पोस्ट 04:
बेहतरीन औ़रत और बद्तरीन औ़रतअबू उज़ैना सदफ़ी रज़िअल्लाह अ़न्हु रिवायत है कि
अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया:
तुम्हारी औ़रतों में बेहतरीन औ़रत वो हैं जो निहायत मुहब्बत करने वाली, खूब औलाद वाली, शोहर की मुवाफ़िक़त करने वाली और ताउन करने वाली हैं बशर्त़ कि अल्लाह से डरने वाली हो।और तुम्हारी बद्तरीन औ़रतें वो हैं जो बेपर्दा हो कर अपनी ज़ीनत का इज़हार करने वाली और फ़ख़र करने वाली हैं, दरह़क़ीक़त यहीं मुनाफ़िक़ औ़रतें हैं। उन में से इतनी ही जन्ऩत में दाखिल होगी जितने सफ़ेद परों या पंजों वाले कव्वे होते हैं ।
(बैहकी) रावी: अबू उज़ैना सदफ़ी रज़िअल्लाह अ़न्हु
(सिलसिला अस्सहीहा (4/464) रक़म 1849) (स़ही़ह़)————-J,Salafy————
इल्म हासिल करना हर एक मुसलमान मर्द-और-औरत पर फर्ज़ हैं
(सुनन्ऩ इब्ने माजा ज़िल्द 1, हदीस 224)