गुनाह को छोटा और मामूली न समझो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“ऐ आयशा खुद को उन गुनाहों से भी बचाने की कोशिश करो जिन का छोटा और मामूली समझा जाता है, क्यों कि इस पर भी अल्लाह की तरफ से फरिश्ता मुकर्रर है जो उस को लिखता रहता है।”

📕 इब्ने माजाह ४२५३ अन आयशा (र.अ)

खाने के बाद उंगलियां चाटने का फ़ायदा

रसूलुल्लाह (ﷺ) जब खाना खा लेते तो अपनी तीनों उंगलियों को चाटते।

फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम कहते हैं के खाना खाने के बाद उंगलियां चाटना हाज़मे के लिए इन्तेहाई मुफीद है।

तफ्सील में जानकारी के लिए यह भी देखे
» उंगलियों के पोरों पर कीटनाशक प्रोटीन

📕 मुस्लिम : ५२९६

अल्लाह तआला से जो वादा करो उस को पूरा किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जब तुम बात किया करो, तो इन्साफ का ख्याल रखा करो, अगरचे वह शख्स तुम्हारा रिश्तेदार ही हो और अल्लाह तआला से जो अहद करो उस को पूरा किया करो, अल्लाह तआला ने तुम्हें इस का ताकीदी हुक्म दिया है। ताके तुम याद रखो (और अमल करो)।

📕 सूरह अन्आमः १५३

इजाजत तलब करो

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“(अगर किसी से मिलने जाओ तो अन्दर दाखिल होने से पहले) तीन मर्तबा इजाजत तलब करो, अगर इजाजत मिल जाए तो ठीक है वरना वापस लौट जाओ।”

📕 मुस्लिम : ५६३३

कुफ्र की सज़ा जहन्नम है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जो लोग कुफ्र करते हैं तो अल्लाह तआला के मुकाबले में उन का माल और उन की औलाद कुछ काम नहीं आएगी और ऐसे लोग ही जहन्नम का इंधन होंगे।”

📕 सूरह आले इमरान : १०

मोतदिल गिज़ा का इस्तेमाल

खीरा (ककड़ी) के फवाइद

रसूलुल्लाह (ﷺ) खजूर के साथ खीरे खाते थे।

📕 बुखारी : ५४४७

फायदा : मुहद्विसी ने किराम फ़र्माते हैं के खजूर चूँकि गर्म होती है इस लिये आप (ﷺ) उस के साथ ठंडी चीज खीरा (ककड़ी) इस्तेमाल फर्माते थे ताके दोनों मिलकर मोतदिल हो जाएं।

अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

” ऐ ईमान वालो! तुम अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो
और (शरीअत के मुताबिक फैसला करने वाले) हाकिमों की भी इताअत करो।”

📕 सूरह निसा : ५९

वुजू कर के इमाम के साथ नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने अच्छी तरह मुकम्मल वुजू किया, फिर फर्ज नमाज अदा करने के लिये गया और इमाम के साथ नमाज पढी, उसके (सगीरा गुनाह) माफ कर दिये जाते हैं।”

📕 इब्ने खुजैमा १४०९

दुनिया की मुहब्बत बीमारी है

हज़रत अबू दर्दा (र.अ) फ़र्माते थे के

क्या मैं तुम को तुम्हारी बीमारी और दवा न बताऊं ?
तुम्हारी बीमारी दुनिया की मुहब्बत है और
तुम्हारी दवा अल्लाह तआला का जिक्र है।

📕 शोअबुल ईमान: १०२४४

अल्लाह का ज़िक्र करने वाला जिन्दा है, और न करने वाला मुर्दा

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो शख्स अपने रब का जिक्र करे और जो अल्लाह का जिक्र न करे। उसकी मिसाल जिन्दा और मुर्दे की तरह है (यानी जिक्र करने वाला जिन्दा है और जिक्र न करने वाला मुर्दे की तरह है)।”

📕 बुखारी: ६४०७, अन अबी मूसा (र.अ)

दुआए जिब्रईल से इलाज

हजरत आयशा (र.अ) बयान करती है के जब रसूलुल्लाह (ﷺ) बीमार हुए,
तो जिब्रईल ने इस दुआ को पढ़ कर दम किया:

[ ” اللہ کے نام سے ، وہ آپ کو بچائے اور ہر بیماری سے شفا دے اور حسد کرنے والے کے شر سے جب وہ حسد کرے اورنظر لگانے والی ہر آنکھ کے شرسے ( آپ کومحفوظ رکھے ۔ ) ” ]

