1समस्त संसार को बनाने वाला एक ही मालिक अल्लाह हैं। वह निहायत मेहरबान और रहम करने वाला है। उसी की ईबादत (पूजा) करो और उसी का हुक्म मानो।
2अल्लाह ने इन्सान पर अनगिनत उपकार किए हैं। धरती और आकाश की सारी शक्तियॉ इन्सानों की सेवा मे लगा दी हैं। वही धरती और आकाश का मालिक हैं, वही तुम्हारा पालनहार हैं।
3अल्लाह (यानि अपने सच्चे मालिक ) को छोड़कर अन्य की पूजा करना सबसे बड़ा पाप और अत्याचार है।
4अल्लाह की नाफरमानी करके तुम उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकते। फरमाबरदार बनकर रहो, इसमें तुम्हारा अपना ही भला है।
5अल्लाह की याद से रूह को सकून मिलता हैं, उसकी इबादत से मन का मैल दूर होता है।
6अल्लाह की निशानियों ( दिन, रात, धरती, आकाश, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु आदि की बनावट ) पर विचार करो। इस से अल्लाह पर ईमान मजबूत होगा और भटकने से बच जाओगे।
7मैं अल्लाह की ओर से संसार का मार्ग दर्शक नियुक्त किया गया हूॅ। मार्ग दर्शन का कोई बदला तुमसे नही चाहता। मेरी बातें सुनों और मेरी आज्ञा का पालन करो।
8मै कोई निराला और अजनबी पैगम्बर नही हूॅं। मुझसे पहले संसार मे मार्ग दर्शन के लिए बहुत-से रसूल आ चुके हैं, अपने धर्म-ग्रन्थों में देख लो या किसी ज्ञानी व्यक्ति से मालूम कर लो। मैं पहले के पैगम्बर की शिक्षा को पुन: स्थापित करने और कपटाचारियों के बन्धन से मानव को मुक्त कराने आया हू।
9मैं इसलिए भेजा गया हू कि नैतिकता और उत्तम आचार को अंतिम शिखर तक पहुॅचा दू। मैं लोगो की कमर पकड़-पकड़कर आग में गिरने से बचा रहा हू, किन्तु लोग हैं कि आग ही की ओर लपक रहे हैं।
10मैं दुनियावालों के लिए रहमत बनाकर भेजा गया हूॅ। तुम लोगो के लिए आसानियॉ पैदा करो; मुसीबते न पैदा करो। मॉ-बाप की सेवा करो। उनके सामने ऊॅची आवाज से न बोलो। उन्होने तुम पर बड़ा उपकार किया है, अत: तुम उनके आज्ञाकारी बनकर रहों।
11मॉ-बाप यदि अन्याय का आदेश दे तो न मानों, बाकी बातों में उनकी आज्ञा का पालन करो।
12सारे मानव एक मालिक(अल्लाह) के पैदा किए हुए है, एक मॉ-बाप ( आदम-हव्वा ) की संतान हैं। उनके बीच रंग-नस्ल जाति, भाषा, क्षेत्रीयता आदि का भेद भाव घोर अन्याय है। सारे लोग आदम की सन्तान है, उनसे प्यार करो घृणा न करो। उन्हे आशावान बनाओं निराश मत करो।
13मानव में श्रेष्ठ वह हैं जो दूसरों का हमदर्द, पवित्र आचरण वाला और अपने पालनहार ( अल्लाह ) का आज्ञाकारी हैं।
14तुम धरती वालों पर दया करो, आकाशवाला ( अल्लाह ) तुम पर दया करेगा।
15वह व्यक्ति सब से अच्छा हैं जो अपने घरवालों और पड़ोसियों के लिए अच्छा हैं।
16औरतों, गुलामों और यतीमों ( अनाथों ) पर विशेष रूप से दया करो।
17जो अपने बेटे और बेटियो के बीच भेदभाव न करे और बेटियों का ठीक से पालन-पोषण करे, वह स्वर्ग में जाएगा।
18जो बड़ो का आदर और छोटो से प्रेम न करे वह हम में से नहीं।
