हजरत अनस (र.अ) का बयान है के
रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फरमाते थे :
तर्जुमा : ऐ अल्लाह! मैं तेरी पनाह चाहता है उस नमाज से जो नफा न पहुँचाती हो।
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- मोहताजगी व जिल्लत से पनाह माँगना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : फक्र व मोहताजगी और जिल्लत से इस तरह पनाह माँगा करो : "हम अल्लाह की पनाह चाहते हैं, फक्र व फाका और जिल्लत से और इससे के हम किसी पर जुल्म करें, या हम पर कोई जुल्म करे।" 📕 इब्ने माजा : ३८४२
- इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से अल्लाह… रसूलुल्लाह (ﷺ) अक्सर यह दुआ किया करते थे : तर्जमा: “ऐ अल्लाह ! मैं आपस के इख्तेलाफ़, निफ़ाक और बुरे अख्लाक से तेरी पनाह चाहता हूँ।” 📕अबू दाऊद : १५४६
- नमाज़ छोड़ने पर वईद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : "नमाज का छोड़ना मुसलमान को कुफ़ व शिर्क तक पहुँचाने वाला है।” 📕 मुस्लिम: २७ "नमाज़ का छोड़ना आदमी को कुफ्र से मिला देता है।" 📕 मुस्लिम : २४६ "ईमान और कुफ्र के दरमियान फर्क करनेवाली चीज़ नमाज़ है।" 📕 इब्ने माजा : १०७८
- नमाज़ से मुंह मोड़ने का गुनाह मेअराज की रात रसूलुल्लाह (ﷺ) का गुज़र ऐसे लोगों पर हुआ जिन के सरों को कुचला जा रहा था, जब सर कुचल दिया जाता तो दोबारा फिर अपनी हालत पर लौट आता, फिर कुचल दिया जाता, इस अजाब में जर्रा बराबर कमी नहीं होती थी, हुजूर (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से…
- बुखार व दीगर बीमारियों से नजात हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ.) फ़रमाते हैं के : रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा-ए-किराम को बुखार और दूसरी तमाम बीमारियों से नजात के लिये यह दुआ बताई: तर्जमा : मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ जो बहुत बड़ा है, मैं बहुत ही ज्यादा अज़मत वाले अल्लाह की पनाह माँगता हूँ,…
- फकीरी और कुफ्र से पनाह मांगने की दुआ रसूलुल्लाह (ﷺ) इस दुआ को पढ़ कर कुफ्र और फक्र से पनाह मांगते: तर्जमा : ऐ अल्लाह ! मैं कुफ्र,फक्र व फाका और कब्र के अज़ाब से तेरी पनाह चाहता हूँ। 📕 नसई:५४६७,अन मुस्लिम
- कर्जो और ग़मों से नजात की दुआ रसूलल्लाह (ﷺ) ने कर्ज़ों और ग़मों से छुटकारे के लिये सुबह व शाम यह दुआ पढ़ने के लिये फर्माया : "Allahumma inni a’udhu bika minal-hammi wal hazan, wa a’udhu bika minal-‘ajzi wal-kasal wa a’udhu bika minal-jubni wal-bukhul wa a’udhu bika min ghalabatid-dayn wa qahrir-rijal." तर्जुमा: ए अल्लाह मैं पनाह चाहता…