सज्दा करने का सुन्नत का तरीका
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सज्दा फरमाते तो अपनी नाक और पेशानी को जमीन पर रखते और अपने बाजुओं को पहलू से अलग रखते और अपनी हथेलियों को कांधे के बराबर रखते।
मजलिस में जाये तो सलाम करे
मजलिस में जाये तो सलाम करे
۞ हदीस: रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जब तुम में से कोई आदमी मजलिस में जाए, तो सलाम करे और फिर जी चाहे, तो मजलिस में शरीक हो जाए, और फिर जाते वक्त भी सलाम कर के जाए।”
औरत पर सब से ज़्यादा हक़ उस के शौहर का है
۞ हदीस: हज़रत आयशा रज़ि० ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा के
औरत पर तमाम लोगों में से किसका हक़ ज़्यादा है?
तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“औरत पर सब से ज़्यादा हक़ उस के शौहर का है।”
फिर हज़रत आयशा रज़ि० ने पूछा: मर्द पर सबसे ज़्यादा हक़ किसका है?
तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“मर्द पर सबसे ज़्यादा हक़ उस की माँ का है।“
माल की मुहब्बत खुदा की नाशुक्री का सबब है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“इन्सान अपने रब का बड़ा ही नाशुक्रा है, हालाँ के उसको भी इस की खबर है (और वह ऐसा मामला इस लिये करता है) के उस को माल की मुहब्बत ज़ियादा है।”
बगैर किसी उज्र के नमाज़ क़ज़ा करने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जो शख्स दो नमाज़ों को बगैर किसी उज्र के एक वक्त में पढ़े वह कबीरा गुनाहों के दरवाजों में से एक दरवाजे पर पहुँच गया।”
जहन्नमी हथौड़े
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अगर जहन्नम के लोहे के हथौड़े से पहाड़ को मारा जाए, तो वह रेजा रेजा हो जाएगा, फिर वह पहाड़ दोबारा अपनी असली हालत पर लौट आएगा।”
जन्नत में दाखिल करने वाली चीज़
रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा गया के,
“लोगों को सब से ज़ियादा जन्नत में दाखिल करने वाली क्या चीज़ है?”
आप (ﷺ) ने फर्माया : “अल्लाह से डरना और अच्छे अख्लाक़“,
और सब से ज़ियादा आग में दाखिल करने वाली चीज़ के बारे में सवाल किया गया।
तो आप (ﷺ) ने फर्माया : मुंह और शर्मगाह।”
दुनिया से बे-रग़बती और आखिरत की रगबत के लिये
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“दुनिया से बे-रग़बती और आखिरत की रगबत पैदा करने के लिये मौत को याद करना काफी है।”
अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे
अक्लमंद लोग क़ुरआन से नसीहत हासिल करे
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“यह ( कुरआन ) एक बाबरकत किताब है,
जिस को हम ने आप पर इस लिये नाजिल किया है के
लोग उस की आयतों में गौर व फिक्र करें
और अक्लमंद लोग उस से नसीहत हासिल करे।
माल व औलाद दुनिया के लिए ज़ीनत
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“माल और औलाद यह सिर्फ दुनिया की जिंदगी की एक रौनक है और (जो) नेक आमाल हमेशा बाकी रहने वाले हैं, वह आप के रब के नज़दीक सवाब और बदले के एतेबार से भी बेहतर हैं और उम्मीद के एतेबार से भी बेहतर हैं।”
(लिहाज़ा नेक अमल करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए और उस पर मिलने वाले बदले की उम्मीद रखनी चाहिए।)
नमाज़ी पर जहन्नम की आग हराम है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स पाँचों नमाजों की इस तरह पाबंदी करे के वजू और औक़ात का एहतेमाम कर, और सज्दा अच्छी तरह करे और इस तरह नमाज पढने को अपने जिम्मे अल्लाह तआला का समझे, तो उस आदमी को जहन्नम की आग पर हराम कर दिया जाएगा।”
99 बीमारियों की दवा (ला हौल वला कुव्वत इल्ला बिल्लाह)
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
जो शख्स “ला हौल वला कुव्वत इल्ला बिल्लाह” पढेगा,
तो यह निनान्वे मर्ज की दवा है,
जिस में सबसे छोटी बीमारी रंज व ग़म है।
ज़कात अदा करना
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ) इर्शाद फ़र्माते हैं के,
“हमें नमाज़ कायम करने का और जकात अदा करने का हुक्म है और जो शख्स जकात अदा न करे उसकी नमाज़ भी (क़बूल) नहीं।”
इस्मिद सुरमा लगाना
हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ) फरमाते हैं के,
“रसूलुल्लाह (ﷺ) से हर रात सोने से पहले तीन मर्तबा इस्मिद सुरमा लगाया करते थे।”
