नमाजे अस्र की अहमियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जिस शख्स ने अस्र की नमाज़ छोड़ दी, तो उस का अमल जाया हो गया।”
📕 बुखारी : ५५३. अन बुरैया (र.अ)
वजाहत: दिन और रात में तमाम मुसलमानों पर पाँचों नमाजों को अदा करना तो फर्ज है ही, लेकिन ख़ास तौर से अस्त्र की नमाज़ छोड़ने वालों के हक में रसूलल्लाह (ﷺ) का वईद बयान फर्माना इस की अहमियत को मजीद बढ़ा देता है,
चुनान्चे हमारे लिए जरूरी है के हम अस्र की नमाज वक्त पर अदा करें और कजा न करें। अल्लाहतआला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे , अमीन।
किसी के सतर को देखने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला लानत करता हैं, उस शख्स पर जो जान बूझ कर किसी के सतर को देखता हो और उस पर भी लानत है जो बिला उज्र सतर दिखलाता हो।”
सतर : इंसान के ढका रहने वाला बदन का हिस्सा, गुप्त अंग
आटे की छान से इलाज
आटे की छान से इलाज
۞ हदीस: हजरत उम्मे ऐमन (र.अ) आटे को छान कर
रसूलुल्लाह (ﷺ) के लिये रोटी तय्यार कर रही थीं के
आप (ﷺ) ने दरयाफ्त फ़रमाया: यह क्या है ?
उन्होंने अर्ज किया: यह हमारे मुल्क का खाना है, जो आप के लिये तय्यार कर रही हूँ।
तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : “तुम ने आटे में से जो कुछ छान कर
निकाला है उस को उसी में डाल दो और फिर गूंधो।”
फायदा : जदीद तहकीकात से मालूम हआ है के आटे की छान (भूसी) पुराने कब्ज
और ज़्याबेतीस के मरीजों के लिये बेहतरीन दवा है ।
माल व औलाद दुनिया के लिए ज़ीनत
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“माल और औलाद यह सिर्फ दुनिया की जिंदगी की एक रौनक है और (जो) नेक आमाल हमेशा बाकी रहने वाले हैं, वह आप के रब के नज़दीक सवाब और बदले के एतेबार से भी बेहतर हैं और उम्मीद के एतेबार से भी बेहतर हैं।”
(लिहाज़ा नेक अमल करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए और उस पर मिलने वाले बदले की उम्मीद रखनी चाहिए।)
दुनिया मोमिन के लिये कैदख़ाना है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“दुनिया मोमिन के लिये कैदखाना है और काफिर के लिये जन्नत है।”
वजाहत: शरीअत के अहकाम पर अमल करना, नफसानी ख्वाहिशों को छोड़ना, अल्लाह और उसके रसूल के हुक्मों पर चलना नफ्स के लिये कैद है और काफिर अपने नफ्स की हर ख्वाहिश को पूरी करने में आज़ाद है, इस लिये गोया दुनिया ही उसके लिये जन्नत का दर्जा रखती है। अगरचे के आख़िरत में उसके लिए रुस्वाई है और मोमिन के लिए जन्नत।
मौत की सख्ती के वक़्त की दुआ
हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के,
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने मौत से पहले यह दुआ पढ़ी थी :
तर्जमा: ऐ अल्लाह! मौत की सख्तियों और बेहोशियों पर मेरी मदद फ़र्मा।
📕 तिर्मिजी : ९७८
वजू के दरमियान की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) वुजू के दौरान यह दुआ पढ़ते थे:
तर्जमा : ऐ अल्लाह ! मेरे गुनाहों को माफ़ फ़र्मा और मेरे घर में वुसअत और रिज्क में बरकत अता फ़र्मा।
अल्लाह तआला ने ज़ुल्म को हराम कर दिया है
रसूलुल्लाह (ﷺ) हदीसे कुदसी बयान करते हुए फर्माते हैं के अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ मेरे बन्दो! मैंने अपने ऊपर जुल्म को हराम कर दिया है और उस को तुम्हारे दर्मियान भी हराम कर दिया है, लिहाजा तुम एक दूसरे पर जुल्म मत किया करो।”
बोहतान / झूठा इलज़ाम लगाने का गुनाह और अज़ाब
झूठी तोहमत लगाने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो लोग मुसलमान मर्दो और मुसलमान औरतों को बगैर किसी जुर्म के तोहमत लगा कर तकलीफ पहुँचाते हैं, तो यक़ीनन वह लोग बड़े बोहतान और खुले गुनाह का बोझ उठाते हैं।”
झूठा इलज़ाम लगाने का अज़ाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जिस ने किसी मोमिन के बारे में ऐसी बात कही जो उस में नहीं है, तो अल्लाह तआला उस को दोज़खियों के पीप में डाल देगा, यहाँ तक के उस की सजा पा कर उस से निकल जाए।”
अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो
और हर शख्स को इस बात पर गौर करना चाहिये के
उस ने कल (आखिरत) के लिये क्या आगे भेजा है
और अल्लाह से डरते रहो
और अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है।”
सबसे अच्छा मुसलमान कौन है ?