तर्जुमा: “अल्लाह के नाम पर, वह आपको बचाये और आपको हर बीमारी और हसद की बुराई से, जब वह हसद करता है और हर आंख की बुराई से (जो आपको महफूज़ रखे)।”

📕 मुस्लिम: ५६९९

कलोंजी में हर बीमारी का इलाज है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“तुम इस कलोंजी को इस्तेमाल करो, क्यों कि इस में मौत के अलावा हर बीमारी की शिफ़ा मौजूद है।”

📕 बुखारी: ५६८७,अन आयशा (र.अ)

फायदा: अल्लामा इब्ने कय्यिम फर्माते हैं : इस के इस्तेमाल से उफारा (पेट फूलना) खत्म हो जाता है, बलगमी बुखार के लिए नफ़ा बख्श है, अगर इस को पीस कर शहद के साथ माजून बना लिया जाए और गर्म पानी के साथ इस्तेमाल किया जाए, तो गुर्दे और मसाने की पथरी को गला कर निकाल देती है।

खुम्बी (मशरूम) से आँखों का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़ारमाया :

“खुम्बी का पानी ऑखों के लिये शिफा है।”

📕 बुखारी: ५७०८

फायदा : हजरत अबू हुरैरह (र.अ) अपना वाकिआ बयान करते हैं, मैंने तीन या पाँच या सात खुम्बिया ली और उसका पानी निचोड़ कर एक शीशी में रख लिया, फिर वही पानी मैंने अपनी बाँदी की दूखती हुई आँख में डाला तो वह अच्छी हो गई। [तिर्मिजी: २०११]

नोट : खुम्बी को हिन्दुस्तान के बाज इलाकों में साँप की छतरी और बाज दूसरे इलाकों में कुकरमत्ता कहते हैं, याद रहे के बाज खुम्बियाँ जहरीली भी होती हैं, लिहाजा तहकीक के बाद इस्तेमाल की जाये।

इस्मे आजम का वजीफा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक शख्स को दुआ मांगते हुए सुना तो फ़र्माया :

तुम ने इस्मे आजम के साथ दुआ मांगी है के उस के साथ जो भी सवाल व दुआ की जाती है वह पूरी की जाती है, वह इस्मे आज़म यह है –

“Allahu la ilaha illa hu al ahad’us samad’ ulladhee lam yalid walam yulad wa lam yakun lahu kufuwan ahad”

📕 तिर्मिज़ी : ३४७५, अन बुरैदा (र.अ)

इजार या पैन्ट टखने से नीचे पहनने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स तकब्बुर के तौर पर अपने इज़ार को टखने से नीचे लटकाएगा, अल्लाह तआला क़यामत के दिन उसकी तरफ रहमत की नजर से नहीं देखेगा।”

📕 बुखारी: ५७८८

इल्म सीखते हुए वफात पा जाने की फ़ज़ीलत

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जिस को इल्म सीखते हुए मौत आजाए, वह इस हाल में अल्लाह तआला से मुलाकात करेगा के उसके और नबियों के दर्मियान सिर्फ नुबुब्बत के दर्जे का फर्क होगा।”

📕 तबरानी औसत : ११५११

जहन्नुम से नजात की दुआ

रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जब तुम मग़रिब की नमाज़ से फारिग हो जाओ, तो सात मर्तबा यह दुआ पढ लिया करो।

( Allahumma Ajirni Minan Naar )
( ऐ अल्लाह! मुझ को दोजख से महफूज़ रख )

जब तुम इस को पढ़ लो और फिर उसी रात तुम्हारी मौत आजाए तो दोजख से महफूज़ रहोगे और अगर इस दुआ को सात मर्तबा फज़्र की नमाज के बाद (भी) पढ लो और उसी दिन तूम्हारी मौत आजाए तो दोजख से महफूज़ रहोगे।”

📕 अबू दाऊद : ५०७९, अन मुस्लिम बिन हारिस तमीमी (र.अ)

कर्ज ना लौटाने की निय्यत से लेने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो शख्स लोगों का माल (बतौर क़र्ज़) लेता है और उसे अदा करना चाहता हो तो उसकी तरफ से अल्लाह अदा फरमा देता है, लेकिन जो शख्स लोगों का माल वापस ना करने के इरादा से लेता है तो अल्लाह भी उसे तबाह कर देता है।

📕 सहीह बुखारी: 2387


एक और रिवायत में आप ﷺ ने फ़र्माया :

“जो शख्स किसी से क़र्ज़ ले और दिल में यह पक्का इरादा कर रखे के कर्ज पूरा पूरा नहीं लौटाएगा, तो वह (क़यामत के दिन) अल्लाह से एक चोर की हालत में मुलाकात करेगा।”