जमात से नमाज़ अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“जिस ने तक्बीरे ऊला के साथ चालीस दिन तक अल्लाह की रज़ा के लिए जमात के साथ नमाज़ पढी उस के लिये दोजख से नजात और निफाक से बरात के दो परवाने लिख दिये जाते हैं।”
हज़रत मिकाईल की हालत
आप (ﷺ) ने हज़रत जिब्रईल से दर्याप्त फ़रमाया :
“क्या बात है ? मैं ने मिकाईल (फ़रिश्ते) को हंसते हुए नहीं देखा?“
अर्ज़ किया: जब से दोज़ख की पैदाइश हुई है, मिकाईल नहीं हंसे।”
इंसाफ करने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“थोड़ी देर का इन्साफ साठ साल की शब बेदारी और रोजा रखने की इबादत से बेहतर है।
ऐ अबू हुरैरा (र.अ) ! किसी मामले में थोड़ी सी देर का जुल्म, अल्लाह के नजदीक साठ साल की नाफ़रमानी से जियादा सख्त और बड़ा गुनाह है।”
बीमार को परहेज़ का हुक्म
एक मर्तबा उम्मे मुन्जिर (र.अ) के घर पर रसूलुल्लाह (ﷺ) के साथ साथ हजरत अली (र.अ) भी खजूर खा रहे थे, तो आप (ﷺ) ने फ़रमाया: “ऐ अली! बस करो, क्योंकि तुम अभी कमजोर हो।”
फायदाः बीमारी की वजह से चूंकि सारे ही आज़ा कमज़ोर हो जाते हैं, जिन में मेअदा भी है, इस लिए ऐसे मौके पर खाने पीने में एहतियात करना चाहिए और मेअदे में हल्की और कम ग़िज़ा पहुँचनी चाहिए ताके सही तरीके से हज़्म हो सके।
गुस्ल में पूरे बदन पर पानी बहाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“(जिस्म) के हर बाल के नीचे नापाकी होती है,
लिहाजा तुम बालों को धोओ
और बदन को अच्छी तरह साफ करो।”
खुलासा: गुस्ल में पूरे बदन पर पानी पहुँचाना फर्ज है।
हलाल रोज़ी कमाओ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“रोज़ी को दूर न समझो, क्योंकि कोई आदमी उस वक्त तक नहीं मर सकता जब तक के जो रोजी उस के मुक़द्दर में लिख दी गई है, वह उस को न मिल जाए।
लिहाजा रोजी हासिल करने में बेहतर तरीका इख्तियार करो, हलाल रोजी कमाओ और हराम को छोड़ दो।”
तीन साँस में पानी पीना
हजरत अनस (ﷺ(र.अ) (पीने के वक्त) दो या तीन साँस लेते और
फ़रमाते के रसूलुल्लाह (ﷺ) भी तीन मर्तबा साँस लेते थे।
गुनाह देख कर खामोश ना रहो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है –
“तुम ऐसे अज़ाब से बचो, जो सिर्फ गुनाह करने वालों ही पर नहीं आएगा, बल्कि गुनाह देख कर खामोश रहने वालों को भी अपनी पकड़ में लेगा खूब जान लो के अल्लाह सख्त सज़ा देने वाला है।”
बद नसीबी की पहचान
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“चार चीजें बदनसीबी की पहेचान हैं।
(१) आँखों का खुश्क होना (के अल्लाह के खौफ से किसी वक्त भी आँसू न टपके)
(२) दिल का सख्त होना (के आखिरत के लिये या न किसी दूसरे के लिये किसी वक़्त भी नर्म न पड़े।) (३) उम्मीदों का लम्बा होना ।
(४) दुनिया की हिर्स व लालच का होना।”
सिर्फ दुनिया मांगने वाले को आख़िरत में कुछ नहीं मिलेगा
क़ुरान में अल्लाह तआला फ़रमाता है:
“लोगों में से बाज़ ऐसे भी हैं जो कहते हैं, के ऐ हमारे परवरदिगार ! हम को (जो कुछ देना हो) दुनिया में ही दे दीजिये (तो उन को जो कुछ मिलना होगा वह दुनिया ही में मिल जाएगा) और ऐसे शख़्स को आख़िरत में कुछ न मिलेगा।”
चाँदी के बरतन में पीने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जो चाँदी के बर्तन में पानी वगैरा पीते हैं वह अपने पेट में जहन्नम की आग भर रहे हैं।”
गुर्दे की बीमारियों का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया –
“पहलू के दर्द का सबब गुर्दे की नस है, जब वह हरकत करती है, तो इन्सान को तकलीफ होती है लिहाज़ा उसका इलाज गर्म पानी और शहद से करो।”
📕 मुस्तदरक हाकिम : ८२३७, अन आयशा रज़ि०
फाएदा: गुर्दे में जब पथरी वगैरह हो जाती है, तो कूल्हों में दर्द होता है, अकसर इसी दर्द ही की वजह से बीमारी का पता चलता है, उसका इलाज आप ने यह बतलाया के गर्म पानी और शहद मिला कर पियो।
नमाज़ में सुस्ती करने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“ऐसे नमाजियों के लिए बड़ी खराबी है, जो अपनी नमाजों की तरफ़ से गफ़लत व सुस्ती बरतते हैं, जो सिर्फ रियाकारी करते हैं।”
मय्यित का कर्ज अदा करना
हजरत अली (र.अ) फ़र्माते हैं के:
रसुलअल्लाह (ﷺ) ने कर्ज को वसिय्यत से पहले अदा करवाया, हालाँकि तुम लोग (कुरआन पाक में) वसिय्यत का तजकेरा कर्ज से पहले पढ़ते हो।
