20 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

दावत व तबलीग़ का हुक्म

नुबुव्वत मिलने के बाद भी हुजूर (ﷺ) बादस्तूर गारे हिरा जाया करते थे। शुरू में सूरह अलक़ की इब्तेदाई पाँच आयतें नाज़िल हुईं, फिर कई दिनों तक कोई वहीं नाज़िल नहीं हुई। उस को “फतरतुल वह्य” का जमाना कहते हैं।

एक रोज़ आप गारे हिरा से तशरीफ ला रहे थे के एक आवाज़ आई, आप ने चारों तरफ घूम कर देखा, मगर कोई नजर नहीं आया। जब निगाह ऊपर उठाई,तो देखा के जमीन व आस्मान के दर्मियान हज़रत जिब्रईल (अ.) एक तख्त पर बैठे हुए हैं।

हज़रत जिब्रईल (अ.) को इस हालत में देख कर आप पर खौफ तारी हो गया और घर आकर चादर ओढ़ कर लेट गए। आप की यह अदा अल्लाह तबारक व तआला को पसंद आई और सूर-ए-मुदस्सिर की इब्तेदाई आयतें नाज़िल फ़रमाई।

“ऐ कपड़े में लिपटने वाले ! खड़े हो जाइये और (लोगों को) डराइये और अपने पर्दरदिगार की बड़ाई बयान कीजिए और अपने कपड़ों को पाक साफ रखिये और हर किस्म की नापाकी से दूर रहिये।”
[सूरह मुद्दस्सिर : १ ता ५]

इस तरह आप को दावत व तब्लीग का हुक्म भी दिया गया, चूँकि पूरी दुनिया सदियों से शिर्क व बुत परस्ती में मुब्तला थी और खुल्लम खुल्ला दावत देना मुश्किल था, इस लिये शुरू में पोशीदा तौर पर आपने इस्लाम की दावत देना शुरू की।

आपकी दावत से औरतों में सबसे पहले आपकी जौजा-ए-मुहतरमा हज़रत ख़दीजा ने, मर्दों में हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ (र.अ) ने और बच्चों में हजरत अली (र.अ) ने इस्लाम क़बूल किया।

📕 इस्लामी तारीख

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

पहाड़ों में पानी का जखीरा

पहाड़ों में भी अल्लाह तआला की अजीब व गरीब कुदरत कारफ़र्मा है,

जब बारिश होती है तो पहाड़ों में पानी के जखीरे जमा हो जाते हैं, फिर थोड़ा थोड़ा कर के चश्मों, नहरों की शक्ल में पानी बहता है, इस तरह जमीन के दूर दराज के मक़ामात तक को सैराब करता है, बाज़ पहाड़ों पर बर्फ की शक्ल में पानी महफूज हो जाता है, जो सूरज की गरमी से बकद्रे जरूरत थोड़ा थोड़ा पिघल कर नदियों, नालों और नहरों में जाकर जमीन वगैरा को सैराब करता है और कहीं कहीं पहाड़ों पर बड़े बड़े हौज़ भी होते हैं, जिस में पानी स्टाक रहता है। यह अल्लाह का कितना बड़ा निज़ाम है। 

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जमीन में मानने वालों और यकीन करने वालों के लिये बहुत सी निशानियाँ हैं।”
[सूरह जारियात २०]

📕 अल्लाह की कुदरत

3. एक फर्ज के बारे में

वारिसीन के दर्मियान विरासत तकसीम करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया : 

“माल (विरासत) को किताबुल्लाह के मुताबिक हक़ वालों के दर्मियान तकसीम करो।”

📕 मुस्लिम: ४१४३

फायदा : अगर किसी का इन्तेकाल हो जाए और उस ने माल छोड़ा हो, तो उस को तमाम हक वालों के दर्मियान तकसीम करना वाजिब है, बगैर किसी शरई वजह के किसी वारिस को महरूम करना या  अल्लाह तआला के बनाए हुए हिस्से से कम देना जाइज नहीं है ।

4. एक सुन्नत के बारे में

5. एक अहेम अमल की फजीलत

कुआं खुदवाने का सवाब

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जिस ने पानी का कुंवा खुदवाया और उस से किसी प्यासे परिन्दे, जिन या इन्सान ने पानी पिया, तो कयामत के दिन अल्लाह तआला उसको अज्र अता फ़रमाएगा।”

📕 सही इब्ने खुजैमा : १२२७

6. एक गुनाह के बारे में

ग़लत हदीस बयान करने की सज़ा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“मेरी हदीस को बयान करने में एहतियात करो और वही बयान करो जिस का तुम्हें यक़ीनी इल्म हो, जो शख्स जान बूझ कर मेरी तरफ से कोई गलत बात बयान करे, वह अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले।”

📕 तिर्मिज़ी: २९५१

7. दुनिया के बारे में

दुनिया की मुहब्बत बीमारी है

हज़रत अबू दर्दा (र.अ) फ़र्माते थे के

क्या मैं तुम को तुम्हारी बीमारी और दवा न बताऊं ?
तुम्हारी बीमारी दुनिया की मुहब्बत है और
तुम्हारी दवा अल्लाह तआला का जिक्र है।

📕 शोअबुल ईमान: १०२४४

8. आख़िरत के बारे में

हज़रत मिकाईल की हालत

आप (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से दर्याप्त फ़रमाया :

“क्या बात है ? मैं ने मिकाईल (फ़रिश्ते) को हंसते हुए नहीं देखा?“
अर्ज़ किया: जब से दोज़ख की पैदाइश हुई है, मिकाईल नहीं हंसे।”

📕 मुस्नद अहमद : १२९३०

9. तिब्बे नबवी से इलाज

मिस्वाक के फायदे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इर्शाद फ़रमाया :

“मिस्वाक मुंह की सफाई और अल्लाह की रज़ामंदी का ज़रिया है।”

📕 नसई : ५, अन आयशा (र.अ)

फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम मिस्वाक के फवाइद में लिखते हैं, यह दाँतों में चमक पैदा करती है, मसूड़ों में मज़बूती और मुँह की बदबू ख़त्म करती है, जिससे दिमाग़ पाक व साफ हो जाता है। यह बलग़म को काटती है, निगाह को तेज़ और आवाज़ को साफ करती है और भी इस के बहुत से फवाइद हैं।

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

दाढ़ के दर्द का इलाज

एक मर्तबा हजरत अब्दुल्लाह बिन रवाहा (र.अ) ने हुजूर (ﷺ) से दाढ में शदीद दर्द की शिकायत की, तो आप (ﷺ) ने उन्हें करीब बुला कर दर्द की जगह अपना मुबारक हाथ रखा और सात मर्तबा यह दुआ फ़रमाई :

اللّهُمَّ أَذْهِبْ عَنْهُ سُوءَ مَا يَجِدُ، وَاشْفِهِ بِدَوَاءِ نَبِيِّكَ الْمُبَارَكِ الْمَكِينِ عِنْدَكَ

“Allahumma adhhib ‘anhu su’a ma yajidu, wa shfihi bidawaa’i Nabiyyika al-Mubarak al-Makki ‘indak.” चुनान्चे फ़ौरन आराम हो गया।

📕 दलाइलुन्नबह लिल बैहकी: २४३१

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