19तुम दुनयावी जिन्दगी मे मस्त होकर भूल मत जाओ, तुम सब को अपने किए हुए कर्मो का हिसाब अपने रब को देना हैं। आखिरत ( परलोक ) की सफलता ही वास्तविक सफलता हैं।
20आखिरत ( परलोक ) की यातना बड़ी कठोर हैं। वहॉ कुल-वंश, सगे-सम्बन्धी, धन-दौलत और किसी की सिफारिश कुछ काम आने वाली नहीं। अल्लाह के हुक्म का पालन और उत्तम आचरण ही (उस की यातना से) बचने का एक मात्र साधन हैं। अपने को और अपने घर वालों को नरक की अग्नि से बचाओं।
21अल्लाह के हुक्म के मुताबिक खर्च करके स्वंय को नरक की अग्नि से बचाओं। तुम्हारे माल में तुम्हारे सम्बन्धियों, गरीबो, अनाथो का भी हक हैं। उन के हक अदा करो।
22दूसरो का धन अवैध रूप से न खाओं। तिजारत या समझौते के द्वारा वैध रूप से धन प्राप्त करो। चीजों मे मिलावट न करो, नाप-तौल मे कमी न करो। व्यापार में धोखा न दो। जो धोखा देता हैं हम में से नही।
23बाजार मे भाव बढ़ाने के लिए ( गल्ला आदि ) चीजों को रोककर ( जखीरा कर के ) मत रखों। ऐसा करने वाला घोर यातना का अधिकारी है।
24पैसे को गिन-गिनकर जमा न करो और न फिजूलखर्ची करो, मध्यम मार्ग को अपनाओं।
25दूसरों के अपराध क्षमा कर दिया करो। दूसरों के ऐब का प्रचार न करो उसे छिपाओं, तुम्हारा रब तुम्हारे ऐबो पर परदा डाल दैगा। झूठ, चुगलखोरी, झूटे आरोप ( बोहतान ) से बचो। लोगो को बुरे नाम से न पुकारो।
26अश्लीलता और निर्लज्जता के करीब भी न जाओ, चाहे वह खुली हो या छिपी।
27दिखावे का काम न करो। दान छिपाकर दो। उपकार करके एहसान मत जताओ।
28रास्ते से कष्टदायक चीजों ( कॉटे, पत्थर आदि ) को हटा दिया करो।
29धरती पर नर्म चाल चलो, गर्व और घमण्ड न करो। जब बोलो अच्छी बात बोलो अन्यथा चुप रहो। अपने वचन और प्रतिज्ञा को पूरा करो।
30सत्य और न्याय की गवाही दो, चाहे तुम्हारी अपनी या अपने परिवार-जनों की ही हानि क्यो न हो। अन्याय के विरूद्ध संघर्ष करने वाला अल्लाह का प्यारा होता है।
31किसी बलवान को पछाड़ देना असल बहादुरी नही, बहादुरी यह है कि आदमी गुस्से पर काबू पाए।
32मजबूर का पसीना सूखने से पहले उसकी मजदूरी अदा करो।
33किसी सेवक से उसकी शक्ति से अधिक काम न लो, उस के आराम का ख्याल रखो। जो खुद खाओं उसे भी खिलाओं और जो खुद पहनो उसे भी पहनाओं। जानवरों पर दया करो, उनकी शक्ति से अधिक उनसे काम न लो।
34किसी वस्तु का आवश्यकता से अधिक प्रयोग न करो। पानी का दुरूपयोग न करो, चाहे तुम नदी के किनारे ही क्यो न हो।
35अपने शरीर, वस्त्र और घर को पाक-साफ रखों। जब सो कर उठो तो सबसे पहले अपने दोनो हाथों को धो लो। तुम्हे पता नही कि नींद में हाथ कहॉ-कहॉ गए हैं।
36युद्ध मे औरतो, बच्चो, बीमारों और निहत्थो पर हाथ न उठाओं। फल वाले पेड़ो को न काटो। युद्ध के बन्दियों के साथ अच्छा व्यवहार करो, उन्हें यातनाएं न दो।