अबू मूसा (र.अ) से रिवायत है के, कुछ सहाबा ने पूछा, या रसूल अल्लाह ﷺ ! कौन सा इस्लाम अफज़ल है (यानि सबसे अच्छा मुसलमान कौन है) तो नबी-ऐ-करीम ﷺ ने फ़रमाया:
“वह शख्स जिस की जबान और हाथ से दूसरे मुसलमान महफूज रहें।”
जोहर से पहले की चार रकात सुन्नत पढ़ना
हज़रत आयशा (र.अ) बयान फरमाती है के:
“रसूलुल्लाह (ﷺ) जोहर से पहले चार रकात और फ़र्ज़ से पहले की दो रकात कभी नहीं छोड़ते थे।”
कयामत के दिन का अंदाज़
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जिस दिन तमाम जानदार और फ़रिश्ते सफ़ बांधकर खड़े होंगे उस रोज कोई कलाम न कर सकेगा, अल्बत्ता जिस को खुदाए रहमान (यानी अल्लाह तआला) बात करने की इजाजत देदे और वह बात भी ठीक ही कहेगा, उस दिन का आना यकीनी है, जो शख्स चाहे अपने रब के पास ठिकाना बना ले।”
इन आयतों में रोज़े क़यामत अल्लाह की अदालत में ह़ाज़िरी का अंदाज दिखाया गया है। और जो इस ख्याल में पड़े हैं कि उन के झूठे माबूद उनकी सिफारिश करेंगे उन को आगाह किया गया है कि उस दिन कोई बिना अल्लाह की इजाजत के मुँह नहीं खोलेगा और अल्लाह की इजाजत से सिफारिश भी करेगा।
सिफारिश तो उसी के लिये होगी जो दुनिआ में कलिमा-ऐ-हक़ “ला इलाहा इल्लल्लाह” को मानता हो। जबकि काफिर और मुशरिक किसी किस्म के लायक न होंगे।
अपने मातहत लोगो का ख्याल करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने मातहत और यतीमों के बारे में फरमाया:
“तुम अपनी औलाद की तरह उन का इकराम करो और जो तुम खाते हो उन को भी वही खिलाओ।”
नमाज़ में खामोश रहना (एक फर्ज अमल)
हज़रत जैद बिन अरकम (र.अ) फर्माते हैं :
(शुरू इस्लाम में) हम में से बाज़ अपने बाज़ में खड़े शख्स से नमाज की हालत में बात कर लिया करता था,
फिर यह आयत नाजिल हुई:
तर्जमाः अल्लाह के लिये खामोशी के साथ खड़े रहो (यानी बातें न करो)।
फिर हमें खामोश रहने का हुक्म दे दिया गया और बात करने से रोक दिया गया।
फायदा: नमाज़ में बातचीत न करना और खामोश रहना जरूरी है।
अल्लाह ताला कुफ्र को पसंद नहीं करता
अल्लाह ताला कुफ्र को पसंद नहीं करता
۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞
अल्लाह ताला कुरआन में फर्माता है :
“अगर तुम मुन्किर होगे, तो यकीन जानो के अल्लाह तआला तुम से बेनियाज है और अपने बन्दों के लिये कुफ्र को पसन्द नहीं करता और अगर तुम शुक्र करोगे, तो तुम्हारे इस शुक्र को पसन्द करेगा।”
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इन्कार करने वालो का अजाब
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो लोग हमारी आयतों का इन्कार करते रहे हैं, तो वही बडबख्त हैं, (जिन को बाएँ हाथ में नाम-ए-आमाल दिया जाएगा) उन पर चारों तरफ से बंद की हुई आग को मुसल्लत कर दिया जाएगा।”
रुकू व सज्दा अच्छी तरह न करने पर वईद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“बदतरीन चोरी करने वाला शख्स वह है जो नमाज़ में से भी चोरी कर ले,
सहाबा ने अर्ज किया : या रसूलल्लाह (ﷺ) ! नमाज़ में से कोई किस तरह चोरी करेगा ?
फर्माया : वह रुकू और सज्दा अच्छी तरह से नहीं करता है।”
सजदा-ए-तिलावत की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) कुआन मजीद की तिलावत करते हुए आयते सज्दा पर पहुँचते तो इस दुआ को सज्दा-ए-तिलावत में पढ़ा करते –
(سجدہ وجهى على خلقه ومتى وبصره بحوله وقوته )
तर्जमा – मेरे चेहरे ने उस जात के लिये सज्दा किया जिसने उस को पैदा किया और अपनी कुदरत व कुव्वत से उसके कान और आँख खोले।
ईमान वालों का ठिकाना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“इन (ईमान वालों) के लिए हमेशा रहने वाले बाग़ हैं, जिन में वह दाखिल होंगे और उन के माँ बाप, उन की बीबियों और उन की औलाद में जो (जन्नत) के लायक होंगे, वह भी जन्नत में दाखिल होंगे और हर दरवाजे से फरिश्ते उन के पास यह कहते हए दाखिल होंगे ‘तुम्हारे दीन पर मज़बूत जमे रहने की बदौलत तुम पर सलामती हो, तुम्हारे लिए आखिरत का घर कितना उम्दा है!’”