फायदा: अगर किसी शख्स ने कर्ज लिया और उसे अदा करने से पहले इन्तेकाल कर गया, तो कफन दफन के बाद माले वरासत में से सबसे पहले कर्ज अदा करना जरूरी है, चाहे सारा माल उस की। अदायगी में खत्म हो जाए।
ग़लत हदीस बयान करने की सज़ा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“मेरी हदीस को बयान करने में एहतियात करो और वही बयान करो जिस का तुम्हें यक़ीनी इल्म हो, जो शख्स जान बूझ कर मेरी तरफ से कोई गलत बात बयान करे, वह अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले।”
विरासत में लड़की का हिस्सा
विरासत में लड़की का हिस्सा
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“अल्लाह तआला तुमको तुम्हारी औलाद के हक में हुक्म देता है के 1 लड़के का हिस्सा 2 लड़कियों के हिस्से के बराबर है।”
खुलासा: वालिदैन की विरासत में लड़के के 2 हिस्से और लडकी का 1 हिस्सा होता है, जिस का अदा करना फर्ज है।
नमाजे अस्र की अहमियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जिस शख्स ने अस्र की नमाज़ छोड़ दी, तो उस का अमल जाया हो गया।”
📕 बुखारी : ५५३. अन बुरैया (र.अ)
वजाहत: दिन और रात में तमाम मुसलमानों पर पाँचों नमाजों को अदा करना तो फर्ज है ही, लेकिन ख़ास तौर से अस्त्र की नमाज़ छोड़ने वालों के हक में रसूलल्लाह (ﷺ) का वईद बयान फर्माना इस की अहमियत को मजीद बढ़ा देता है,
चुनान्चे हमारे लिए जरूरी है के हम अस्र की नमाज वक्त पर अदा करें और कजा न करें। अल्लाहतआला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे , अमीन।
रसूल (ﷺ) के हुक्म को न मानने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जो लोग रसूलुल्लाह (ﷺ) के हुक्म की खिलाफ वरजी करते हैं,
उनको इस से डरना चाहिये के कोई आफत उन पर आ पड़े
या कोई दर्दनाक अज़ाब उन पर आ जाए।”
फिजूलखर्ची मत किया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है:
“ऐ आदम की औलाद! तुम हर मस्जिद की हाज़री के वक्त अच्छा लिबास पहन लिया करो और खाओ पियो और फिजूलखर्ची मत किया करो, बेशक अल्लाह तआला फुजूल खर्ची करने वालों को पसन्द नहीं करता।”
क़यामत के दिन काफिर की तमन्ना
क़ुरआन में अल्लाह तआला ने फ़रमाया है –
“हमने तुमको एक करीब आने वाले अज़ाब से डरा दिया है (जो उस दिन आएगा) जिस दिन आदमी अपने उन आमाल को देख लेगा, जो उस ने अपने हाथों से किये होंगे और उस दिन काफिर कहेगा, काश! मैं मिट्टी हो जाता।”
दरवाज़े पर सलाम करने की सुन्नत
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी के घर के दरवाज़े पर आते,
तो बिल्कुल सामने खड़े ना होते,
बल्क़ि दायीं तरफ या बायीं तरफ तशरीफ फ़रमा होते
और “अस्सलामु अलैकुम” फ़रमाते।
अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो
और हर शख्स को इस बात पर गौर करना चाहिये के
उस ने कल (आखिरत) के लिये क्या आगे भेजा है
और अल्लाह से डरते रहो
और अल्लाह तआला को तुम्हारे सब आमाल की खबर है।”
ईमान की बरकत से जहन्नम से छुटकारा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
जब जन्नती जन्नत में चले जाएंगे और जहन्नमी जहन्नम में चले जाएंगे, तो अल्लाह तआला फरमाएगा:
“जिस के दिल में राई के दाने के बराबर भी ईमान हो उसे भी जहन्नम से निकाल लो, चुनान्चे उन लोगों को भी निकाल लिया जाएगा, जिनकी यह हालत होगी के वह जल कर काले सियाह हो गए होंगे। उसके बाद उन को “नहरे हयात” में डाला जाएगा, तो इस तरह निकल आएंगे जैसे दाना सैलाब के कड़े में (खाद और पानी मिलने की वजह से) उग आता है।”
शिर्क करने वाले की मिसाल
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“तुम सिर्फ अल्लाह की तरफ मुतवज्जेह रहो, उस के साथ किसी को शरीक मत ठहराओ और जो शख्स अल्लाह के साथ शिर्क करता है, तो उसकी मिसाल ऐसी है जैसा के वह आसमान से गिर पड़ा हो, फिर परिन्दों ने उस की बोटियाँ नोच ली हों या हवा ने किसी दूर दराज मक़ाम पर ले जाकर उसे डाल दिया हो।”
जबान और शर्मगाह की हिफाजत करना
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स मुझे अपनी ज़बान और शर्मगाह की हिफाजत की जमानत दे दे मैं उसके लिये जन्नत की जमानत लेता हूँ।”
गुस्ल के लिये तययम्मुम करना
क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है –