37जो कोई बुराई को देखे, तो अपनी ताकत के मुताबिक उसे रोकने की कोशिश करे, यदि रोकने की क्षमता ना हो तो दिल से उस को बुरा समझो।
38सारे कर्मो का आधार नीयत ( इरादा ) हैं। गलत इरादे के साथ किए गए अच्छे कर्मो का भी कोई फल अल्लाह के यहॉ नही मिलेगा।
39अपने भाई की मदद करो, चाहे वह अत्याचारी हो या नृशंसित (अत्याचार को सहन करने वाला)। नृशंसित की मदद यह है कि अत्याचारी से उसे छुड़ाया जाए और अत्याचारी की मदद यह है कि उसे अत्याचार से रोका जाए।
40जो शख्स बिना आज्ञा अपने भाई के पत्र को देखे वह आग को देखेगा।
41किसी भाई की ज़रूरत पूरी करने वाला ऐसा है कि गोया उस ने तमाम उम्र खुदा की ख़िदमत में बिता दी।
42अपने किसी भाई को मुश्किल में देख कर खुश मत हो, मुम्किन है अल्लाह उसे मुश्किल से निकाल कर तुम्हें मुश्किल में डाल दे।
43अपने मुसलमान भाई से मिलते वक़्त तुम्हारा मुस्कुरा देना भी सदका है। अच्छी बात कहना और बुराई से रोकना और भटके हुए को राह दिखाना भी सदका है।
44मुसलमान, मुसलमान का भाई है उस पर जुल्म न करे न उसे जलील करे न हकीर समझे।
45हलाल चीज़ों में से जो चाहो खाओ और पहनों लेकिन उस में दो चीजें न हों (1) फुजूल खर्ची (2) घमंड
46दुनिया की कोई चीज़ तुम्हारे पास न हो, लेकिन यह चार चीजें हों तो तुम्हें कोई नुक्सान नहीं (i) बात करने का तरीका (ii) अमानत की हिफाज़त करना (iii) अच्छी आदत (iv) हलाल गिजा (आहार)।
47जहाँ तक हो सके हर एक से नेकी करो चाहे नेक हो या बुरा।
48किसी इंसान के दिल में ईमान और ईर्ष्या इकट्ठे नहीं रह सकते।
49पड़ोसी का हक चारों तरफ़ 40-40 घरों तक है।
50जो ईश्वर (अल्लाह) और कयामत पर ईमान रखता है उसे कह दो कि पड़ोसी का आदर करे।
51शिर्क (अल्लाह के साथ साझेदारी) के बाद बदतर गुनाह अल्लाह के बन्दों को तकलीफ पहुँचाना है और ईमान के बाद अफ़ज़ल तरीन नेकी अल्लाह के बन्दों को राहत पहुँचाना है।
52वह शख़्स जो बड़ों का आदर और छोटों पर दया नहीं करता, वह मेरी उम्मत में से नहीं है।
53पेट से बढ़ कर कोई बुरा बरतन नहीं।
54जो शख़्स इस बात से खुश हो कि लोग उस के लिए सम्मान के तौर पर खड़े हों वह अपना ठिकाना आग में समझे।
55ईश्वर के नज़दीक दो कतरों (बून्द) से बढ़ कर कोई क़तरा पसन्द नहीं। पहला आँसू का क़तरा जो खुदा के डर से निकले, दूसरा खून का क़तरा जो खुदा की राह में गिरे।
56बाज़ार से बच्चों के लिए जो चीज़ लाओ पहले लड़की को दो फिर लड़के को।
57जो ज्ञान की राह पर चलता है, अल्लाह उस के लिए स्वर्ग का रास्ता आसान कर देता है।
58ज्ञान हासिल करना हर मुसलमाल मर्द और औरत पर फर्ज है।
59जिस ने ज्ञान का रास्ता अपनाया उस ने स्वर्ग का रास्ता अपनाया।
60जिस ने ज्ञान हासिल करने में मृत्यु पाई गोया वह शहीद हुआ।
61जिहालत (अज्ञानता) ग़रीबी की बदतरीन शक्ल है।
62जन्म से मौत (कब्र) तक ज्ञान हासिल करो।
63हमेशा सच्ची और हक़ बात कहो अगरचे कड़वी ही हो।