मियाँ बीवी अपना राज़ बयान न करें
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“कयामत के रोज़ अल्लाह की नज़र में लोगों में सब से बदतरीन वह शख्स होगा, जो अपनी बीवी के पास जाए और उसकी बीवी उसके पास आए; फिर उनमें से एक अपने साथी का राज किसी दूसरे को बताए।”
बड़ी बीमारियों से हिफ़ाज़त
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स हर महीने तीन दिन सुबह के वक्त शहद को चाटेगा तो उसे कोई बड़ी बीमारी नहीं होगी।”
कयामत के दिन जमीन का लरज़ना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जब ज़मीन पूरी हरकत से हिला दी जाएगी और जमीन अपने बोझ (मुर्दे और खज़ाने) बाहर निकाल देगी और इन्सान कहेगा के इस ज़मीन को क्या हो गया है? उस दिन जमीन अपनी बातें बयान कर देगी, इस लिए के आपके रब ने उसको हुक्म दिया होगा।”
बग़ैर वुजू के नमाज़ नहीं होती
ईमान को झुटलाने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जिस शख्स ने बुखल किया और लापरवाही करता रहा और भली बात (ईमान) को झुटलाया, तो हम उसके लिये तकलीफ व मुसीबत का रास्ता आसान कर देंगे (यानी जहन्नम में पहुँचा देंगे)।”
अल्लाह तआला अद्ल व इंसाफ का हुक्म देता है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“अल्लाह तआला अद्ल व इंसाफ और अच्छा सुलूक करने का और रिश्तेदारों को माली मदद करने का हुक्म देता है और बेहयाई, नापसन्द कामों और जुल्म व ज़ियादती से मना करता है, वह तुम्हें ऐसी बातों की नसीहत करता है, ताके तुम याद रखो।”
सबसे पहले जिन्दा होने वाले
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“हम दुनिया में सबसे आखिर में आए हैं, लेकिन कल हश्र (यानी आखिरत में जब सब को जमा किया जाएगा) तो हम सबसे पहले जिन्दा किये जाएँगे।”
कयामत के रोज़ सब को जिंदा किया जाएगा
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“(दोबारा) सूर फूंका जाएगा, तो सब के सब कब्रों से निकल कर अपने रब की तरफ दौड़ पड़ेंगे। वह कहेंगे: हाय हमारी बरबादी! हमको हमारी ख्वाब गाहों से किस ने उठा दिया?
(जवाब मिलेगा) यह वही है जिसका रहमान (अल्लाह) ने वादा किया था और रसूलों ने सच कहा था। बस वह एक जोर की आवाज़ होगी, जिस से सब जमा हो कर हमारे पास हाजिर कर दिए जाएंगे।”
नफ़्स की बुराई से पनाह माँगने की दुआ
रसूलल्लाह (ﷺ) ने हजरत इमरान बिन हुसैन (र.अ) के वालिद को यह दुआ सिखाई:
तर्जमा: ऐ अल्लाह! मेरे दिल में भलाई डाल दे और मेरे नफ़्स की बुराई से मुझे बचा दे।
अहले जन्नत का हाल
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जो लोग अपने रब से डरते रहे, वह गिरोह के गिरोह हो कर जन्नत की तरफ रवाना किए जाएंगे, यहाँ तक के जब उस (जन्नत) के पास पहुंचेंगे और उस के दरवाजे (पहले से) खुले हुए होंगे और जन्नत के मुहाफ़िज़ (फरिश्ते) उन से कहेंगे, तुम पर सलामती हो, अच्छी तरह (मजे में) रहो, जाओ जन्नत में हमेशा हमेशा के लिये दाखिल हो जाओ।”
जन्नत में दाखिल करने वाली चीज़
रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा गया के,
“लोगों को सब से ज़ियादा जन्नत में दाखिल करने वाली क्या चीज़ है?”
आप (ﷺ) ने फर्माया : “अल्लाह से डरना और अच्छे अख्लाक़“,
और सब से ज़ियादा आग में दाखिल करने वाली चीज़ के बारे में सवाल किया गया।
तो आप (ﷺ) ने फर्माया : मुंह और शर्मगाह।”
कुरआन की तिलावत करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“कुरआन शरीफ की तिलावत किया करो, इस लिए के कयामत के दिन अपने साथी (यानी पढ़ने वाले) की शफ़ाअत करेगा।”
कब्र का अज़ाब बरहक है
रसूलुल्लाह (ﷺ) दो कब्रों के करीब से गुजरे, आप ने फ़र्माया :
“इन दो कब्र वालों को अज़ाब हो रहा है, इन्हें किसी बड़े गुनाह की वजह से अज़ाब नहीं दिया जा रहा है, इन में से एक तो पेशाब (के छींटों) से नहीं बचता था और दूसरा चुगलखोरी किया करता था।”
📕 बुखारी: २१८. अन इब्ने अब्बास (र.अ)
वजाहत: इस हदीस से मालूम हुआ के कब्र का अज़ाब बरहक है और इन्सानों को अपने गुनाहों की सजा कब्र से ही मिलनी शुरू हो जाती है।
अल्लाह का सहारा मजबूती से पकड़ लो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“और अल्लाह का सहारा मजबूती से पकड़ लो, वही तुम्हारा काम बनाने वाला है और (जिस का काम बनाने वाला अल्लाह हो तो) अल्लाह तआला क्या ही अच्छा काम बनाने वाला है और क्या ही अच्छा मददगार है।”
खाना खाते वक्त टेक न लगाना
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“मैं टेक लगा कर नहीं खाता हूँ।”
फायदा: बिला उज्र टेक लगा कर खाना सुन्नत के खिलाफ है।
बिच्छू के जहर का इलाज
हजरत अली (र.अ) फरमाते हैं :
एक रात रसूलुल्लाह (ﷺ) नमाज़ पढ़ रहे थे के नमाज के दौरान एक बिच्छू ने आप को डंक मार दिया, रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उस को मार डाला जब नमाज़ से फारिग हुए तो फरमाया : अल्लाह बिच्छू पर लानत करे, यह न नमाज़ी को छोड़ता है और न गैरे नमाज़ी को, फिर पानी और नमक मंगवा कर एक बर्तन में डाला और जिस उंगली पर बिच्छू ने डंक मारा था, उस पर पानी डालते और मलते रहे और सूरह फलक व सूरह नास पढ़कर उस जगह पर दम करते रहे।
हिजाब क्या है?