“अगर तुम बीमार हो जाओ या सफर में हो या तुम में से कोई शख्स अपनी तबई ज़रूरत (यानी पेशाब पाखाना कर के) आया हो या अपनी बीवी से मिला हो और तुम पानी (के इस्तेमाल की) ताकत न रखते हो, तो ऐसी हालत में तुम पाक मिट्टी का इरादा करो। (यानी तयम्मुम कर लो)।”
फायदा : अगर किसी पर गुस्ल करना फ़र्ज़ हो जाए और पानी इस्तेमाल करने की ताकत न रखे, तो ऐसी सुरत में गुस्ल के लिए तयम्मुम कर के नमाज पढ़ना फ़र्ज़ है और तयम्मुम का तरीका यह है के दोनो हाथों को जमीन पर मार कर चेहरे पर मसह कर लें फिर जमीन पर मारें और दोनों हाथों पर कोहनियों समेत मसह कर लें।
इल्म हासिल करना फ़र्ज़ है …
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज है।”
फायदा : हर मुसलमान पर इल्मे दीन का इतना हासिल करना फर्ज है के जिस से हलाल व हराम में तमीज़ कर ले और दीन की सही समझ बूझ, इबादात के तरीके और सही मसाइल की मालमात हो जाए।
अल्लाह और उसके बन्दों के हुकूक अदा करो
क़ुरान में अल्लाह तआला फर्माता है:
“अल्लाह के सिवा किसी की इबादत न करो, वालिदेन के साथ अच्छा सुलूक करो, रिश्तेदारों, यतीमों और मिसकीनों के साथ भी अच्छा बर्ताव करो, लोगों से ख़ुश अख्लाक़ी से बात करो, नमाज़ क़ायम करो और ज़कात अदा करो।”
हर एक को नाम-ए-आमाल के साथ बुलाया जाएगा
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“वह दिन याद करने के काबिल है, जिस दिन तमाम आदमियों को उनके नाम-ए-आमाल के साथ मैदाने हश्र में बुलाएंगे, फिर जिनका नाम-ए-आमाल उन के दाहिने हाथ में दिया जाएगा, तो वह (खुश हो कर) अपने नाम-ए-आमाल को पढ़ने लगेंगे उन पर एक धागे के बराबर भी जुल्म नहीं किया जाएगा।”
नर्म मिज़ाजी इख्तियार करना
लोगों के साथ नर्मी से पेश आने की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“क्या मैं तुम को ऐसे शख्स की खबर न दूँ जो दोजख के लिये हराम है और दोज़ख की आग उस पर हराम है? हर ऐसे शख्स पर जो तेज़ मिजाज न हो बल्के नर्म हो, लोगों से क़रीब होने वाला हो, नर्म मिजाज हो।”
बीवियों के साथ अच्छा सुलूक करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :
“ईमान वालों में ज़ियादा मुकम्मल ईमान वाले वह लोग हैं, जो अखलाक में ज्यादा अच्छे हैं और तुम में सबसे अच्छे वह लोग हैं जो अपनी बीवियों के साथ अच्छा बरताव करते हैं।”
जो रहम नहीं करता उस पर भी रहम नहीं किया जाता
हज़रत अकरअ बिन हाबिस (र.अ) की मौजूदगी में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत हुसैन बिन अली का बोसा लिया।
यह देख कर हज़रत अकरअ विन हाबिस (र.अ) ने कहा: मेरे दसं बेटे हैं, मैंने कभी किसी का नहीं लिया। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने यह सुनकर फ़र्माया : “जो रहम नहीं करता उस पर रहम भी नहीं किया जाता।”
कयामत का होलनाक मंजर | जब शोर बरपा होगा
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“जब कानों के पर्दे फाड़ देने वाला शोर बरपा होगा, तो उस दिन आदमी अपने भाई से अपनी माँ और बाप से, अपनी बीवी और बेटों से भागेगा। उस दिन हर शख्स की ऐसी हालत होगी जो उस को हर एक से बेखबर कर देगी।”
नेक अमल करने वालों का इनाम
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जो लोग ईमान लाए और नेक अमल करते रहे, वह जन्नत के बागों में दाखिल होंगे, वह जिस चीज़ को चाहेंगे उनके रब के पास उन को मिलेगी। (उनकी) हर ख्वाहिश का पूरा होना भी बड़ा फज़ल व इनाम है।”
मुसाफा से गुनाहों का झड़ना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब मोमिन दूसरे मोमिन से मिल कर सलाम करता है और उस का हाथ पकड़ कर मुसाफा करता है, तो उन दोनों के गुनाह इस तरह झड़ते हैं जैसे दरख्त के पत्ते गिरते हैं।”
दुनिया से बेरग़बती पैदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“मौत का (जिक्र) दुनिया से बेगरगबती करने और आखिरत की तलब के लिये काफी है।”
हमेशा सच बोलो क्योंकि सच नेकी का रास्ता बताता है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“हमेशा सच बोलो क्योंकि सच नेकी का रास्ता बताता है और सच और नेकी जन्नत में दाखिल करने वाले हैं। तुम झूट से बचो क्योंकि वह गुनाह का रास्ता बताता है और झूट और गुनाह जहन्नम में दाखिल करने वाले हैं।”