64तीन काम ऐसे हैं जो इंसान की मौत के बाद भी जारी रहते हैं। (i) सदकाए जारिया (ii) वह ज्ञान जिस से लोग फ़ायदा उठाएँ (iii) नेक संतान जो उस के लिए दुआ करे।
65बुलंद हिम्मती ईमान की निशानी है।
66वह शख़्स बेदीन है जिस में ईमानदारी नहीं।
67ईमान और कंजूसी एक जगह इकट्ठे नहीं हो सकते।
68सब्र ईमान से ऐसे मिला हुआ है जैसे सिर से जिस्म मिला हुआ है और सब्र ईमान की रौशनी है।
69सादगी ईमान की अलामत है।
70हया और कम बोलना ईमान की शाखें हैं।
71बेहतरीन लोग वह हैं जो अच्छे सदाचार के मालिक हैं।
72अपनी मेहनत की कमाई से बेहतर खाना किसी शख़्स ने कभी नहीं खाया।
73(बुरी और फ़िज़ूल बातों से) ख़ामोशी बहुत बड़ी हिकमत (समझदारी) है।
74समता अख्तियार करने वाला किसी का मुहताज नहीं होता।
75कर्म नियतों के साथ हैं। हर शख़्स को उसी का बदला मिलेगा जिस की उस ने नियत की है।
76कपटाचारी की तीन निशानियाँ हैं। (i) जब बोले तो झूठ बोले। (ii) वादा करे तो पूरा न करे। (iii) अमानत ले तो ख्यानत करे।
77हर नशे वाली चीज़ हराम है।
78मोमिन की मिसाल खेती के पौदों की है जिसे हवा कभी झुका देती है कभी सीधा कर देती है और मुनाफ़िक की मिसाल सुनूबर के दरख्त की है जो खड़ा रहता है यहाँ तक कि एक ही दफ़ा उखड़ जाता है।
79अल्लाह तआला ने हर बीमारी की शिफ़ा भी पैदा की है।
80दुनिया में इस तरह रहो गोया प्रदेसी हो या राह चलने वाले।
81वह ज़लील हुआ जिस ने माँ बाप को बुढ़ापे में पाया और उन की सेवा कर के स्वर्ग न हासिल की।
82तुम में से बेहतर वह है जो कुरआन सीखे और दूसरों को सिखाए।
83मय्यित (शव) के पीछे तीन चीजें चलती हैं, दो लौट आती हैं और एक रह जाती है। उस के पीछे उस के घर वाले, उस का माल और उस के कर्म चलते हैं। घर वाले और माल लौट आते हैं मगर कर्म साथ रह जाता है।
84आदमी के झूटा होने के लिए यही काफी है कि वह सनी सुनाई बात बगैर जाँचे परखे आगे बयान कर दे।
85दुनिया मोमिन का कैदखाना है और काफिर (नॉनमुस्लिम) के लिए जन्नत।
86हर गुनाह की तौबा है मगर अशिष्टी की नहीं।
87दुनिया की मुहब्बत हर ख़ता की जड़ है।
88इंसाफ़ की बात ज़ालिम बादशाह के सामने कहना बहुत बड़ा जिहाद है।
89रिश्वत लेने और देने वाला दोनो जहन्नमी हैं।
90जिस शख्स ने हलाल तरीके से रोज़ी तलाश की और लोगों के सामने हाथ फैलाने से रुका अपने बच्चों की रोज़ी के लिए प्रयास किया और अपने पड़ोसी से अच्छी तरह से पेश आया तो अल्लाह तआला उस से इस शान से मुलाकात करेगा कि उस शख्स का चेहरा चौदहवीं के चाँद की तरह चमक रहा होगा।
91नर्क में पहुँचाने वाला काम, झूठ बोलना है।
92जो झूठ बोल बोल कर लोगों को हँसाए उस के लिए सख्त अज़ाब है।
93अगर कोई बुरा काम देखे मगर मना न करे तो अल्लाह अज़ाब नाज़िल करेगा और सब को उस में घेर लेगा।
94अल्लाह अत्याचारी को फुरसत देता है मगर जब पकड़ता है तो फिर नहीं छोड़ता।
