अच्छे अखलाक़ की फजीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“यक़ीनन मोमिन अपने अच्छे अखलाक के ज़रिए, नफ़्ल नमाजें पढ़ने वाले रोज़ेदार शख्स के मर्तबे को हासिल कर लेता है।”

📕 अबू दाऊद : ४७९८, अन आयशा (र.अ)