उसे ना खाने-पीने और सोने की आवश्यकता पड़ती है,  न उसके पास वंश है और न ही उसका कोई साझी।

LEARN MORE

ईश्वर कौन है?

और उसका

ईश्वर

मार्ग-दर्शन

आज लोग ईश्वर का नाम अवश्य लेते हैं, उसकी पूजा भी करते हैं, परन्तु बड़े खेद की बात है कि उसे बहुत कम लोग पहचानते हैं।

ईश्वर समस्त सृष्टि का अकेला निर्माता, पालनहार और शासक है। उसी ने पृथ्वी, आकाश, चंद्रमा, सूर्य, सितारे और पृथ्वी पर रहने वाले सारे इन्सानों एवं प्रत्येक जीव-जंतुओं को पैदा किया।

सीरीज

1

"(हे ईश दूत!) कह दोः अल्लाह अकेला है,  अल्लाह निरपेक्ष (और सर्वाधार) है,  न उसकी कोई संतान है और न वह किसी की संतान है। और न उसके बराबर कोई है।"

ईश्वर कौन है?

और उसका

ईश्वर

मार्ग-दर्शन

ईश्वर को ना खाने-पीने और सोने की आवश्यकता पड़ती है,  न उसके पास वंश है और न ही उसका कोई साझी।

कुरआन ईश्वर का इस प्रकार परिचय कराता है:

[कुरआन, 112:1-4]

इस अध्याय में ईश्वर के पांच मूल गुण बताए गए हैं: (1) ईश्वर केवल एक है, (2) उसको किसी की आवश्यकता नहीं पड़ती, (3) उसकी कोई संतान नहीं, (4) उसके माता-पिता नहीं एवं (5) उसका कोई साझीदार नहीं।

सीरीज

1

"तमिदं निगतं सहास एष एक एकवृदेक एव"

ईश्वर कौन है?

और उसका

ईश्वर

मार्ग-दर्शन

अथर्ववेद (13-4-20) में है

सीरीज

1

अर्थात: किन्तु वह सदा एक अद्वितीय ही है। उससे भिन्न दूसरा कोई भी नहीं। ...वह अपने काम में किसी की सहायता नहीं लेता, क्योंकि वह सर्वशक्तिमान है। - स्वामी दयानन्द सरस्वती,  - दयानन्द ग्रंथमाला, पृ.-338

और सनातन वेदांत का ब्रह्मसूत्र यह है:

एकम् ब्रम द्वितीय नास्तेः नहे ना नास्ते किंचन। 

अर्थात: ईश्वर एक ही है दूसरा नहीं है, नहीं है, तनिक भी नहीं है।

अव्यक्तं व्यक्तिमापन्नं मन्यन्ते मामबुद्धयः परं भावमजानन्तो ममाव्ययमनुत्तमम् ।।

क्या ईश्वर अवतार लेता है? 

और उसका

ईश्वर

मार्ग-दर्शन

पर बड़े दुख की बात है कि जिस ईश्वर की कल्पना हमारे हृदय में स्थित है, अवतार की आस्था ने उसकी महिमा को खंडित कर दिया। आप स्वयं सोचें कि जब ईश्वर का कोई साझीदार नहीं और न उसे किसी चीज़ की ज़रूरत पड़ती है, तो उसे मानव रूप धारण करने की क्या आवश्यकता पड़ी? 

सीरीज

1

बुद्धिहीन पुरुष मेरे अनुत्तम अविनाशी परम भाव को न जानते हुए मन-इन्द्रियों से परे मुझ सच्चिदानन्द परमात्मा को मनुष्य की भांति जन्मकर व्यक्ति भाव को प्राप्त हुआ मानते हैं। - गीता-तत्व विवेचनी टीका, पृष्ठ-860

और सनातन वेदांत का ब्रह्मसूत्र यह है:

श्रीमद्भागवतगीता (7/24) में कहा गया है

न तस्य प्रतिमा अस्ति यस्य नाम महदयश।

क्या ईश्वर अवतार लेता है? 

और उसका

ईश्वर

मार्ग-दर्शन

सीरीज

1

'जिस प्रभु का बड़ा प्रसिद्ध यश है उसकी कोई प्रतिमा नहीं।

और सनातन वेदांत का ब्रह्मसूत्र यह है:

 यजुर्वेद 32/3 में इस प्रकार है

धार्मिक पक्षपात से अलग होकर आप स्वयं सोचें कि क्या ऐसे महान ईश्वर के संबंध में यह कल्पना की जा सकती है कि वह जब इन्सानों के मार्ग-दर्शन का संकल्प करे, तो स्वयं ही अपने बनाए हुए किसी इन्सान का वीर्य बन जाए, 

अपने ही बनाए हुए किसी महिला के गर्भाशय की अंधेरी कोठरी में प्रवेश होकर 9 महीने तक वहां कैद रहे और उत्पत्ति के विभिन्न चरणों से गुज़रता रहे, खून और गोश्त में मिलकर पलता-बढ़ता रहे फिर जन्म ले और बाल्यावस्था से किशोरवस्था को पहुंचे। सच बताइए क्या इससे उसके ईश्वरत्व में दाग न लगेगा?