हिजाब क्या है?
हिजाब” को लेकर आजकल एक गलतफहमी पाई जा रही है। लोग इसे एक कपड़ा समझ रहे हैं जो बुर्के के अलावा सिर पर बांधा जाता है। हालांकि ये ईजाद कपड़ा बेचने वालों ने की है।
“हिजाब के असल मायने रुकावट और आड़ के हैं।”
औरत अपने जिस्म और हम की नुमाइश को गैर मर्दो से छिपाने, रोकने के लिए जो तदबीर भी करती है इस्तेलाही(पारिभाषिक) तौर पर वो हिजाब है फिर चाहे वो चादर हो, बुर्का और नकाब हो, दरो दीवार हो, नज़रों का फेरना हो वगैराह।
मर्द भी औरत को देखकर अपनी नज़रें फेर लेता है तो यह हिजाब है! बुरी चीजो को देखना सुनना और बोलने से परहेज़ भी हिजाब है! अक्सर बोलचाल में बुरी बातों से बचने के लिए कहा जाता है “कुछ तो हिजाब करो।”
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पसंद के मुताबिक हदिया देना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो आदमी अपने मुसलमान भाई से किसी ऐसी चीज़ के साथ मुलाकात करे जिस से वह खुश होता हो, तो अल्लाह तआला उस को कयामत के दिन खुश कर देगा।
वजाहत: हदीस से मालूम हुआ के किसी दीनी भाई के यहाँ जाते वक़्त उस की पसंद के मुताबिक़ कोई चीज़ पेश करना चाहिये इस से अल्लाह की रजा व खुश्नूदी हासिल होती है।
हज की फरज़ियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“ऐ लोगो ! तुम पर हज फर्ज़ कर दिया गया है, लिहाजा उस को अदा करो।”
इस्लाम की दावत को ठुकराना एक बड़ा जुल्म
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“उस शख्स से बड़ा ज़ालिम कौन होगा, जो अल्लाह पर झूट बाँधे, जब के उसे इस्लाम की दावत दी जा रही हो और अल्लाह ऐसे जालिमों को हिदायत नहीं दिया करता।”
अल्लाह के रास्ते में जाने वाले को दुआ देना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक जमात को अल्लाह के रास्ते में रवाना करते हुए फ़रमाया :
“अल्लाह के नाम पर सफर शुरू करो और यह दुआ दी:
तर्जमा: ऐ अल्लाह! इनकी मदद फ़र्मा।
दुआ कराने वाले की दुआ पर आमीन कहेना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जब कुछ लोग जमा हो और उनमें से कोई एक आदमी दुआ करे और दूसरे आमीन कहें तो अल्लाह तआला उनकी दुआ कबूल फरमाता है।”
जन्नत के फल और दरख्तों का साया
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“मुत्तकियों से (तक़वा वालो से) जिस जन्नत का वादा किया गया है, उसकी कैफियत यह है के उसके नीचे नहरें जारी होंगी और उसका फल और साया हमेशा रहेगा।”
इस्लाम पर कायम रहना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो जैसा के उस से डरने का हक्र है और मरते दम तक इस्लाम पर क़ाएम रहना।”
बीमार पुरसी के वक़्त की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी बीमार की इयादत के लिये जाते या आप (ﷺ) की खिदमत में बीमार को हाज़िर किया जाता तो आप यह दुआ पढ़ते:
اَللَّهُمَّ رَبَّ النَّاسِ مُذْهِبَ الْبَاسِ اشْفِ أَنْتَ الشَّافِيْ لَا شَافِيَ إِلَّا أَنْتَ شِفَاءً لَا يُغَادِرُ سَقَمًا
ALLAHumma Rabbannasi Muzhibal-baasi-shfee Antashhaafi La Shaafi Illa Anta Shifa-an La Yughaadiru Saqama
तर्जमा : “ऐ अल्लाह! लोगों के रब्ब! बीमारी को दूर करने वाले! शिफ़ा ‘अता फरमाए| तू ही शिफ़ा देने वाला है। तेरे सिवा कोई शिफ़ा देने वाला नहीं। ऐसी शिफ़ा ‘अता फरमा के जिसके बाद बीमारी बाक़ी न बचे।”
क़यामत की रुसवाई से बचने की दुआ
कयामत के दिन जिल्लत व रुसवाई से बचने के लिए इस दुआ का एहतमाम करना चाहिए:
رَبَّنَا وَآتِنَا مَا وَعَدتَّنَا عَلَىٰ رُسُلِكَ وَلَا تُخْزِنَا يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۗ إِنَّكَ لَا تُخْلِفُ الْمِيعَادَ
तर्जमा : ऐ हमारे परवरदिगार! तूने जो अपने रसूलों से वादा किया है, वह हमें अता फर्माइये और कयामत के दिन हमें रुसवा न कीजिए बेशक तू वादा खिलाफ़ी नहीं करता।
जन्नत में दाखिल करने वाले आमाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला की इबादत करते रहो, खाना खिलाते रहो और सलाम फैलाते रहो, (इन आमाल की वजह से जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।”
नेअमत अता करने में अल्लाह तआला का कानून