शराब, मुरदार और खिन्ज़ीर हराम है
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला ने शराब और उस की कीमत, मुरदार और उसकी कीमत, खिन्जीर और उसकी क़ीमत को हराम कर दिया है।”
कयामत में तीन किस्म के लोग
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“कयामत के दिन जहन्नम से एक गर्दन निकलेगी, जिस की दो देखने वाली औंखें, दो सुनने वाले कान और एक बोलने वाली जुबान होगी, वह कहेगी: तीन किस्म के लोग मेरे सुपुर्द किए गए हैं:
(१) हर मगरूर हक जान कर रुगरदानी करने वाला।,
(२) अल्लाह के साथ किसी और को खुदा समझ कर पुकारने वाला।,
(३) तस्वीर बनाने वाला।“
फज़्र और अस्त्र की नमाज़ पाबन्दी से अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“हरगिज़ वह आदमी जहन्नम में दाखिल नहीं हो सकता, जो सूरज निकलने से पहले फज़्र की नमाज और सूरज गुरूब होने से पहले अस्र की नमाज़ पढ़े।”
जहन्नुम की गहराई
दोजख (जहन्नुम) की गहराई
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“एक पत्थर को जहन्नम के किनारे से फेंका गया, वह सत्तर साल तक उस में गिरता रहा मगर उस की गहराई तक नहीं पहुंच सका।”
हक को झुटलाने की सज़ा
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“हमने उन (कौमे आद) के लोगों को उन चीजों की कुदरत दी थी के जिन की कुदरत तुम को नहीं दी और हमने उन को कान और आँखें और दिल अता किए थे। चूँकि वह अल्लाह की आयतों का इनकार करते थे, इसलिये न उन के कान उन के कुछ काम आए, न उन की आँखें और न उन के दिल; और जिस अजाब का वह मजाक उड़ाया करते थे उसी ने उन को आ घेरा।”
सोने से पहले बिस्तर झाड़ लेना
हजरत अबू हुरैरा (र.अ) फर्माते हैं के,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तुम में से कोई बिस्तर पर आए तो उसे किसी कपडे से झाड़ ले, उसे नहीं मालूम के बिस्तर में क्या है।“
दुनिया की इमारतें साहिबे इमारत के लिए वबाल होगी
रसूलुल्लाह (ﷺ) एक मर्तबा एक गुंबद वाली इमारत के पास से गुज़रे तो फर्माया :
“यह किस ने बनाया है? लोगों ने बताया के फलाँ शख्स ने, तो फर्मायाः
“क़यामत के दिन मस्जिद के अलावा हर इमारत साहिबे इमारत के लिए वबाल होगी।”
जन्नतुल फिरदौस का दर्जा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तुम अल्लाह तआला से सवाल करो, तो जन्नतुल फिरदौस का सवाल किया करो, क्योंकि वह जन्नत का सबसे अफजल और बुलंद दर्जा है और उसके ऊपर रहमान का अर्श है और उसीसे जन्नत की नहरें निकलती हैं।”
सब से बड़ा सूद
सईद इब्न ज़ैद (रदी अल्लाहू अन्हु) से रिवायत है की
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:
“सब से बड़ा सूद ये है की आदमी नाहक़ किसी मुसलमान की बेइज़्ज़ती करे।”
हज किन लोगों पर फर्ज है ?
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“अल्लाह के वास्ते उन लोगों के जिम्मे बैतुल्लाह का हज करना (फर्ज) है, जो वहाँ तक पहुँचने की ताकत रखते हों।”
आखरी रात में वित्र का मौका ना मिले तो शुरू में ही पढ़ ले
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जिस को यह अन्देशा हो के वह आखरी रात में नहीं उठ सकेगा तो उस को रात के शुरू ही में वित्र पढ़ लेना चाहिये और जिसको आखरी रात में उठने की पूरी उम्मीद हो तो उसे आखरी रात में वित्र पढ़ना चाहिये।”
बाराह रकात नफ़्ल नमाज अदा करने की फ़ज़ीलत
रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स एक दिन में बाराह रकात नफ़्ल नमाज़ पढ़ेगा, तो इन नमाज़ों बदले में उसके लिए जन्नत में एक घर बनाया जाएगा।”
दुनिया के लालची अल्लाह की रहमत से दूर होंगे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“क़यामत करीब आ चुकी है और लोग दुनिया की हिर्स व लालच और अल्लाह तआला की रहमत से दूरी में बढ़ते ही जा रहे हैं।”
खुलासा : कयामत के करीब आने की वजह से लोगों को नेकी कमाने की जियादा से जियादा फ़िक्र करनी चाहिये, लेकिन ऐसा करने के बजाए वह दुनिया की लालच में पड़ कर अल्लाह की रहमत से दूर होते जा रहे है।
कयामत के रोज़ सब को जिंदा किया जाएगा
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“(दोबारा) सूर फूंका जाएगा, तो सब के सब कब्रों से निकल कर अपने रब की तरफ दौड़ पड़ेंगे। वह कहेंगे: हाय हमारी बरबादी! हमको हमारी ख्वाब गाहों से किस ने उठा दिया?