📕 इब्ने माजा : २४१०

अल्लाह इस बुरी सिफ़त से सबकी हिफाज़त फरमाए। अमीन

हलाक करने वाली चीजें

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“हर ऐसे शख्स के लिये बड़ी ख़राबी है, जो ऐब लगाने वाला और ताना देने वाला हो,
जो माल जमा करता हो और उस को गिन गिन कर रखता हो
और ख़याल करता हो के उस का (यह) माल हमेशा उस के पास रहेगा। हरगिज़ ऐसा नहीं है, वह ऐसी आग में डाला। जाएगा जिसमें जो कुछ पड़ेगा वह उस को तोड़फोड़ कर रख देगी।”

📕 सूरह हुमज़ह : १ ता ४

जहन्नम का जोश

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जब जहन्नम (क़यामत के झुटलाने वालों) को दूर से देखेगी, तो वह लोग (दूर ही से) उस का जोश व खरोश सुनेंगे और जब वह दोज़ख़ की किसी तंग जगह में हाथ पाँव जकड़ कर डाल दिये जाएंगे, तो वहाँ मौत ही मौत पुकारेंगे। (जैसा के मुसीबत में लोग मौत की तमन्ना करते हैं)।”

📕 सूर-ए-फुरकान : १२ ता १३

जो कुछ खर्च करना है दुनिया ही में कर लो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“हमने तुमको जो कुछ दिया है, उसमें से खर्च करो इससे पहले के तुम में से किसी को मौत आ जाए और फिर (मौत को देख कर ) कहने लगे के ऐ मेरे रब ! तूने मुझ को और थोड़े दिनों की मोहलत क्यों न दी, ताके खूब खर्च (सदका, खैरात) कर के नेक लोगों में शामिल हो जाता।”

📕 सूरह मुनाफिकून: १०

दुनिया में खाना पीना चंद रोज़ा है

क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

“तुम (दुनिया में) थोड़े दिन खा लो और (उससे) फायदा उठालो, बेशक तुम मुजरिम हो (यानी यह दुनियवी ज़िंदगी चंद रोज़ की है, अगर उसके पीछे पड़ कर अपनी आखिरत की ज़िंदगी को भुला दोगे, तो क़यामत के दिन तुम मुजरिम बन कर उठोगे)।”

📕 सूरह मुरसलात: ४६

बीमार की नमाज़

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“नमाज़ खड़े होकर अदा करो: अगर ताक़त न हो तो बैठ कर अदा करो, और अगर उस पर भी कदरत नहो तो पहलू के बल लेट कर अदा करो।”

📕 बुखारी : १९१७

फायदा : अगर कोई बीमार हो और खड़े होकर नमाज़ पढ़ने पर क़ादिर न हो तो रुकू व सज्दा के साथ बैठ कर पढ़े, अगर रुकू व सज्दे पर भी कादिर न हो, तो बैठ कर इशारे से पढ़े और अगर बैठ कर पढ़ने की ताकत न रखता हो तो लेट कर पढ़े।

मुजिजात को न मानने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जब उन के रसूल उन के पास खुली हुई दलीलें ले कर आए, तो वह लोग अपने उस दुनियावी इल्म पर नाज़ करते रहे, जो उन्हें हासिल था, आखिरकार उनपर वह अज़ाब आ पड़ा जिस का वह मज़ाक़ उड़ाया करते थे।”

📕 सूरह मोमिन : ८३

सिर्फ दुनिया की नेअमतें मत मांगो

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“जो शख्स (अपने आमाल के बदले में) सिर्फ दुनिया के इनाम की ख्वाहिश रखता है (तो यह उस की नादानी है के उसे मालूम नहीं) के अल्लाह तआला के यहाँ दुनिया और आखिरत दोनों का इनाम मौजूद है (लिहाजा अल्लाह से दुनिया और आखिरत दोनों की नेअमतें मांगो) अल्लाह तुम्हारी दुआओं को सुनता और तुम्हारी निय्यतों को देखता है।”

📕 सूरह निसा 134

कयामत का मंजर

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“अगर (आखिरत के हौलनाक अहवाल के मुतअल्लिक) तुम्हें वह सब मालूम हो जाए जो मुझे मालूम है, तो तुम्हारा हँसना बहुत कम हो जाए और रोना बहुत बढ़ जाए।”

📕 बुखारी : ६४८६

अल्लाह के वास्ते मुहब्बत करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“अल्लाह तआला फर्माता है, जो लोग मेरी अजमत व जलाल की वजह से आपस में मुहब्बत रखते हैं (क़यामत के दिन) उन के लिये ऐसे नूर के मिम्बर होंगे, जिन पर अम्बिया और शोहदा भी रश्क करेंगे।”

