माफ़ करने की सुन्नत

हज़रत आयशा (र.अ) बयान करती हैं के :

“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अपनी जात के लिए कभी किसी से कोई बदला नहीं लिया।”

📕 मुस्लिम: ६०४५