सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
5 Minute Ka Madarsa in Hindi
- इस्लामी तारीख: इमाम इब्ने माजा (रह.)
- हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा: थोड़े से छूहारों में बरकत
- एक फर्ज के बारे में: तक्बीराते तशरीक
- एक सुन्नत के बारे में: खैर व भलाई की दुआ
- एक गुनाह के बारे में: जलील तरीन लोग
- दुनिया के बारे में : दुनियावी जिंदगी पर खुश न होना
- आख़िरत के बारे में: अहले जन्नत की सफें
- तिब्बे नबवी से इलाज: बीमारी से मुतअल्लिक अहम हिदायत
- नबी (ﷺ) की नसीहत: एक दूसरे से हसद न करो
इस्लामी तारीख:
इमाम इब्ने माजा (रह.)
आप का नाम मुहम्मद और कुनिय्यत अबू अब्दुल्लाह, वालिद का नाम यजीद बिन अब्दुल्लाह बिन माजा कज़्वीनी है। जद्दे अमजद की तरफ़ निस्बत करते हुए इब्ने माजा कहा जाता है। आप २०९ हिजरी में इराक़ के मशहूर शहर क़ज़वीन में पैदा हुए। इब्ने माजा ने इल्मे हदीस व तफ़सीर और तारीख में महारत हासिल करने के लिये मुख्तलिफ़ ममालिक का सफ़र किया और माहिरीन उलमा और असातिजा से इल्म हासिल कर के फ़न के इमाम बन गए।
उन्होंने हदीस व तफ़सीर और तारीख़ में बहुत सी मुफीद किताबें लिखी हैं, मगर उन में सब से ज़ियादा मशहूर किताब “सुनन इब्ने माजा” है। जो “सिहाहे सित्ता” यानी हदीस की छ मशहर किताबों में से एक है। जिस में चार हज़ार हदीसों को बयान किया गया है। उन की यह किताब हुस्ने तरतीब और बिला तकरार अहादीस और दूसरी कुतुबे हदीस के मुक़ाबले में तौहीद व अक्राइद को बयान करने में लाजवाब व बेमिसाल है। जब उन्होंने इस किताब को तालीफ़ कर के इमाम अबू ज़रआराजी के सामने पेश किया तो उन्हों ने इस को देख कर फ़र्माया: अगर यह किताब लोगों के हाथों में आ गई तो मुझे डर है के कहीं दूसरी अहादीस की किताबें न छोड बैठे।
आखिर दीनी ख़िदमत अन्जाम देते हुए २२ रमजानुल मुबारक बरोजे पीर सन २७३ हिजरी में वफ़ात पाई और मंगल के दिन दफ़न किये गए।
[ इस्लामी तारीख ]
हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा:
थोड़े से छूहारों में बरकत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हज़रत उमर को हुकम दिया के कबील-ए-मुजैना के चार सौ सवारों को सफर में खाने के लिए कुछ सामान दे दो,
हज़रत उमर (र.अ) ने अर्ज किया: या रसुलल्लाह ! मेरे पास कोई चीज ऐसी नहीं जो मैं उनको दे सकू। आप (ﷺ) ने फर्माया : “जाओ तो सही” हज़रत उमर (र.अ) उन लोगों को अपने घर ले गए घर पर थोड़े से छुहारे रखे हुए थे, वह उन लोगों के दर्मियान तकसीम कर दिया।
हज़रत नुमान बिन मुकरिन (र.अ) फर्माते हैं (तक़सीम के बाद भी) छुहारे जितने थे उतने ही बाकी रहे (उनमें कुछ कमी नहीं हुई)।
[ बैहकी फी दलाइलिन्नुहुबह : २११२ ]
एक गुनाह के बारे में:
जलील तरीन लोग
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जो लोग अल्लाह और उस के रसूल की मुखालफत करते है तो यही लोग (अल्लाह के नज़दीक) बड़े ज़लील लोगों में दाखिल हैं।”
दुनिया के बारे में :
दुनियावी जिंदगी पर खुश न होना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“अल्लाह तआला जिस को चाहता है बेहिसाब रिज्क देता है और जिस को चाहता है तंगी करता है; और यह लोग दुनिया की जिंदगी पर खुश होते हैं (और उस के ऐश व इशरत पर इतराते हैं ) हालांके आखिरत के मुकाबले में दुनिया की जिंदगी एक थोड़ा सा सामान है।”
नबी (ﷺ) की नसीहत:
एक दूसरे से हसद न करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“एक दूसरे से हसद न करो, खरीद व फ़रोख्त में धोका देने के लिए बोली में इज़ाफ़ा न करो, (यानी बढ़ा चढ़ा कर न बोलो) एक दूसरे से दुशमनी न रखो, एक दूसरे से मुंह न फेरो और तुम में से कोई दूसरे के सौदे पर सौदा न करे।”
[ मुस्लिम: ६५४१, अन अबी हुरैरह (र.अ) ]
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