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“अल्लाह जब किसी क़ौम को कोई नेअमत अता करता है तो उस नेअमत को उस वक्त तक नहीं बदलता जब तक वह लोग खुद अपनी हालत को न बदलें। यकीनन अल्लाह तआला बड़ा सुनने वाला और जानने वाला है।”
गुनहगारों के साथ क़ब्र का सुलूक
रसलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब गुनहगार या काफिर बन्दे को दफन किया जाता है, तो क़ब्र उससे कहती है : तेरा आना नामुबारक हो, मेरी पीठ पर चलने वालों में तू मुझे सब से ज़ियादा ना पसन्द था, जब तू मेरे हवाले कर दिया गया है और मेरे पास आ गया है, तो तू आज मेरी बद सुलूकी देखेगा, फिर क़ब्र उस को दबाती है और उस पर मुसल्लत हो जाती है, तो उस की पसलियाँ एक दूसरे में घुस जाती है।”
कब्र या तो जन्नत का बाग़ या जहन्नुम का गढ़ा है
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“कब्र या तो जन्नत के बागों में से एक बाग़ है या जहन्नुम के गढ़ों में से एक गढ़ा है।”
मौत की आरज़ू कभी मत करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –
तकलीफ़ और बीमारी की वजह से मौत की आरज़ू मत करो अगर तुम यही चाहते हो तो इस तरह दुआ करो:
( اللهم أحيني ما كانت المميزة خيزاتی وتولي إذا كانت الوفاة خيراتي )
तर्जमा: ऐ अल्लाह! तू मुझे ज़िन्दा रख जब तक मेरा ज़िन्दा रहना मेरे हक़ में बेहतर हो और मुझे मौत दे अगर मरना मेरे हक़ में बेहतर हो।
इल्म सीखते हुए वफात पा जाने की फ़ज़ीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जिस को इल्म सीखते हुए मौत आजाए, वह इस हाल में अल्लाह तआला से मुलाकात करेगा के उसके और नबियों के दर्मियान सिर्फ नुबुब्बत के दर्जे का फर्क होगा।”
जब बुरा ख्वाब देखे तो यह अमल करे
जब तुम में से कोई पुरा ख्वाब देखे, तो तीन मर्तबा बाएं तरफ थुतकार दे और तीन मर्तबा शैतान के शर्र (बुराई) से अल्लाह की पनाह चाहे ( आऊज़ो बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम पढ़े और) करवट बदल कर सो जाए।
किसी गुनाह को छोटा और मामूली न समझो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“ऐ आयशा खुद को उन गुनाहों से भी बचाने की कोशिश करो जिन का छोटा और मामूली समझा जाता है, क्यों कि इस पर भी अल्लाह की तरफ से फरिश्ता मुकर्रर है जो उस को लिखता रहता है।”
जबान और शर्मगाह की हिफाजत करना
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स मुझे अपनी ज़बान और शर्मगाह की हिफाजत की जमानत दे दे मैं उसके लिये जन्नत की जमानत लेता हूँ।”
कब्र में नमाज की तमन्ना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब मय्यित को क़ब्र में रख दिया जाता है, तो उस को सूरज गुरूब होता हुआ दिखाई देता है, तो वह बैठ कर आँखें मलने लगता है और कहता है, मुझे नमाज पढ़ने दो।”
बीवियों के साथ अच्छा सुलूक करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“ईमान वालों में ज़ियादा मुकम्मल ईमान वाले वह लोग हैं, जो अखलाक में ज्यादा अच्छे हैं और तुम में सबसे अच्छे वह लोग हैं जो अपनी बीवियों के साथ अच्छा बरताव करते हैं।”
नाफ़र्मानों से नेअमतें छीन ली जाती हैं
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“वह नाफरमान लोग कितने ही बाग, चश्मे, खेतियाँ और उम्दा मकानात
और आराम के सामान जिन में वह मजे किया करते थे, (सब) छोड़ गए,
हम ने इसी तरह किया और उन सब चीज़ों का वारिस एक दूसरी कौम को बना दिया।
फिर उन लोगों पर न तो आसमान रोया और न ही जमीन
और नही उन को मोहलत दी गई।”
हर बीमारी का इलाज तिब्बे नबवी से
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“अल्लाह तआला ने हर बीमारी के लिए दवा उतारी है, जब बीमारी को सही दवा पहुँच जाती है, तो अल्लाह तआला के हुक्म से बीमारी ठीक हो जाती है।”
मोमिनों का पुल सिरात पर गुजर
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“पुलसिरात पर मोमिनीन “रबि सल्लिम सल्लिम” ऐ रब! सलामती अता फ़र्मा, कहते हुए गुजरेंगे।”
मुसलमान को कपड़ा पहनाने की फ़ज़ीलत
