19 अप्रैल 2024
आज का सबक
1. इस्लामी तारीख
हुजूर (ﷺ) का एक तारीख़ी फैसला
रसूलुल्लाह (ﷺ) की नुबुव्वत से चंद साल क़ब्ल खान-ए-काबा को दोबारा तामीर करने की जरुरत पेश आई। तमाम कबीले के लोगों ने मिल कर खान-ए-काबा की तामीर की, लेकिन जब हज्रे अस्वद को रखने का वक्त आया, तो सख्त इख्तिलाफ पैदा हो गया, हर कबीला चाहता था के उस को यह शर्फ हासिल हो, लिहाजा हर तरफ से तलवारें खिंच गई और क़त्ल व खून की नौबत आ गई।
जब मामला इस तरह न सुलझा, तो एक बूढ़े शख्स ने यह राय दी के कल सुबह जो शख्स सब से पहले मस्जिदे हराम में दाखिल होगा वही इस का फैसला करेगा। सब ने यह राय पसन्द की।
दूसरे दिन सब से पहले नबीए करीम (ﷺ) दाखिल हुए। आप को देखते ही सब बोल उठे “यह अमीन हैं, हम उन के फैसले पर राजी हैं।” आप (ﷺ) ने एक चादर मंगवाई और हज्रे अस्वद को उस पर रखा और हर क़बीले के सरदार से चादर के कोने पकड़वा कर उस को काबे तक ले गए और अपने हाथ से हज्रे अस्वद को उस की जगह रख दिया। इस तरह आप (ﷺ) के जरिये एक बड़े फितने का खात्मा हो गया।
2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा
अरब के रास्तों के मुतअल्लिक़ पेशीनगोई
एक मर्तबा आप (ﷺ) ने अदी बिन हातिम (र.अ) से फर्माया :
“ऐ अदी ! अगर तेरी उम्र लम्बी होगी तो तू देखेगा के ऊँट पर सवार अकेली औरत हिरा (जगह) से चलेगी, यहाँ तक के काबा का तवाफ करेगी। और अल्लाह के अलावा उस को किसी का डर न होगा, चुनान्चे हजरत अदी (र.अ) फर्माते हैं के मैंने वह जमाना अपनी आँखों से देखा, के एक औरत हिरा से अकेली ऊँट पर सवार हो कर आई और काबा का तवाफ भी किया: उस को अल्लाह के अलावा किसी का डर न था।”
3. एक फर्ज के बारे में
सिला रहमी करना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“जो लोग अल्लाह के अहद को तोड़ते हैं, उस को मजबूत कर लेने के बाद और उन तअल्लुक़ात को तोड़ते हैं, जिन के जोड़ने का अल्लाह तआला ने हुक्म दिया है और जमीन में फसाद मचाते हैं, यही लोग नुकसान उठाने वाले हैं।”
फायदा: रिश्ते, नाते और तअल्लुक़ात को बरकरार (सिला रहमी करना) रखना और उस को खत्म न करना बहुत जरूरी है।
4. एक सुन्नत के बारे में
सजदा-ए-तिलावत की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) कुआन मजीद की तिलावत करते हुए आयते सज्दा पर पहुँचते तो इस दुआ को सज्दा-ए-तिलावत में पढ़ा करते –
(سجدہ وجهى على خلقه ومتى وبصره بحوله وقوته )
तर्जमा – मेरे चेहरे ने उस जात के लिये सज्दा किया जिसने उस को पैदा किया और अपनी कुदरत व कुव्वत से उसके कान और आँख खोले।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
गुनाहों से बचने की दुआ
गुनाहों से बचने के लिए यह दुआ पढ़े:
“ऐ अल्लाह ! जबतक मैं जिंदा रहूँ मुझे गुनाहों से बचने की तौफीक अता फर्मा।”
6. एक गुनाह के बारे में
कर्ज ना लौटाने की निय्यत से लेने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो शख्स लोगों का माल (बतौर क़र्ज़) लेता है और उसे अदा करना चाहता हो तो उसकी तरफ से अल्लाह अदा फरमा देता है, लेकिन जो शख्स लोगों का माल वापस ना करने के इरादा से लेता है तो अल्लाह भी उसे तबाह कर देता है।
एक और रिवायत में आप ﷺ ने फ़र्माया :
“जो शख्स किसी से क़र्ज़ ले और दिल में यह पक्का इरादा कर रखे के कर्ज पूरा पूरा नहीं लौटाएगा, तो वह (क़यामत के दिन) अल्लाह से एक चोर की हालत में मुलाकात करेगा।”
अल्लाह इस बुरी सिफ़त से सबकी हिफाज़त फरमाए। अमीन
7. दुनिया के बारे में
कामयाब कौन है?
रसूलुल्लाह (ﷺ)ने इर्शाद फ़र्माया :
“कामयाब हो गया वह शख्स जिसने इस्लाम कबूल किया और उसको जरुरत के ब कद्र रोजी मिली और अल्लाह तआला ने उस को दी हई रोजी पर कनाअत करने वाला बना दिया।”
8. आख़िरत के बारे में
जन्नतुल फिरदौस का दर्जा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तुम अल्लाह तआला से सवाल करो, तो जन्नतुल फिरदौस का सवाल किया करो, क्योंकि वह जन्नत का सबसे अफजल और बुलंद दर्जा है और उसके ऊपर रहमान का अर्श है और उसीसे जन्नत की नहरें निकलती हैं।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
खाने के बाद उंगलियां चाटने का फ़ायदा
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब खाना खा लेते तो अपनी तीनों उंगलियों को चाटते।
फायदा : अल्लामा इब्ने कय्यिम कहते हैं के खाना खाने के बाद उंगलियां चाटना हाज़मे के लिए इन्तेहाई मुफीद है।
तफ्सील में जानकारी के लिए यह भी देखे
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10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत
जिस्म के दर्द का इलाज
हजरत उस्मान बिन अबिल आस (र.अ) ने रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में हाजिर हो कर अपने जिस्म के दर्द को बताया तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : जहां दर्द होता हो वहां हाथ रख कर तीन बार “बिस्मिल्लाह” और सात मर्तबा यह दुआ पढ़ो:
( أَعُوذُ بِاللَّهِ وَقُدْرَتِهِ مِنْ شَرِّ مَا أَجِدُ وَأُحَاذِرُ )
“A’udhu Billahi Wa Qudratihi Min Sharri Ma Ajidu Wa Uhadhiru”
तर्जमा: मैं अल्लाह और उस की कुदरत की पनाह चाहता हुँ उस तकलीफ़ से जो मुझे पहुँची है और जिस से मैं डरता हुँ। चुनान्चे उन सहाबी ने जब यह कलिमात कहे तो उन का दर्द खत्म हो गया फिर वह सहाबी अपने घर वालों और दूसरे जरुरतमंदों को हमेशा इन कलिमात की तलकीन करते रहते थे।
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