(जवाब मिलेगा) यह वही है जिसका रहमान (अल्लाह) ने वादा किया था और रसूलों ने सच कहा था। बस वह एक जोर की आवाज़ होगी, जिस से सब जमा हो कर हमारे पास हाजिर कर दिए जाएंगे।”
बीवियों को सलाम करना
हज़रत उम्मे सलमा (र.अ) बयान करती हैं के:
“आप (ﷺ) रोजाना सुबह के वक्त बीवियों के पास तशरीफ ले जाया करते थे और उन को खुद सलाम किया करते थे।“
जुमा के लिये खास लिबास पहनना
“रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास दो कपड़े थे, जिसे आप जुमा के दिन पहनते थे फिर जब वापस तशरीफ लाते तो उसे लपेट कर रख देते।”
इस्तिन्जे के बाद वुजू करना
हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के –
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब बैतुलखला से निकलते तो वुजू फरमाते।
मरीज़ के अयादत की फ़ज़ीलत
हज़रत अली (रज़ीअल्लाहु अन्हु) कहते है के ;
“जो शख्स किसी बीमार की दिन के आखिर हिस्से (शाम) में अयादत करता है तो इसके साथ सत्तर हज़ार फ़रिश्ते निकलते है और फज़र तक इस के लये मगफिरत की दुआ करते है, और इस के लिए जन्नत में एक बाग़ होता है, और जो शख्स दिन के इब्तेदाई (सुबह) में अयादत के लिए निकलता है इसके लिए सत्तर हज़ार फ़रिश्ते निकलते और शाम तक इस के लिए दुआ-ऐ-मग़फ़िरत करते है और इसके लिए जन्नत में एक बाग़ है।”
अल्लाह के रास्ते में रोज़ा रखना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिसने अल्लाह के रास्ते में एक रोज़ा रखा, तो अल्लाह तआला उस के और जहन्नम के दर्मियान
आसमान व ज़मीन के फासले के बराबर खन्दक़ कायम कर देगा।”
खाना खाते वक्त टेक न लगाना
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“मैं टेक लगा कर नहीं खाता हूँ।”
फायदा: बिला उज्र टेक लगा कर खाना सुन्नत के खिलाफ है।
वरम (सूजन) का इलाज
हज़रत अस्मा (र.अ) के चेहरे और सर में वरम (सूजन) हो गया,
तो उन्होंने हजरत आयशा (र.अ) के जरिये आप (ﷺ) को इस की खबर दी। चुनान्चे हुजूर (ﷺ) उन के यहाँ तशरीफ़ ले गए और दर्द की जगह पर कपड़े के ऊपर से हाथ रख कर तीन मर्तबा यह दुआ फ़रमाई।
اللهم أذْهِبْ عَنْهَا سُولَهُ وَفَحْشَهُ بِدَعْوَةٍ بَيْكَ الطَّيِّبِ الْمُبَارَكَ الْمَكِينِ عِندَكَ ، بسم الله
फिर इर्शाद फ़र्माया : यह कह लिया करो, चुनांचे उन्हों ने तीन दिन तक यही अमल किया तो उन का वरम जाता रहा।
अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अपने मालों को ज़कात के जरिये महफूज़ बनाओ और अपने बीमारों का सदके से इलाज करो और अल्लाह तआला सामने आजिजी से इस्तकबाल करो।”
शौहर की विरासत में बीवी का हिस्सा
कुरआन में अल्लाह तअला फर्माता है :
“उन औरतों के लिये तुम्हारे छोड़े हुए माल में चौथाई हिस्सा है, जब के तुम्हारी कोई औलाद न हो अगर तुम्हारी औलाद हो तो उन के लिये तुम्हारे छोड़े हुए माल में आठवाँ हिस्सा है (उन को यह हिस्सा) तुम्हारी वसिय्यत और कर्ज को अदा करने के बाद मिलेगा।”
फायदा : शौहर के इन्तेकाल के बाद अगर उस की कोई औलाद न हो, तो बीवी को शौहर के माल का चौथाई हिस्सा देना और अगर कोई औलाद हो, तो आठवाँ हिस्सा देना जरूरी है।
पछना के जरिये दर्द का इलाज
हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) बयान करते हैं के :
“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एहराम की हालत में दर्द की वजह से सर में पछना लगवाया।”
फायदा: पछना लगाने से बदन से फ़ासिद खून निकल जाता है जिस की वजह से दर्द वगैरह खत्म हो जाता है और आँख की रोशनी तेज़ हो जाती है।
गुनहगारों को नेअमत देने का मक्सद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तू यह देखे के अल्लाह तआला किसी गुनहगार को उस के गुनाहों के बावजूद दुनिया की चीजें दे रहा है तो यह अल्लाह तआला की तरफ से ढील है।”
अल्लाह से डरते रहो जैसा के उस से डरने का हक्र है
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“ऐ ईमान वालो ! अल्लाह से डरते रहो जैसा के उस से डरने का हक्र है और मरते दम तक इस्लाम पर क़ाएम रहना।”
गुनाहों से बचने की दुआ
गुनाहों से बचने के लिए यह दुआ पढ़े:
“ऐ अल्लाह ! जबतक मैं जिंदा रहूँ मुझे गुनाहों से बचने की तौफीक अता फर्मा।”
क्या ईमान वालों के लिये अभी तक ऐसा वक़्त नहीं आया?