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जिसने किसी मुसलमान को कपड़ा पहनाया, जब तक उस के बदन में एक धागा भी रहेगा, वह उस वक्त तक अल्लाह की हिफाजत रहेगा।”
बुरे लोगों का अंजाम
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जो शख्स झुटलाने वाले गुमराहों में से होगा, तो खौलते हुए गरम पानी से उसकी मेहमानवाजी होगी और उसे दोजख में दाखिल किया जाएगा।”
इंसान को उस के माँ बाप के बारे में ताकीद
अल्लाह तआला कुरआन में फरमाता है:
“हमने इन्सान को उस के माँ बाप के बारे में ताकीद की हे के –
माँ-बाप के साथ अच्छा बर्ताव करे, (क्योंकि) उस की माँ ने तकलीफ पर तकलीफ उठा कर उस को पेट मैं रखा और दो साल में उस का दूध छुड़ाया है, ऐ इन्सान ! तू मेरा और अपने माँ-बाप का हक मान (इस लिये के) तुम सब को मेरी ही तरफ लौट कर आना है।”
जहन्नम की आग की सख्ती
जहन्नम की आग की सख्ती
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“दोजख को एक हजार साल तक दहकाया गया, तो वह लाल हो गई, फिर एक हजार साल तक दहकाया गया तो वह सफेद हो गई, फिर एक हजार साल तक दहकाया गया तो अब वह बहुत जियादा काली हो गई।”
दुनिया व आखिरत में आफियत की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
बन्दे की अपने रब से माँगी जाने वाली दुआओं में सबसे अफजल यह है:
तर्जमा: ऐ अल्लाह! मैं दुनिया और आखिरत में तुझसे आफियत व भलाई का सवाल करता हूँ।
बीवी की विरासत में शौहर का हिस्सा
कुरआन में अल्लाह ताआला फ़र्माता है :
“तुम्हारे लिए तुम्हारी बीवियों के छोड़े हुए माल में से आधा हिस्सा है, जब के उन को कोई औलाद न हो और अगर उन की औलाद हो, तो तुम्हारी बीवियो के छोड़े हुए माल में चौथाई हिस्सा है (तुम्हें यह हिस्सा) उन की वसिय्यत और कर्ज अदा करने के बाद मिलेगा।”
तक़दीर पर ईमान लाना
हर चीज़ तकदीर से है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“हर चीज़ तकदीर से है, यहाँ तक के आदमी का नाकारा और नाकाबिल और काबिल व होशियार होना (भी तकदीर ही से है)।”
वजाहत: तकदीर कहते है के दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, अच्छा हो या बुरा वह सब अल्लाह तआला के हुक्म और उसकी मशिय्यत से है, हमारे ऊपर उसका यक़ीन रखना और उसपर ईमान लाना फर्ज है।
माल जमा करने का नुकसान
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम माल व दौलत जमा न करो, क्योंकि उस की वजह से तुम दुनिया ही की तरफ माइल हो जाओगे।”
जो रहम नहीं करता उस पर भी रहम नहीं किया जाता
हज़रत अकरअ बिन हाबिस (र.अ) की मौजूदगी में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत हुसैन बिन अली का बोसा लिया।
यह देख कर हज़रत अकरअ विन हाबिस (र.अ) ने कहा: मेरे दसं बेटे हैं, मैंने कभी किसी का नहीं लिया। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने यह सुनकर फ़र्माया : “जो रहम नहीं करता उस पर रहम भी नहीं किया जाता।”
कब्र में ही ठिकाने का फैसला
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जब तुम में से कोई वफात पा जाता है, तो उस को सुबह व शाम उस का ठिकाना दिखाया जाता है, अगर जन्नती हो, तो जन्नत वालों का और अगर जहन्नमी है, तो जहन्नम वालों का ठिकाना दिखाया जाता है, फिर कहा जाता है: यह तेरा ठिकाना है यहाँ तक के अल्लाह तआला क़यामत के दिन तुझे दोबारा उठाए।”
बीवी को उस का महर देना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“तुम लोग अपनी बीवियों को उन का महर खुश दिली से दे दिया करो, अलबत्ता अगर वह अपने महर में से कुछ छोड़ दें, तो उसे लजीज़ और खुशगवार समझ कर व खाओ।”
सूरह फलक और सूरह नास (मुअव्वज़तैन) से बीमारी का इलाज
माल की चाहत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“लोगों पर एक ज़माना ऐसा आएगा जिस में (लोगों को अपने) माल की ज़कात देना बहुत भारी गुज़रेगा।”
हमेशा सच्ची गवाही देना
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“ऐ ईमान वालो ! इन्साफ पर कायम रहते हुए अल्लाह के लिए गवाही दो, चाहे वह तुम्हारी जात, वालिदैन और रिश्तेदारों के खिलाफ ही (क्यों न हो।”
फायदा: सच्ची गवाही देना और झूठी गवाही देने से बचना जरुरी है।