📕 तिर्मिजी: २३९०, अन मआज बिन जबल (र.अ)

अल्लाह और उस के रसूल का हुक्म मानो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“तुम अल्लाह तआला और उस के रसूल का हुक्म मानो
और हुक्म की खिलाफ वरजी से बचते रहो,
फिर अगर तुम मुँह मोड़ोगे (और नहीं मानोगे) तो
यकीन जानो के हमारे रसूल के जिम्मे तो
सिर्फ अहकाम को साफ साफ पहुँचा देना है।”

📕 सूरह मायदा ९२

एक दिन के नफ़ली रोजे का सवाब

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“अगर कोई शख्स अल्लाह के वास्ते एक दिन का नफ़ली रोजा रखे और उसके बदले में उस को सारी जमीन भरकर सोना (रोजाना) दिया जाए, तो कयामत के दिन तक भी इस रोजे के सवाब का बदला अदा नहीं हो सकता।”

📕 कंजुल उम्माल:४१५१, अन अनस (र.अ)

मस्जिद में दुनिया की बातें करने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“एक जमाना ऐसा आएगा के लोग मस्जिद में हलके लगाकर दुनियावी बातें करेंगे, तुमको चाहिये के उन लोगों के पास बिल्कुल न बैठो, अल्लाह को उन लोगों से कोई वास्ता नहीं।”

📕 मुस्तदरक : ७९१६

नेअमत अता करने में अल्लाह तआला का कानून

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“अल्लाह जब किसी क़ौम को कोई नेअमत अता करता है तो उस नेअमत को उस वक्त तक नहीं बदलता जब तक वह लोग खुद अपनी हालत को न बदलें। यकीनन अल्लाह तआला बड़ा सुनने वाला और जानने वाला है।”

📕 सूरह अनफाल : ५३

कयामत का हौलनाक मंजर

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“(क़यामत का मुन्किर) पूछता है के कयामत का दिन कब आएगा?
जिस दिन आँखें पथरा जाएँगी और चाँद बेनूर हो जाएगा और सूरज व चाँद (दोनों बेनूर हो कर) एक हालत पर कर दिये जाएँगे,
उस दिन इंसान कहेगा : (क्या) आज कहीं भागने की जगह है? जवाब मिलेगा : हरगिज नहीं (आज) कहीं पनाह की जगह नहीं है, उस दिन सिर्फ आप के रब के पास ठिकाना होगा।

📕 सूरह कियामा : ६ ता १२

तिजारत में झूट बोलने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
ताजिर लोग बड़े गुनहगार होते हैं

लोगों ने कहा : या रसूलल्लाह (ﷺ) ! क्या अल्लाह तआला ने तिजारत को हलाल नहीं किया?

आप (ﷺ) ने फ़रमाया :
“हाँ बेशक, लेकिन वह कसम खा कर गुनहगार होते हैं और बात करते हुए झूट बोलते हैं।”

📕 मुस्तदरक : २१४५

अहले जन्नत का इनाम : उस दिन बहुत से चेहरे तर व ताजा होंगे

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता : 

“उस दिन बहुत से चेहरे तर व ताजा होंगे, अपने (नेक) आमाल की वजह से खुश होंगे, ऊँचे ऊँचे बागों में होंगे। वह उन बागों में कोई बेहूदा बात नहीं सुनेंगे। उनमें चश्मे बह रहे होंगे।”

📕 सूरह ग़ाशिया: ८ ता १२

दुनियावी ख्वाहिशों को पूरा करने का अंजाम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स दुनिया में अपनी ख्वाहिशों को पूरा करता है, वह आखिरत में अपनी ख्वाहिशात के पूरा करने से महरूम होता है।”

📕 बैहाकि फी शोअबिल ईमान : ९३९०

नोट: अपनी तमाम चाहतों को इसी में पूरी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिये वरना आखिरत में महरूम हो जाएगा।

बीवी की विरासत में शौहर का हिस्सा

कुरआन में अल्लाह ताआला फ़र्माता है :

“तुम्हारे लिए तुम्हारी बीवियों के छोड़े हुए माल में से आधा हिस्सा है, जब के उन को कोई औलाद न हो और अगर उन की औलाद हो, तो तुम्हारी बीवियो के छोड़े हुए माल में चौथाई हिस्सा है (तुम्हें यह हिस्सा) उन की वसिय्यत और कर्ज अदा करने के बाद मिलेगा।”

📕 सूरह निसा १२

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