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“क्या ईमान वालों के लिये अभी तक ऐसा वक़्त नहीं आया, के उनके दिल अल्लाह की नसीहत और जो दीने हक़ नाज़िल हुआ है, उसके सामने झुक जाएँ। और वह उन लोगों की तरह न हो जाएँ जिन को उन से पहले किताब दी गई थी।”
यानी वह वक़्त आ चुका है के मुसलमानों के दिल कुरआन और अल्लाह की याद और उसके सच्चे दीन के सामने झुक जाएँ।”
बुरी मौत से हिफाज़त का जरिया
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“सदका अल्लाह तआला के गुस्से को ठंडा करता है
और इन्सान को बुरी मौत से महफूज रखता है।”
गाय के दूध में शिफा है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“गाय का दूध इस्तेमाल किया करो, क्योंकि वह हर किस्म के पौधों को चरती है (इस लिए) उसके दूध में हर बीमारी से शिफ़ा है।”
दुनियावी ख्वाहिशों को पूरा करने का अंजाम
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स दुनिया में अपनी ख्वाहिशों को पूरा करता है, वह आखिरत में अपनी ख्वाहिशात के पूरा करने से महरूम होता है।”
📕 बैहाकि फी शोअबिल ईमान : ९३९०
नोट: अपनी तमाम चाहतों को इसी में पूरी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिये वरना आखिरत में महरूम हो जाएगा।
मौत की सख्ती के वक़्त की दुआ
हजरत आयशा (र.अ) फर्माती हैं के,
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने मौत से पहले यह दुआ पढ़ी थी :
तर्जमा: ऐ अल्लाह! मौत की सख्तियों और बेहोशियों पर मेरी मदद फ़र्मा।
📕 तिर्मिजी : ९७८
बुराई से न रोकने का वबाल
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जो क़ौमें तुम से पहले हलाक हो चुकी हैं, उन में ऐसे समझदार लोग न हुए, जो लोगों को मुल्क में फसाद फैलाने से मना करते, सिवाए चन्द लोगों के जिन को हमने अज़ाब से बचा लिया।”
खुलासा: मतलब यह है के हर एक के लिये भलाई का हुक्म और बुराई से रोकना ज़रूरी है वरना अज़ाब में मुब्तला कर दिया जाएगा।
जो कुछ खर्च करना है दुनिया ही में कर लो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“हमने तुमको जो कुछ दिया है, उसमें से खर्च करो इससे पहले के तुम में से किसी को मौत आ जाए और फिर (मौत को देख कर ) कहने लगे के ऐ मेरे रब ! तूने मुझ को और थोड़े दिनों की मोहलत क्यों न दी, ताके खूब खर्च (सदका, खैरात) कर के नेक लोगों में शामिल हो जाता।”
नाफ़र्मानों से नेअमतें छीन ली जाती हैं
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“वह नाफरमान लोग कितने ही बाग, चश्मे, खेतियाँ और उम्दा मकानात
और आराम के सामान जिन में वह मजे किया करते थे, (सब) छोड़ गए,
हम ने इसी तरह किया और उन सब चीज़ों का वारिस एक दूसरी कौम को बना दिया।
फिर उन लोगों पर न तो आसमान रोया और न ही जमीन
और नही उन को मोहलत दी गई।”
आखिरत के मुकाबले में दुनिया से राज़ी होने का वबाल
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“क्या तुम लोग आख़िरत की जिन्दगी के मुकाबले में दुनिया की ज़िन्दगी पर राजी हो गए? दुनिया का माल व मताअ तो आखिरत के मुकाबले में कुछ भी नहीं।”
यानी मुसलमान के लिये मुनासिब नहीं है के वह दुनिया ही की जिन्दगी पर राजी हो जाए या दुनिया के थोड़ेसे साज़ व सामान की खातिर अपनी आखिरत को बरबाद कर दे।
सवारी के जानवर
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“उसी ने (यानी अल्लाह ने) घोड़े, खच्चर और गधे भी पैदा किये ताके तुम उन पर सवारी करो और जेब व ज़ीनत हासिल करो और आइंदा भी ऐसी चीजें पैदा कर देगा जिनको तुम अभी नहीं जानते।”
नमाज़ में खामोश रहना (एक फर्ज अमल)
हज़रत जैद बिन अरकम (र.अ) फर्माते हैं :
(शुरू इस्लाम में) हम में से बाज़ अपने बाज़ में खड़े शख्स से नमाज की हालत में बात कर लिया करता था,
फिर यह आयत नाजिल हुई:
तर्जमाः अल्लाह के लिये खामोशी के साथ खड़े रहो (यानी बातें न करो)।
फिर हमें खामोश रहने का हुक्म दे दिया गया और बात करने से रोक दिया गया।