दुनिया पर मुतमइन नहीं होना चाहिये
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जिन लोगों को हमारे पास आने की उम्मीद नहीं है और वह दुनिया की जिन्दगी पर राजी हो गए और उस पर वह मुतमइन हो बैठे और हमारी निशानियों से गाफिल हो गए हैं, ऐसे लोगों का ठिकाना उनके आमाल की वजह से जहन्नम है।”
खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“रहमान (अल्लाह) की इबादत करो और खाना खिलाया करो और सलाम को आम करो (चाहे उस से जान पहचान हो या न हो) तुम जन्नत में सलामती के साथ दाखिल हो जाओगे।”
अल्लाह ही रोजी तकसीम करता हैं
क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“दुनियवी जिंदगी में उन की रोज़ी हम ने ही तकसीम कर रखी है और एक को दूसरे पर मर्तबा के एतबार से फज़ीलत दे रखी है ताकि एक दूसरे से काम लेता रहे।”
मस्जिदे नबवी में चालीस नमाज़ों का सवाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जिस ने मेरी मस्जिद में चालीस नमाज़े अदा की और कोई नमाज़ कजा नहीं की, तो उस के लिए जहन्नम से बरात और अज़ाब से नजात लिख दी जाती है और निफ़ाक से बरी कर दिया जाता है।”
शराब, मुरदार और खिन्ज़ीर हराम है
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला ने शराब और उस की कीमत, मुरदार और उसकी कीमत, खिन्जीर और उसकी क़ीमत को हराम कर दिया है।”
मुसाफा मगफिरत का जरिया है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“जब दो मुसलमान आपस में मिलते हैं और मुसाफा करते हैं, तो जुदा होने से पहले उन दोनों की मगफिरत कर दी जाती है।”
जहन्नम का जोश
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जब जहन्नम (क़यामत के झुटलाने वालों) को दूर से देखेगी, तो वह लोग (दूर ही से) उस का जोश व खरोश सुनेंगे और जब वह दोज़ख़ की किसी तंग जगह में हाथ पाँव जकड़ कर डाल दिये जाएंगे, तो वहाँ मौत ही मौत पुकारेंगे। (जैसा के मुसीबत में लोग मौत की तमन्ना करते हैं)।”
इंसाफ न करने का वबाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स मेरी उम्मत की किसी छोटी या बड़ी जमात का जिम्मेदार बने फिर उनके दर्मियान अदल व इन्साफ न करे तो अल्लाह तआला उसको औंधे मुंह जहन्नम में डाल देगा।“
कुफ्र की सज़ा जहन्नम है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जो लोग कुफ्र करते हैं तो अल्लाह तआला के मुकाबले में उन का माल और उन की औलाद कुछ काम नहीं आएगी और ऐसे लोग ही जहन्नम का इंधन होंगे।”
दस्त (बकरी की अगली रान) के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) को दस्त (अगली रान) का गोश्त बहुत पसन्द था।
📕 बुखारी : ३३४०, अन अबी हुरैरह (र.अ)
फायदा : अल्लामा इब्ने क़य्यिम ने लिखा है के बकरी के गोश्त में सब से हल्की गिज़ा का हिस्सा गरदन और दस्त है, उसके खाने से मेदे में भारीपन नहीं होता।
छह चीजों की जमानत: जब बात करो तो सच बोलो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम अपनी तरफ से मुझे छह चीजों की जमानत दे दो मैं तुम्हें जन्नत की जमानत देता हूँ। जब तुम बात करो तो सच बोलो, जब वादा करो तो पूरा करो, जब तुम्हारे पास अमानत रखी जाए तो अमानत अदा करो, अपनी शर्मगाहों की हिफाजत करो, अपनी आँखों को नीचे रखो और अपने हाथों को (जुल्म व सितम से) रोके रखो।”
सिर दर्द से हिफाजत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“हम्माम (गुस्ल खाना) से निकलने के बाद कदमों को ठन्डे पानी से धोना सिर दर्द से हिफाजत का जरिया है।”
दुनिया में लगे रहने का वबाल
दुनिया में लगे रहने का वबाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जो शख्स अल्लाह का हो जाता है तो अल्लाह तआला उस की हर जरूरत पूरी करता हैं
और उस को ऐसी जगह से रिज्क देता हैं के उस को गुमान भी नहीं होता।
और जो शख्स पूरे तौर पर दुनिया की तरफ लग जाता है,
तो अल्लाह तआला उस को दुनिया के हवाले कर देते हैं।”
अपने मातहतों पर तोहमत लगाने गुनाह
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने अपने मातहत पर किसी ऐसी बात की तोहमत लगाई जिस से वह बरी है तो उस पर क़यामत के दिन हद जारी की जाएगी। मगर यह के वह कही हुई बात उस में मौजूद हो।”