95जो मौत को याद रखे और उस की अच्छी तरह तयारी करे वह सब से ज़्यादा अकलमंद है।
96ठोकर के बगैर कोई सब्र करने वाला नहीं बनता, तजुर्बे के बगैर कोई होशयार नहीं होता।
97अकलमन्द वह है जो अपने अस्तित्व (नफ्स) की रक्षा करे और मौत के बाद के लिए अमल करे। निर्बल (कमज़ोर) वह है जो अस्तित्व का कहा माने और खुदा से उम्मीद रखे।
98अल्लाह कहता है कि तीन आदमियों का कयामत के दिन मैं दुश्मन हूंगा। (i) वह जो मेरे नाम पर वादा करे और फिर तोड़ दे। (ii) जो किसी आज़ाद को बेच कर उस की कीमत खाए। (iii) जो किसी को मज़दूरी पर लगाए और काम होने पर उस को मज़दूरी न दे।
99जो दया नहीं करता उस पर दया नहीं की जाएगी।
100ताकतवर वह नहीं जो दूसरों को पिछाड़ दे, ताकतवर तो वह है जो गुस्से में अपने आप पर काबू रखे।
101मालदारी माल की कसरत से नहीं बल्कि मालदारी दिल की मालदारी है।
102चुगली करने वाला जन्नत में दाखिल न होगा।
103एक दूसरे की खुशामद न करो यह ऐसा है जैसे किसी को हलाक करना।
104मोमिन को चाहिए अपने आप को ज़लील न करे जो काम . ताक़त से बाहर हो उस में हाथ न डाले।
105तमाम बुरी आदतों में दो सब से बुरी हैं। (i) बहुत ज़्यादा कंजूसी, (ii) बहुत ज़्यादा कायरता।
106जब कोई मुसलमान मेवादार दरख्त लगाता है और उस के मेवे पंछी इंसान और जानवर खाते हैं तो वह दरख्त कयामत तक के लिए उस शख्स के लिए जारी रहने वाला सदका बन जाता है।
107बहुत ज़्यादा न हँसा करो, ज़्यादा हँसी से दिल सख्त हो जाता है।
108हसद नेकियों को ऐसे खा जाता है जैसे आग लकड़ी को और सदका गुनाहों को ऐसे बुझा देता है जैसे पानी आग को।
109जो आदमी खूनी रिश्तों को तोड़े वह जन्नत में दाखिल न होगा।
110एक आदमी बात करे और वह राज़ की बात हो तो वह अमानत है।
111ख़रीदने व बेचने में कसम खाने से बचे रहो। वह माल बिकवा देती है मगर फिर उसे मिटा देती है।
112अल्लाह दो बातों को पसन्द करता है सब्र और समता।
113दो आदतें मोमिन में नहीं होती कंजूसी और बुरे सदाचार।
114मुसलमान को गाली देना पाप है और उस से जंग करना कुफ़।
115जन्नत माँ के कदमों तले है।
116जो धोका दे वह हम में से नहीं।
117रोना दिल को रौशन करता है।
118बाप जन्नत के बड़े दरवाज़ों में से है चाहो तो उसे खो दो चाहो तो सुरक्षित कर लो।
119अल्लाह की प्रसन्नता बाप की प्रसन्नता में है और अल्लाह का गुस्सा बाप के गुस्से में है।
120दुनिया दौलत है और दुनिया में अच्छी दौलत नेक बीवी है।
121औरत से चार बातों कि वजह से विवाह किया जाता है। (i) माल के लिए। (ii) ख़ानदान के लिए। (iii) खूबसूरती के लिए। (iv) दीन के लिए। बेहतर है कि दीन के लिए करे।
122मज़लूम की आह से डर कि उस के और अल्लाह के बीच कोई पर्दा (रुकावट) नहीं।
123इंसाफ की एक घड़ी सालों की इबादत से बेहतर है।
124शरीफ़ तबीयत के लोग औरत की इज़्ज़त करते हैं और कमीनों के सिवा औरत की तौहीन कोई नहीं करता।
125दुनिया आख़िरत की खेती है जो बोओगे वही काटोगे।
