रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
बन्दे की अपने रब से माँगी जाने वाली दुआओं में सबसे अफजल यह है:
तर्जमा: ऐ अल्लाह! मैं दुनिया और आखिरत में तुझसे आफियत व भलाई का सवाल करता हूँ।
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- दुनिया से बे-रग़बती और आखिरत की रगबत के लिये रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : "दुनिया से बे-रग़बती और आखिरत की रगबत पैदा करने के लिये मौत को याद करना काफी है।" 📕 बैहेकी फी शोअबील ईमान: १०१५९
- आखिरत के मुकाबले में दुनिया से राज़ी होने का वबाल कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : "क्या तुम लोग आख़िरत की जिन्दगी के मुकाबले में दुनिया की ज़िन्दगी पर राजी हो गए? दुनिया का माल व मताअ तो आखिरत के मुकाबले में कुछ भी नहीं।" 📕 सूरह तौबा: ३८ यानी मुसलमान के लिये मुनासिब नहीं है के वह दुनिया…
- दुनियादार का घर और माल रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : "दुनिया उस शख्स का घर है, जिसका (आखिरत में) कोई घर नहीं हो और (दुनिया) उस शख्स का माल है जिस का आखिरत में कोई माल नहीं और दुनिया के लिये वह शख्स (माल) जमा करता है जो नासमझ है।" 📕 मुस्नदे अहमद: २३८९८, अन…
- आखिरत दुनिया से बेहतर है कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है: “तुम दुनियावी जिंदगी को मुकद्दम रखते हो, हालांके ! आखिरत दुनिया से बेहतर है और बाकी रहने वाली है (इसलिए आखिरत ही की तय्यारी करो)।” 📕 सूरह आला : १६ ता १७
- दुनिया में उम्मीदों का लम्बा होने का फितना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: "मुझे अपनी उम्मत पर सब से ज़ियादा डर ख्वाहिशात और उम्मीदों के बढ़ जाने का है, ख्वाहिशात हक़ से दूर कर देती हैं और उम्मीदों का लम्बा होना आखिरत को भुला देता है, यह दुनिया भी चल रही है और हर दिन दूर होती चली जा…
- अल्लाह की चाहत दुनिया नहीं कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है : "तुम तो दुनिया का माल व असबाब चाहते हो और अल्लाह तआला तुमसे आखिरत को चाहता हैं।" 📕 सूरह अन्फाल: ६७ फायदा: इंसान हर वक़्त दुनियावी फायदे में मुन्हमिक रहता है और उसी को हासिल करने की फिक्र में लगा रहता है, हालांकि…
- दुनिया से बेरग़बती पैदा करना रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: "मौत का (जिक्र) दुनिया से बेगरगबती करने और आखिरत की तलब के लिये काफी है।" 📕 शोअबुल ईमान: १०१५९