फायदा: नमाज़ में बातचीत न करना और खामोश रहना जरूरी है।
दुनिया की चीज़ों में गौर व फिक्र करना
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“इसी (बारिश के पानी के जरिये अल्लाह तआला तुम्हारे लिये खेती, जैतून, खजूर और अंगूर और हर किस्म के फल उगाता है, यकीनन इन चीजों में गौर व फिक्र करने वालों के लिये बड़ी निशानियां है।”
यतीम की परवरिश करना
रसुलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“मुसलमानों में बेहतरीन घर वह है, जिसमें कोई यतीम हो और उससे अच्छा सुलूक किया जाए और मुसलमानों में बदतरीन घर वह है जिस में कोई यतीम हो और उस के साथ बुरा सुलूक किया जाए।”
अल्लाह और रसूल की नाफरमानी का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फरमाता है :
“जो शख्स अल्लाह और उस के रसूल की नाफर्मानी करेगा, और उसकी (मुकर्रर की हुई) हदों से आगे बढ़ेगा तो अल्लाह तआला उस को आग में दाखिल करेगा, जिसमें वह हमेशा रहेगा, और उसको जलील व रुस्वा करने वाला अजाब होगा।”
📕 सूरह निसा १४
“जो शख्स अल्लाह और उसके रसूल का कहना न माने वह खुली हुई गुमराही में है।”
📕 सूर-ए-अहजाब: ३६
“बिला शुबा जो लोग अल्लाह और उस के रसूल को (उन का हुक्म न मान कर) तकलीफ देते हैं, अल्लाह तआला उन पर दुनिया व आखिरत में लानत करता है। और उन के लिये जलील करने वाला अज़ाब तय्यार कर रखा है।”
📕 सूरह अहज़ाब : ५७
अल्लाह ही रोजी तकसीम करता हैं
क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“दुनियवी जिंदगी में उन की रोज़ी हम ने ही तकसीम कर रखी है और एक को दूसरे पर मर्तबा के एतबार से फज़ीलत दे रखी है ताकि एक दूसरे से काम लेता रहे।”
कंजूसी करने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जो लोग अल्लाह तआला के अता करदा माल व दौलत को (खर्च करने में) बुख्ल (कंजूसी) करते हैं, वह बिल्कुल इस गुमान में ना रहें के (उनका यह बूख्ल करना) उनके लिये बेहतर है, बल्के वह उन के लिये बहुत बुरा है,
कयामत के दिन उनके जमा करदा माल व दौलत को तौक बनाकर गले में पहना दिया जाएगा और आसमान व जमीन का मालिक अल्लाह तआला ही है और अल्लाह तआला तुम्हारे आमाल से बाखबर है।”
कुरआन का मजाक उड़ाने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जब इन्सान के सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं, तो कहता है के यह पहले लोगों के किस्से कहानियां हैं। हरगिज़ नहीं! बल्के उन के बुरे कामों के सबब उन के दिलों पर जंग लग गया है।”
अल्लाह के रास्ते में खर्च किया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“तुम लोग अल्लाह के रास्ते में खर्च किया करो,
अपने आप को अपने हाथों से हलाकत में न डालो
और खुलूस से काम किया करो,
क्योंकि अल्लाह तआला!
अच्छी तरह अमल करने वालों को पसन्द करता है।”
फसाद करने वालों पर गलबा पाने की दुआ
फसाद करने वालों पर गलबा पाने की दुआ
फितना व फसाद करने वालों पर गलबा पाने के लिये क़ुरआन की इस दुआ का एहतेमाम करना चाहिये:
۞ बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम ۞
قَالَ رَبِّ انصُرْنِي عَلَى الْقَوْمِ الْمُفْسِدِينَ
“Rabbi onsurnee AAala alqawmi almufsideena”
तर्जुमा: ऐ मेरे परवरदिगार ! मुझे फसाद करने वाली कौम पर गलबा अता फर्मा।
मोतदिल गिज़ा का इस्तेमाल
खीरा (ककड़ी) के फवाइद
रसूलुल्लाह (ﷺ) खजूर के साथ खीरे खाते थे।
फायदा : मुहद्विसी ने किराम फ़र्माते हैं के खजूर चूँकि गर्म होती है इस लिये आप (ﷺ) उस के साथ ठंडी चीज खीरा (ककड़ी) इस्तेमाल फर्माते थे ताके दोनों मिलकर मोतदिल हो जाएं।
पसंद के मुताबिक हदिया देना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो आदमी अपने मुसलमान भाई से किसी ऐसी चीज़ के साथ मुलाकात करे जिस से वह खुश होता हो, तो अल्लाह तआला उस को कयामत के दिन खुश कर देगा।
वजाहत: हदीस से मालूम हुआ के किसी दीनी भाई के यहाँ जाते वक़्त उस की पसंद के मुताबिक़ कोई चीज़ पेश करना चाहिये इस से अल्लाह की रजा व खुश्नूदी हासिल होती है।