पानी न मिलने पर तयम्मुम करना
सलाम करने के आदाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“छोटों को चाहिए के बड़ों को सलाम करें और चलने वालों को चाहिए के बैठे हुए को सलाम करें और कम लोगों को चाहिए के ज़ियादा लोगों को सलाम करें।”
इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से अल्लाह की पनाह मांगना
रसूलुल्लाह (ﷺ) अक्सर यह दुआ किया करते थे :
तर्जमा: “ऐ अल्लाह ! मैं आपस के इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से तेरी पनाह चाहता हूँ।”
दोज़ख़ (जहन्नुम) की दीवार की चौड़ाई
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“दोजख की आग की कनातों को चार दीवारों ने घेर रखा है
और हर एक दीवार की चौड़ाई चालीस साल चलने के बराबर है।”
जिस्म के दर्द का इलाज
हजरत उस्मान बिन अबिल आस (र.अ) ने रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में हाजिर हो कर अपने जिस्म के दर्द को बताया तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : जहां दर्द होता हो वहां हाथ रख कर तीन बार “बिस्मिल्लाह” और सात मर्तबा यह दुआ पढ़ो:
( أَعُوذُ بِاللَّهِ وَقُدْرَتِهِ مِنْ شَرِّ مَا أَجِدُ وَأُحَاذِرُ )
“A’udhu Billahi Wa Qudratihi Min Sharri Ma Ajidu Wa Uhadhiru”
तर्जमा: मैं अल्लाह और उस की कुदरत की पनाह चाहता हुँ उस तकलीफ़ से जो मुझे पहुँची है और जिस से मैं डरता हुँ। चुनान्चे उन सहाबी ने जब यह कलिमात कहे तो उन का दर्द खत्म हो गया फिर वह सहाबी अपने घर वालों और दूसरे जरुरतमंदों को हमेशा इन कलिमात की तलकीन करते रहते थे।
पड़ोसी को तकलीफ देने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“जिसने अपने पड़ोसी को तकलीफ दी, उस ने मुझे तकलीफ दी
और जिस ने मुझे तकलीफ दी उस ने अल्लाह को तकलीफ दी
और जिसने अपने पड़ोसी से झगड़ा किया, उसने मुझ से झगड़ा किया
और जिसने मुझ से झगड़ा किया तो उसने अल्लाह से झगड़ा किया।”
हँसाने के लिये झूट बोलने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“उस शख्स के लिये हलाकत है, जो लोगों को हँसाने के लिये कोई बात कहे और उसमें झूट बोले, उसके लिये हलाकत है, हलाकत है।”
अल्लाह के ज़िक्र की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स सुबह को सौ मर्तबा और शाम को सौ मर्तबा “सुब्हान अल्लाही वबिहम्दिहि” पढ़े, उस के गुनाहों की मग़फ़िरत कर दी जाएगी ख़्वाह उस के गुनाह समुन्दर के झाग से ज़्यादा हों।”
सहाबा की सीरत को दागदार बनाने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“मेरे सहाबा के बारे में अल्लाह से डरते रहना, मेरे बाद उनको निशाना मत बनाना।
जो उनसे मुहब्बत करेगा वह मुझसे मुहब्बत की बिना पर उन से मुहब्बत करेगा
और जो उनसे बुग्ज रखेगा वह मुझसे बुग्ज की बिना पर उन से बुग्ज रखेगा
और जिसने उन को तकलीफ दी उसने मुझ को तकलीफ दी
और जिसने मुझ को तकलीफ दी गोया उस ने अल्लाह को तकलीफ पहुँचाई
और जिसने अल्लाह को तक्लीफ पहुँचाई
करीब है के अल्लाह तआला उसको अजाब में पकड़ ले।”
अल्लाह तआला सबको दोबारा ज़िन्दा करेगा
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“अल्लाह वह है, जिसने तुम को पैदा किया और वही तुम्हें रोजी देता है, फिर (वक्त आने पर) वही तुम को मौत देगा और फिर तुम को वही दोबारा जिन्दा करेगा।”
वजाहत: मरने के बाद अल्लाह तआला दोबारा जिन्दा करेंगा, जिसको “बअस बादल मौत” कहते हैं, इसके हक होने पर ईमान लाना फर्ज है।
हज किन लोगों पर फर्ज है ?
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“अल्लाह के वास्ते उन लोगों के जिम्मे बैतुल्लाह का हज करना (फर्ज) है, जो वहाँ तक पहुँचने की ताकत रखते हों।”
तहज्जुद की निय्यत कर के सोना
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो आदमी अपने बिस्तर पर लेटते वक्त रात को उठ कर (तहज्जुद की) नमाज पढने की निय्यत करे फिर नींद के गलबे की वजह से सुबह हो जाए तो निय्यत के मुताबिक उसको नमाज का सवाब मिलेगा और (हुस्ने निय्यत की वजह से) उस का सोना अल्लाह की तरफ से उसके लिये सदक़ा है।”