अस्सलामो अलैकुम , मैं मोहम्मद इम्तियाज,जिस तरह अपने शादी के वक्त एक कैंपेन,”एंटी डोरी कैंपेन लड़कियां रहमत है जहमत नहीं” की शुरुआत की थी। और वलीमा के जगह को तख्तियों पर मैसेज लिख कर लोगों को मैसेज देने की कोशिश की थी। उसी तरह शादी के 1 साल गुजर जाने के बाद पहले सालगिरह को कुछ अलग तरीके से मनाने का हम दोनों यानी मैं और मेरी अहलिया (लाइफ पार्टनर) ने फैसला लिया।
और एक कैंपेन की शुरुआत की। हमने शादी के सालगिरह को सेलिब्रेट करने के लिए जिस कैम्पेन की शुरुआत की है उसके तहत हमने मुजफ्फरपुर चन्दवाड़ा के हर मस्जिद और मंदिर में पोस्टर लगाए, कार्टून डालें और लोगों से यह अपील की है कि घर में पड़े हुए पुराने कपड़े जूते चप्पल यहां रखे कार्टून में लाकर रख दें। यह हमारी जिम्मेदारी, #UnNoticed की जिम्मेदारी होगी उसे कलेक्ट करना और जब अच्छी तादाद में हमारे पास सामान हो जाएं तो जरुरतमंदों तक पहुंचाना।
अभी इस कैंपेन को शुरू हुए कुछ ही दिन हुए थे के तकरीबन 400 कपड़े हमारे पास अलग-अलग मसाजिद से आ गयें । लोगों के रिस्पांस को देखते हुए हमने यह फैसला किया है कि मुजफ्फरपुर के दुसरे मुहल्ले में स्थित दूसरे मसाजिद और मंदिर में भी पोस्टर्स लगाया जाए,कार्टून रखे जाएं और लोगों से अपील की जाए कि हमें मदद करें।
#UnNoticed के #क्लोथ्स_कैम्पेन के तहत अलग-अलग #मस्जिद_मंदिर से आज इतने सारे कपड़े मीले।जिसे #मै और मेरे भाई #जौज़फ_नवाज़ ने #बाईक से #कलैक्ट किया।