126जुबान से अच्छी बात के सिवा कुछ न कहो।
127जो शख़्स अपना गुस्सा निकाल लेने की ताकत रखता हो और फिर सब्र कर जाए, उस के दिल को अल्लाह सुकून और ईमान से भर देता देता है।
128झूठी गवाही इतना बड़ा गुनाह है कि शिर्क के करीब जा पहुँचता है।
129बदतरीन शख़्स वह है जिस के डर से लोग उस की इज्जत करें।
130खाना खिलाना और जाने अंजाने को सलाम करना बेहतरीन इस्लाम (का अमल) है।
131सवार पैदल को, चलने वाला बैठे को और थोड़े लोग ज़्यादा लोगों को सलाम करें।
132मोमिन की जुबान दिल के पीछे होती है। यानी वह सोच समझ कर बोलता है।
133जो शख़्स दूसरे को नेक काम की सलाह देता है तो उसे उसी के बराबर सवाब मिलता है जितना नेकी करने वाले को और जो किसी को बुरे काम की सलाह देता है उसे उसी के बराबर गुनाह होता है जितना बुरा काम करने वाले को।
134ग़ल्ले (अनाज) को रोक कर बेचने वाला मलऊन (धिक्कृत) है।
135औरतों में सब से अच्छी वह है जिसे उस का पति देखे तो खुश हो जाए।
136सब से बड़ी नेकी अपने दोस्तों और साथियों की इज्जत करना है।
137अल्लाह के नज़दीक बेहतरीन दोस्त वह है जो अपने दोस्त का भला चाहने वाला हो।
138नर्म मिज़ाज और नर्म आदत वाले शख़्स पर जहन्नुम (नर्क) की आग हराम है।
139जब तुम्हे नेकी कर के खुशी और बुराई कर के पछतावा हो तो तुम मोमिन हो।
140जिस चीज़ का मैं ने हुक्म दिया उस पर अमल करो, जिस चीज़ से मना किया उस से रुक जाओ, तुम से पहली उम्मतें अपने नबियों से विरोध की वजह से हलाक हो गई थीं।
141अपने माता पिता के साथ अच्छा व्यवहार करो, तुम्हारी संतान तुम्हारे साथ अच्छा व्यवहार करेगी।
Recent Posts
सउदी में फंसे भारतीयों के लिए किंग सलमान ने की 178 करोड़ रूपये की मदद …
807,126
दय्यूस कौन है ?
1,807
Jab Tumhare Dil Me Kisi Ke Liye Nafrat ….
807,535
Hiqayat (Part 23) » Nabi Musa (Alaihay Salam)
809,245
कजाए उमरी नमाज़ की हकीकत: हिंदी में
कजाए उमरी पढना कैसा है। तफसीली वजाहत | Qaza e Umri Namaz ki hakikat
808,890
Ramzan Quran ka Mahina hai
#Hadith #DailyHadith #HadithoftheDay
1,224
Khana-e-Kaabe par Gilaf sabse pehle kisne chadhaya – History of Ghilaf e Kaaba by Bro.Imran
807,801
Musalman Se Ladna Kufr Hai …
807,355
25. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
1,183
कोरोना के डर से घरों में नमाज़ अदा करना कैसा है?
5,947
6. शव्वाल | सिर्फ पाँच मिनट का मदरसा (कुरआन व हदीस की रौशनी में)
410
Jumaa Me 3 Tarah Ke Log Aatey Hain ….
807,444
नॉन-मुस्लिम भाइयो द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले कुछ सुनहरे जुमले ….
810,393
Hiqayat (Part 19) » Nabi Musa (Alaihay Salam)
809,986
Islamic Quiz 43 : Islam me In me se Sabse Afzal Martaba kin Logon ka hai ?
809,472
2
3
…
177
Next