20 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
हज़रत याह्या (अलैहि सलाम)
हज़रत याहया (अलैहि सलाम) हज़रत ज़करिया (अ.स) के फ़रज़न्द और अल्लाह तआला के नबी थे। वह नेक लोगों के सरदार और जुहद व तक़वा में बेमिसाल थे।
अल्लाह तआलाने बचपन से ही इल्म हिकमत से नवाज़ा था। उन्होंने शादी नहीं की थी, मगर उसके बावजूद उनके दिल में गुनाह का ख़्याल भी पैदा नहीं हुआ, वह अल्लाह तआला के ख़ौफ़ से बहुत रोया करते थे। अल्लाह तआला ने उन को और उनकी क़ौम को सिर्फ अपनी इबादत व परस्तिश, नमाज व रोज़े की पाबंदी और सदक़ा ख़ैरात करने और कसरत से ज़िक्र करने का हुक्म दिया था।
चुनांचे उन्होंने अपनी क़ौम को बैतुल मुक़द्दस में जमा कर के अल्लाह के इस पैग़ाम को सुनाया। उन की ज़िन्दगी का अहम काम हज़रत ईसा (अ.स) की आमद की बशारत देना और रुश्द व हिदायत के लिये राह हमवार करना था, जब उन्होंने दावत व तब्लीग़ का काम शुरू किया और अपने बाद हज़रत ईसा (अ.स) के आने की ख़ुशख़बरी सुनाई, तो उन की बढ़ती हुई मकबूलियत यहूदी क़ौम को बरदाश्त न हो सकी और हुज्जत बाज़ी कर के इस अज़ीम पैग़म्बर को शहीद कर डाला और अपने ही हाथों अपनी दुनिया व आख़िरत को बरबाद कर लिया।
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
हाथ से ख़ुश्बू निकलना
۞ हदीस: हज़रत उम्मे सलमा (र.अ) फर्माती हैं के,
जिस दिन रसूलुल्लाह (ﷺ) की वफात हुई, उस दिन मैंने हुजूर (ﷺ) के सीन-ए-मुबारक पर हाथ रखा था, उस के बाद एक जमाना गुजर गया, मैं उस हाथ से खाती रही और उस को धोती रही, लेकिन मेरे उस हाथ से मुश्क की खुश्बू ख़त्म नहीं हुई।
3. एक फर्ज के बारे में
ज़कात अदा करना
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) इर्शाद फ़र्माते हैं के,
“हमें नमाज़ कायम करने का और जकात अदा करने का हुक्म है और जो शख्स जकात अदा न करे उसकी नमाज़ भी (क़बूल) नहीं।”
4. एक सुन्नत के बारे में
हदिया कबूल करना
हजरत आयशा (र.अ) बयान करती है:
रसूलुल्लाह (ﷺ) हदिया कबूल फर्माते थे और उसका बदला भी इनायत फर्माते थे।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
मौत को कसरत से याद करने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“दिलों में भी ज़ंग लगता है, जैसे के लोहे में जब पानी लग जाता है” तो पूछा गया (दिलों का ज़ंग) कैसे दूर होगा? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया “मौत को खूब याद करने और क़ुरआन पाक की तिलावत से।”
6. एक गुनाह के बारे में
बुरे आमाल की नहूसत
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“खुश्की और तरी (यानी पूरी दुनिया) में लोगों के बुरे आमाल की वजह से हलाकत व तबाही फैल गई है, ताके अल्लाह तआला उन्हें उन के बाज़ आमाल (की सज़ा) का मजा चखा दे, ताके वह अपने बुरे आमाल से बाज आ जाएँ।”
7. दुनिया के बारे में
सिर्फ दुनिया मांगने वाले को आख़िरत में कुछ नहीं मिलेगा
क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है:
“लोगों में से बाज़ ऐसे भी हैं जो कहते हैं, के ऐ हमारे परवरदिगार ! हम को (जो कुछ देना हो) दुनिया में ही दे दीजिये (तो उन को जो कुछ मिलना होगा वह दुनिया ही में मिल जाएगा) और ऐसे शख़्स को आख़िरत में कुछ न मिलेगा।”
8. आख़िरत के बारे में
क़यामत में झूटे खुदाओं की बेबसी
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जिसको तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो, वह खजूर की गुठली के एक छिलके का भी इख्तियार नहीं रखते, अगर तुम उनको पुकारो भी, तो वह तुम्हारी पुकार सुन भी नहीं सकते और अगर (बिलफर्ज़) सुन भी लें तो तुम्हारी ज़रूरत पूरी न कर सकेंगे और कयामत के दिन तुम्हारे शिर्क की मुखालफत व इन्कार करेंगे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
हिजामा के फायदे: मुफीद तरीन इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“मुझे जिब्रईल (र.अ) ने यह बात बताई के हजामत ( पछना लगाना )
सब से जियादा नफा बख्श इलाज है।”
फायदा : हजामत से फासिद खून निकल जाता है जिसकी वजह से
बदन का दर्द और बहुत सारी बीमारियां दूर हो जाती हैं।
10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
खुजली का इलाज
हजरत अनस बिन मालिक (र.अ) फर्माते हैं के :
रसूलल्लाह (ﷺ) ने हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ (र.अ) और जुबैर बिन अव्वाम (र.अ) को खुजली की वजह से रेशमी कपड़े पहनने की इजाजत मरहमत फर्माई थी।”
फायदा: आम हालात में मर्दो के लिये रेश्मी लिबास पहनना हराम है, मगर जरूरत की वजह से माहिर हकीम या डॉक्टर कहे तो गुंजाइश है।
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